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ममता बनर्जी की यूनाइटेड इंडिया रैली में शक्ति कम, प्रदर्शन ज्यादा दिखा

    • आईचौक
    • Updated: 19 जनवरी, 2019 08:36 PM
  • 19 जनवरी, 2019 08:36 PM
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ममता बनर्जी की यूनाइटेड इंडिया रैली को उनके शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा था. राहुल गांधी और मायावती जैसे नेताओं के दूर रहने के कारण शक्ति थोड़ी कम जरूर लगी, लेकिन प्रदर्शन में कोई कमी नहीं रही.

ममता बनर्जी की रैली की सफलता का पैमाना अगर मंच पर नेताओं का जमावड़ा और दर्शक दीर्घा में जुटी भीड़ है, तो रैली बेहद कामयाब कही जाएगी. अगर विरोध की आवाज की बात करें तो वो भी रैली में एकजुट स्वर में सुनने को मिली.

ये रैली केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ बुलाई गयी थी, तो बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सभी ने अपने अपने तरीके से खूब खरी खोटी सुनायी. शत्रुघ्न सिन्हा तो राहुल गांधी की ही तरह नारे लगा डाले - 'चौकीदार चोर है.'

यूनाइटेड इंडिया रैली के जरिये ममता बनर्जी ने ये तो जता दिया कि विपक्ष के ज्यादातर नेताओं को एक मंच पर ला सकती हैं - लेकिन सच तो ये है कि मंच से परहेज करने वाले नेताओं में सिर्फ राहुल गांधी और मायावती ही नहीं रहे, तेलंगाना में भारी जीत के साथ सत्ता में वापसी करने वाले टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव ने भी दूरी बना ली. ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी नहीं दिखे.

ये भी सही है कि रैली में यूपी, बिहार और जम्मू-कश्मीर से लेकर नॉर्थ-ईस्ट और तमिलनाडु तक से नेताओं ने जोर शोर से शिरकत की - लेकिन सवाल वही है कि क्या इन नेताओं में इतना दम बचा है कि लोगों को वो बातें समझा सकें जो रैली के जरिये उठायी गयी - 'देश बदलाव चाह रहा है.'

प्रधानमंत्री पद के दावेदार

ममता बनर्जी की रैली शुरू भी उसी सवाल के साथ हुई और खत्म भी - प्रधानमंत्री कौन बनेगा? मतलब - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रंटफुट पर चैलेंज कौन करेगा? रैली की होस्ट होने के नाते ममता बनर्जी ने 22 दलों के नेताओं को मंच पर लाकर ये तो जता दिया कि विपक्ष में उनकी पैठ कैसी है - और उनका प्रभाव कितना है. लेकिन उसी मंच पर ये भी दिखा कि अगर ममता खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझती हैं तो उनके सामने चुनौती देने वाले भी हैं.

1. ममता बनर्जी: ममता बनर्जी ने दावा किया कि मोदी सरकार का एक्सपाइरी डेट खत्म हो चुका है और देश में नया सवेरा आने वाला है. प्रधानमंत्री पद को लेकर ममता बनर्जी ने दूसरे नेताओं की ही तरह अपनी बात रखी लेकिन जोर रहा...

ममता बनर्जी की रैली की सफलता का पैमाना अगर मंच पर नेताओं का जमावड़ा और दर्शक दीर्घा में जुटी भीड़ है, तो रैली बेहद कामयाब कही जाएगी. अगर विरोध की आवाज की बात करें तो वो भी रैली में एकजुट स्वर में सुनने को मिली.

ये रैली केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ बुलाई गयी थी, तो बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सभी ने अपने अपने तरीके से खूब खरी खोटी सुनायी. शत्रुघ्न सिन्हा तो राहुल गांधी की ही तरह नारे लगा डाले - 'चौकीदार चोर है.'

यूनाइटेड इंडिया रैली के जरिये ममता बनर्जी ने ये तो जता दिया कि विपक्ष के ज्यादातर नेताओं को एक मंच पर ला सकती हैं - लेकिन सच तो ये है कि मंच से परहेज करने वाले नेताओं में सिर्फ राहुल गांधी और मायावती ही नहीं रहे, तेलंगाना में भारी जीत के साथ सत्ता में वापसी करने वाले टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव ने भी दूरी बना ली. ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी नहीं दिखे.

ये भी सही है कि रैली में यूपी, बिहार और जम्मू-कश्मीर से लेकर नॉर्थ-ईस्ट और तमिलनाडु तक से नेताओं ने जोर शोर से शिरकत की - लेकिन सवाल वही है कि क्या इन नेताओं में इतना दम बचा है कि लोगों को वो बातें समझा सकें जो रैली के जरिये उठायी गयी - 'देश बदलाव चाह रहा है.'

प्रधानमंत्री पद के दावेदार

ममता बनर्जी की रैली शुरू भी उसी सवाल के साथ हुई और खत्म भी - प्रधानमंत्री कौन बनेगा? मतलब - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रंटफुट पर चैलेंज कौन करेगा? रैली की होस्ट होने के नाते ममता बनर्जी ने 22 दलों के नेताओं को मंच पर लाकर ये तो जता दिया कि विपक्ष में उनकी पैठ कैसी है - और उनका प्रभाव कितना है. लेकिन उसी मंच पर ये भी दिखा कि अगर ममता खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझती हैं तो उनके सामने चुनौती देने वाले भी हैं.

1. ममता बनर्जी: ममता बनर्जी ने दावा किया कि मोदी सरकार का एक्सपाइरी डेट खत्म हो चुका है और देश में नया सवेरा आने वाला है. प्रधानमंत्री पद को लेकर ममता बनर्जी ने दूसरे नेताओं की ही तरह अपनी बात रखी लेकिन जोर रहा - 'पहले बीजेपी जाये फिर हम फैसला कर लेंगे.' ममता बनर्जी ने एक बड़ी बात ऐसी भी कही जो उनके इरादे जताने के लिए काफी समझा जाना चाहिये. देश की जनता को भरोसा दिलाते हुए ममता बनर्जी ने कहा - 'हम अच्छी सरकार देंगे.'

बीजेपी की रथयात्रा का मुद्दा भी ममता बनर्जी ने उठाया और बड़े ही सख्त लहजे में बोलीं, 'रथयात्रा के नाम पर हम दंगा फसाद नहीं होने देंगे.' बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के एजेंडे में पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है और राज्य की 42 में से 22 सीटें जीतने का लक्ष्य सामने आया है. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के पास 34 सीटें हैं.

ममता बनर्जी ने ये भी दावा किया कि बीजेपी को पश्चिम बंगाल में जीरो सीट पर समेट देंगे. ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव से भी यूपी और बिहार में ऐसा ही करने की सलाह दी.

2. अरविंद केजरीवाल: ममता बनर्जी की रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मोदी सरकार पर तेज हमला बोला. मोदी सरकार पर देश की बांटने का इल्जाम लगाते हुए केजरीवाल ने कहा, 'जो काम 70 साल में पाकिस्तान नहीं कर सका, पांच साल में मोदी-शाह ने कर डाला.'

राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही बीजेपी पर अरविंद केजरीवाल ने उसी के हथियार से सीधा वार किया, 'जिसके मन में भारत को लेकर भावना है... वो बीजेपी को वोट न दे... कुछ भी करना पड़े करो... सच्चे देशभक्त की जरूरत है...'

2019 के चुनाव को मोदी-शाह के जाने का चुनाव बताते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब वो आये थे तो उनके मन में बड़ी चिंता थी, लेकिन वो सुकून के साथ लौट रहे हैं.

जाते जाते केजरीवाल ने स्लोगन दिया - 'मोदी-शाह जाने वाले हैं, देश के अच्छे दिन आने वाले हैं.'

भाषण के वक्त ममता बनर्जी ने केजरीवाल को दोस्त कह कर बुलाया था, लेकिन जाते जाते अरविंद केजरीवाल ये संदेश भी दे गये कि वो सिर्फ दोस्त नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री पद के एक दावेदार खुद भी हैं.

3. चंद्रबाबू नायडू: विपक्षी एकजुटता के लिए हाल फिलहाल खासे एक्टिव रहे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार पर चुन चुन कर हमले किये. एनडीए छोड़ चुके टीडीपी नेता ने नोटबंदी, राफेल डील और किसान विरोधी नीतियों के साथ साथ मोदी सरकार पर सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के जरिये राज्यों को परेशान करने का भी आरोप लगाया.

कोलकाता रैली को आगे बढ़ाते हुए चंद्रबाबू नायडू ने इसी तर्ज पर अमरावती में एक रैली कराने को कहा और फिर तय हुआ कि एक रैली अरविंद केजरीवाल दिल्ली में भी कराएंगे. बाद में ममता बनर्जी ने ऐसी ही रैलियां यूपी और बिहार में भी कराने की सलाह दी जिसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव पर होगी.

4. एचडी देवेगौड़ा: पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने भी रैली में बड़े नेता के तौर पर खुद को पेश किया और अपनी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा की. जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार के दौरान हुए कामों का जिक्र करते हुए देवेगौड़ा ने कहा कि अगर कोई त्रुटि हो तो वहां मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सुधार देंगे.

जेडीएस नेता ने मौजूदा हालात और चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि ये एक ऐसा दौर है जब विपक्ष को राह दिखाने के लिए न तो कोई जेपी हैं न ही आचार्य कृपलानी जैसे नेता. जो भी करना है खूब सोच समझ कर खुद ही करना है.

बंगाल से देश में 'परिवर्तन' की हुंकार

सभी नेता जहां पानी पीकर मोदी-शाह को कोस रहे थे, देवेगौड़ा ने सलाह दी कि सबसे पहले तो एक मैनिफेस्टो तैयार किया जाये. एक पॉलिसी हो जो लोगों के सामने रखी जा सके. साथ ही चेताया भी - वक्त बहुत कम है.

सीनियर नेताओं में शरद पवार ने भी बातें बिना लाग लपेट के की. शरद पवार ने पहले ही साफ कर दिया कि वो किसी पद की अपेक्षा से नहीं बल्कि बदलाव के लिए साथ खड़े हैं. शरद पवार ने कहा कि 50 साल में उन्हें बहुत कुछ मिला है और अब वो जनता के हितों की रक्षा के लिए आगे आये हैं.

अपने अपने प्रधानमंत्री

रैली चूंकि कोलकाता में ही हो रही थी, इसलिए ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री के रूप में देखने वालों की जमात ज्यादा रही. जो खुद प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं थे उनमें ममता बनर्जी के नेतृत्व को स्वीकार करने वाले भी थे, लेकिन कई नेता ऐसे भी रहे जो ममता नहीं बल्कि अन्य नेताओं के समर्थक रहे.

हफ्ते भर पहले प्रधानमंत्री पद पर मायावती की दावेदारी का सपोर्ट कर चुके अखिलेश यादव ने भाषण की शुरुआत तो बंगाल से की लेकिन फौरन यूपी पर फोकस हो गये. अखिलेश ने कहा कि नये साल में नया पीए आएगा और ये देश की जनता तय करेगी. अखिलेश यादव ने ऐसा यूपी और पूरे देश ने मन बनाया है.

बंगाल में बीजेपी के लिए ममता का जीरो बैलेंस का ऐलान

अखिलेश की बात पूरी होते ही ममता बनर्जी ने बोलीं, 'आप यूपी से करो, हम बंगाल से बीजेपी को साफ कर देंगे.' प्रधानमंत्री पद के दावेदार को लेकर तेजस्वी यादव ने भी अखिलेश यादव जैसी ही बातें की. तेजस्वी यादव के मायावती का पैर छूते फोटो अभी अभी ही तो वायरल हुआ था. कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे और अभिषेक मनु सिंघवी रैली में पहुंचे थे. खड़गे ने सोनिया गांधी का संदेश पढ़ा और सिंघवी ने जमावड़े को 22 दलों का रेनबो बताया.

बीजेपी के खिलाफ वैचारिक सपोर्ट के रूप में ममता के लिए यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और शत्रुघ्न सिन्हा की मौजूदगी रही. शत्रुघ्न सिन्हा की मौजूदगी पर तो बीजेपी ने कड़ा रिएक्शन और एक्शन लेने के भी संकेत दिये.

अरुण शौरी ने कहा कि अभी तक विपक्ष को एक ही शख्स एकजुट कर रहा था - नरेंद्र मोदी. फिर बोले, अब ये काम ममता बनर्जी कर रही हैं. शौरी ने सुझाव दिया कि ऐसी ही रैली हर राज्य में करायी जानी चाहिए और सबको पहुंचना चाहिये, न कि नुमाइंदे भेज कर हाजिरी लगा लेनी चाहिये.

अरुण शौरी ने सफलता का एक और मंत्र भी दिया - ये कोशिश प्रधानमंत्री पद के लिए नहीं होनी चाहिये, बल्कि ये बलिदान देने का वक्त है.

अपनी अपनी डेमोक्रेसी भी

ममता बनर्जी की रैली में एक स्वर से लोकतंत्र बचाने की बात हो रही थी - लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये बात मजाक जैसी लग रही थी. मोदी ने भी एक कार्यक्रम में ममती की रैली को लेकर कड़ी टिप्पणी की.

रैली में एक बात गौर करने वाली रही वो थी कई नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमले में काफी सावधानी भी बरती. अरुण शौरी का जोर इस बात पर रहा कि ये लड़ाई नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं बल्कि एक खास विचारधारा के खिलाफ है और इसे उसी तरीके से लिया जाना चाहिये.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भ्रष्टाचार की बात करते हुए मोदी को अलग रखा. प्रधानमंत्री मोदी के स्लोगन 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा' की याद दिलाते हुए खड़गे बोले - 'आपने खाया तो नहीं लेकिन सारे दोस्तों, अंबानी-अडानी, कॉर्पोरेट कंपनियों को खिला रहे हो.'

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की भी राय रही कि ये एक शख्स को निकालने का नहीं देश को बचाने की बात है.

शत्रुघ्न सिन्हा ने तो अटल, आडवाणी और जोशी का नाम लेते हुए मोदी को निशाने पर लिया और कहा, आप सवालों के जवाब नहीं देंगे तो देश की जनता कहेगी - चौकीदार चोर है.

ममता सहित रैली में शामिल नेताओं को कठघरे में खड़ा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जिस पश्चिम बंगाल में राजनीति दल को उसका कार्यक्रम करने के लिए रोक लगा दी जाती हो... लोकतंत्र का गला घोंट दिया जाता हो... वे वहां एकत्र होकर लोकतंत्र बचाने का भाषण देते हैं.' मोदी बीजेपी की रथयात्रा न होने देने को लेकर ममता सरकार और उनके सपोर्ट में जुटे नेताओं पर टिप्पणी कर रहे थे.

रैली का संचालन खुद ममता बनर्जी ने किया और खुद सबसे अंत में अपनी बात कहने आयीं. ओपनिंग के लिए ममता बनर्जी ने गुजरात के युवा नेताओं हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी को चुन रखा था. हार्दिक पटेल ने भी जोरदार शॉट जड़ दिये, एक नारे के साथ - 'सुभाष बाबू लड़े थे गोरों से, हम लड़ेंगे चोरों से.'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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