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हिपोक्रेसी भारतीय समाज की पहचान है, यहां प्यार जैसी छिपी चीज़ें सात्विक हैं!

    • अणु शक्ति सिंह
    • Updated: 28 मार्च, 2022 04:02 PM
  • 28 मार्च, 2022 04:02 PM
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प्रेम कई बार बेहद निजी भाव होता है. इसे हम किसी और पर लाद नहीं सकते… यहां असहमति की बड़ी और विस्तृत जगह होनी चाहिए. Polyamory के संदर्भ में एक ज़रूरी बात यह है कि इसमें सभी पार्ट्नर को दूसरे की उपस्थिति का भान होता है. यानी कोई भी दबा छिपा पक्ष नहीं. सबके पास पूरी जानकारी हो.

मैत्रेयी जी सहित कई अन्य लोगों की सोशल मीडिया पोस्टों में स्त्री को किसी और का पति हथियाने का आरोपी बनाया गया है. मैंने पिछले दिनों एक सीरीयल का नाम सुना. अनुपमा नाम के इस सीरीयल में भी मुख्य खलनायक वह स्त्री थी जिससे किसी और स्त्री का पति प्रेम करता है. मैं अचंभित थी किस तरह स्त्रियों पर हमले के तरीक़े खोजे जाते हैं. दरअसल ऐसी बातें लिखकर मैत्रेयी जी और अन्य लोग समाज की उस मानसिकता को ही पोषित करते हैं जो सदियों से औरतों के ख़िलाफ़ है, प्रेम भाव के ख़िलाफ़ है. एक तरफ़ हम बात करते हैं प्रेम हर तरह की सीमाओं से परे है दूसरी तरफ़ यह मान लेते हैं कि शादी हो जाने के बाद स्त्री या पुरुष को किसी और से प्रेम नहीं होना चाहिए?

हो गया तो आफ़त. स्त्रियों के लिए अधिक आफ़त… पुरुष को प्रेम हुआ तो जिस स्त्री से प्रेम हुआ वह ख़राब. दूसरे के पति को हथियाने वाली… स्त्री को किसी और से प्रेम हुआ तो सात पीढ़ी ख़राब कर देने वाली कलंकिनी.

टीवी के चर्चित शो अनुपमा में भी प्यार का मतलब अय्याशी ही दिखाया गया है

हां! हिपॉक्रसी भारतीय समाज की पहचान है, यहां सब छिपी चीज़ें सात्विक हैं. ज़ाहिर तमाम मुहब्बत केवल अय्याशी है. जब दो लोगों की सहमति हो तो अय्याशी भी ख़राब क्यों हो? ख़ैर, पति-पत्नी के दरमियान किसी तीसरे को लेकर अपनी ही पोस्ट पर एक टिप्पणी की थी. बात अनुपमा से हो रही थी.

उसने बहुविवाह की ज़रूरी बात सामने रखी थी. बहुविवाह अर्थात् एक व्यक्ति का एक से अधिक सहमतिपूर्ण शारीरिक/ प्रेम सम्बंध होना. इसे भारतीय समाज बड़ी तीक्ष्ण आंखों से देखता है पर इसकी उपस्थिति से कोई मना नहीं कर सकता है. 'पति पत्नी के दरमियान किसी और के आने के अधिकतर मामले में कई बार केवल सेक्स की चाह होती है तो कई बार मनोनुकूल साथ की.'

पत्नी के...

मैत्रेयी जी सहित कई अन्य लोगों की सोशल मीडिया पोस्टों में स्त्री को किसी और का पति हथियाने का आरोपी बनाया गया है. मैंने पिछले दिनों एक सीरीयल का नाम सुना. अनुपमा नाम के इस सीरीयल में भी मुख्य खलनायक वह स्त्री थी जिससे किसी और स्त्री का पति प्रेम करता है. मैं अचंभित थी किस तरह स्त्रियों पर हमले के तरीक़े खोजे जाते हैं. दरअसल ऐसी बातें लिखकर मैत्रेयी जी और अन्य लोग समाज की उस मानसिकता को ही पोषित करते हैं जो सदियों से औरतों के ख़िलाफ़ है, प्रेम भाव के ख़िलाफ़ है. एक तरफ़ हम बात करते हैं प्रेम हर तरह की सीमाओं से परे है दूसरी तरफ़ यह मान लेते हैं कि शादी हो जाने के बाद स्त्री या पुरुष को किसी और से प्रेम नहीं होना चाहिए?

हो गया तो आफ़त. स्त्रियों के लिए अधिक आफ़त… पुरुष को प्रेम हुआ तो जिस स्त्री से प्रेम हुआ वह ख़राब. दूसरे के पति को हथियाने वाली… स्त्री को किसी और से प्रेम हुआ तो सात पीढ़ी ख़राब कर देने वाली कलंकिनी.

टीवी के चर्चित शो अनुपमा में भी प्यार का मतलब अय्याशी ही दिखाया गया है

हां! हिपॉक्रसी भारतीय समाज की पहचान है, यहां सब छिपी चीज़ें सात्विक हैं. ज़ाहिर तमाम मुहब्बत केवल अय्याशी है. जब दो लोगों की सहमति हो तो अय्याशी भी ख़राब क्यों हो? ख़ैर, पति-पत्नी के दरमियान किसी तीसरे को लेकर अपनी ही पोस्ट पर एक टिप्पणी की थी. बात अनुपमा से हो रही थी.

उसने बहुविवाह की ज़रूरी बात सामने रखी थी. बहुविवाह अर्थात् एक व्यक्ति का एक से अधिक सहमतिपूर्ण शारीरिक/ प्रेम सम्बंध होना. इसे भारतीय समाज बड़ी तीक्ष्ण आंखों से देखता है पर इसकी उपस्थिति से कोई मना नहीं कर सकता है. 'पति पत्नी के दरमियान किसी और के आने के अधिकतर मामले में कई बार केवल सेक्स की चाह होती है तो कई बार मनोनुकूल साथ की.'

पत्नी के साथ परिवार के स्तर पर कम्फ़र्ट लेवल होता है. दूसरी स्त्री का साथ मानसिक सुकून के लिए होता है. स्त्रियों के साथ भी ऐसा हो सकता है जहां परिवार और मानसिक सुकून के साथी अलग-अलग हों. मुझे लगता है, ऐसे रिश्तों के खलनायकीकरण से बचना चाहिए. बहुविवाह की बात अनुपमा ने उचित उठाई.

ऐसे सभी रिश्तों में सभी स्टेक होल्डर के लिए साइकोलॉजिकल, लीगल और सोशल स्फीयर में सेफ़ पैसेज होने चाहिए. किसी का अधिकार कोई और ना ले ले… कोई भी ठगे जाने के बोध से पीड़ित ना हो. हां, बेवफ़ाई के पूरे कॉन्सेप्ट पर यह समझना ज़रूरी है कि सामने वाले को प्रेम नहीं है तो नहीं है. उसे प्रेम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.

प्रेम कई बार बेहद निजी भाव होता है. इसे हम किसी और पर लाद नहीं सकते… यहां असहमति की बड़ी और विस्तृत जगह होनी चाहिए.

(नोट: Polyamory के संदर्भ में एक ज़रूरी बात यह है कि इसमें सभी पार्ट्नर को दूसरे की उपस्थिति का भान होता है. यानी कोई भी दबा छिपा पक्ष नहीं. सबके पास पूरी जानकारी हो.)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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