• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

...तो क्या जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकियों के सामने झुक जाएगी?

    • अशरफ वानी
    • Updated: 31 अगस्त, 2018 10:40 PM
  • 31 अगस्त, 2018 10:40 PM
offline
कश्मीर में जिस तरह पुलिस और आतंकियों के बीच संघर्ष चल रहा है वो ये बताने के लिए काफी है कि इसका खामियाजा आतंकियों को नहीं बल्कि पुलिस वालों को उठाना पड़ेगा.

जम्मू कश्मीर में पिछले 30 सालों के आतंकवाद वाले दौर में पहली बार हुआ है कि आतंकवादी और जम्मू-कश्मीर पुलिस सीधे आमने-सामने हैं. बीती रात दक्षिण कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से आतंकियों ने 10 पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों का अपहरण किया. और शाम होते-होते उनका स्टेटमेंट वीडियो रिकॉर्ड कर सभी को छोड़ दिया. कोई संदेह नहीं कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने की भूमिका में जम्मू कश्मीर पुलिस सबसे आगे रही है. यह देश की सबसे बड़ी और आधुनिक पुलिस फोर्स में शुमार है. सभी सुरक्षा एजेंसियों और सेना का मानना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के बिना आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है. दूसरी तरफ सुरक्षा एजेंसियां यह बात भी मानती हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे का उपाय गोली का जवाब गोली ही नहीं है.

जम्मू कश्मीर में पुलिस और आतंकियों का संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है

ध्यान रहे कि जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान आतंकियों के निशाने पर हमेशा से रहे हैं. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब इस लड़ाई का खामियाजा पुलिस वालों के परिजनों या रिश्तेदारों को उठाना पड़ा हो. आपको बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और आतंकियों के बीच लड़ाई की शुरुआत ईद से शुरू हुई. 22 अगस्त को ईद मनाने अपने घरों को आए 3 पुलिसकर्मियों की हत्याएं उनके घरों में की गई. उसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस बदले की भावना से आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में जुट गई.

उस बीच हत्या में शामिल संदिग्ध आतंकियों के घरों के कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. इसके बाद आतंकियों ने शोपियां में 4 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसी रात शोपियां जिले में दो आतंकियों के घरों में आग लगा दी और कई स्थानीय आतंकियों के घरों में...

जम्मू कश्मीर में पिछले 30 सालों के आतंकवाद वाले दौर में पहली बार हुआ है कि आतंकवादी और जम्मू-कश्मीर पुलिस सीधे आमने-सामने हैं. बीती रात दक्षिण कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से आतंकियों ने 10 पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों का अपहरण किया. और शाम होते-होते उनका स्टेटमेंट वीडियो रिकॉर्ड कर सभी को छोड़ दिया. कोई संदेह नहीं कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने की भूमिका में जम्मू कश्मीर पुलिस सबसे आगे रही है. यह देश की सबसे बड़ी और आधुनिक पुलिस फोर्स में शुमार है. सभी सुरक्षा एजेंसियों और सेना का मानना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के बिना आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है. दूसरी तरफ सुरक्षा एजेंसियां यह बात भी मानती हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे का उपाय गोली का जवाब गोली ही नहीं है.

जम्मू कश्मीर में पुलिस और आतंकियों का संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है

ध्यान रहे कि जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान आतंकियों के निशाने पर हमेशा से रहे हैं. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब इस लड़ाई का खामियाजा पुलिस वालों के परिजनों या रिश्तेदारों को उठाना पड़ा हो. आपको बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और आतंकियों के बीच लड़ाई की शुरुआत ईद से शुरू हुई. 22 अगस्त को ईद मनाने अपने घरों को आए 3 पुलिसकर्मियों की हत्याएं उनके घरों में की गई. उसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस बदले की भावना से आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में जुट गई.

उस बीच हत्या में शामिल संदिग्ध आतंकियों के घरों के कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. इसके बाद आतंकियों ने शोपियां में 4 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसी रात शोपियां जिले में दो आतंकियों के घरों में आग लगा दी और कई स्थानीय आतंकियों के घरों में तोड़फोड़ की. बताया यहां तक जा रहा है कि पुलिस द्वारा हिजबुल प्रमुख रियाज नाइक के पिता और उसके भाई तक को हिरासत में ले लिया गया. उसके बाद दक्षिण कश्मीर में आतंकियों ने कुलगाम, अनंतनाग, पुलवामा और सूक्तियां जिले में 10 पुलिस कर्मचारियों के रिश्तेदारों को अगवा किया.

पुलिस के उच्च अधिकारियों ने पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है लेकिन सरकार के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियां भी हरकत में आ गयीं और आखिरकार हिजबुल के प्रमुख रियाज नाइक के पिता और भाई को रिहा किया गया. बाद में एक ऑडियो टेप आतंकियों की तरफ से भी जारी किया गया जिसमें दावा किया गया है कि उनके कब्जे में जितने भी पुलिसकर्मियों के रिश्तेदार थे उन्हें रिहा कर दिया गया है.

लोगों को रिहा करने के बाद आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को एक बार फिर धमकी दी है. आतंकियों ने कहा है कि अगर पुलिस ने दोबारा आतंकवादियों के रिश्तेदारों और परिवारों के साथ ज्यादती की तो अंजाम बुरा होगा और इसका बदला वो अपने तरीके से लेंगे. आतंकियों ने पुलिस से ये भी कहा है कि अन्य आतंकियों के जितने भी रिश्तेदारों को पुलिस ने पकड़ा है, वो उन्हें छोड़े नहीं तो परिणाम बुरे होंगे.

इस पूरे मामले में ये बताना बेहद जरूरी है कि जम्मू कश्मीर पुलिस में 70,000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं. उनमें से अधिकतर कश्मीर के दूरदराज इलाकों के रहने वाले हैं, जहां पर उनके परिवार भी हैं. ऐसे में सरकार द्वारा हर पुलिसकर्मी को सुरक्षा देना संभव नहीं है. माना जा रहा है कि इस बात के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर पुलिस को शायद आतंकियों के सामने झुकना ही पड़ जाए.

ये भी पढ़ें -

जान लीजिये मोदी जी! जो देश के झंडे के खिलाफ जाए उसका इलाज गाली और गोली ही है

35A बहाना है मुद्दे से ध्यान हटाना है

जम्मू-कश्मीर का आर्टिकल 35A भी असम के NRC की राह पर...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲