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जान लीजिये मोदी जी! जो देश के झंडे के खिलाफ जाए उसका इलाज गाली और गोली ही है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 अगस्त, 2018 06:56 PM
  • 19 अगस्त, 2018 06:56 PM
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स्वतंत्रता दिवस के सन्दर्भ में श्रीनगर के लाल चौक में जो हुआ उसके बाद पीएम की बातें विरोधाभासी लगती हैं. कहना गलत नहीं है जब कश्मीरी गाली और गोली की ही भाषा समझते हैं तो उन्हें जवाब भी उसी भाषा में देना चाहिए.

सारा देश स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा है और जश्न मना रहा है. देश भर से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं जिनमें नीले आकाश में तिरंगा बड़ी शान से लहरता नजर आ रहा है. राष्ट्र को एक कड़ी में पिरोने के इस क्रम में इतना सब देखने के बाद अगर हम सोच रहे हैं कि सब जगह सब ठीक है तो शायद ये हमारी ग़लतफहमी है. इस बात को समझने के लिए हमें दो ख़बरें समझनी होंगी. पहली खबर जम्मू कश्मीर से है. जहां झंडा फहराने को लेकर जो हुआ वो शर्मनाक है. दूसरी खबर दिल्ली से है जहां पीएम मोदी कश्मीर के लिए गाली और गोली की नहीं कश्मीरियों को गले लगाने की वकालत करते नजर आ रहे हैं.

पहली खबर के अनुसार स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर लाल चौक सिटी सेंटर पर श्रीनगर से बाहर के छह लोगों ने झंडा फहराने की कोशिश की. लोगों को झंडा फहराते देखकर स्थानीय लोग आहत हो गए और उन्होंने इसका विरोध किया. घटना के बाद रंग में भंग पड़ना लाजमी था मामले ने एक अजीब सा रंग ले लिया.

तिरंगे को लेकर श्रीनगर के लाल चौक पर जो हुआ वो किसी भी आम भारतीय को आहत कर सकता है

खबर के अनुसार लाल चौक पर झंडारोहण के प्रयास को लेकर तीन लोगों का स्थानीय लोगों से झगड़ा हो गया और बात हाथापाई तक आ गई. बताया जा रहा है कि लाल चौक पर झंडा फहराने को लेकर स्थानीय निवासियों ने झंडा फहराने आए लोगों की पिटाई की भी कोशिश की. मगर सही समय पर पुलिस आ गई और एक बड़ी अनहोनी होने से बची.

अब आते हैं दूसरी खबर पर. देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बातों का  आह्वान किया और कहा कि जम्मू- कश्मीर की हर समस्या का समाधान गले लगाकर ही किया जा सकता है. अपनी बात आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारी...

सारा देश स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा है और जश्न मना रहा है. देश भर से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं जिनमें नीले आकाश में तिरंगा बड़ी शान से लहरता नजर आ रहा है. राष्ट्र को एक कड़ी में पिरोने के इस क्रम में इतना सब देखने के बाद अगर हम सोच रहे हैं कि सब जगह सब ठीक है तो शायद ये हमारी ग़लतफहमी है. इस बात को समझने के लिए हमें दो ख़बरें समझनी होंगी. पहली खबर जम्मू कश्मीर से है. जहां झंडा फहराने को लेकर जो हुआ वो शर्मनाक है. दूसरी खबर दिल्ली से है जहां पीएम मोदी कश्मीर के लिए गाली और गोली की नहीं कश्मीरियों को गले लगाने की वकालत करते नजर आ रहे हैं.

पहली खबर के अनुसार स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर लाल चौक सिटी सेंटर पर श्रीनगर से बाहर के छह लोगों ने झंडा फहराने की कोशिश की. लोगों को झंडा फहराते देखकर स्थानीय लोग आहत हो गए और उन्होंने इसका विरोध किया. घटना के बाद रंग में भंग पड़ना लाजमी था मामले ने एक अजीब सा रंग ले लिया.

तिरंगे को लेकर श्रीनगर के लाल चौक पर जो हुआ वो किसी भी आम भारतीय को आहत कर सकता है

खबर के अनुसार लाल चौक पर झंडारोहण के प्रयास को लेकर तीन लोगों का स्थानीय लोगों से झगड़ा हो गया और बात हाथापाई तक आ गई. बताया जा रहा है कि लाल चौक पर झंडा फहराने को लेकर स्थानीय निवासियों ने झंडा फहराने आए लोगों की पिटाई की भी कोशिश की. मगर सही समय पर पुलिस आ गई और एक बड़ी अनहोनी होने से बची.

अब आते हैं दूसरी खबर पर. देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बातों का  आह्वान किया और कहा कि जम्मू- कश्मीर की हर समस्या का समाधान गले लगाकर ही किया जा सकता है. अपनी बात आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों और सभी वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.

लाल किले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कश्मीर में हम गोली-गाली से आगे नहीं बढ़ना चाहते बल्कि गले लगाकर आगे बढ़ना चाहते हैं. हम पूरे जम्मू-कश्मीर में समुचित और समान विकास करना चाहते हैं. पीएम मोदी का मानना है कि हमारी सरकार आज भी सबका साथ-सबका विकास की नीति पर आगे बढ़ रही है.

सरकार जितने भी दावे कर ले कश्मीर में हर चीज समय के हिसाब से हुई है

पीएम मोदी दिल्ली में थे. बात जम्मू कश्मीर की हो रही थी. गले लगाने की बात कहकर पीएम ने भले ही दिल्ली में बैठे लोगों को सब्जबाग दिखाए हों मगर सच्चाई यही है कि जब जरूरत पड़ी है तो कश्मीर के लिए गाली का भी इस्तेमाल हुआ. गोली का भी इस्तेमाल हुआ और उन्हें गले भी लगाया गया. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. कहना गलत नहीं है कि कश्मीर के मद्देनजर हर चीज परिस्थितियों के अनुसार हुई. जब परिस्थितियां अनुकूल थीं तो देश और सेना ने आगे बढ़कर कश्मीरियों को गले लगाया. मगर जब परिस्थितियां खराब थी तो आम कश्मीरी आवाम को सही दिशा में लाने के लिए देश और सेना को गाली और गोली जैसी चीजों का सहारा लेना पड़ा.

ये क्यों हुआ इसकी वजह बस इतनी है कि ऐसा होना समय की जरूरत थी. बहरहाल, हमने बात की शुरुआत कश्मीर में हुई उस घटना से की थी. वो घटना जहां स्थनीय लोगों ने बाहर से आए कुछ लोगों के साथ सिर्फ इस बात पर बदसलूकी की क्योंकि वो कश्मीर के लाल चौक पर अपने देश का झंडा फहरते हुए देखना चाहते थे. इस घटना को देखकर पीएम की बातें विरोधाभासी प्रतीत होती हैं.

घटना को देखकर हमारे सामने ये सवाल खड़ा हो जाता है कि आखिर हम कैसे ऐसे लोगों को गले लगाएं जो लगातार देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. घटना के मद्देनजर हमारे लिए ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि जिनका इलाज गोली और गाली हो उनको गले लगने और गले लगाने की बातें समझ में नहीं आती हैं और इनको जवाब बस इन्हीं की भाषा में मिलना चाहिए. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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