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...अगर मैं रविशंकर प्रसाद होती!

    • मौसमी सिंह
    • Updated: 10 दिसम्बर, 2016 11:57 AM
  • 10 दिसम्बर, 2016 11:57 AM
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सरकार चाहती तो है कि देश जल्दी से जल्दी डिजिटल हो जाए. लेकिन इसी से जुड़े एक सवाल पर बेहद अहम मंत्रालय संभालने वाले रविशंकर प्रसाद अचानक उखड़ क्यों गए, समझ से परे है.

नमस्कार ! कुछ समय के लिए मान लीजिए कि मैं पत्रकार नहीं बल्कि देश की इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री हूं और बेहद सीनियर भी. ये ताज मैं खुद को क्यों पहना रही हूं ये मैं आपके बाद में बताऊंगी पर उससे पहले ये बताना ज़रूरी है कि मेरे मंत्रालय का मिशन क्या है.

पीएम के 'डिजिधन अपनाओ, मज़बूत भारत बनाओ' यानी कैशलस इकोनॉमी के अभियान में हमारा मंत्रालय एक इंजन की तरह काम कर रहा है. जी

हां, हमारी कोशिश है कि भारत का ई-विकास हो. जो एक सशक्त राष्ट्र और एक विकसित समाज के बीच गुज़रे. अगर कोई पत्रकार मुझसे ये सवाल पूछे तो मैं बेहद उत्सुकता और कर्तव्य निष्ठा से इसका बखान करूंगी.

इसे भी पढ़ें : ...तो क्या मैं ईमानदार नहीं हूँ?

आज कल पत्रकार बार बार एक और सवाल पूछते है कि आख़िर डिजिधन का इस्तेमाल करने के रास्ते क्या हैं?

तो मेरा जवाब भी सुन लीजिए - नोटबंदी के एलान के बाद सरकार ने मेरा मोबाईल... मेरा बैंक... मेरा बटुआ... बिना कैश के भुगतान अभियान लांच किया है. जिसमें इन पांच रास्तों से आप पैसे का लेन देन कर सकते हैं.

यूपीआई - यानी कि युनाइटेड पेमेंट इंटरफेस में यदि आप अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को पैसे भेजना चाहते हैं तो हर बैंक के पास एक मोबाइल ऐप्प है जिसके ज़रिये स्मार्टफ़ोन से आप उन्हें पैसे ट्रांसफर और ज़रूरत पड़ने पर रिसीव भी कर सकते हैं.

कार्ड्स, पोस - ज़्यादातर जगहों पर आप डेबिट या क्रेडिट कार्ड के ज़रिये भी भुगतान कर सकते हैं. ये सिंपल है. आप कार्ड स्वाईप करिये पासवर्ड डालिये और रसीद प्राप्त कीजिये.

यू़एसएसडी - साधारण फ़ीचर फ़ोन से भी हो सकता है पैसे का लेन देन. इसके लिए फ़ोन नंबर अपने बैंक से कनेक्ट करना होगा.

आधार - अब आप अपने...

नमस्कार ! कुछ समय के लिए मान लीजिए कि मैं पत्रकार नहीं बल्कि देश की इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री हूं और बेहद सीनियर भी. ये ताज मैं खुद को क्यों पहना रही हूं ये मैं आपके बाद में बताऊंगी पर उससे पहले ये बताना ज़रूरी है कि मेरे मंत्रालय का मिशन क्या है.

पीएम के 'डिजिधन अपनाओ, मज़बूत भारत बनाओ' यानी कैशलस इकोनॉमी के अभियान में हमारा मंत्रालय एक इंजन की तरह काम कर रहा है. जी

हां, हमारी कोशिश है कि भारत का ई-विकास हो. जो एक सशक्त राष्ट्र और एक विकसित समाज के बीच गुज़रे. अगर कोई पत्रकार मुझसे ये सवाल पूछे तो मैं बेहद उत्सुकता और कर्तव्य निष्ठा से इसका बखान करूंगी.

इसे भी पढ़ें : ...तो क्या मैं ईमानदार नहीं हूँ?

आज कल पत्रकार बार बार एक और सवाल पूछते है कि आख़िर डिजिधन का इस्तेमाल करने के रास्ते क्या हैं?

तो मेरा जवाब भी सुन लीजिए - नोटबंदी के एलान के बाद सरकार ने मेरा मोबाईल... मेरा बैंक... मेरा बटुआ... बिना कैश के भुगतान अभियान लांच किया है. जिसमें इन पांच रास्तों से आप पैसे का लेन देन कर सकते हैं.

यूपीआई - यानी कि युनाइटेड पेमेंट इंटरफेस में यदि आप अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को पैसे भेजना चाहते हैं तो हर बैंक के पास एक मोबाइल ऐप्प है जिसके ज़रिये स्मार्टफ़ोन से आप उन्हें पैसे ट्रांसफर और ज़रूरत पड़ने पर रिसीव भी कर सकते हैं.

कार्ड्स, पोस - ज़्यादातर जगहों पर आप डेबिट या क्रेडिट कार्ड के ज़रिये भी भुगतान कर सकते हैं. ये सिंपल है. आप कार्ड स्वाईप करिये पासवर्ड डालिये और रसीद प्राप्त कीजिये.

यू़एसएसडी - साधारण फ़ीचर फ़ोन से भी हो सकता है पैसे का लेन देन. इसके लिए फ़ोन नंबर अपने बैंक से कनेक्ट करना होगा.

आधार - अब आप अपने आधार कार्ड को लिंक कीजिए बैंक अकाउंट के साथ, जिससे आप कई ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. जैसे फ़ंड ट्रांसफ़र, बैलेंस पूछताछ और इंटरनेट बैंक ट्रांजैक्शन.

इसके अलावा ई-वॉलेट के ज़रिये भी आप बिना कैश भुगतान कर सकते हैं. हालांकि ये जानकारी हमारी वेबसाइट पर है और हम इसके बारे में हम मीडिया के माध्यम से प्रचार और प्रसार कर रहे हैं पर मुझे ये दोहराने में कोई आपत्ति नहीं है.

वहीं अगर आप ये जानना चाहते है कि मंत्री होते हुए मैंने निजी तौर पर डिजिटल ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल शुरू किया है तो जवाब है कि मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल मैं कर रहीं हूं, पर पूरे तरीके से नहीं. अभी घर के सामान के लिए मैं कैश इस्तेमाल करती हूं पर जल्द ही वो भी डिजिटल कर दूंगी.

***

इतना सब बताने में ना मेरी फ़ज़ीहत हुई और ना मुझे पूछने वाले पर ग़ुस्सा आया.

मेरा मानना है कि देश में दर्जनों चैनल और अख़बार हैं. सबको एक ही सवाल का जवाब बार बार देने में मैं थकूंगी नहीं. मैं जनता की प्रतिनिधि हूं, मैंने जनता के हितों की रक्षा करने की शपथ ली है. मेरा कर्तव्य है कि मैं हर भ्रम को दूर कर सरकार के बड़े-छोटे क़दम को जनता तक पहुंचाऊं.

मंत्री जी को गुस्सा क्यों आया?

अब आप कहेंगे कि मंत्री जी देश में नोटबंदी को लेकर त्राहि त्राहि मची है अगर आपने ये जानकारी दे दी तो कौन सी बड़ी बात है? ऐसी क्या क़यामत आ गई?

लेकिन साहब, मैं यही बताना चाहती हूं. दरअसल जब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से मैंने ये सवाल पूछे तो उनकी प्रतिक्रिया ने मुझे असमंजस में डाल दिया. क्योंकि वो ना सिर्फ़ सरकार के अनुभवी और विवेकशील मंत्रियों में से एक हैं बल्कि एक उच्चकोटि के वक़ील भी. वो इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्टर के साथ साथ न्याय मंत्री भी हैं. रोजाना इंटरव्यू देने के आदी मंत्री जी से जब मैंने ये पूछा कि आप देश के आईटी मिनिस्टर हैं क्या आप मोबाइल वॉलेट इस्तेमाल करते हैं? तो रविशंकर बोले 'हां करता हूं, मगर कौन सा करता हूं ये हमारा निजी मामला है. देश के आईटी मिनिस्टर के नाते मैं किसी एक कंपनी की चर्चा करूंगा तो आप कहेंगी कि हम फ़ेवर कर रहे हैं... बड़ा सवाल ये नहीं है कि हम क्या इस्तेमाल करते हैं, बड़ा सवाल है कि देश आज कैशलेस पेमंट का इस्तेमाल कर रहा है.' यहां तक मामला फिर भी संभला हुआ था. लेकिन उसके बाद...

मेरा सवाल - कौन से पांच कैशलेस ट्रांजैक्शन हैं जो सरकार प्रमोट कर रही है?

मंत्री जी का जवाब - देखिए, कैशलेस पेमेंट मोबाइल वॉलेट, यूपीआई, पीओएस, आधार के ज़रिये हो सकता है... मगर आप क्या हमारा इंटरव्यू ले रही हैं?

इस पर जब मैंने कहा कि हां मैं आपका इंटरव्यू ले रही हूं तो वे बिफर गये - और बोले 'मगर ये आपके पूछने का तरीक़ा ठीक नहीं... मैं आपको बता दूं इससे आपका अहंकार झलकता है.'

इसे भी पढ़ें : ओला एटीएम, मोबाइल बैंक, ये ही काफी नहीं नोटबंदी के दौर में?

रविशंकर प्रसाद यहीं नहीं रुके, कैमरा बंद होते ही वो तिलमिला कर बोले कि मैं सरकार का सीनियर मंत्री हूं आप इस तरह से सवाल नहीं कर सकती मैं आगे से आपको इंटरव्यू नहीं दूंगा.

रविशंकर साहब मैं आपका बहुत सम्मान करती हूं पर आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे निराश किया और देश की जनता को भी. आपने जनता में सरकार की बात कहने का मौक़ा गंवाया. आप जैसे दिग्गज को सवालों को छोटे और बड़े की कसौटी में नहीं तौलना चाहिए. मैंने सवाल बेहद विनम्रतापूर्वक पूछा और आपके जवाब पर लोगों की उम्मीद बंधी थी मगर... अच्छा चलिए ये जनता पर छोड़ देते हैं कि उनको सवाल में अहंकार दिखा या फिर जवाब में...

अब वीडियो भी देख लीजिए -

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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