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Farm Laws: जंग जब अपनों से हो तो हार जाना चाहिए...

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 21 नवम्बर, 2021 12:31 PM
  • 21 नवम्बर, 2021 12:31 PM
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दोस्तों, प्रशंसकों की मोहब्बत से मालामाल नरेंद्र मोदी विरोधियों में भी प्यार,विश्वास और अपनेपन का अहसास बांटते रहते हैं. वो सिर्फ हिंदुवादी और राष्ट्रवादी ही नहीं. सारे संसार को, समस्त धर्मों, जातियों, मसलकों, क्षेत्रों, भाषाओं, रिश्तों, भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करने की दलीलें देते रहे हैं. माफ़ी मांगकर उन्होंने अपने बड़े दिल का परिचय दिया है.

जिंदगी में ये हुनर भी आज़माना चाहिए,

जंग जब अपनों से हो तो हार जाना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हार कर जीतने का हुनर भी जानते हैं. विरोधियों-आलोचकों का दिल जीतना और रूठों को मनाने की जादूगरी में भी वो पारंगत हैं.तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करके रूठों को मनाने के अवतार में मोदी अपने करोड़ों प्रशंसकों को झुकने के मायने भी बता रहे हैं. दिल जीतने के लिए हार जाने की नसीहत दे रहे हैं. सियासी सिलेबस में ये अध्याय हाईलाइट कर रहे हैं कि मजबूत और टिकाऊ बनने के लिए फिलेक्सिबल (लचीला) होना ज़रूरी है. तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का प्रधानमंत्री का ये चर्चित फैसला सियासत के नवअंकुरों को कई सबक सिखा रहा है.

कृषि कानूनों को रद्द कर और जनता से माफ़ी मांग पीएम मोदी ने अपने बड़े दिल का परिचय दिया है

चर्चाएं हो रही हैं कि मोदी लोकतंत्र के विजय रथ के हर पहिए का विश्वास जीतना ज़रूरी समझते हैं. उनके फैसलों की गाड़ी के एक नहीं कई ट्रैक हैं, इसलिए इस समझौतावादी फैसले को तमाम सकारात्मक नजरियों से देखना होगा. मोदी सख्त भी हैं और नर्म भी. कठोर भी हैं और लचीले भी.

समुंदरी जीव अमीबा की तरह उनके फैसलों का कोई एक आकार नहीं है. मैदान-ए-जंग में नफरत भरी तलवारों से ही नहीं मोहब्बत भरे फूल भी जीत दिलाते हैं. और वही फूल सबसे खूबसूरत कहलाता है जो मजबूत डाल और मनलुभावन खुशबू की ताक़त के बाद भी झुका रहता है.

नानक, गांधी, और बुद्ध के इस देश में महापुरुषों के व्यक्तित्व जगजाहिर हैं. जननायक कोई ऐसे ही नहीं बन पाता. विरोधियों का भी ख्याल रखने, आलोचकों की प्रशंसा करने, गाली देने वालों को प्यार करने, एक थप्पड़ मारने वाले के सामने दूसरा गाल बढ़ा देने और बेवजह रूठों को भी...

जिंदगी में ये हुनर भी आज़माना चाहिए,

जंग जब अपनों से हो तो हार जाना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हार कर जीतने का हुनर भी जानते हैं. विरोधियों-आलोचकों का दिल जीतना और रूठों को मनाने की जादूगरी में भी वो पारंगत हैं.तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करके रूठों को मनाने के अवतार में मोदी अपने करोड़ों प्रशंसकों को झुकने के मायने भी बता रहे हैं. दिल जीतने के लिए हार जाने की नसीहत दे रहे हैं. सियासी सिलेबस में ये अध्याय हाईलाइट कर रहे हैं कि मजबूत और टिकाऊ बनने के लिए फिलेक्सिबल (लचीला) होना ज़रूरी है. तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का प्रधानमंत्री का ये चर्चित फैसला सियासत के नवअंकुरों को कई सबक सिखा रहा है.

कृषि कानूनों को रद्द कर और जनता से माफ़ी मांग पीएम मोदी ने अपने बड़े दिल का परिचय दिया है

चर्चाएं हो रही हैं कि मोदी लोकतंत्र के विजय रथ के हर पहिए का विश्वास जीतना ज़रूरी समझते हैं. उनके फैसलों की गाड़ी के एक नहीं कई ट्रैक हैं, इसलिए इस समझौतावादी फैसले को तमाम सकारात्मक नजरियों से देखना होगा. मोदी सख्त भी हैं और नर्म भी. कठोर भी हैं और लचीले भी.

समुंदरी जीव अमीबा की तरह उनके फैसलों का कोई एक आकार नहीं है. मैदान-ए-जंग में नफरत भरी तलवारों से ही नहीं मोहब्बत भरे फूल भी जीत दिलाते हैं. और वही फूल सबसे खूबसूरत कहलाता है जो मजबूत डाल और मनलुभावन खुशबू की ताक़त के बाद भी झुका रहता है.

नानक, गांधी, और बुद्ध के इस देश में महापुरुषों के व्यक्तित्व जगजाहिर हैं. जननायक कोई ऐसे ही नहीं बन पाता. विरोधियों का भी ख्याल रखने, आलोचकों की प्रशंसा करने, गाली देने वालों को प्यार करने, एक थप्पड़ मारने वाले के सामने दूसरा गाल बढ़ा देने और बेवजह रूठों को भी मनाने के लिए भी 56 इंच के सीने में बड़ा कलेजा होता है.

दोस्तों, प्रशंसकों की मोहब्बत से मालामाल नरेंद्र मोदी विरोधियों में भी प्यार,विश्वास और अपनेपन का अहसास बांटते रहते हैं. वो सिर्फ हिंदुवादी और राष्ट्रवादी ही नहीं. सारे संसार को, समस्त धर्मों, जातियों, मसलकों, क्षेत्रों, भाषाओं, रिश्तों, भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करने की दलीलें देते रहे हैं.

और अब कृषि कानूनों को रद्द करने के ऐलान के बाद प्रधानमंत्री की कार्यशैली पर एक नई चर्चा शुरू हो गई है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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