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वीवीपैट पर चुनाव आयोग के दावों का क्या करें?

    • संतोष चौबे
    • Updated: 28 सितम्बर, 2018 04:48 PM
  • 28 सितम्बर, 2018 04:48 PM
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चुनाव आयोग ने 20 सितम्बर को आज तक की आरटीआई का जवाब देते हुए कहा है कि उसने 17.45 लाख यूनिट्स का आर्डर प्लेस किया था और 18 सितम्बर तक केवल 9.5 लाख यूनिट्स का उत्पादन हुआ था.

चुनाव आयोग ने मई 2017 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (ECIL) को अगले दो साल में 16.15 लाख वीवीपैट यूनिट्स बनाकर 2017-18 और 2018-19 में देने का ऐलान किया था ताकि भविष्य में होने वाले सभी चुनाव वीवीपैट वाले ईवीएम से ही करवाएं जाएं. उसी महीने चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से मुलाक़ात के बाद इसका ऐलान भी किया था.

लेकिन अगर चुनाव आयोग के दावों और उसके आरटीआई जवाबों की बात करें तो बात संदेहास्पद लगती है कि चुनाव आयोग के पास उसके दावों के अनुसार समय के भीतर वीवीपैट यूनिट्स आ पाएंगीं.

16.15 लाख वीवीपैट यूनिट्स का ऑर्डर दिया गया था

एक न्यूज़ रिपोर्ट का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने 25 जुलाई को एक बयान जारी किया था जिसमें उसने दावा किया था कि नवम्बर के पहले या नवंबर ख़त्म होने के काफी पहले ही उसके पास सारी वीवीपैट यूनिट्स आ जाएंगी और ईवीएम के अन्य पार्ट, कंट्रोल यूनिट (सीयू) और बैलट यूनिट (बीयू) सितम्बर 30 तक आने की उम्मीद है.

आरटीआई आधारित न्यूज़ रिपोर्ट ने दावा किया था के 19 जून तक चुनाव आयोग को सिर्फ 3.48 लाख वीवीपैट यूनिट्स मिले थे और संदेह जताया था कि समय रहते पूरी जरूरत की यूनिट्स उसे नहीं मिल पाएंगी.

चुनाव आयोग ने इसका जवाब देते हुए कहा कि जुलाई 25 तक 5.88 लाख वीवीपैट यूनिट्स का उत्पादन हो चुका था और उसे उम्मीद है कि नवंबर अंत के काफी पहले उसे बची हुई यूनिट्स भी मिल जाएंगी.

यानी अगर हम देखें तो जून 19 से जुलाई 25 तक, 36 दिनों में 2.4 लाख वीवीपैट यूनिट्स का उत्पादन हुआ था.

अब हम अभी की बात देखते हैं. चुनाव आयोग ने हाल-फिलहाल में, 20 सितम्बर को एक आरटीआई जवाब भेजा है और फिर 26 सितम्बर को और बयान जारी किया है.

आज तक की एक आरटीआई के जवाब में...

चुनाव आयोग ने मई 2017 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (ECIL) को अगले दो साल में 16.15 लाख वीवीपैट यूनिट्स बनाकर 2017-18 और 2018-19 में देने का ऐलान किया था ताकि भविष्य में होने वाले सभी चुनाव वीवीपैट वाले ईवीएम से ही करवाएं जाएं. उसी महीने चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से मुलाक़ात के बाद इसका ऐलान भी किया था.

लेकिन अगर चुनाव आयोग के दावों और उसके आरटीआई जवाबों की बात करें तो बात संदेहास्पद लगती है कि चुनाव आयोग के पास उसके दावों के अनुसार समय के भीतर वीवीपैट यूनिट्स आ पाएंगीं.

16.15 लाख वीवीपैट यूनिट्स का ऑर्डर दिया गया था

एक न्यूज़ रिपोर्ट का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने 25 जुलाई को एक बयान जारी किया था जिसमें उसने दावा किया था कि नवम्बर के पहले या नवंबर ख़त्म होने के काफी पहले ही उसके पास सारी वीवीपैट यूनिट्स आ जाएंगी और ईवीएम के अन्य पार्ट, कंट्रोल यूनिट (सीयू) और बैलट यूनिट (बीयू) सितम्बर 30 तक आने की उम्मीद है.

आरटीआई आधारित न्यूज़ रिपोर्ट ने दावा किया था के 19 जून तक चुनाव आयोग को सिर्फ 3.48 लाख वीवीपैट यूनिट्स मिले थे और संदेह जताया था कि समय रहते पूरी जरूरत की यूनिट्स उसे नहीं मिल पाएंगी.

चुनाव आयोग ने इसका जवाब देते हुए कहा कि जुलाई 25 तक 5.88 लाख वीवीपैट यूनिट्स का उत्पादन हो चुका था और उसे उम्मीद है कि नवंबर अंत के काफी पहले उसे बची हुई यूनिट्स भी मिल जाएंगी.

यानी अगर हम देखें तो जून 19 से जुलाई 25 तक, 36 दिनों में 2.4 लाख वीवीपैट यूनिट्स का उत्पादन हुआ था.

अब हम अभी की बात देखते हैं. चुनाव आयोग ने हाल-फिलहाल में, 20 सितम्बर को एक आरटीआई जवाब भेजा है और फिर 26 सितम्बर को और बयान जारी किया है.

आज तक की एक आरटीआई के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि 18 सितम्बर तक 9.5 लाख वीवीपैट का उत्पादन हो चुका था जबकि 26 तारीख के उसके बयान में ये संख्या 9.45 लाख दिखाई गयी है. खैर, ये आंकड़ों की गलती हो सकती है.

चुनाव आयोग ने ये भी कहा है कि बीइएल और ईसीआईएल को 16.15 लाख के बजाये 17.45 लाख यूनिट्स बनाने का आदेश दिया गया है क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में कुछ वीवीपैट यूनिट्स ख़राब हो गई थीं. चुनाव आयोग ने अपने ताजा बयान में ये भी जोड़ा है कि उसे बीइएल और ईसीआईएल ने भरोसा दिया है कि नवंबर के अंत के पहले सभी यूनिट्स मिल जाएंगी.

लेकिन अगर उत्पादन आंकड़ों की बात करें तो जुलाई 26 से सितम्बर 26 तक, यानी 63 दिनों में 3.57 लाख यूनिट्स का उत्पादन हुआ. यानी 36 दिनों में 2.04 लाख यूनिट्स का उत्पादन. यानी बीइएल और ईसीआईएल में वीवीपैट उत्पादन स्तर पहले से कम दिखता है. और नवम्बर का अंत ख़त्म होने में अब दो महीने से भी कम का समय बचा है. देखना है अब क्या होता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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