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आधार में ताजा 'गड़बड़ी' ईवीएम हैकिंग से मिलती जुलती है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 12 सितम्बर, 2018 05:22 PM
  • 12 सितम्बर, 2018 05:22 PM
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अभी तक तो हफिंगटन पोस्ट की तरफ से किया गया दावा ईवीएम मशीन को हैक करने वाले दावे जैसा लग रहा है. ऐसा दावा, जो कर तो दिया गया, लेकिन उसे साबित करने के लिए न तो सबूत पेश किए गए ना ही ऐसा कर के दिखाया गया.

आधार डेटाबेस हैक हो चुका है, आपकी जानकारियां अब सुरक्षित नहीं हैं, कोई भी इन्हें महज 2,500 रुपए के एक सॉफ्वेयर के जरिए चुरा सकता है और बदल सकता है. ये दावा किया जा रहा है 'हफिंगटनपोस्ट इंडिया' की तरफ से. इस रिपोर्ट के बाद आधार कार्ड पर एक बार फिर से उंगलियां उठने लगी हैं, लेकिन बहुत से सवाल भी हैं, जो इस रिपोर्ट के खिलाफ खड़े हो गए हैं. सबसे पहला और अहम सवाल तो यही है कि क्या हफिंगटन पोस्ट ने किसी के आधार नंबर के साथ छेडछाड़ कर के देखी है, या सिर्फ एक थ्योरी के आधार पर दावे किए जा रहे हैं. अभी तक तो हफिंगटन पोस्ट की तरफ से किया गया दावा ईवीएम मशीन को हैक करने वाले दावे जैसा लग रहा है. ऐसा दावा, जो कर दो दिया गया, लेकिन उसे साबित करने के लिए न तो सबूत पेश किए गए ना ही ऐसा कर के दिखाया गया.

हफिंगटन पोस्ट ने दावा किया है कि आधार डेटाबेस को हैक किया जा सकता है.

ईवीएम हैकिंग जैसा है मामला

दिल्ली विधानसभा में ईवीएम हैक करने का डेमो कौन भूला होगा. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने ईवीएम में गड़बड़ी को बड़ा मुद्दा बनाया था. आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने तो विधानसभा में ईवीएम को हैक तक कर के दिखाया था. इसके बाद खुद चुनाव आयोग ने ईवीएम को हैक करने की चुनौती दी, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया जा सका है. ठीक उसी तरह से हफिंगटन पोस्ट ने भी दावा किया है सिर्फ 2,500 रुपए में बड़ी ही आसानी से एक पैच मिल रहा है, जिसके जरिए दुनिया भर में कहीं से भी आधार कार्ड बनाया जा सकता है. आपको बता दें कि पैच कोड का एक बंडल होता है, जिसका इस्तेमाल सॉफ्टवेयर के प्रोग्राम का फंक्शन बदलने के लिए किया जाता है. दावा किया गया है कि पैच के जरिए सुरक्षा फीचर्स को बंद किया जा सकता है. इस पैच की जांच तीन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और दो भारतीय विशेषज्ञों से भी कराई गई है. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि हफिंगटन पोस्ट ने तीन महीने की रिसर्च के बाद भी सिर्फ दावे भर किए हैं. ना तो ऐसा कर के दिखाया है, ना ही किसी और के द्वारा ऐसा किए जाने के कोई सबूत दिए हैं.

आधार डेटाबेस हैक हो चुका है, आपकी जानकारियां अब सुरक्षित नहीं हैं, कोई भी इन्हें महज 2,500 रुपए के एक सॉफ्वेयर के जरिए चुरा सकता है और बदल सकता है. ये दावा किया जा रहा है 'हफिंगटनपोस्ट इंडिया' की तरफ से. इस रिपोर्ट के बाद आधार कार्ड पर एक बार फिर से उंगलियां उठने लगी हैं, लेकिन बहुत से सवाल भी हैं, जो इस रिपोर्ट के खिलाफ खड़े हो गए हैं. सबसे पहला और अहम सवाल तो यही है कि क्या हफिंगटन पोस्ट ने किसी के आधार नंबर के साथ छेडछाड़ कर के देखी है, या सिर्फ एक थ्योरी के आधार पर दावे किए जा रहे हैं. अभी तक तो हफिंगटन पोस्ट की तरफ से किया गया दावा ईवीएम मशीन को हैक करने वाले दावे जैसा लग रहा है. ऐसा दावा, जो कर दो दिया गया, लेकिन उसे साबित करने के लिए न तो सबूत पेश किए गए ना ही ऐसा कर के दिखाया गया.

हफिंगटन पोस्ट ने दावा किया है कि आधार डेटाबेस को हैक किया जा सकता है.

ईवीएम हैकिंग जैसा है मामला

दिल्ली विधानसभा में ईवीएम हैक करने का डेमो कौन भूला होगा. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने ईवीएम में गड़बड़ी को बड़ा मुद्दा बनाया था. आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने तो विधानसभा में ईवीएम को हैक तक कर के दिखाया था. इसके बाद खुद चुनाव आयोग ने ईवीएम को हैक करने की चुनौती दी, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया जा सका है. ठीक उसी तरह से हफिंगटन पोस्ट ने भी दावा किया है सिर्फ 2,500 रुपए में बड़ी ही आसानी से एक पैच मिल रहा है, जिसके जरिए दुनिया भर में कहीं से भी आधार कार्ड बनाया जा सकता है. आपको बता दें कि पैच कोड का एक बंडल होता है, जिसका इस्तेमाल सॉफ्टवेयर के प्रोग्राम का फंक्शन बदलने के लिए किया जाता है. दावा किया गया है कि पैच के जरिए सुरक्षा फीचर्स को बंद किया जा सकता है. इस पैच की जांच तीन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और दो भारतीय विशेषज्ञों से भी कराई गई है. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि हफिंगटन पोस्ट ने तीन महीने की रिसर्च के बाद भी सिर्फ दावे भर किए हैं. ना तो ऐसा कर के दिखाया है, ना ही किसी और के द्वारा ऐसा किए जाने के कोई सबूत दिए हैं.

भ्रम से अधिक और कुछ नहीं है ये

हफिंगटन पोस्ट के इस दावे के बाद अब यूआईडीएआई ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि आधार डेटाबेस पूरी तरह सुरक्षित है. आधार को लेकर इस तरह के भ्रामक बातें फैलाकर लोगों को बहकाया जा रहा है. यूआईडीएआई के अनुसार आधार के डेटाबेस में सेंधमारी नामुमकिन है. यहां यूआईडीएआई की बात इसलिए भी तर्कपूर्ण लगती है क्योंकि अभी तक ऐसे दावे करने वाली बहुत सी बातें सामने आईं, लेकिन कोई भी कुछ भी साबित नहीं कर सका है. कुछ समय पहले ही ट्राई प्रमुख ने अपना आधार नंबर सार्वजनिक किया था, लेकिन उसका इस्तेमाल कर के भी दुनियाभर के हैकर उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके. हां, उनका फोन नंबर और कुछ सामान्य सी जानकारियां जरूर कुछ लोगों ने पता कर लीं, लेकिन उससे हैकिंग का कोई लेना-देना नहीं है.

आपका बायोमीट्रिक डेटा है सुरक्षित

अगर मान भी लें कि हैकिंग के जरिए कुछ लोगों के आधार नंबर से उनके बैंक अकाउंट का नंबर, या घर का पता या फोन नंबर किसी ने पता कर लिया, तो भी ये कहना गलत होगा कि आपका बायोमीट्रिक डेटा खतरे में है. अभी तक कोई भी मामला ऐसा सामने नहीं आया है, जिसमें किसी का बायोमीट्रिक डेटा चोरी हुआ हो. पिछले साल भी 210 सरकारी साइटों पर आधार डेटा सार्वजनिक हो गया था, लेकिन बायोमीट्रिक डेटा चोरी होने का एक भी मामला सामने नहीं आया है. हालांकि, दुनियाभर के हैकर यही कहते रहे हैं कि आधार डेटाबेस हैक किया जा सकता है, लेकिन अभी तक कोई भी ऐसा कर नहीं सका है.

आधार को लेकर समय-समय पर विरोधी स्वर बुलंद होते रहे हैं. इस बार भी ऐसा हुआ है. हैकर्स ने तो यूआईडीएआई को चेताया ही है, कांग्रेस ने भी मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है.

इन सबके बावजूद सवाल वहीं का वहीं है, कि क्या वाकई आधार डेटाबेस की हैकिंग संभव है? यूआईडीएआई ने तो इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन अगर ये वाकई मुमकिन है तो कोई आधार डेटाबेस को अब तक हैक कर क्यों नहीं सका है? जिन हैकर्स को जनता के डेटा की इतनी चिंता है, वो यूआईडीएआई के पास जाकर आधार डेटाबेस को हैक कर के क्यों नहीं दिखाते? क्यों नहीं उन्हें बताते कि इस सिस्टम में क्या कमियां हैं? कमियों को दूर करने के तरीके क्यों नहीं बताते? और अगर हैकर्स ऐसा कर नहीं सकते तो बेकार की अफवाहें न फैलाएं और अपना मुंह बंद ही रखें तो अच्छा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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