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पीएम पद की रेस दौड़ रहे मोदी-विरोधियों का शक्ति प्रदर्शन

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 16 मई, 2019 06:27 PM
  • 16 मई, 2019 06:27 PM
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प्रधानमंत्री बनने के सपने सजाने वाले भाजपा विरोधी दलों में नरेंद्र मोदी का विरोध करने की होड़ लगी है. यानी जो मोदी का सबसे बड़ा विरोधी साबित होगा उसे पीएम बनने के लिए भाजपा विरोधी विचारधारा वाले दलों का समर्थन मिलने का अधिकार मिल जायेगा.

सातवें चरण के चुनाव मे ही आठवें चरण के मुकाबले की नूराकुश्ती दिखाई देने लगी. आठवें चरण का आशय है गठबंधनों का जोड़तोड़ और प्रधानमंत्री तय होने की आपसी लड़ाई. मान लीजिए कि एनडीए बहुमत से नहीं जीत सका तो गैर भाजपाई दल एक होकर सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हैं. किंतु सरकार बनाने की दावेदारी करने वाले ये दल प्रधानमंत्री तय करने के लिए आपस में भिड़ सकते हैं. समान्य विचारधारा वाले इन दलों मे पीएम पद की चाहत रखने वाले किसी दल की ख्वाहिश पूरी नहीं हुई तो वो एनडीए के साथ भी जा सकता है. इसलिए कांग्रेस के राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस की ममता बेनर्जी और बसपा सुप्रीमो मायावती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आक्रामक होकर कुछ ज्यादा ही मुखर होने की शोशिश में लोकतंत्र की मर्यादा से बाहर होने लगे हैं.

प्रधानमंत्री बनने के सपने सजाने वाले भाजपा विरोधी दलों में नरेंद्र मोदी का विरोध करने की होड़ लगी है. गोयाकि जो मोदी का सबसे बड़ा विरोधी साबित होगा उसे पीएम बनने के लिए भाजपा विरोधी विचारधारा वाले दलों का समर्थन मिलने का अधिकार मिल जायेगा. इस मंशा से ही पीएम पद की रेस में आने के लिए विभिन्न दलों के शीर्ष नेता विरोध की हदें पार करने लगे हैं.

सवाल ये भी उठ है कि क्या महागठबंधन प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने में कामयाब हो पाएगा

लोकतांत्रिक व्यवस्था का कुठाराघात बनी पश्चिम बंगाल की हिंसक घटनायें भी पीएम बनने की मंशा से जुड़ी हो सकती हैं. इस वक्त तीन विरोधी दलों में तीन राजनीतिक हस्तियां आपस में ही पीएम पद की रेस की प्रतिस्पर्धा में आगे हैं. इसलिए हर कोई अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में भाजपा की रैलियों को बाधित करके साबित करना चाहती हैं कि सिर्फ...

सातवें चरण के चुनाव मे ही आठवें चरण के मुकाबले की नूराकुश्ती दिखाई देने लगी. आठवें चरण का आशय है गठबंधनों का जोड़तोड़ और प्रधानमंत्री तय होने की आपसी लड़ाई. मान लीजिए कि एनडीए बहुमत से नहीं जीत सका तो गैर भाजपाई दल एक होकर सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हैं. किंतु सरकार बनाने की दावेदारी करने वाले ये दल प्रधानमंत्री तय करने के लिए आपस में भिड़ सकते हैं. समान्य विचारधारा वाले इन दलों मे पीएम पद की चाहत रखने वाले किसी दल की ख्वाहिश पूरी नहीं हुई तो वो एनडीए के साथ भी जा सकता है. इसलिए कांग्रेस के राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस की ममता बेनर्जी और बसपा सुप्रीमो मायावती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आक्रामक होकर कुछ ज्यादा ही मुखर होने की शोशिश में लोकतंत्र की मर्यादा से बाहर होने लगे हैं.

प्रधानमंत्री बनने के सपने सजाने वाले भाजपा विरोधी दलों में नरेंद्र मोदी का विरोध करने की होड़ लगी है. गोयाकि जो मोदी का सबसे बड़ा विरोधी साबित होगा उसे पीएम बनने के लिए भाजपा विरोधी विचारधारा वाले दलों का समर्थन मिलने का अधिकार मिल जायेगा. इस मंशा से ही पीएम पद की रेस में आने के लिए विभिन्न दलों के शीर्ष नेता विरोध की हदें पार करने लगे हैं.

सवाल ये भी उठ है कि क्या महागठबंधन प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने में कामयाब हो पाएगा

लोकतांत्रिक व्यवस्था का कुठाराघात बनी पश्चिम बंगाल की हिंसक घटनायें भी पीएम बनने की मंशा से जुड़ी हो सकती हैं. इस वक्त तीन विरोधी दलों में तीन राजनीतिक हस्तियां आपस में ही पीएम पद की रेस की प्रतिस्पर्धा में आगे हैं. इसलिए हर कोई अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में भाजपा की रैलियों को बाधित करके साबित करना चाहती हैं कि सिर्फ उनमें ही इतना दम है कि वो मोदी की विजय यात्रा रोक सकती हैं.

अपनी पार्टी की डूबती नैया को पार लगाने का संघर्ष कर रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने मोदी विरोध को सबसे पहले तल्ख बनाया. राफेल खरीद में गड़बड़ी के आरोप के साथ राहुल ने कांग्रेस चुनाव कैम्पेन की टैग लाइन को अशिष्ट भाषा का रूप दे दिया. चौकीदार चोर है. जैसे नारों से कांग्रेस अध्यक्ष ने विरोध की पराकाष्ठा साबित की. राहुल ने अक्सर अपने बयानों में सपा-बसपा पर तंज करते हुए इशारों इशारों में ये भी कहा कि प्रधानमंत्री की नीतियों और नियत का खुल कर विरोध बस मैंने ही किया. बाकी कुछ लोग तो सीबीआई के डर से खामोश रहे.

इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया. पश्चिमी बंगाल में चुनावी सभायें करने आ रहे भाजपा के शीर्ष नेताओं को अपने राज्य में आने से रोकने की हर संभव कोशिश की. फिर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की बंगाल में रैली के दौरान टकराव की स्थिति पैदा हो गई. इससे पूर्व ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक विवादित बयान में थप्पड़ पड़ने जैसे शब्दों का प्रयोग किया.

जिस हिसाब से पूरा विपक्ष पीएम मोदी के खिलाफ एकजुट हुआ है माना जा रहा है इससे पीएम मोदी को दिक्कतें होंगी

भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के इस टकराव के बीच ममता बनर्जी मोदी विरोधी राजनीतिक खेमों में वाहवाही लूट ही रही थी कि पीएम पद की रेस की एक और सशक्त नेत्री बसपा सुप्रियो मायावती ने ममता बेनर्जी ने मोदी विरोध में आगे निकलने के लिए बेहद आपत्ति जनक बयान दे डाला. मायावती द्वारा मोदी पर निजी बयान सुर्खियों मे था ही कि बंगाल में अमित शाह के रोड शो में कथित तृणमूल कांग्रेस के हमले ने एक बार फिर ममता को चर्चा में ला दिया और मायावती की चर्चा दब गई.

चुनावा सम्पन्न होने की बेला में अब भाजपा विरोधी दलों के नेता मोदी के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन को ही शायद पीएम की कुर्सी की रेस का सहारा मान रहे हैं. सब अपने लिए अच्छा सोचते हैं. सपने देखते हैं और सपनों को साकार करने की कोशिश करते हैं. चुनाव का सातवां और आखिरी चरण आते ही गैर भाजपाई दल अब दो सपने देख रहे हैं.

पहला सपना ये कि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए हा जाये या बहुमत से ना जीते. इस सपने मे ही दूसरा सपना भी छिपा है. दूसरा सपना भी सभी भाजपा विरोधी दल देख रहे है. हर दल का बड़ा नेता प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहा है. इसलिए सात चरणों के लोकसभा चुनाव के आखिरी पड़ाव में भाजपा से लड़ने के बाद प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए ये आपस में लड़ सकते हैं. इसके संकेत कुछ अलग ही तरह से मिल रहे हैं.

अंदाजा लगाइए, यदि कोई मर्यादा को ताक़ पर रखकर पीएम की कुर्सी हासिल कर ले तो वो इस कुर्सी का कितना दायित्व निभायेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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