कमलनाथ सरकार (Kamal Nath MP Government) को लेकर भोपाल से दिल्ली और फिर मानेसर तक करीब 22 घंटे कोहराम मचा रहा - और आधी रात को दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने एक झटके में सारी साजिश नाकाम कर दी. ऐसा लगा जैसे दिग्विजय सिंह का दांव शिवराज सिंह चौहान की हर चाल पर भारी पड़ा हो और वो कोई रास्ता न देख शांत बैठ गये हों. अब एक कांग्रेस विधायक हरदीपसिंह डंग ने विधानसभा की सदस्यता देकर कांग्रेस के लिए मुश्किल बढ़ा दी है. इस्तीफे से ज्यादा बड़ी मुसीबत है, इस्तीफे की वजह. उन्होंने जी भरकर कांग्रेस को कोसा है.
बेशक दिग्विजय सिंह तमाम तरीकों से मध्य प्रदेश के अति सक्षम नेताओं में से एक हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं कि वो कोई जादू की छड़ी लेकर चलते हों. यही वजह है कि कमलनाथ सरकार के तख्तापलट की जो कवायद सामने आयी है उसके केंद्र में दिग्विजय सिंह ही दिखाई दे रहे हैं - और यही बात उनको सवालों के कठघरे में भी खड़ा कर रही है. राज्य सभा चुनाव (Rajya Sabha Election) की तारीख भी ऐसे दावों की पुष्टि कर रही है.
ऐसे सवालों के उठने की सबसे बड़ी वजह बीजेपी के संपर्क में आये विधायकों में से दो का दिग्विजय सिंह का करीबी होना है - और बड़ा कारण यही है कि लोगों को लगने लगा है कि पूरी पटकथा ही दिग्विजय सिंह ने लिखी थी. अब जिसने पटकथा ही लिख डाली हो तो आखिरी सीन भी तो उसी शख्स ने लिखा होगा.
क्या ये दिग्विजय सिंह का मिशन था?
कमलनाथ सरकार पर मंडराने वाले आफत के जिन बादलों की वजह शिवराज सिंह चौहान सहित कुछ बीजेपी नेताओं को समझा जा रहा था, अटकलों की दौड़ में दिग्वजय सिंह ने सबको पीछे छोड़ दिया है. भोपाल के राजनीतिक गलियारे में चटखारे के साथ जोरशोर से अब चर्चा चल रही है कि अकेले दिग्विजय सिंह ने बीजेपी की साजिश के नाम पर पूरी पटकथा दिग्विजय सिंह ने अकेले लिख डाली - सियासी स्क्रिप्ट के किरदारों के लिए भी वो बाहर नहीं बल्कि करीबियों पर ही भरोसा किया और काम पर लगा दिया.
होटल में बीजेपी नेताओं के साथ जिन विधायकों के नाम...
कमलनाथ सरकार (Kamal Nath MP Government) को लेकर भोपाल से दिल्ली और फिर मानेसर तक करीब 22 घंटे कोहराम मचा रहा - और आधी रात को दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने एक झटके में सारी साजिश नाकाम कर दी. ऐसा लगा जैसे दिग्विजय सिंह का दांव शिवराज सिंह चौहान की हर चाल पर भारी पड़ा हो और वो कोई रास्ता न देख शांत बैठ गये हों. अब एक कांग्रेस विधायक हरदीपसिंह डंग ने विधानसभा की सदस्यता देकर कांग्रेस के लिए मुश्किल बढ़ा दी है. इस्तीफे से ज्यादा बड़ी मुसीबत है, इस्तीफे की वजह. उन्होंने जी भरकर कांग्रेस को कोसा है.
बेशक दिग्विजय सिंह तमाम तरीकों से मध्य प्रदेश के अति सक्षम नेताओं में से एक हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं कि वो कोई जादू की छड़ी लेकर चलते हों. यही वजह है कि कमलनाथ सरकार के तख्तापलट की जो कवायद सामने आयी है उसके केंद्र में दिग्विजय सिंह ही दिखाई दे रहे हैं - और यही बात उनको सवालों के कठघरे में भी खड़ा कर रही है. राज्य सभा चुनाव (Rajya Sabha Election) की तारीख भी ऐसे दावों की पुष्टि कर रही है.
ऐसे सवालों के उठने की सबसे बड़ी वजह बीजेपी के संपर्क में आये विधायकों में से दो का दिग्विजय सिंह का करीबी होना है - और बड़ा कारण यही है कि लोगों को लगने लगा है कि पूरी पटकथा ही दिग्विजय सिंह ने लिखी थी. अब जिसने पटकथा ही लिख डाली हो तो आखिरी सीन भी तो उसी शख्स ने लिखा होगा.
क्या ये दिग्विजय सिंह का मिशन था?
कमलनाथ सरकार पर मंडराने वाले आफत के जिन बादलों की वजह शिवराज सिंह चौहान सहित कुछ बीजेपी नेताओं को समझा जा रहा था, अटकलों की दौड़ में दिग्वजय सिंह ने सबको पीछे छोड़ दिया है. भोपाल के राजनीतिक गलियारे में चटखारे के साथ जोरशोर से अब चर्चा चल रही है कि अकेले दिग्विजय सिंह ने बीजेपी की साजिश के नाम पर पूरी पटकथा दिग्विजय सिंह ने अकेले लिख डाली - सियासी स्क्रिप्ट के किरदारों के लिए भी वो बाहर नहीं बल्कि करीबियों पर ही भरोसा किया और काम पर लगा दिया.
होटल में बीजेपी नेताओं के साथ जिन विधायकों के नाम आये उनमें से दो थे - बिसाहूलाल सिंह और ऐदल सिंह कसाना. ये दोनों ही विधायक कमलनाथ से नाराज चल रहे हैं और यही बात इनके किरदार बनाये जाने में अहम साबित हुई. पहले तो ये आसानी से तैयार हो जाएंगे और किसी को इस बात का जरा भी शक नहीं होगा कि पटकथा लिखने वाला कोई चतुर और अनुभवी सियासी दिमाग है.
दिग्विजय सिंह की भूमिका का संकेत मिलने में इनका मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का करीबी होना आसानी से फिट हो जा रहा है. बिसाहूलाल सिंह 1980 में पहली बार विधायक बने थे और 2018 में वो पांचवीं बार कांग्रेस के विधायक बने हैं. बावजूद इसके कमलनाथ सरकार में बिसाहूलाल को मंत्री पद नहीं मिल सका है. दिग्विजय सिंह 1993 से 2003 तक लगातार दस साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. बिसाहूलाल सिंह दिग्विजय सिंह सरकार में कई मंत्रालय संभाल चुके हैं और कमलनाथ है कि कैबिनेट के लायक नहीं समझते - और मौजूदा मुख्यमंत्री से उनकी नाराजगी की सबसे बड़ी वजह भी यही है. ऐदल सिंह कसाना के कमलनाथ से नाराज होने की वजह भी मंत्री पद न मिलना ही है.
किरदार ही किस्सागोई को आवाज और प्लॉट को गंभीर बनाते हैं - दो विधायकों की दिग्विजय सिंह से करीबी और होटल में बीजेपी नेताओं के साथ संकटकाल में उनकी मौजूदगी कहानी को क्लाइमेक्स तक आसानी से पहुंचा देती है. हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा, लोगों को पूरे घटनाक्रम में सियासत के हर रंग मिल जा रहे हैं और वे ऐसे पिरोये गये हैं कि सहज तौर पर ऑपरेशन लोटस के पैरामीटर में फिट हो जायें.
सिर्फ इतना ही नहीं, भोपाल से जो दो लोग दिल्ली रवाना किये गये उनमें भी एक दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह रहे. दूसरे नेता जीतू पटवारी थे. जरा सोचिये - कमलनाथ सरकार के खिलाफ बतायी गयी साजिश में शामिल विधायकों में से दो दिग्विजय सिंह के करीबी हैं. विधायकों को वापस लाने कौन जाता है - दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह. और ऐन वक्त पर संकटमोचक बन कर एंट्री मारते हैं खुद दिग्विजय सिंह - अब अगर पूरा घटनाक्रम दिग्विजय सिंह के इर्द-गिर्द ही घूमता रहेगा तो कहानी में ट्विस्ट तो आएगा ही.
कमलनाथ सरकार के एक मंत्री ने तो ट्विटर पर भी ये कहानी शेयर कर डाली है - और कहीं बात का बतंगड़ न बना दिया जाये इसलिए डिस्क्लेमर के तौर पर मजाक वाली एक स्माइली भी चिपका डाली है. ध्यान देने वाली बात मध्य प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार के ट्वीट के आखिरी शब्द हैं - '... बाकी आप सब समझदार हैं.' मतलब ये कि अगर ट्वीट एक बार में समझ न आये तो बार बार पढ़ें और समझने की कोशिश करें - और खुद न समझ आये तो आसपास जो ज्यादा समझदार नजर उससे सहयोग लें.
उमंग सिंघार के ट्वीट से उन अटकलों को हवा दे डाली है जिसमें चर्चा यही है कि दिग्विजय सिंह ने पूरी तैयारी के साथ ऑपरेशन लोटस स्टाइल वाली स्क्रिप्ट लिखी ताकि राज्य सभा में अपनी सीट आगे के लिए भी पक्की कर सकें. चर्चा तो ये भी है कि कमलनाथ सरकार बचाने के नाम पर दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस आलाकमान से अपने लिए राज्य सभा सीट डील भी पहले ही कर डाली है.
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