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सियासत

दिल्ली में लगी आग पर सियासी रोटियां सेकने का काम शुरू !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 08 दिसम्बर, 2019 05:32 PM
  • 08 दिसम्बर, 2019 03:51 PM
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दिल्ली में लगी आग (Delhi Fire) के बाद घटनास्थल पर नेताओं और मंत्रियों का तांता लग गया है. एक ओर केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने मुआवजे का ऐलान किया है, दूसरी ओर भाजपा (BJP) के मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने भी मुआवजे की घोषणा कर दी है. मदद के साथ ही दोनों पार्टियों ने राजनीति भी शुरू कर दी है.

अभी उन्नाव गैंगरेप पीड़िता (nnao Rape Case) की मौत के बाद लोगों के गुस्से की आग ठंडी भी नहीं हुई कि राजधानी दिल्ली के रानी झांसी रोड पर रविवार की सुबह अनाज मंडी में भीषण आग (Delhi Fire) लगने की खबर आ रही है. आग कितनी भयानक थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घटना में अब तक 43 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और आने वाले समय में ये आंकड़ा और बढ़ सकता है. अनाज मंडी में लगी आग तो बुझ गई है, लेकिन अब लोगों के गुस्से की आग भड़क उठी है. जिस इलाके में ये घटना हुई, वहां बेहद संकरी गलियां हैं, नियमों को ताक पर रखकर फैक्ट्री चल रही थी. अब सवाल उठ रहे हैं सरकारी इंतजामों पर. इसी बीच अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भी मौके पर पहुंचे, 4-5 घंटे बाद ही सही, लेकिन पहुंचे और मरने वालों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया. साथ ही, घायलों को मुफ्त इलाज देने की भी घोषणा की. वहीं दूसरी ओर भाजपा (BJP) के मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) और विजय गोयल (Vijay Goel) ने इस घटना का ठीकरा केजरीवाल के ही माथे पर फोड़ दिया है. भाजपा पार्टी की तरफ से भी मरने वालों को 5-5 लाख रुपए और घायलों को 25-25 हजार रुपए देने की घोषणा की गई है. यानी ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि अनाज मंडी की आग पर सियासी रोटियां सेकी जाने लगी हैं. वैसे भी, दिल्ली चुनाव आने वाले हैं और ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के इसी तरह के मौकों की तलाश रहती है. मौका मिलते ही राजनीतिक पार्टियों ने इस पर राजनीति करनी शुरू कर दी है.

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जिम्मेदार कौन?

दिल्ली में आग की घटना कोई नई बात नहीं है. उपहार सिनेमा कांड को अभी तक दिल्ली भूल नहीं पाई है. अब अनाज मंडी की आग ने फिर से सरकारों पर सवाल उठा दिए हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस आग के लिए...

अभी उन्नाव गैंगरेप पीड़िता (nnao Rape Case) की मौत के बाद लोगों के गुस्से की आग ठंडी भी नहीं हुई कि राजधानी दिल्ली के रानी झांसी रोड पर रविवार की सुबह अनाज मंडी में भीषण आग (Delhi Fire) लगने की खबर आ रही है. आग कितनी भयानक थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घटना में अब तक 43 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और आने वाले समय में ये आंकड़ा और बढ़ सकता है. अनाज मंडी में लगी आग तो बुझ गई है, लेकिन अब लोगों के गुस्से की आग भड़क उठी है. जिस इलाके में ये घटना हुई, वहां बेहद संकरी गलियां हैं, नियमों को ताक पर रखकर फैक्ट्री चल रही थी. अब सवाल उठ रहे हैं सरकारी इंतजामों पर. इसी बीच अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भी मौके पर पहुंचे, 4-5 घंटे बाद ही सही, लेकिन पहुंचे और मरने वालों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया. साथ ही, घायलों को मुफ्त इलाज देने की भी घोषणा की. वहीं दूसरी ओर भाजपा (BJP) के मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) और विजय गोयल (Vijay Goel) ने इस घटना का ठीकरा केजरीवाल के ही माथे पर फोड़ दिया है. भाजपा पार्टी की तरफ से भी मरने वालों को 5-5 लाख रुपए और घायलों को 25-25 हजार रुपए देने की घोषणा की गई है. यानी ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि अनाज मंडी की आग पर सियासी रोटियां सेकी जाने लगी हैं. वैसे भी, दिल्ली चुनाव आने वाले हैं और ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के इसी तरह के मौकों की तलाश रहती है. मौका मिलते ही राजनीतिक पार्टियों ने इस पर राजनीति करनी शुरू कर दी है.

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जिम्मेदार कौन?

दिल्ली में आग की घटना कोई नई बात नहीं है. उपहार सिनेमा कांड को अभी तक दिल्ली भूल नहीं पाई है. अब अनाज मंडी की आग ने फिर से सरकारों पर सवाल उठा दिए हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस आग के लिए जिम्मेदार कौन है? वो कौन है, जिसके मत्थे 43 लोगों की मौत का इल्जाम लगेगा? दिल्ली सरकार, क्योंकि उसके ही एक मंत्री का ये क्षेत्र है? या एमसीडी, जिसकी जिम्मेदारी होती है अवैध निर्माण या अवैध रूप से चल रही फैक्ट्रियों पर नजर रखने की? 43 लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार भाजपा है या फिर आम आदमी पार्टी. इस मौके पर राजनीति करना ठीक नहीं... ये हम नहीं, खुद राजनीति करने वाले बोल रहे हैं.

भाजपा के तर्क गले नहीं उतर रहे

पहले बात विजय गोयल की. वह तो सीधे बोल पड़े कि अरविंद केजरीवाल सरकार को इस हादसे की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. तर्क दिया कि ये क्षेत्र दिल्ली सरकार के एक मंत्री का है. यानी राजनीतिक बयानबाजी कर दी, लेकिन अगले ही पल भोले बनते हुए बोल पड़े कि इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा है कि दिल्ली के घनी आबादी वाले इलाकों का निरीक्षण होना चाहिए, लेकिन दिल्ली सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने तो ये भी कहा कि बहुत सारी इमारतें गिरने की कगार पर हैं, लेकिन दिल्ली सरकार उस ओर ध्यान नहीं दे रही है.

मनोज तिवारी की बातें भी कुछ वैसी ही निकलीं. जब उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई तो वह झट से बोल पड़े कि इस मामले की जांच के बाद जिम्मेदारी तय होनी चाहिए, इसमें कोई जल्दबाजी नहीं करनी है. जब उन्हें बताया गया कि सरकार इस मामले में नगर निगम को जिम्मेदार ठहरा रही है तो तिवारी बोले कि पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कौन जिम्मेदार है. मदद का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. हां, पूरी बात के दौरान एमसीडी पर उठने वाले सवालों को तुरंत घुमा दिया, क्योंकि एमसीडी पर भाजपा का कब्जा है.

हरदीप पुरी ने भी इस आग पर अपनी बात कही. जब उनसे कहा गया कि दिल्ली में जगह-जगह लोगों के सिरों पर तारें लटकी हुई हैं तो वह बोले कि मैं भी दिल्ली में ही रहता हूं और सब देख रहा हूं. अब सवाल ये है कि अगर आप सब देख रहे हैं तो अब तक कुछ किया क्यों नहीं? सिर्फ इसलिए कि सरकार आपकी नहीं है? एमसीडी तो आपकी है, तो आपने क्या कर लिया? बात ही बात में वह राजनीति करने से बाज नहीं आए और बोल पड़े, भाजपा के लोग घटना की जानकारी मिलने के चंद घंटों में ही यहां पहुंच गए. कौन पहुंच और नहीं ये... लेकिन इस मामले पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. मतलब खुद ही राजनीतिक बयानबाजी कर दी और फिर खुद ही बोल पड़े कि राजनीति नहीं. उन्होंने भी मनोज तिवारी की बात दोहरा दी कि मामले की जांच होनी चाहिए और उसके बाद ही जिम्मेदारी तय की जा सकती है.

दिल्ली सरकार भी कम नहीं है

बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार के कुछ मंत्रियों ने इसका ठीकरा एमसीडी पर फोड़ा है. हालांकि, अरविंद केजरीवाल ने इस पर कुछ नहीं कहा. आपको बता दें कि एमसीडी पर भाजपा का कब्जा है. लेकिन सिर्फ इतना कह भर देना काफी नहीं. दिल्ली सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे इलाकों की जांच नियमित रूप से हो. अगर नहीं होती है तो दिल्ली सरकार को एमसीडी के खिलाफ भी एक्शन लेना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. अगर होता तो एक के बाद एक दिल्ली में आग की घटनाएं ना होतीं. वहीं आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा है भाजपा इस मामले पर राजनीति कर रही है जो शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है. अगर सवाल उठाने ही हैं तो भी भाजपा के कब्जे वाली एमसीडी को जिम्मेदार माना जाना चाहिए, जिसने फैक्ट्री का लाइसेंस दिया है.

इस आग में राजनीतिक पार्टियों का झुलसना तय

जब 13 जून 1997 में दिल्ली के ग्रीन पार्क में स्थित उपहार सिनेमा में आग लगी थी, जो उसमें 59 लोगों की मौत हुई थी. वजह वही थी जो अनाज मंडी में सामने आ रही है. लोगों के बचने की जगह ही नहीं थी. लोग एक तरह से फंस गए. और इस बार तो लोग नींद में थे. हो सकता है कई तो नींद में ही दम घुटने के चलते मर गए होंगे. उपहार सिनेमा कांड में जांच के बाद दोषियों को सजा मिली थी, इस बार भी मिल जाएगी, लेकिन उन 43 लोगों का क्या, जिनकी जान चली गई. न तो दिल्ली सरकार ने लोगों की जान को प्राथमिकता दी है, ना ही भाजपा की एमसीडी को इस बात से कोई मतलब है कि कौन जी रहा है और कौन मर रहा है. दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं तो हर राजनीतिक पार्टी लोगों को अपने-अपने तरीके से लुभाने और गुमराह करने की कोशिश करेगी, लेकिन जिस आग ने 43 लोगों की जान ले ली, उसकी आंच राजनीतिक पार्टियों तक भी पहुंचेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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