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बकरीद पर लॉकडाउन में छूट देकर ममता बनर्ती ने 'आपदा में अवसर' तलाश लिया!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 29 जुलाई, 2020 07:35 PM
  • 29 जुलाई, 2020 07:32 PM
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बंगाल (West Bengal) में 31 अगस्त तक कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते लॉकडाउन (Lockdown) किया गया है मगर बकरीद (Bakra eid 2020) के दिन सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की तरफ से राज्य के लोगों को छूट दी गई है. साफ़ है कि बंगाल चुनाव से पहले ही राज्य में ममता की तरफ से मुस्लिम तुष्टिकरण की शुरुआत हो गयी है.

2021 में पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव होने हैं. क्या भाजपा (BJP), क्या तृणमूल कांग्रेस (TMC) सभी ने तैयारियां अभी से तेज कर दी हैं. भाजपा जहां एक तरफ हिंदू वोटर्स (Hindu Voters) को आकर्षित करने के लिए जी जान से कोशिश कर रही है. वहीं जैसे हालात बने हैं और समीकरण स्थापित हुए हैं. ममता बनर्जी (Mamata Banrejee) को भी लग गया है कि ये मुस्लिम वोटर्स (Muslim Voters) ही होंगे जो बीच मझधार में फंसी उनकी नैया के खिवैया होंगे इसलिए उनको रिझाना बहुत ज़रूरी है. ममता राजनीति के नाम और तुष्टिकरण का ये खेल, एक ऐसे वक्त में खेल रही है जब पूरा देश कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में है. राज्य में तुष्टिकरण (Appeasement) किस हद तक किया जा रहा है इसे हम लॉकडाउन (Lockdown) से समझ सकते हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बकरीद (Bakreid) पर लॉक डाउन में राहत दी है. बता दें कि राज्य में हफ्ते में होने वाले दो दिन के लॉक डाउन को 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

लॉक डाउन के मद्देनजर जो फैसला ममता बनर्जी ने किया है उससे लोगों में भारी असंतोष है

जानकारी देते हए पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य में 29 जुलाई, दो अगस्त और 5 अगस्त को पूरी तरह लॉक डाउन रहेगा. वहीं कंटेंमेंट जोन में लॉक डाउन 31 अगस्त तक जारी रहेगा. सीएम ने ये भी कहा है कि राज्य में बकरीद के दिन किसी तरह का कोई लॉक डाउन नहीं होगा. ममता का शेष दिनों में लॉक डाउन करके बकरीद के दिन लॉक डाउन की छूट देना ही सारे विवाद की जड़ है. विपक्ष के अलावा सोशल मीडिया पर जनता तक इस बात को कह रही है कि ममता ने जो भी किया है वो मुस्लिम हितों को ध्यान में रखकर अपने राजनीतिक हितों के लिए किया है.

2021 में पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव होने हैं. क्या भाजपा (BJP), क्या तृणमूल कांग्रेस (TMC) सभी ने तैयारियां अभी से तेज कर दी हैं. भाजपा जहां एक तरफ हिंदू वोटर्स (Hindu Voters) को आकर्षित करने के लिए जी जान से कोशिश कर रही है. वहीं जैसे हालात बने हैं और समीकरण स्थापित हुए हैं. ममता बनर्जी (Mamata Banrejee) को भी लग गया है कि ये मुस्लिम वोटर्स (Muslim Voters) ही होंगे जो बीच मझधार में फंसी उनकी नैया के खिवैया होंगे इसलिए उनको रिझाना बहुत ज़रूरी है. ममता राजनीति के नाम और तुष्टिकरण का ये खेल, एक ऐसे वक्त में खेल रही है जब पूरा देश कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में है. राज्य में तुष्टिकरण (Appeasement) किस हद तक किया जा रहा है इसे हम लॉकडाउन (Lockdown) से समझ सकते हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बकरीद (Bakreid) पर लॉक डाउन में राहत दी है. बता दें कि राज्य में हफ्ते में होने वाले दो दिन के लॉक डाउन को 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

लॉक डाउन के मद्देनजर जो फैसला ममता बनर्जी ने किया है उससे लोगों में भारी असंतोष है

जानकारी देते हए पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य में 29 जुलाई, दो अगस्त और 5 अगस्त को पूरी तरह लॉक डाउन रहेगा. वहीं कंटेंमेंट जोन में लॉक डाउन 31 अगस्त तक जारी रहेगा. सीएम ने ये भी कहा है कि राज्य में बकरीद के दिन किसी तरह का कोई लॉक डाउन नहीं होगा. ममता का शेष दिनों में लॉक डाउन करके बकरीद के दिन लॉक डाउन की छूट देना ही सारे विवाद की जड़ है. विपक्ष के अलावा सोशल मीडिया पर जनता तक इस बात को कह रही है कि ममता ने जो भी किया है वो मुस्लिम हितों को ध्यान में रखकर अपने राजनीतिक हितों के लिए किया है.

बता दें कि गत 20 जुलाई को राज्य के गृह सचिव अल्पन बंधोपाध्याय ने घोषणा की थी कि जुलाई के अंतिम हफ्ते में बृहस्पतिवार और शनिवार को लॉक डाउन रहेगा. इस फैसले को राज्य की मुखतमंत्री ममता बनर्जी ने आगे बढ़ाया और इसकी अवधी बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दी.बता दें कि ममता के इस फैसले पर बंगाल में पहले ही विपक्ष ने सवाल उठाए थे. बैरकपुर से भाजपा के सांसद अर्जुन सिंह ने ममता बनर्जी को घेरते हुए कहा है कि बंगाल में लॉक डाउन धार्मिक हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है. मुख्यमंत्री ने गुरुवार और शनिवार को पूर्ण लॉक डाउन किया है मगर शुक्रवार को छूट दी है.

चूंकि इस घोषणा के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी इसलिए सरकार के बचाव में ममता सरकार में मंत्री जावेद अहमद खान सामने आए हैं. भाजपा की नीयत पर सवाल उठाते हुए जावेद ने कहा है कि भाजपा वालों का दिमाग काम नहीं कर रहा है और यही वो कारण है जिसके चलते भाजपा से जुड़े लोगों को ऐसी अतार्किक बातें करनी पड़ रही हैं. बकरीद की नमाज़ का जिक्र करते हुए खान ने कहा है कि मस्जिद बंद है और सभी लोग अपने घरों में नमाज अदा कर रहे हैं और इसका शुक्रवार से कोई लेना देना नहीं है.

क्यों कि ये लॉक डाउन कोरोना के मद्देनजर किया जा रहा है तो राज्य में कोरोना के मामलों पर बात करना भी हमारे लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है. फिलहाल पश्चिम बंगाल में कोरोना मरीजों की संख्या 60 हज़ार से अधिक है और इसमें भी एक्टिव मरीजों की संख्या 40 हज़ार से ऊपर है. कोरोना के चलते पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा दिल दहला देने वाले मौत के आंकड़े हैं. ध्यान रहे कि पश्चिम बंगाल में कोरोना से मरने वालों की संख्या 1449 है.

साफ़ है कि एक मुख्यमंत्री के रूप में जो फैसला ममता बनर्जी ने लिया है उसपर प्रतिक्रियाओं का आना और आलोचना का होना स्वाभाविक था. आइये नजर डालते हैं सोशल मीडिया का जहां इस मामले के तहत एक से एक दिलचस्प बातें निकलकर सामने आ रही हैं.

@shekharmcs नाम के यूजर ने ममता की इस घोषणा को साफ़ तौर से तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया है.

मामले पर @TheRoyalRaajput नाम के यूजर ने ममता बनर्जी पर दोहरी नीति अपनाने के आरोप लगाए हैं.

सोशल मीडिया पर ऐसी यूजर्स की भी एक बड़ी संख्या है जो इस मामले को 5 अगस्त को अयोध्या में हो रहे भूमि पूजन से जोड़कर देख रहे हैं.

मामला चूंकि बंगाल और अपनी सेक्युलर छवि के कारण लोकप्रिय ममता बनर्जी से जुड़ा है इसलिए सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर चुटकी लेने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं.

बहरहाल, ममता का फैसला है ही ऐसा कि आलोचना होनी ही थी. कह सकते हैं कि अगर ममता वाक़ई राज्य में कोरोना के लिए फिक्रमंद होतीं तो तुष्टिकरण को ताख पर रखकर एक ऐसा फैसला लेतीं जो निष्पक्ष होता मगर जिस तरह उन्होंने एक समुदाय को खुश करने के लिए एक बड़ी चूक को अंजाम दिया है इसका खामियाजा उन्हें आने वाले चुनावों में भुगतना होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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