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राम मंदिर भूमि पूजन पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे की आपत्ति ही विपत्ति है

    • अनु रॉय
    • Updated: 27 जुलाई, 2020 10:14 PM
  • 27 जुलाई, 2020 10:14 PM
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चाहे वो शरद पवार (Sharad Pawar) हों या फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) जिस तरह दोनों ही नेता कोरोना के नाम पर भूमि पूजन को लेकर नसीहतें कर रहे हैं पीएम मोदी (PM Modi) की राह में रोड़ा डाल रहे हैं साफ़ है कि ये सिलेक्टिव हिपोक्रेसी की पराकाष्ठा है.

राम मंदिर (Ram Temple) बनने से कोरोना (Coronavirus) भाग जाएगा क्या? ये शरद पवार का सवाल है. उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) कह रहें हैं कि राम मंदिर जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi Pujan) वाली जो पूजा है वो वीडियो-कॉनफ़्रेंस के ज़रिए भी हो सकती है. वहां जाने की ज़रूरत क्या है?

चलिए मान लेते हैं मंदिर बनने से कोरोना नहीं भागेगा तो क्या मंदिर नहीं बनने से भाग जाएगा? पीएम मोदी अगर भूमि पूजन में शामिल नहीं होंगे तो क्या देश कोविड फ़्री हो जाएगा?

और ठाकरे साहेब आप भाषण दे रहें हैं कि वीडियो-कॉनफ़्रेंसिंग के ज़रिए पूजा हो, ठीक. तो एक सवाल का जवाब दीजिए अभी जुलाई के पहले सप्ताह में आप पंढरपुर के विट्ठल-मंदिर में पूजा करने क्यों गए? वो तो पादुका की यात्रा हर साल होती है न, तो इस साल आप वीडीयो-कॉल से काम चला लेते.

राम मंदिर भूमि पूजन पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे का रुख विचलित करने वाला है

आप मंदिर से पूजा करके निकलते हैं तो स्टेटमेंट देते हैं कि, 'I have come here to pray not just on behalf of the people of Maharashtra, but on behalf of all people living everywhere…There is a tradition of belief in miracles wrought by Lord Vitthala. We now want to see a miracle as human beings are tired of combating the coronavirus menace and there is no medicine in sight. How long can we go on living our lives by covering our mouths?'

आपकी पूजा, पूजा और बाक़ियों की पूजा ढकोसला? ऐसा कैसे चलेगा? ये ऊपर आप ही कही बात है जिसे मैंने The Hindu से ले कर यहां लिखा है. और ऊपर वाला स्टेटमेंट मैंने अभी Indian Express में पढ़ा तो रहा नहीं गया.

कितनी हिपोक्रेसी है प्रभु आप...

राम मंदिर (Ram Temple) बनने से कोरोना (Coronavirus) भाग जाएगा क्या? ये शरद पवार का सवाल है. उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) कह रहें हैं कि राम मंदिर जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi Pujan) वाली जो पूजा है वो वीडियो-कॉनफ़्रेंस के ज़रिए भी हो सकती है. वहां जाने की ज़रूरत क्या है?

चलिए मान लेते हैं मंदिर बनने से कोरोना नहीं भागेगा तो क्या मंदिर नहीं बनने से भाग जाएगा? पीएम मोदी अगर भूमि पूजन में शामिल नहीं होंगे तो क्या देश कोविड फ़्री हो जाएगा?

और ठाकरे साहेब आप भाषण दे रहें हैं कि वीडियो-कॉनफ़्रेंसिंग के ज़रिए पूजा हो, ठीक. तो एक सवाल का जवाब दीजिए अभी जुलाई के पहले सप्ताह में आप पंढरपुर के विट्ठल-मंदिर में पूजा करने क्यों गए? वो तो पादुका की यात्रा हर साल होती है न, तो इस साल आप वीडीयो-कॉल से काम चला लेते.

राम मंदिर भूमि पूजन पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे का रुख विचलित करने वाला है

आप मंदिर से पूजा करके निकलते हैं तो स्टेटमेंट देते हैं कि, 'I have come here to pray not just on behalf of the people of Maharashtra, but on behalf of all people living everywhere…There is a tradition of belief in miracles wrought by Lord Vitthala. We now want to see a miracle as human beings are tired of combating the coronavirus menace and there is no medicine in sight. How long can we go on living our lives by covering our mouths?'

आपकी पूजा, पूजा और बाक़ियों की पूजा ढकोसला? ऐसा कैसे चलेगा? ये ऊपर आप ही कही बात है जिसे मैंने The Hindu से ले कर यहां लिखा है. और ऊपर वाला स्टेटमेंट मैंने अभी Indian Express में पढ़ा तो रहा नहीं गया.

कितनी हिपोक्रेसी है प्रभु आप लोगों के अंदर. आप मंदिर जाते हैं वो शरद पवार को सही लगता है और पीएम मोदी का मंदिर जाना ग़लत. भई वाह! जबकि पूरी दुनिया को पता है कि राम मंदिर से कितने लोगों की आस्था जुड़ी है. लेकिन नहीं ये बहुसंख्यक लोगों की आस्था की बात है. ये हिंदुओं की आस्था का सवाल है तो इस पर टिका-टिप्पणी चलेगी क्योंकि यही होता आया है. अल्प-संख्यकों की ख़ुशी का ख़ास ख़्याल आप सबको रखना है क्योंकि वोट-बैंक पर बात बन जाएगी न. राम मंदिर क्या है भला. नहीं!

चलिए राम जी सबका बेड़ा पार लगाएंगे. उनका भी जो कह रहें कि मंदिर के बदले हॉस्पिटल बनवा दो, स्कूल और कॉलेज खुलवा दो. इनको पता ही नहीं कि आस्था कितनी बड़ी चीज़ है. जब हम हर तरफ़ से हारने लगते हैं तो प्रभु की शरण में ही जाते हैं. वहींं जा कर शांति मिलती है मंदिर लोगों की उसी आस्था का घर है.

मुझे नहीं मंदिर जाना पसंद लेकिन इसका मतलब ये नहीं हुआ कि जो मंदिर जा रहें उनकी आस्था पर सवाल खड़े कर दूं. शुभ काम होने जा रहा तो जला-कटा बोलने लग जाऊं. तो मंदिर की नींव पड़े और मंदिर जल्दी बने इसी की कामना है. जय सियाराम.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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