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Ayodhya Ram Mandir Faisla शनिवार को छुट्टी के दिन सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए सुनाया

    • आईचौक
    • Updated: 09 नवम्बर, 2019 12:15 PM
  • 09 नवम्बर, 2019 12:14 PM
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) ने सबको हैरान करते हुए अयोध्या राम मंदिर के में फैसला (Ayodhya Ram Mandir Faisla) सुनाने के लिए शनिवार का दिन चुना. सवाल ये उठता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टी का दिन क्यों चुना?

पूरा देश उम्मीद कर रहा था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmbhoomi-Babri Masjid Despute) पर फैसला (Ayodhya Ram Mandir Faisla) अगले सप्ताह आ सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) ने सबको हैरान करते हुए फैसला सुनाने के लिए शनिवार का दिन चुना. जी, छुट्टी वाला दिन, जिस दिन सुप्रीम कोर्ट की भी छुट्टी होती है. इसका नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Notification) ने शुक्रवार रात को ही दे दिया था कि शनिवार को सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाया जाएगा. अब सवाल ये उठता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए छुट्टी का दिन यानी शनिवार का दिन क्यों चुना?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. इस केस पर सुप्रीम कोर्ट ने लगातार 40 दिनों तक सुनवाई की और इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. तभी से ये कयास लगाए जा रहे थे कि उनके रिटायर होने से पहले ये फैसला आएगा, लेकिन इसकी कोई तारीख तय नहीं थी. बता दें कि रंजन गोगोई एक रविवार को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि एक दिन पहले ये फैसला आ सकता है, लेकिन वो दिन भी छुट्टी का होता, ऐसे में इतने अहम केस का फैसला उस दिन सुनाना सही नहीं लग रहा था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट जब चाहे तब फैसला सुनाने के लिए सुनवाई कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या केस का फैसला सुनाने के लिए शनिवार का दिन चुुना.

इसी तरह फैसला उस दिन भी नहीं सुनाया जा सकता था, जिस दिन रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. यानी 16 नवंबर को शनिवार है और 17 नवंबर को रविवार. इस तरह 15 नवंबर रंजन गोगोई का आखिरी वर्किंग डे होगा. ऐसे में इस बात की संभावनाएं जताई जा रही थीं कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच 14 या 15 नवंबर को अयोध्या केस में फैसला सुना सकती...

पूरा देश उम्मीद कर रहा था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmbhoomi-Babri Masjid Despute) पर फैसला (Ayodhya Ram Mandir Faisla) अगले सप्ताह आ सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) ने सबको हैरान करते हुए फैसला सुनाने के लिए शनिवार का दिन चुना. जी, छुट्टी वाला दिन, जिस दिन सुप्रीम कोर्ट की भी छुट्टी होती है. इसका नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Notification) ने शुक्रवार रात को ही दे दिया था कि शनिवार को सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाया जाएगा. अब सवाल ये उठता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए छुट्टी का दिन यानी शनिवार का दिन क्यों चुना?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. इस केस पर सुप्रीम कोर्ट ने लगातार 40 दिनों तक सुनवाई की और इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. तभी से ये कयास लगाए जा रहे थे कि उनके रिटायर होने से पहले ये फैसला आएगा, लेकिन इसकी कोई तारीख तय नहीं थी. बता दें कि रंजन गोगोई एक रविवार को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि एक दिन पहले ये फैसला आ सकता है, लेकिन वो दिन भी छुट्टी का होता, ऐसे में इतने अहम केस का फैसला उस दिन सुनाना सही नहीं लग रहा था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट जब चाहे तब फैसला सुनाने के लिए सुनवाई कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या केस का फैसला सुनाने के लिए शनिवार का दिन चुुना.

इसी तरह फैसला उस दिन भी नहीं सुनाया जा सकता था, जिस दिन रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. यानी 16 नवंबर को शनिवार है और 17 नवंबर को रविवार. इस तरह 15 नवंबर रंजन गोगोई का आखिरी वर्किंग डे होगा. ऐसे में इस बात की संभावनाएं जताई जा रही थीं कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच 14 या 15 नवंबर को अयोध्या केस में फैसला सुना सकती है.

ऐसे में इस केस की संवेदनशीलता देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि इस केस के याचिकाकर्ता फैसले का रिव्यू करने की याचिका भी डाल सकते हैं और इस प्रक्रिया में कुछ दिन लग जाते हैं. 11 और 12 को सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शनिवार को फैसला सुनाने से सुप्रीम कोर्ट को किसी वर्किंग डे पर रिव्यू याचिकी की सुनवाई करने का मौका मिल जाएगा.

दिलचस्प है कि ना तो सरकार ने ना ही कोर्ट ने ऐसा कोई संकेत दिया था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 14-15 नवंबर से पहले आ सकता है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार की रात को नोटिफिकेशन जारी कर के सबको हैरान कर दिया. बहुत से लोग मान रहे हैं कि ऐसा इसलिए भी किया गया ताकि सोशल मीडिया और बाकी जगहों पर विरोधी बातें करने वालों को रोका जा सके. यानी एक विवादित केस के फैसले को लेकर किसी तरह का कोई विवाद ना हो, इसलिए भी सुप्रीम कोर्ट ये फैसला शनिवार को सुना रहा है.

आपको बता दें कि सुरक्षा के नजरिए से उत्तर प्रदेश में भारी सैन्य बल तैनात किया गया है. अयोध्या में तो सुरक्षा काफी अधिक है. आपको बता दें कि जब 1992 में बाबरी मस्जिद गिराई गई थी तो पूरे देश में हिंसा हुई थी, ऐसे में सरकार इस बार कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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