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Ram Mandir verdict Update: यूपी के जमीनी हालात प्रार्थना के काबिल हैं!

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 08 नवम्बर, 2019 04:40 PM
  • 08 नवम्बर, 2019 04:40 PM
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Ram Mandir verdict latest update: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जल्द ही अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) पर अपना फैसला सुनाने वाला है. फैसले को लेकर कोई अप्रिय घटना न हो, प्रशासन ने कमर कस ली है.

अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) का निपटरा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अगले हफ्ते में कर ही देगा. लेकिन, उत्‍तर प्रदेश में सुरक्षा व्‍यवस्‍था (ttar Pradesh security) युद्धस्‍तर पर बढ़ा दी गई है. अयोध्‍या में विवादित स्‍थल तक जाने के सभी रास्‍तों पर आवाजाही रोक दी गई है. राम मंदिर का फैसला (Ram Mandir verdict) जो भी आए, प्रशासन और समाज के सभी वर्ग शांति की अपील कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये इंडिया की कल्पना हकीकत बन कर सामने आ रही है. आधुनिक भारत तकनीकी तौर पर कितना विकसित हो रहा है ये बड़ी बात नहीं. गांधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को मोदी सरकार ने जिस स्वच्छता अभियान से साकार करने की पहल की है, ये भी बड़ी बात नहीं. बड़ी बात ये भी नहीं कि स्वच्छता अभियान भ्रष्टाचार की गंदगी की सफाई कर रहा है. इस सबसे ज्यादा बड़ी बात ये है कि दशकों से हमारे दिमागों में गंदी सियासत ने नफरत की जो पर्तें पैदा कर दी थीं वो अब साफ होती नजर आ रही हैं. भारतीय समाज के पिछड़ेपन को खाद-पानी देने वाली संकीर्ण मानसिकता की बर्फ अब पिघलती नजर आ रही है. किसी हद तक जातियों के चक्रव्यूह टूटने के बाद धार्मिक कट्टरता भी दम तोड़ती नजर आ रही है. 35-40 वर्षों में सियासत के बाजार में बेचा जा रहा अयोध्या मसला (Ayodhya Judgement Time and Date) अब खत्म होने वाला है. एक सप्ताह में आने वाले फैसले (Ayodhya Decision) को लेकर देश में उत्साह तो है लेकिन गरमा-गरमी के बजाय एकता और अखंडता को कायम रखने की अपीलें फिजाओं में मोहब्ते घोल रही हैं.

अयोध्या फैसले के मद्देनजर शासन की तरफ से भी प्रयास यही है कि हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति बनी रहे

जब भी कभी अयोध्या मामला (Ayodhya Title Dispute) किसी भी सूरत में उभरता था तब उत्तर...

अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) का निपटरा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अगले हफ्ते में कर ही देगा. लेकिन, उत्‍तर प्रदेश में सुरक्षा व्‍यवस्‍था (ttar Pradesh security) युद्धस्‍तर पर बढ़ा दी गई है. अयोध्‍या में विवादित स्‍थल तक जाने के सभी रास्‍तों पर आवाजाही रोक दी गई है. राम मंदिर का फैसला (Ram Mandir verdict) जो भी आए, प्रशासन और समाज के सभी वर्ग शांति की अपील कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये इंडिया की कल्पना हकीकत बन कर सामने आ रही है. आधुनिक भारत तकनीकी तौर पर कितना विकसित हो रहा है ये बड़ी बात नहीं. गांधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को मोदी सरकार ने जिस स्वच्छता अभियान से साकार करने की पहल की है, ये भी बड़ी बात नहीं. बड़ी बात ये भी नहीं कि स्वच्छता अभियान भ्रष्टाचार की गंदगी की सफाई कर रहा है. इस सबसे ज्यादा बड़ी बात ये है कि दशकों से हमारे दिमागों में गंदी सियासत ने नफरत की जो पर्तें पैदा कर दी थीं वो अब साफ होती नजर आ रही हैं. भारतीय समाज के पिछड़ेपन को खाद-पानी देने वाली संकीर्ण मानसिकता की बर्फ अब पिघलती नजर आ रही है. किसी हद तक जातियों के चक्रव्यूह टूटने के बाद धार्मिक कट्टरता भी दम तोड़ती नजर आ रही है. 35-40 वर्षों में सियासत के बाजार में बेचा जा रहा अयोध्या मसला (Ayodhya Judgement Time and Date) अब खत्म होने वाला है. एक सप्ताह में आने वाले फैसले (Ayodhya Decision) को लेकर देश में उत्साह तो है लेकिन गरमा-गरमी के बजाय एकता और अखंडता को कायम रखने की अपीलें फिजाओं में मोहब्ते घोल रही हैं.

अयोध्या फैसले के मद्देनजर शासन की तरफ से भी प्रयास यही है कि हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति बनी रहे

जब भी कभी अयोध्या मामला (Ayodhya Title Dispute) किसी भी सूरत में उभरता था तब उत्तर प्रदेश में अशांति के खतरे का निशान सबसे ऊपर होता था. लेकिन इस बार जब सबसे बड़ी अदालत का फाइनल फैसला आर-पार की सूरत में सामने आने वाला है तब यूपी अपनी सबसे बेहतरीन भूमिका निभा रहा है. यहां हर धर्म, हर समुदाय, प्रत्येक जिले, गांव-शहर, गली-मोहल्ला, खेत-खलियान, नुक्कड़-चौराहों पर अदालत के फैसले के सम्मान का एहसास महक रहा है. लग रहा है न्यू इंडिया की नयी सोच ने संकीर्ण मानसिकता को भी स्वच्छता अभियान में साफ कर दिया है.

मोहल्ला कमेटियों से लेकर ग्राम पंचायतों में शांति और सौहार्द की अपीलों की गूंज सुनाई दे रही हैं. कुछ सांस्कृतिक संस्थाओं से लेकर सामाजिक संगठनों ने भाईचार कमेटियां बनाई हैं. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी नेता भी राम मंदिर-बाबरी मस्जिद (Ram Mandir Babri Masjid judgement) पर किसी भी फैसले पर सौहार्द कायम रखने की अपीलें कर रहे हैं. समाज का हर तब्क़ा फैसले का स्वागत करने को तैयार बैठा हैं. पुलिस प्रशासन जिम्मेदार स्थानीय नागरिकों के साथ बेहतर सामंजस्य बनाये है. मुस्लिम समाज के बड़े धार्मिक नेताओं/विद्वानों से लेकर मस्जिदों के इमाम भी भाईचारे की अपीले कर रहे हैं. किसी के चेहरे पर ना कोई शिकन है और ना तनाव.

लखनऊ में तमाम भाईचारा कमेटियों की बैठकों में हिन्दू-मुस्लिम गणमान्य वक्ताओं के वक्तवय सुनकर साफ लगा कि यहां पर सब शांति-शांति है. राजाबाजार की एक मंदिर के बुजुर्ग पुजारी और एक मस्जिद के इमाम के संदेश नये इंडिया की नई आवाज बलंद कर थे- सबसे बड़ी अदालत का कहना मानना है. हम सबकी सबसे बड़ी अदालत एक नहीं दो हैं. उच्चतम न्यायालय और ऊपर वाले की अदालत. दोनों का हर फैसला जनकल्याण के लिए ही होता है. देश की अदालत हो या ख़ुदा/भगवान, सब का यही कहना है कि मोहब्बत सबसे बड़ी इबादत है. और नफरत सबसे बड़ा शैतान यानी अधर्म है.

एकता-भाईचारा और इंसानियत हर धर्म का पहला कलमा है. सद्भावना वास्तविक राम भक्ति है और इत्तेहाद क़ायम करना ख़ुदा की इबादत है. कण-कण में राम हैं और चप्पे-चप्पे में खुदा है. मर्यादित इंसान ही मर्यादा पुरषोत्तम श्री रामचंद्र जी का असली भक्त हो सकता है. भगवान राम ने राजपाठ  त्यागकर वनवास के साथ त्याग की मिसाल पेश की थी. इस्लाम के मानने वाला मुस्लिम समाज भी बखूबी जानता है कि अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी.

इसी तरह यूपी के संवेदनशील कहे जाने वाले तमाम जिलों सहित लखनऊ के कई दानिशवरों/बुद्धिजीवियों के बयान और वक्तव्य सोशल मीडिया (Social Media Impact On Ayodhya Decision) पर वायरल हो रहे हैं. समाज को जागरूक करने और किसी बहकावे में ना आने की अपीलें में सतर्क रहने की नसीहतें भी शामिल हैं. जैसे-तरक्की, सद्भावना और आपकी खुशियों में ख़लल डालने वाली नफरत की किसी भी साजिश से सावधान रहिए.

देश में दहशत पैदा करने की साजिशों को शिकस्त देने के लिए हमें बेहद सतर्क रहना है. मौजूदा वक्त में देश की एकता, अखंडता और सद्भावना की पहरेदारी और भी तेज़ करनी होगी. साम्प्रदायिक सौहार्द की रक्षा-सुरक्षा में अपना योगदान देना होगा.सावधान, चौकन्ना और होशियार रहने की जरुरत है. ये वो वक्त है जब देश में एक बड़ा, बहुचर्चित और एतिहासिक फैसला आने वाला है. दुनियां की निगाहें हम पर रहेंगी. इतिहास गवाह है अनेकता में एकता, गंगा जमुनी तहजीब, शांति-सद्भावना,अमन-चैन और अहिंसा की भावना हमारी ताकत भी रही है और पहचान भी. चुनौतियों के बीच हमें अपने देश की इन तमाम ख़ूबियों की विरासत को क़ायम रखना है. नफरत का माहौल तरक्की की हर राह की रुकावट बनता है.

किसी भी दौर की मंदी या आर्थिक सुस्ती की एक वजह खराब माहौल भी होता है. निवेश का कम होना भी आर्थिक सुस्ती की वजह बनता है.और यदि समाज में नफरत भरा माहौल पैदा हो रहा हो तो निवेशक हाथ रोक लेते हैं. विकास का वादा पूरा करने के लिए,आर्थिक व्यवस्था को बेहतर बनाने, रोजगार सृजित करने और मंहगाई पर काबू पाने के लिए मौजूदा सरकारें प्रयासरत हैं. यही कारण हैं कि जातिवात और फिरकापरस्ती की नफरत की हर आंधी को रोकने के लिए सरकारें हर संभव कोशिश कर रही हैं. अमन-चैन, शांति-सौहार्द, भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब क़ायम होगी तो मोदी-योगी के विकास की धाराओं को कोई नहीं रोक सकता.

नफरत के सौदागर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की शांति और कानून व्यवस्था को चुनौती देने का दुस्साहस करने की चेष्ठा कर रहे हैं. देश-प्रदेश में दहशत का माहौल पैदा करना चाहते हैं. अयोध्या विवाद मामले पर एतिहासिक फैसले के दौरान माहौल खराब करना साजिशकर्ता की मंशा हो सकती है. ऐसी साजिशों से निपटने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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