• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Ayodhya Ram Mandir Verdict: 10 दिलचस्‍प सवालों के घेरे में आए भगवान राम और बाबर

    • आईचौक
    • Updated: 08 नवम्बर, 2019 10:29 PM
  • 15 अक्टूबर, 2019 03:18 PM
offline
Ayodhya Ram Mandir Verdict tomorrow: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई कई दिलचस्‍प दौर से गुजरी है. यहां तक कि भगवान राम और बाबर को भी सवालों के घेरे से गुजरना पड़ा है. आखिर राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Mandir Babri Masjid dispute) यूं ही तो नहीं सुलझेगा.

Ayodhya Ram Mandir Verdict tomorrow: जी हां, अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को आ जाएगा. इस मामले में हम उन सवालों को भी नकार नहीं सकते जो न सिर्फ रोचक थे बल्कि कई ऐसे मौके आए जब शीर्ष अदालत द्वारा पूछे गए उन सवालों ने अलग अलग पक्षों के वकीलों को बगले झांकने पर मजबूर कर दिया. आइये कुछ और बात करने से पहले उन सवालों पर नजर डाल लें जो बीते 38 दिनों में अदालत ने तीनों ही पक्षों के वकीलों से पूछे.

अयोध्या मामले में जैसे जैसे फैसले के दिन नजदीक आ रहे हैं कोर्ट परिसर में तीनों ही पक्षों के बीच सियासी घमासान जारी है

जब कोर्ट ने उठाया जीसस क्राइस्ट के जन्म का मुद्दा

बात 8 अगस्त 2019 की है. हिंदू पक्ष विवादित स्थल को भगवान राम का जन्मस्थल मानते हुए इसे आस्था से जोड़ रहा था इसपर सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या दुनिया में कहीं भी अयोध्या विवाद जैसी समानताएं हैं?अदालत ने ये भी पूछा कि क्या वो मामला कभी अदालत तक आया ? जस्टिस एसए बोबड़े जो  वरिष्ठता के आधार पर सीजेआई बनने के लिए कतार में हैं, ने हिंदू पक्ष के वकील के परासरन से पूछा कि क्या कहीं पर कोर्ट ने कभी ऐसा मामला देखा मसलन जीसस क्राइस्ट का जन्म? रामलला विराजमान के वकील परासरन ने कहा कि रामलला जो अदालत के अनुसार अभी बालिग नहीं है उनके पास इसका अभी कोई माकूल जवाब नहीं है मगर जब दलीलें बंद हो जाएंगी वो जवाब जरूर देंगे.

भगवान राम के वंशज को लेकर जब अदालत ने पूछा सवाल

मामले की सुनवाई के पांचवे दिन यानी 9 अगस्त को अदालत ने सवाल किया कि कई सौ सालों पहले भगवान राम का जन्म हुआ. ऐसे में क्या अब भी कोई रघुवंशी वहां वास करता है ?  शीर्ष अदालत ने इसके लिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस.ए. नजीर को शामिल किया. कोर्ट को भी पता था कि...

Ayodhya Ram Mandir Verdict tomorrow: जी हां, अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को आ जाएगा. इस मामले में हम उन सवालों को भी नकार नहीं सकते जो न सिर्फ रोचक थे बल्कि कई ऐसे मौके आए जब शीर्ष अदालत द्वारा पूछे गए उन सवालों ने अलग अलग पक्षों के वकीलों को बगले झांकने पर मजबूर कर दिया. आइये कुछ और बात करने से पहले उन सवालों पर नजर डाल लें जो बीते 38 दिनों में अदालत ने तीनों ही पक्षों के वकीलों से पूछे.

अयोध्या मामले में जैसे जैसे फैसले के दिन नजदीक आ रहे हैं कोर्ट परिसर में तीनों ही पक्षों के बीच सियासी घमासान जारी है

जब कोर्ट ने उठाया जीसस क्राइस्ट के जन्म का मुद्दा

बात 8 अगस्त 2019 की है. हिंदू पक्ष विवादित स्थल को भगवान राम का जन्मस्थल मानते हुए इसे आस्था से जोड़ रहा था इसपर सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या दुनिया में कहीं भी अयोध्या विवाद जैसी समानताएं हैं?अदालत ने ये भी पूछा कि क्या वो मामला कभी अदालत तक आया ? जस्टिस एसए बोबड़े जो  वरिष्ठता के आधार पर सीजेआई बनने के लिए कतार में हैं, ने हिंदू पक्ष के वकील के परासरन से पूछा कि क्या कहीं पर कोर्ट ने कभी ऐसा मामला देखा मसलन जीसस क्राइस्ट का जन्म? रामलला विराजमान के वकील परासरन ने कहा कि रामलला जो अदालत के अनुसार अभी बालिग नहीं है उनके पास इसका अभी कोई माकूल जवाब नहीं है मगर जब दलीलें बंद हो जाएंगी वो जवाब जरूर देंगे.

भगवान राम के वंशज को लेकर जब अदालत ने पूछा सवाल

मामले की सुनवाई के पांचवे दिन यानी 9 अगस्त को अदालत ने सवाल किया कि कई सौ सालों पहले भगवान राम का जन्म हुआ. ऐसे में क्या अब भी कोई रघुवंशी वहां वास करता है ?  शीर्ष अदालत ने इसके लिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस.ए. नजीर को शामिल किया. कोर्ट को भी पता था कि इससे तमाम सवालों के जवाब मिलेंगे और ' दिव्य रक्त' के लिए दावेदारों की भीड़ सामने आएगी.

दिलचस्प बात ये थी कि श्री राम का असली वंशज कौन है? इसके लिए 7 लोगों, जयपुर की पूर्व राजकुमारी और वर्तमान में भाजपा सांसद दीया कुमारी, पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य और होटल व्यवसायी अरविंद सिंह मेवाड़, करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह कालवी और राजस्थान के प्रताप सिंह खाचरिया ने अपनी दावेदारी पेश की और अपने को भगवान राम का असली वंशज होने के सबूत दिए. साथ ही 7 सितम्बर को मध्य प्रदेश के अलग अलग 15 जिलों से तकरीबन 2000 लोगों ने अयोध्या की यात्रा की और बताया कि भगवान राम के असली वंशज अभी जिंदा हैं.

भगवान राम के जन्म का सही स्पॉट क्या है ?

बाबरी मस्जिद को 1992 में गिराया गया था. ASI ने तब इस बात की पुष्टि नहीं की थी कि मस्जिद परिसर के अंदर कोई मंदिर था. मामले पर हिंदू पक्ष का कहना है कि न सिर्फ वहां मंदिर था बल्कि उसी स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ था. कोर्ट ने राम लल्ला के वकील से पूछा था कि वो बताएं कि श्री राम के जन्म की सही जगह कौन सी है?

राम लल्ला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने दावा पेश किया कि जिस जगह मस्जिद का केंद्रीय गुंबद था वहीं भगवान राम पैदा हुआ थे. आइल अलावा उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के तीन जजों के हवाले से ये भी कहा कि तीन जज भी इस बात को मान चुके हैं कि विवादित स्थल पर मंदिर था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट जके फैसले का हवाला देते हुए वैद्यनाथन ने कहा कि 3 जजों के 2:1 के फैसले से हाई कोर्ट इस बात को मान चुका है कि मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे राम जन्मभूमि थी. साथ ही उन्होंने जस्टिस शर्मा की उस बात का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने पूरी प्रॉपर्टी को राम जन्मभूमि माना था. मामले को लेकर वैद्यनाथन ने ये भी तर्क पेश किया कि किसी भी स्थान के पवित्र होने के लिए मूर्ति का होना जरूरी नहीं है. उन्होंने तर्क दिया था कि यदि श्रद्धा की भावना है तो इसे धार्मिक प्रभावकारिता माना जाएगा.

अयोध्या की भूमि दैवीय क्यों है?

सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष से पूछा कि आखिर उन्हें ये क्यों लगता है कि अयोध्या की भूमि दैवीय भूमि ही? इस सवाल के मद्देनजर जस्टिस बोबेड़े ने मुस्लिम पक्षकारों से तमाम तरह क अलग अलग सवाल किये. कोर्ट के सवाल पर हिंदू पक्ष के वकील परासरन ने भी तमाम सवाल किये और कहा कि, कानूनी कल्पना वक़्त की जरूरत के अनुसार निर्मित की गई है. परासरन ने ये भी कहा कि स मामले में देवता के अधिकारों और दायित्वों को सुरक्षित रखना है.

क्या भगवान राम की आत्मा जन्मभूमि में और मूर्ति में आहूत है?

1 अक्टूबर 2019 को मामले को लेकर सबसे दिलचस्प सवाल हुआ. कोर्ट ने पूछा कि क्या भगवान राम की आत्मा जन्मभूमि में और मूर्ति में आहूत है? शीर्ष अदालत के इस सवाल का जवाब देते हुए हिंदू पक्ष के वकील परासरन ने कहा कि. 'भगवान की छवि खुदी हुई है या मूर्ति चल सकने योग्य है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. न्यायवादी व्यक्ति आत्मा की अभिव्यक्ति से आता है.

जब कोर्ट ने बाबरनामा को लेकर उठाए सवाल

14 अगस्त हो हुई सुनवाई के दौरान इस सवाल का क्रक्स इस विश्वास से मिला कि मुगल बादशाह बाबर ने 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाई थी. हिंदू पक्ष का तर्क है कि बाबर ने मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर तोड़ा था. मगर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने तब इस मामले को लेकर कुछ और ही तर्क पेश किये थे.

धवन ने बताया था कि बाबरनामा में इस बात का जिक्र है कि मुग़ल बादशाह बाबर ने अयोध्या आने के लिए नदी पार की थी पर किताब से वो पन्ने अब मिसिंग हैं. तक अदालत ने एक सवाल और पूछा था इसे पहली बार बाबरी मस्जिद कब कहा गया ? कोर्ट ने पूछा कि क्या बाबरनामा में इस बात का जिक्र है? सवाल के बाद सुननी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि बाबरनामा में इसका कोई जिक्र नहीं है और कोर्ट को ये अधिकार है कि वो सवाल पूछे.

क्या बाबर कभी अयोध्या आया था

28 अगस्त 2019 को हुई सुनवाई के दौरान बड़ी ही प्रमुखता के साथ इस मुद्दे को उठाया गया कि क्या कभी बाबर अयोध्या आया था? सुनवाई के दौरान राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन  मिश्रा ने तर्क दिया कि बाबर कभी शायद अयोध्या आया भी नहीं था.उनका तर्क इस तथ्य पर टिका था कि एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन मस्जिद बाबर द्वारा नहीं बनाई गई थी और सिर्फ एक नियमित मस्जिद थी.

मिश्रा ने आइन-ए-अकबरी का भी हवाला दिया और कहा कि अकबर के नव रत्नों में शुमार अबुल फ़जल , हुमायूं नामा और तुजुक ए जहांगीरी का भी जिक्र किया और कहा कि इनमें से किसी किताब में इस बात का जिक्र नहीं है कि बाबर ने मस्जिद बनवाई थी.

क्या बाबर ने बाबरी मस्जिद को अल्लाह को समर्पित किया था

ये सवाल तब उठा था जब मिश्रा इलाहबाद हाई कोर्ट में अपने पक्ष की बात रख रहे थे. 30 अगस्त को चली सुनवाई में ये मुद्दा फिर उठा और कहा गया कि इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं है कि मस्जिद शरिया नियमों के अनुसार बनी. मिश्रा ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष इस बात को साबित करने में नाकाम रहा कि बाबर ने 1528 में मस्जिद का निर्माण कराया. उन्होंने इस बात को भी बल दिया कि ऐसा कोई फोरम नहीं है जहां इस समस्या का समाधान निकल सके. तब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को माना था कि ये कहना कि मस्जिद बाबर ने अल्लाह को समर्पित की थी परेशानी को और पेचीदा करेगा.

क्या मक्का में काबा निर्मित था या उसे बनाया गया

3 सितम्बर को हुई सुनवाई के दौरान काबा का जिक्र भी हुआ. रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर जस्टिस बोबेड़े ने राजीव धवन से पूछा कि क्या मक्का में काबा निर्मित था या उसे बनाया गया ? धवन जो कि मुस्लिम पक्ष के पक्षकार हैं ने कहा कि ये पैगंबर मोहम्मद की ही तरह पवित्र है और कहा कि सिर्फ एक भगवान है और एक ही भगवान है.

क्या बाबर किसी कानून के अधीन था?

30 सितम्बर को हुई सुनवाई में इस बात को बड़ी ही प्रमुखता से बल दिया गया कि बाबर ने इस्मालिक शरिया कानून का सहारा लेते हुए मंदिर तोड़ा. इसपर मुस्लिम पक्षकारों के वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि शरोया तभी लागू होता है जब मुस्लिम शासक हो.

पाशा ने ये भी कहा कि मस्जिद बनाने तक बाबर ने किसी भी उच्च अधिकारी को जवाब नहीं दिया. जिस वक़्त पाशा अपनी दलील दे रहे थे जस्टिस बोबेड़े ने उनसे कहा कि हम यहां ये देखने के लिए नहीं बैठे हैं कि बाबर अपराधी था या नहीं. हम यहां ये देख रहे हैं कि बाबर ने सही नियमों का पालन किया या नहीं. साथ ही वो किसी कानून के अधीन था या नहीं.

बहरहाल, बात मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष की रहनुमाई कर रहे राजीव धवन से शुरू हुई थी. कह सकते हैं कि जो बातें सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहीं हैं वो ठोस नहीं हैं और उनसे मुस्लिम पक्षकारों का पक्ष हल्का जान पड़ रहा है. आगे कोई मुस्बित न हो या फिर लोग उनके ऊपर चढ़ाई न कर दें इसके लिए राजीव धवन विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं और अपनी बातों से अदालत के अलावा अन्य पक्षकारों को प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

मामले को लेकर क्या फैसला आता है इसका खुलासा जल्द हो जाएगा. लेकिन जिस अंदाज में मुस्लिम पक्ष के पक्षकार राजीव धवन ने अपनी बात रखी है, उसने ये बता दिया है कि उनको इस बात का अंदेशा पहले ही लग चुका है कि परिणाम उनके हक़ में नहीं आने वाला.  

ये भी पढ़ें -

उद्धव ठाकरे की अयोध्या यात्रा से BJP तो दबाव में आने से रही

कितनी सरकारें बदल गयीं मगर पिटनी बहू रही वैसी की वैसी...

मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख अलग-अलग बताएंगे


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲