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Ram Mandir verdict: राम मंदिर का फैसला कब आएगा, जानिए...

    • संजय शर्मा
    • Updated: 08 नवम्बर, 2019 09:15 PM
  • 06 नवम्बर, 2019 06:03 PM
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Ram Mandir verdict date? सबकी नजर इसी तारीख पर लगी है. देश के इतिहास का सबसे तनावपूर्ण मुकदमा. अगले दस दिन में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) तय कर देगा कि अयोध्‍या में राम मंदिर (Ram Mandir) बनेगा, या बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) दोबारा खड़ी हो जाएगी.

बड़ी जिज्ञासा यही है कि राम मंदिर पर फैसला कब आएगा? Ram Mandir verdict date and time? है खबर गर्म कि अयोध्या विवाद (Ayodhya dispute) पर फैसला 8 नवंबर को ही आ जाएगा. साढ़े तीन बजे. जुमे की नमाज के बाद. इस खबर की गर्मी को ठंढाने में वक्त लगे इससे पहले ही एक और गर्म खबर का झोंका आता है. गुरुपरब यानी 12 नवंबर के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पांच जजों की विशेष पीठ अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाएगी. यानी 13 से 16 नवंबर के बीच किसी भी दिन. ज्यादा संभावना 13 नवंबर या फिर 14 नवंबर को बाल दिवस पर फैसला आने की जताई जा रही है.

कोर्ट के कैलेंडर पर गौर करें तो कार्यदिवसों में सात और आठ नवंबर हैं. नौ, दस, ग्यारह और बारह नवंबर को छुट्टियां हैं. फिर कार्तिक पूर्णिमा के बाद कोर्ट 13, 14 और 15 नवंबर को ही खुलेगा. 16 नवंबर को शनिवार और 17 November को रविवार है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) उसी दिन रिटायर हो जाएंगे. 18 नवंबर को जस्टिस शरद अरविंद बोबडे नये चीफ जस्टिस की शपथ ले लेंगे. तो साहब अब 7, 8, 13, 14, 15 नवंबर के कार्यदिवस ही हैं. कोर्ट चाहे तो 16 नवंबर को शनिवार के दिन भी फैसला सुना सकता है. उस दिन फायदा ये होगा कि सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी (Supreme Court vacation) होगी. ना वकीलों का जमावड़ा होगा ना ही मुवक्किलों का. सुरक्षा व्यवस्था भी आराम से हो जाएगी. देश भर में साप्ताहिक अवकाश होगा. यानी सड़कों पर ट्रैफिक भी कम और लोग घरों पर ही बैठे होंगे. कोई अफरातफरी नहीं.

17 नवंबर को सेवानिवृत्ति से पहले CJI रंजन गोगोई राम मंदिर पर फैसला सुना देंगे.

अब हमने इस बारे में दिमाग पर जोर डाला और इस मामले से जुड़े कई अहम सूत्रों से संपर्क किया तो पता चला कि आठ नवंबर को फैसला आने की संभावना अति क्षीण है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट...

बड़ी जिज्ञासा यही है कि राम मंदिर पर फैसला कब आएगा? Ram Mandir verdict date and time? है खबर गर्म कि अयोध्या विवाद (Ayodhya dispute) पर फैसला 8 नवंबर को ही आ जाएगा. साढ़े तीन बजे. जुमे की नमाज के बाद. इस खबर की गर्मी को ठंढाने में वक्त लगे इससे पहले ही एक और गर्म खबर का झोंका आता है. गुरुपरब यानी 12 नवंबर के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पांच जजों की विशेष पीठ अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाएगी. यानी 13 से 16 नवंबर के बीच किसी भी दिन. ज्यादा संभावना 13 नवंबर या फिर 14 नवंबर को बाल दिवस पर फैसला आने की जताई जा रही है.

कोर्ट के कैलेंडर पर गौर करें तो कार्यदिवसों में सात और आठ नवंबर हैं. नौ, दस, ग्यारह और बारह नवंबर को छुट्टियां हैं. फिर कार्तिक पूर्णिमा के बाद कोर्ट 13, 14 और 15 नवंबर को ही खुलेगा. 16 नवंबर को शनिवार और 17 November को रविवार है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) उसी दिन रिटायर हो जाएंगे. 18 नवंबर को जस्टिस शरद अरविंद बोबडे नये चीफ जस्टिस की शपथ ले लेंगे. तो साहब अब 7, 8, 13, 14, 15 नवंबर के कार्यदिवस ही हैं. कोर्ट चाहे तो 16 नवंबर को शनिवार के दिन भी फैसला सुना सकता है. उस दिन फायदा ये होगा कि सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी (Supreme Court vacation) होगी. ना वकीलों का जमावड़ा होगा ना ही मुवक्किलों का. सुरक्षा व्यवस्था भी आराम से हो जाएगी. देश भर में साप्ताहिक अवकाश होगा. यानी सड़कों पर ट्रैफिक भी कम और लोग घरों पर ही बैठे होंगे. कोई अफरातफरी नहीं.

17 नवंबर को सेवानिवृत्ति से पहले CJI रंजन गोगोई राम मंदिर पर फैसला सुना देंगे.

अब हमने इस बारे में दिमाग पर जोर डाला और इस मामले से जुड़े कई अहम सूत्रों से संपर्क किया तो पता चला कि आठ नवंबर को फैसला आने की संभावना अति क्षीण है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षा विभाग यानी दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक अब तक सुरक्षा घेरा बढ़ाने और सख्त करने का कोई आधिकारिक आदेश या संदेश नहीं आया है. सूत्र बताते हैं कि फैसले वाले संभावित दिन से कम से कम 72 घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट के चारों ओर के करीब दो किलोमीटर के घेरे में सुरक्षा इंतजाम चप्पे चप्पे पर हो जाएंगे.

अब बात करते हैं अयोध्या के हालात की. तो अयोध्या में अभी चौदहकोसी परिक्रमा चल रही है. मंगलवार से शुरू हुई इस 42 किलोमीटर की इस परिक्रमा में शुक्रवार तक करीब 20 से तीस लाख श्रद्धालुओं की आवाजाही लगी रहेगी. इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा को भी पांच कोसी परिक्रमा यानी 15 किलोमीटर की परिक्रमा में भी लाखों श्रद्धालुओं का रेला लगा रहेगा.

अयोध्या में आचार्य किशोर कुणाल से हमने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि फिलहाल तो यहां किसी भी राह में तिल धरने की भी जगह नहीं है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से यहां सदियों से परिक्रमा शुरू होती है. कार्तिक पूर्णिमा को भी पंचकोसी परिक्रमा करने का महात्म्य है. आचार्य कुणाल ने कहा कि राम जन्मभूमि की अधिगृहीत भूमि के ठीक बाहर उनके संस्थान ने एक मंदिर बनवाया है उसमें भगवान की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है. देवोत्थान एकादशी यानी आठ नवंबर को समारोह है. तो अयोध्या में मंदिर अभी भी बन रहे हैं. अयोध्या में जबरदस्त रेलमपेल है.

ऐसे में इस दौरान अगर फैसला आया तो अयोध्या और इसके चारों ओर पांच कोस यानी 15 किलोमीटर के इलाके में कानून व्यवस्था दुरुस्त रखना चुनौती तो होगा ही वो भी तब जब देश विदेश के लाखों श्रद्धालु भक्तिभाव से परिक्रमा में लगे हों.

अब रही बात फैसला भोजनावकाश से पहले आएगा या बाद में. यानी फैसले का समय (verdict time). तो इस पर भी विचार करें. सूत्र ये कह रहे हैं कि शुक्रवार को अगर फैसला आता है तो जुम्मे की नमाज के बाद आएगा. क्योंकि साप्ताहिक नमाज हो जाए तो इसके बाद फैसला आए. अगले दिन शनिवार और रविवार है. लिहाजा ज्यादातर दफ्तर स्कूल और संस्थान भी बंद ही रहेंगे. तो फैसले के बाद कानून व्यवस्था मेंटेन रखना आसान होगा.

रही बाद 2010 में आये इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ के फैसले की जो शाम साढ़े तीन बजे आया था तो इसके बारे में जानकार ये बता रहे हैं कि वो परिस्थिति थोड़ी अलग थी. उस समय जस्टिस शर्मा का फैसला तो साफ और कतई अलग था. लेकिन जस्टिस खान और जस्टिस अग्रवाल के मत अलग अलग था.  लिहाजा उनकी मीटिंग के दौर चल रहे थे लिहाजा फैसला आने में देरी हुई.

अब फैसले पर पतंगबाजी करने वालों में कुछ का ये तर्क और दलील भी है कि अगर तो पांचों जजों के मत में ज्यादा तकनीकी पेंच नहीं फंस रहे होंगे तो फैसला 12 तारीख (verdict date) के बाद आएगा लेकिन अगर मतभेद गहरे हुए तो फैसला आठ नवंबर को भी आ सकता है. क्योंकि फैसले के बाद दो तीन दिन तो मिलें ताकि पुनर्विचार याचिका पर भी यही बेंच एक बार विचार कर ले. इस पर कुछ जानकार ये भी कह रहे हैं कि इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता क्योंकि पीठ में पांच में से चार जज तो वही रहेंगे. ये भी अच्छा है कि पीठ के ही एक सदस्य चीफ जस्टिस बन रहे हैं लिहाजा वो पीठ में किसी और जज को मनोनीत कर देंगे. और पुनर्विचार याचिका पर एक नए जज के साथ पीठ सुनवाई कर सकेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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