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सियासत

अब ओवैसी के चहेते भी काटेंगे धर्मनिरपेक्षता की पतंगें

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 16 नवम्बर, 2020 04:16 PM
  • 16 नवम्बर, 2020 03:59 PM
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बिहार के चुनाव परिणामों के बाद यदि किसी को भारतीय राजनीति में बड़े अवसर मिले हैं तो वो एआईएमआईएम (AIMIM) मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) हैं. साफ़ है कि बिहार चुनावों के बाद पूरे देश के मुसलमानों की निगाह ओवैसी पर है.

आसमान पर पंतगों का जमघट था. सलीम को पतंग उड़ाते देख मैंने कहा दीपावली का ये ख़ूबसूरत रंग धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में गंगा जमुनी तहज़ीब का खूबसूरत चेहरा है. सलीम ने आसमान पर धीमी हवा मे तैरती अपनी चांद-तारा पतंग को तेजी से गद्दा मारते हुए जवाब दिया - नहीं भाईजान! अब हम जैसों ने भी धर्मनिरपेक्षता और क़ौमी यकजहती (साम्प्रदायिक सौहार्द) का दामन छोड़ दिया है. पहले भाजपाई विचारधारा के लोग धर्मनिरपेक्षता का मजाक उड़ाते थे और अब हमें महसूस होने लगा है कि धर्मनिरपेक्षता ने हमारी मुस्लिम क़ौम को ही मज़ाक बना दिया है. हम दिवाली के जमघट वाली पतंग नहीं उड़ा रहे हैं. अपने सियासी रहनुमा असदुद्दीन ओवेसी (Asaduddin Owaisi) के एआईएमआईएम (AIMIM) के चुनाव चिन्ह 'पतंग' के प्रचार के लिए पतंगबाजी कर रहे हैं. 

बहुत हो गया अब हम सपा, बसपा, तृणमूल, आप और कांग्रेस जैसे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की सियासत की चरखी करने की गुलामी नहीं करेंगे. खुद के वजूद के लिए एआईएमआईएम की पतंग को सियासत के आसमान पर लहलहायेंगे, क्या करें, धर्मनिरपेक्षता की हिफाजत का ठेका हमने ही थोड़ी लिया है, सपा-बसपा (SP-BSP) और कांग्रेस (Congress) की धर्मनिरपेक्षता की पतंगे हमसे कट जायें तो कट जाने दीजिए. हम भी पेंच लड़ायेंगे.

बिहार चुनावों के बाद ओवैसी ने भारतीय मुसलमानों का हौसला बढ़ाया है

कब तक चरखी करने की ग़ुलामी करते रहें!

सलीम जैसे भारत के करोड़ों मुसलमान बदले-बदले तेवरों में नजर आ रहे हैं. धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने और भाजपा से डरा कर मुसलमानों के वोटों के बूते पर सियासत करने वाले दलों से नाराज मुसलमानों का बड़ा समूह असदुद्दीन ओवेसी की बिहार में पांच सीटों पर विजय से काफी उत्साहित है. जो दल एआईएमआईएम को भाजपा का एजेंट बता रहे हैं ऐसे आरोप लगाने वालों से भी...

आसमान पर पंतगों का जमघट था. सलीम को पतंग उड़ाते देख मैंने कहा दीपावली का ये ख़ूबसूरत रंग धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में गंगा जमुनी तहज़ीब का खूबसूरत चेहरा है. सलीम ने आसमान पर धीमी हवा मे तैरती अपनी चांद-तारा पतंग को तेजी से गद्दा मारते हुए जवाब दिया - नहीं भाईजान! अब हम जैसों ने भी धर्मनिरपेक्षता और क़ौमी यकजहती (साम्प्रदायिक सौहार्द) का दामन छोड़ दिया है. पहले भाजपाई विचारधारा के लोग धर्मनिरपेक्षता का मजाक उड़ाते थे और अब हमें महसूस होने लगा है कि धर्मनिरपेक्षता ने हमारी मुस्लिम क़ौम को ही मज़ाक बना दिया है. हम दिवाली के जमघट वाली पतंग नहीं उड़ा रहे हैं. अपने सियासी रहनुमा असदुद्दीन ओवेसी (Asaduddin Owaisi) के एआईएमआईएम (AIMIM) के चुनाव चिन्ह 'पतंग' के प्रचार के लिए पतंगबाजी कर रहे हैं. 

बहुत हो गया अब हम सपा, बसपा, तृणमूल, आप और कांग्रेस जैसे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की सियासत की चरखी करने की गुलामी नहीं करेंगे. खुद के वजूद के लिए एआईएमआईएम की पतंग को सियासत के आसमान पर लहलहायेंगे, क्या करें, धर्मनिरपेक्षता की हिफाजत का ठेका हमने ही थोड़ी लिया है, सपा-बसपा (SP-BSP) और कांग्रेस (Congress) की धर्मनिरपेक्षता की पतंगे हमसे कट जायें तो कट जाने दीजिए. हम भी पेंच लड़ायेंगे.

बिहार चुनावों के बाद ओवैसी ने भारतीय मुसलमानों का हौसला बढ़ाया है

कब तक चरखी करने की ग़ुलामी करते रहें!

सलीम जैसे भारत के करोड़ों मुसलमान बदले-बदले तेवरों में नजर आ रहे हैं. धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने और भाजपा से डरा कर मुसलमानों के वोटों के बूते पर सियासत करने वाले दलों से नाराज मुसलमानों का बड़ा समूह असदुद्दीन ओवेसी की बिहार में पांच सीटों पर विजय से काफी उत्साहित है. जो दल एआईएमआईएम को भाजपा का एजेंट बता रहे हैं ऐसे आरोप लगाने वालों से भी मुसलमानों की बड़ी आबादी क्रोधित है. इस तरह धर्मनिरपेक्ष दलों से अकलियत की तकरार शुरू हो गई.हांलाकि मुस्लिम समाज का एक बड़ा धड़ा भी ओवेसी पर भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगा रहा है.

बड़ी संख्या में अक़लियत मुआशरे (अल्पसंख्यक समाज) के लोग कह रहे हैं कि आजादी के बाद करीब साठ साल कांग्रेस की हुकुमतें रहीं. मुसलमानों के हालात क्या हैं, ये सच्चाई कांग्रेस की सरकार मे ही सच्चर कमेटी की रिपोर्ट ने ज़ाहिर कर दी थी.

पश्चिम बंगाल में हमेशां गैर भाजपाई सरकारें रहीं. धर्मनिरपेक्ष दलों को वहां के मुस्लिम बाहुल आबादी ने जिताया. लेकिन आज पश्चिम बंगाल के मुसलमानों के क्या हालात है. इसे तरह असम और बिहार जैसे अन्य तमाम राज्यों में गैर भाजपाई हुकुमतें लम्बे अरसे तक रही लेकिन यहां मुस्लिम समाज की स्थितियों में कितना सुधार हुआ ये दुनिया जानती है. अब बिहार पर ग़ौर कीजिए. यहां पिछले दो दशक से ज्यादा समय से भाजपा की सरकारें रहीं. इस सूबे के मुस्लिम समाज की आर्थिक सम्पन्नता सबसे बेहतर है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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