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Kejriwal-Modi ने संयोग से 16 फरवरी राजनीतिक प्रयोग की नयी तारीख बना दी

    • आईचौक
    • Updated: 16 फरवरी, 2020 06:45 PM
  • 16 फरवरी, 2020 06:42 PM
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अरविंद केजरीवाल के शपथग्रहण (Arvind Kejriwal Oath Ceremony) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे (PM Narendra Modi Varanasi visit) के दरम्यान ही शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की अमित शाह से मुलाकात की कोशिश और ऐन पहले जामिया में पुलिस एक्शन (Jamia Police Action Video) का वीडियो आना - ये सब महज संयोग है या नये तरीके का कोई सियासी प्रयोग!

दिल्ली चुनाव 2020 में भारी जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ (Arvind Kejriwal Oath Ceremony) लेने की तारीख 16 फरवरी तय की थी - और अपने मंत्रियों के साथ शपथ ले भी लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे (PM Narendra Modi Varanasi visit) का कार्यक्रम भी 16 फरवरी को ही बनाया था और वो अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों के बीच पहुंच चुके हैं. केजरीवाल के शपथग्रहण और मोदी के वाराणसी दौरे के वक्त ही शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात चाहते हैं, हालांकि, उन्हें दिल्ली पुलिस की मंजूरी नहीं मिल पायी है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में संजय निरुपम का दिल्ली पर लेख तो आया ही है और इन सबके ऐन पहले जामिया में पुलिस एक्शन का एक वीडियो (Jamia Police Action Video) भी वायरल हो रहा है - ये सब महज संयोग है या नये तरीके का कोई सियासी प्रयोग! समझना जरूरी है.

कोई संयोग या नया प्रयोग!

16 फरवरी की तारीख उसी दिन से चर्चा में जिस दिन से अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपने शपथग्रहण की घोषणा की है. दिल्ली के रामलीला मैदान में अपने शपथग्रहण के मौके पर जब AAP नेता केजरीवाल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी न्योता भेजे जाने की खबर आयी तो ये भी मालूम हुआ कि उनका भी वाराणसी का कार्यक्रम बना हुआ है - अब ये महज एक संयोग है या कोई सियासी प्रयोग - ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आयी है.

लोगों से कनेक्ट होने और अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के मामले में प्रधानमंत्री...

दिल्ली चुनाव 2020 में भारी जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ (Arvind Kejriwal Oath Ceremony) लेने की तारीख 16 फरवरी तय की थी - और अपने मंत्रियों के साथ शपथ ले भी लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे (PM Narendra Modi Varanasi visit) का कार्यक्रम भी 16 फरवरी को ही बनाया था और वो अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों के बीच पहुंच चुके हैं. केजरीवाल के शपथग्रहण और मोदी के वाराणसी दौरे के वक्त ही शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात चाहते हैं, हालांकि, उन्हें दिल्ली पुलिस की मंजूरी नहीं मिल पायी है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में संजय निरुपम का दिल्ली पर लेख तो आया ही है और इन सबके ऐन पहले जामिया में पुलिस एक्शन का एक वीडियो (Jamia Police Action Video) भी वायरल हो रहा है - ये सब महज संयोग है या नये तरीके का कोई सियासी प्रयोग! समझना जरूरी है.

कोई संयोग या नया प्रयोग!

16 फरवरी की तारीख उसी दिन से चर्चा में जिस दिन से अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपने शपथग्रहण की घोषणा की है. दिल्ली के रामलीला मैदान में अपने शपथग्रहण के मौके पर जब AAP नेता केजरीवाल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी न्योता भेजे जाने की खबर आयी तो ये भी मालूम हुआ कि उनका भी वाराणसी का कार्यक्रम बना हुआ है - अब ये महज एक संयोग है या कोई सियासी प्रयोग - ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आयी है.

लोगों से कनेक्ट होने और अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई सानी नहीं - लेकिन अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम शुरू से ही सारी रणनीति इसी हिसाब से तैयार करती आयी है कि हर उनकी हर बात उनके ऑडिएंस तक जरूर पहुंचे.

दिल्ली में केजरीवाल, वाराणसी में मोदी

ऐसे ही जामिया हिंसा के दौरान पुलिस एक्शन को लेकर एक वीडियो भी आया है - और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी भी गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की कोशिश कर रहे हैं - क्या इन सब के पीछे एक ही वजह है - 16 फरवरी!

शपथग्रहण में केजरीवाल के प्रयोग!

यू-टर्न, खासकर राजनीति में अक्सर बचाव का उपाय समझा जाता है - लेकिन ये भूल सुधार का तरीका भी हो सकता है. कभी कभी मान लेना चाहिये. अपने यू-टर्न के लिए जाने जाने वाले अरविंद केजरीवाल का सरकारी शिक्षकों को लेकर आदेश बदल लेना भूल सुधार माना जा सकता है. दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षकों को शपथग्रहण के मौके पर बुलाया गया था लेकिन साथ साथ में उन अफसरों के नाम भी तय कर दिये गये थे जिन्हें शिक्षकों की रामलीला मैदान के गेट पर हाजिरी लगानी थी.

जब बीजेपी और कांग्रेस नेताओं ने अरविंद केजरीवाल पर हमला बोल दिया तो हर तरफ आलोचना होने लगी - और फिर सर्कुलर पर सफाई आयी कि बुलावे का स्वरूप न्योते जैसा ही होगा, हाजिरी लगाने की शर्त नहीं रखी जा रही है. बताया गया कि शिक्षकों को सम्मान देने के लिए शपथग्रहण के मौके पर बुलाया गया.

शिक्षकों के अलावा दिल्ली के ऐसे 50 लोगों को बुलाया गया जिनका दिल्ली को नया कलेवर देने में किसी न किसी रूप में योगदान रहा है. जब भी केजरीवाल शपथ लेते हैं, भाषण के अंत में एक गाना जरूर गाते हैं - और उस गाने में भी एक राजनीतिक संदेश छिपा होता है या फिर राजनीतिक विरोधियों के लिए वो जवाब जैसा ही होता है. 2013 में अरविंद केजरीवाल ने शपथग्रहण के मौके पर गीत गाकर एक नया प्रयोग किया था. उनसे पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया था.

अरविंद केजरीवाल ने गीतकार प्रदीप का लिखा गीत जिसे पैगाम फिल्म में आवाज दी है मन्ना डे ने, गाया था - 'इंसान से इंसान का हो भाईचारा, यही है पैगाम हमारा...'

ट्विटर पर अपने बॉयो में भी अरविंद केजरीवाल लिखते हैं - 'सब इंसान बराबर हैं, चाहे वो किसी धर्म या जाति के हों। हमें ऐसा भारत बनाना है जहाँ सभी धर्म और जाति के लोगों में भाईचारा और मोहब्बत हो, न कि नफ़रत और बैर हो.'

हालांकि, दिल्ली चुनाव में जब शाहीन बाग को लेकर संयोग और प्रयोग की बहस शुरू हुई तो मौका मिलते ही अरविंद केजरीवाल ने हनुमान चालीसा पढ़ दिया. वोटिंग से पहले हनुमान मंदिर पहुंचे और बताया भी किया क्या बातचीत हुई. जब चुनाव नतीजे आये तो मंगलवार के दिन की बात बोल कर ताली भी बजवायी और हनुमान जी का शुक्रिया भी कर दिया.

2015 में भी अरविंद केजरीवाल ने प्रदीप का ही गीत दोहराया था, लेकिन 2020 में कोरस के लिए नया गीत चुना - 'हम होंगे कामयाब... नहीं डर किसी का आज...'

गाने के हर शब्द का अरविंद केजरीवाल की राजनीति के लिए खास मतलब है - लोगों के साथ ये गीत गाकर अरविंद केजरीवाल ने ये भी समझाने में कामयाब रहे कि वो भी बाकी लोगों जैसे ही बाथरूम सिंगर हैं - दरअसल, ये भी राजनीतिक विरोधियों के लिए अरविंद केजरीवाल का जवाब ही है जो अब उनके बदल जाने या खास आदमी हो जाने जैसे उन पर तोहमत लगाते रहते हैं.

जामिया वीडियो के वायरल होने का मौका!

16 फरवरी के मौके को देखते हुए शिवसेना के मुखपत्र सामना में संजय राउत ने भी कटाक्ष किया है - 'बाप रे! पूरी दिल्ली देशद्रोही!' संजय राउत ने लिखा है, 'मतदाता बेईमान नहीं हैं. धर्म का बवंडर पैदा किया जाता है, उसमें वे बहते नहीं हैं. राम श्रद्धा की जीत हैं ही लेकिन कुछ विजय हनुमान भी दिलाते हैं.' साथ में संजय राउत ने उजबेकिस्तान से जुड़ा एक संस्मरण भी शेयर किया है कि कैसे दिल्ली चुनाव के नतीजे वाले दिन एयरपोर्ट पर भारतीयों की प्रतिक्रिया सुनने को मिली, 'भाजपा का गुब्बारा फूटने की शुरुआत अब हो गई है. प्रभु श्रीराम भी उनकी मदद करने को तैयार नहीं हैं.’ संजय राउत का कहना है कि ये सब सुन कर अब कोई आश्चर्य नहीं होता.

इस बीच जामिया को-ऑर्डिनेशन कमिटी की ओर से वीडियो को लेकर अलग बवाल मचा है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्विटर पर वीडियो शेयर किया है. प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना है कि सरकार अब भी ऐक्शन नहीं लेगी तो इसका मतलब है कि उसकी नीयत साफ नहीं है. दिल्ली पुलिस ने वीडियो को लेकर जांच किये जाने की बात जरूर कही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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