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Delhi Election 2020 में Congress के कुछ संयोग और अनूठे प्रयोग

    • आईचौक
    • Updated: 08 फरवरी, 2020 01:09 PM
  • 08 फरवरी, 2020 01:09 PM
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दिल्ली चुनाव (Delhi Election 2020) में कांग्रेस ने (Congress) राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की साझा रैली (Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi Vadra Rally) जैसे प्रयोग किये तो बाकी चुनावों की तरह कुछ संयोग भी दिखे भी देखने को मिले - प्रियंका गांधी ने तो मौके का पूरा फायदा उठाया.

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) में कांग्रेस (Congress) के लिए ज्यादातर संयोग ही रहे, प्रयोग के लिए पार्टी के पास गुंजाइश कम ही बची थी. फिर भी कुछ प्रयोग जरूर दर्ज किये जा सकते हैं. एक बात जरूर देखने को मिली वो ये कि कांग्रेस ने शीला दीक्षित को बहुत ज्यादा मिस किया. दरअसल, दिल्ली को लेकर कांग्रेस की बातें शीला दीक्षित के 15 साल के शासन से ही शुरू होती रहीं - और उसी पर खत्म हो जाती रहीं. वैसे भी ये शीला दीक्षित ही रहीं जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने आम चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को प्रदर्शन में पछाड़ दिया था.

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की तरफ से एक प्रयोग ये भी देखने को मिला कि पार्टी ने बड़े नेताओं के मुकाबले स्थानीय नेताओं पर ज्यादा भरोसा किया. लगता है कांग्रेस नेतृत्व महसूस करने लगा है कि गांधी परिवार के कैंपेन से बहुत कुछ होने वाला नहीं है. आम चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन और खासकर अमेठी में राहुल गांधी की हार के बाद ये धारणा प्रबल लगने लगी है.

अमेठी, वायनाड और रायबरेली से बाहर दिल्ली में भी ये प्रयोग देखने को मिला

कांग्रेस का एक खास प्रयोग राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की साझा रैलियां रहीं. ऐसे नजारे अब तक अमेठी, वायनाड और रायबरेली के बाहर कहीं देखने को नहीं मिला था. अगर ऐसा हुआ होता तो आम चुनाव के दौरान एक एयरपोर्ट पर भाई-बहन की मुलाकात के वीडियो की तरह दूसरे भी वायरल हुए होते - जो भी हो राहुल गांधी और प्रियंका की चुनावी मुहिम देख कर कभी कभी तो ऐसा लगा जैसे भाई-बहन दिल्ली में तफरीह पर निकले हों.

संगम विहार में राहुल गांधी के साथ साझा रैली में प्रियंका गांधी ने संयोग और प्रयोग वाले बयान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट किया, ‘जब प्रधानमंत्री आपके सामने...

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) में कांग्रेस (Congress) के लिए ज्यादातर संयोग ही रहे, प्रयोग के लिए पार्टी के पास गुंजाइश कम ही बची थी. फिर भी कुछ प्रयोग जरूर दर्ज किये जा सकते हैं. एक बात जरूर देखने को मिली वो ये कि कांग्रेस ने शीला दीक्षित को बहुत ज्यादा मिस किया. दरअसल, दिल्ली को लेकर कांग्रेस की बातें शीला दीक्षित के 15 साल के शासन से ही शुरू होती रहीं - और उसी पर खत्म हो जाती रहीं. वैसे भी ये शीला दीक्षित ही रहीं जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने आम चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को प्रदर्शन में पछाड़ दिया था.

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की तरफ से एक प्रयोग ये भी देखने को मिला कि पार्टी ने बड़े नेताओं के मुकाबले स्थानीय नेताओं पर ज्यादा भरोसा किया. लगता है कांग्रेस नेतृत्व महसूस करने लगा है कि गांधी परिवार के कैंपेन से बहुत कुछ होने वाला नहीं है. आम चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन और खासकर अमेठी में राहुल गांधी की हार के बाद ये धारणा प्रबल लगने लगी है.

अमेठी, वायनाड और रायबरेली से बाहर दिल्ली में भी ये प्रयोग देखने को मिला

कांग्रेस का एक खास प्रयोग राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की साझा रैलियां रहीं. ऐसे नजारे अब तक अमेठी, वायनाड और रायबरेली के बाहर कहीं देखने को नहीं मिला था. अगर ऐसा हुआ होता तो आम चुनाव के दौरान एक एयरपोर्ट पर भाई-बहन की मुलाकात के वीडियो की तरह दूसरे भी वायरल हुए होते - जो भी हो राहुल गांधी और प्रियंका की चुनावी मुहिम देख कर कभी कभी तो ऐसा लगा जैसे भाई-बहन दिल्ली में तफरीह पर निकले हों.

संगम विहार में राहुल गांधी के साथ साझा रैली में प्रियंका गांधी ने संयोग और प्रयोग वाले बयान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट किया, ‘जब प्रधानमंत्री आपके सामने भाषण देते आते हैं तो वो इसका जिक्र तक नहीं करते... क्या वो हमें बता सकते हैं कि नौकरियों का जाना महज संयोग है या प्रयोग? क्या वो बता सकते हैं कि 35 साल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक ऊंचाई पर क्यों पहुंच गई है? ये क्या संयोग है या उनका प्रयोग है?’

ऐसी ही एक रैली में राहुल गांधी ने भी अपने हिसाब से कुछ प्रयोग किये, 'ये जो नरेंद्र मोदी भाषण दे रहा है... 6 महीने बाद ये घर से बाहर नहीं निकल पाएगा. हिंदुस्तान के युवा इसको ऐसा डंडा मारेंगे... इसको समझा देंगे कि हिंदुस्तान के युवा को रोजगार दिए बिना ये देश आगे नहीं बढ़ सकता.'

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए राहुल गांधी को अपने तंज भरे भाषण के केंद्र पर फोकस किया. मोदी ने राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं की तुलना ट्यूबलाइट से की जिसमें करंट पहुंचने में काफी वक्त लगता है. मोदी सरकार वैसे भी एलईडी बल्बों की समर्थक रही है. बीजेपी और कांग्रेस शासन के फर्क को ऐसे भी समझ सकते हैं.

राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव में अपने बयान पर बवाल मचाने की हैट्रिक भी लगा ली. झारखंड चुनाव और रामलीला मैदान की रैली के बाद दिल्ली चुनाव लगातार तीसरा मौका रहा जब जब राहुल गांधी अपनी बातों को लेकर निशाने पर आये हों. झारखंड चुनाव में 'रेप इन इंडिया' और रामलीला मैदान की रैली में राहुल गांधी के 'मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है...' बोलने पर खूब बवाल हुआ था.

बीजेपी के चौंकाने वाले नतीजे वाले दावे से कांग्रेस को भी इत्तेफाक है. कांग्रेस की तरह से ये बात रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कही है. सुरजेवाला का कहना है - 'कांग्रेस दिल्ली में उसी तरह से सबको चौंका सकती है, जैसे पिछले साल हरियाणा में किया था.' सुरजेवाला की दलील है कि हरियाणा चुनाव में कुछ रिपोर्ट में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें दी जा रही थीं, लेकिन पार्टी ने 31 सीटें जीत ली.

कांग्रेस की तरफ से एक प्रयोग और भी हुआ जिस पर कम लोगों का ध्यान गया होगा. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी को जैसे ही मौका मिलता वो यूपी पर फोकस हो जाती हैं और मोदी पर हमला भूल कर योगी आदित्यनाथ को निशाने पर ले लेतीं. यूपी के CM योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा बोली, 'यूपी में शिक्षा, स्वास्थ्य सबसे नीचे है. 70 हजार युवा शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे हैं. यूपी के ये हालत हैं... इनकी हिम्मत कैसे होती है कि ये आपको कहे कि दिल्ली को यूपी की तरह बना देंगे!'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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