• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Delhi Election 2020 में BJP के कुछ संयोग और अनूठे प्रयोग

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 07 फरवरी, 2020 06:55 PM
  • 07 फरवरी, 2020 06:54 PM
offline
दिल्ली चुनाव (Delhi Election 2020) में कुछ तो संयोग रहे लेकिन कई प्रयोग (Political Experiments by BJP AAP and Congress) भी देखने को मिले. सबसे पहले इस तरफ ध्यान दिलाया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने - BJP, AAP और कांग्रेस ने ऐसे कई प्रयोग भी किये जो पहली बार देखने को मिले.

दिल्ली चुनाव 2020 (Delhi Election 2020 and political experiments) के चुनाव प्रचार में भी वे सारे नजारे देखने को मिले जो तकरीबन सभी चुनावों में छाये रहते हैं. आक्रामक बयानों और निजी हमले तो देखने को मिले ही. शाहीन बाग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 'संयोग' और 'प्रयोग' वाली बहस चलायी है, तो आइए सबसे पहले नजर डालते हैं कि बीजेपी ने खुद इस चुनाव में कैसे-कैसे प्रयोग किए और क्‍या-क्‍या संयोग रहे.

अमित शाह दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत को लेकर बेहद आश्वस्त हैं और उनका कहना है कि चौंकाने वाले नतीजे आएंगे. अपने आंतरिक सर्वे के आधार पर बीजेपी में राय बनी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के CM योगी आदित्यनाथ की रैलियों ने दिल्ली में हवा का रुख पार्टी की तरफ मोड़ दिया है.

दिल्ली के कड़कड़डूमा में बीजेपी की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को समझाया कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कोई संयोग नहीं बल्कि एक प्रयोग है, 'सीलमपुर हो, जामिया हो या फिर शाहीन बाग... कुछ दिनों से CAA को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं. क्या ये प्रदर्शन सिर्फ एक संयोग है? जी नहीं ये संयोग नहीं ये एक प्रयोग है. इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिजाइन है जो राष्ट्र के सौहार्द्र को खंडित करने का इरादा रखता है... ये सिर्फ एक कानून का विरोध होता तो सरकार के इतने आश्वासन के बाद खत्म हो जाता.'

प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर रिएक्ट करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बेरोजगारी और देश की इकनॉमी को लेकर कई सवाल भी उसी अंदाज में पूछ डाले कि ये सब संयोग है या कोई प्रयोग.

शाहीन बाग का प्रदर्शन नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के विरोध में शुरू हुआ और अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग पर सुनवाई अब 10 फरवरी को होनी है. वोटिंग के दो दिन बाद और चुनाव नतीजे आने से एक दिन पहले. वोटिंग 8 फरवरी को है और चुनाव नतीजे 11 फरवरी को आएंगे.

दिल्ली बीजेपी की...

दिल्ली चुनाव 2020 (Delhi Election 2020 and political experiments) के चुनाव प्रचार में भी वे सारे नजारे देखने को मिले जो तकरीबन सभी चुनावों में छाये रहते हैं. आक्रामक बयानों और निजी हमले तो देखने को मिले ही. शाहीन बाग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 'संयोग' और 'प्रयोग' वाली बहस चलायी है, तो आइए सबसे पहले नजर डालते हैं कि बीजेपी ने खुद इस चुनाव में कैसे-कैसे प्रयोग किए और क्‍या-क्‍या संयोग रहे.

अमित शाह दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत को लेकर बेहद आश्वस्त हैं और उनका कहना है कि चौंकाने वाले नतीजे आएंगे. अपने आंतरिक सर्वे के आधार पर बीजेपी में राय बनी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के CM योगी आदित्यनाथ की रैलियों ने दिल्ली में हवा का रुख पार्टी की तरफ मोड़ दिया है.

दिल्ली के कड़कड़डूमा में बीजेपी की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को समझाया कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कोई संयोग नहीं बल्कि एक प्रयोग है, 'सीलमपुर हो, जामिया हो या फिर शाहीन बाग... कुछ दिनों से CAA को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं. क्या ये प्रदर्शन सिर्फ एक संयोग है? जी नहीं ये संयोग नहीं ये एक प्रयोग है. इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिजाइन है जो राष्ट्र के सौहार्द्र को खंडित करने का इरादा रखता है... ये सिर्फ एक कानून का विरोध होता तो सरकार के इतने आश्वासन के बाद खत्म हो जाता.'

प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर रिएक्ट करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बेरोजगारी और देश की इकनॉमी को लेकर कई सवाल भी उसी अंदाज में पूछ डाले कि ये सब संयोग है या कोई प्रयोग.

शाहीन बाग का प्रदर्शन नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के विरोध में शुरू हुआ और अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग पर सुनवाई अब 10 फरवरी को होनी है. वोटिंग के दो दिन बाद और चुनाव नतीजे आने से एक दिन पहले. वोटिंग 8 फरवरी को है और चुनाव नतीजे 11 फरवरी को आएंगे.

दिल्ली बीजेपी की कमान तो मनोज तिवारी के हाथ में है, लेकिन बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा कड़ी टक्कर देने लगे हैं. खासकर दिल्ली में बीजेपी की चुनावी मुहिम के दौरान तो ऐसा ही महसूस हुआ है. अगर मनोज तिवारी संयोग हैं तो प्रवेश वर्मा को लेकर बीजेपी नेतृत्व ने भी प्रयोग किये - और बीजेपी सांसद ने भी बयानबाजी को लेकर प्रयोगों में कोई कसर बाकी नहीं रखी. नतीजा ये हुआ कि शाहीन बाग पर ही प्रवेश वर्मा के बयानों के चलते पहले तो चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाने का आदेश जारी किया - बाद में चुनाव प्रचार पर भी लंबी पाबंदी लगा दी थी.

अगर अमित शाह की बातें सच हुईं तो दिल्ली में मनोज तिवारी बनाम प्रवेश वर्मा के संयोग में टकराव के नये प्रयोग भी देखने को मिलेंगे. प्रवेश वर्मा ने नेतृत्व का ध्यान तो पहले ही खींचा था, तभी तो अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बहस की चुनौती देते हुए प्रवेश वर्मा का नाम ही सुझाया था. चुनाव प्रचार के दौरान प्रवेश वर्मा ने अपने आक्रामक बयानों से नेतृत्व को खुश करने की पूरी कोशिश की. बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं की सूची में प्रवेश वर्मा ने अगली कतार में जगह तो बना ही ली है.

'देश बदला - अब दिल्ली बदलो' स्लोगन के साथ चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी के तमाम नेताओं में भड़काऊ बयानबाजी की होड़ मची रही और रेस में कभी अनुराग ठाकुर तो कभी योगी आदित्यानाथ तो कभी प्रवेश वर्मा आगे पीछे होते रहे और चुनाव आयोग के नोटिस उन्हें मिलते रहे.

बीजेपी ने दिल्ली में ये प्रयोग भी किया - वो भी पहली बार!

बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को लेकर भी एक प्रयोग देखने को मिला. मोदी ने सिर्फ दो रैलियां की एक शुरू में और दूसरी करीब करीब आखिर में. पहली रैली में मोदी ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार की खामियों को चुन चुन कर अपने तरीके से रिव्यू किया - और दूसरी रैली के बारे में तो बीजेपी का दावा है कि दिल्लीवालों की धारणा ही बदल गयी. मोदी की दो रैलियों के मुकाबले अमित शाह की 63 रैलियां तो यही बता रही हैं कि ये भी एक प्रयोग ही रहा. ऐसा प्रयोग तो न हाल के तीन विधानसभा चुनावों में देखने को मिला था और न उनके पहले वाले चुनावों में. हां, बिहार की हार के बाद असम चुनाव में मोदी की रैलियां कम हुई थीं जहां बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही. रैलियों के मामले में नंबर वन तो अमित शाह ही रहे. शाह के बाद 62 रैलियों के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नंबर आता है. राहुल गांधी ने रैलियां तो सिर्फ चार कीं, लेकिन मोदी पर हमला बोल कर संसद तक हड़कम्प मचा रखा है.

दिल्ली चुनाव में बीजेपी का नया प्रयोग रहा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मैदान में उतार कर अपने पक्ष में चुनाव प्रचार कराना. नीतीश कुमार ने पहली बार अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ मंच भी शेयर किया - और अपने दोस्त अरविंद केजरीवाल की खूब खिल्ली उड़ाई. बोले, दिल्ली पूरे पांच साल कोई काम तो किया नहीं, यूपी-बिहार के लोगों को धोखा भी दिया.

इन्हें भी पढ़ें :

Shaheen Bagh वाली विधानसभा सीट से कौन जीतेगा?

Kejriwal की देशभक्ति और हनुमान भक्ति का दिल्‍ली चुनाव से रिश्‍ता क्‍या?

Delhi election में 'राहुल गांधी' बन गए हैं अरविंद केजरीवाल 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲