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राजस्थान चुनाव: राजपुताने में चुनावी युद्ध का बिगुल बजा...

    • आईचौक
    • Updated: 05 अगस्त, 2018 11:34 AM
  • 05 अगस्त, 2018 11:34 AM
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राजस्थान में भी गुजरात और कर्नाटक चुनावों की ही छाया नजर आ रही है जिसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही फिर भगवान भरोसे वोट मांगने निकल रहे हैं. अमित शाह और वसुंधरा के बाद जल्द ही राहुल गांधी भी चुनौती देने मैदान में कूदने वाले हैं.

राजस्थान में भी चुनावी बिगुल आखिरकार बज ही गया. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर निकल चुकी हैं. वसुंधरा के साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंदिर दर्शन और पूजन अर्चन के साथ यात्रा की शुरुआत की - और साफ कर दिया कि चुनाव में वसुंधरा ही बीजेपी की मुख्यमंत्री कैंडिडेट होंगी.

वसुंधरा की यात्रा के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच वार-पलटवार का दौर तेज हो गया है - हिसाब दो जवाब दो. अमित शाह का पहला निशाना कांग्रेस पर ही रहा और फिर दूसरी छोर से सचिन पायलट ने मोर्चा संभाला, सलाह दी - वसुंधरा राजे को गौरव यात्रा नहीं बल्कि जवाबदेही यात्रा निकालनी चाहिये.

चार साल नहीं चार पीढ़ियों का हिसाब

बीजेपी के लिए राजस्थान में चुनावी साल 2018 की शुरुआत अच्छी नहीं रही. 2014 में राजस्थान की सभी 25 लोक सभा सीटें जीतने वाली बीजेपी को उपचुनाव में अजमेर और अलवर की दोनों सीटें गंवानी पड़ी. साथ में हुए विधानसभा की एक सीट मांडलगढ़ के लिए हुए उपचुनाव में भी बीजेपी को शिकस्त ही झेलनी पड़ी.

शाह को वसुंधरा की वापसी का भरोसाट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया में तब वसुंधरा राजे बोलीं, "जनता की सेवा का जो प्रण चार साल पहले लिया था, उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी... आज तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में जो फैसला जनता दिया है, वो सिर आंखों पर..."

तब और अब की स्थिति में काफी फर्क देखने को मिला. तब बीजेपी नेतृत्व ने बाकी राज्यों में उपचुनावों की तरह ही पूरी जिम्मेदारी वसुंधरा के कंधों पर डाल दी थी. यूपी में योगी आदित्यनाथ और एमपी में शिवराज सिंह चौहान की तरह वसुंधरा भी फेल हो गयीं. फिर शिवराज और वसुंधरा दोनों के सिर पर तलवार लटके हुए देखे जाने लगे. तब तक यही माहौल बना रहा जब तक कि अमित शाह ने मंच पर खड़े होकर मान नहीं लिया -...

राजस्थान में भी चुनावी बिगुल आखिरकार बज ही गया. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर निकल चुकी हैं. वसुंधरा के साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंदिर दर्शन और पूजन अर्चन के साथ यात्रा की शुरुआत की - और साफ कर दिया कि चुनाव में वसुंधरा ही बीजेपी की मुख्यमंत्री कैंडिडेट होंगी.

वसुंधरा की यात्रा के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच वार-पलटवार का दौर तेज हो गया है - हिसाब दो जवाब दो. अमित शाह का पहला निशाना कांग्रेस पर ही रहा और फिर दूसरी छोर से सचिन पायलट ने मोर्चा संभाला, सलाह दी - वसुंधरा राजे को गौरव यात्रा नहीं बल्कि जवाबदेही यात्रा निकालनी चाहिये.

चार साल नहीं चार पीढ़ियों का हिसाब

बीजेपी के लिए राजस्थान में चुनावी साल 2018 की शुरुआत अच्छी नहीं रही. 2014 में राजस्थान की सभी 25 लोक सभा सीटें जीतने वाली बीजेपी को उपचुनाव में अजमेर और अलवर की दोनों सीटें गंवानी पड़ी. साथ में हुए विधानसभा की एक सीट मांडलगढ़ के लिए हुए उपचुनाव में भी बीजेपी को शिकस्त ही झेलनी पड़ी.

शाह को वसुंधरा की वापसी का भरोसाट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया में तब वसुंधरा राजे बोलीं, "जनता की सेवा का जो प्रण चार साल पहले लिया था, उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी... आज तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में जो फैसला जनता दिया है, वो सिर आंखों पर..."

तब और अब की स्थिति में काफी फर्क देखने को मिला. तब बीजेपी नेतृत्व ने बाकी राज्यों में उपचुनावों की तरह ही पूरी जिम्मेदारी वसुंधरा के कंधों पर डाल दी थी. यूपी में योगी आदित्यनाथ और एमपी में शिवराज सिंह चौहान की तरह वसुंधरा भी फेल हो गयीं. फिर शिवराज और वसुंधरा दोनों के सिर पर तलवार लटके हुए देखे जाने लगे. तब तक यही माहौल बना रहा जब तक कि अमित शाह ने मंच पर खड़े होकर मान नहीं लिया - 'हां, वसुंधरा ही मुख्यमंत्री बनेंगी.'

अमित शाह ने वसुंधरा राजे के कामकाज की तारीफ की और बीजेपी के सत्ता में वापसी की उम्मीद जतायी. बोले, "राजस्थान में जिस प्रकार से बीजेपी सरकार चली है, उससे मुझे भरोसा है कि यहां की जनता एक बार फिर कमल के फूल की सरकार बनाकर नया इतिहास रचेगी." वसुंधरा की प्रशंसा के बाद अमित शाह के निशाने पर अपनेआप कांग्रेस आ गयी, "राहुल गांधी और कांग्रेस हमसे सवाल पूछती है और हमारे चार साल का हिसाब मांगती है, इस देश की जनता तो आपसे आपके चार पीढ़ी का हिसाब मांग रही है."

बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही फिर भगवान भरोसे

वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा राजसमंद जिले के चारभुजा मन्दिर से शुरू हुई जो 40 दिन में 165 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरते हुए करीब 6000 किलोमीटर का रास्ता तय कर पुष्कर में खत्म होगी. बताते हैं यात्रा में आगे भी वसुंधरा मंदिरों में दर्शन पूजन करती नजर आएंगी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इसी महीने चुनाव अभियान शुरू करने वाले हैं. राहुल गांधी राजस्थान में भी गुजरात और कर्नाटक की तरह बहुत से मंदिरों में देखे जा सकते हैं.

फिर से भगवान भरोसे

राहुल गांधी के दौरे के लिए अभी तीन मंदिर फाइनल किये गये हैं. ये मंदिर हैं - नाथद्वारा में श्रीनाथ जी, सीकर में खाटू श्याम जी और जयपुर में गोविंद देवी मंदिर. सचिन पायलट के मुताबिक राहुल गांधी का दौरा तो पक्का है लेकिन तारीख अभी तय नहीं हुई है.

कमजोर कड़ी, मजबूत कड़ी

राजस्थान में फिलहाल तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते हुए लगते हैं. दोनों ही पार्टियों के मजबूत पक्ष और अपनी अपनी कमजोर कड़ियां हैं. एक तरफ वसुंधरा राजे के सामने सत्ता विरोधी फैक्टर की चुनौती है तो दूसरी तरफ कांग्रेस अब बड़े नेताओं के झगड़े और उनके समर्थकों की गुटबाजी से दो चार होने लगी है.

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के लिए उपचुनाव में सभी सीटों पर जीत बड़ी कामयाबी रही. फिर उपचुनाव में जीत के रिटर्न गिफ्ट में राहुल गांधी ने सचिन पायलट को राजस्थान की कमान सौंप दी. राज्य में बाकी राज्यों की तरह कांग्रेस में गुटबाजी न हो इसलिए आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली तैनात कर दिया. गहलोत को संगठन महासचिव जैसे पावरफुल पोस्ट पर बिठा दिया गया. तब तो गहलोत कुछ नहीं बोले लेकिन हाल ही में जब उदयपुर पहुंचे तो एक बयान देकर विवाद और सचिन के साथ साथ राहुल गांधी के लिए भी मुश्किलें नये सिरे से खड़ी कर दी है.

अब सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी बगैर सीएम चेहरे के लड़ेगी. कांग्रेस को ऐसा गुटबाजी से निबटने के लिए करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ बीजेपी की ओर से तीनों ही राज्यों में वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह मैदान में होंगे.

अमित शाह ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए 180 सीटों का लक्ष्य रखा है. 2013 में बीजेपी 163 सीटों पर चुनाव जीती थी, जबकि लोक सभा की सभी सीटें वसुंधरा ने बीजेपी की झोली में भर दी थी. अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद वसुंधरा के साथ रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गये थे. खासकर तब जब ललित मोदी को लेकर वसुंधरा पर उंगली उठने लगी थी. बाद में वसुंधरा ने भी रिश्ता सुधारने के लिए काफी कोशिश की और अमित शाह के दौरे में उन्हें पूरी तरह तत्पर देखा गया.

राजस्थान में अब तक सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है कि बीजेपी लगातार दोबारा सत्ता में आई है. 1990-92 के बाद पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत ने 1993 में सत्ता में वापसी की थी. वैसे परंपरा बारी बारी सत्ता में आने की ही दिखी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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