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'आप' के लिए चंदा देने वालों की जानकारी न देना मजबूरी है या एक नया बहाना?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 12 सितम्बर, 2018 11:23 AM
  • 12 सितम्बर, 2018 11:23 AM
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चंदे से जुड़े कई मामलों में फंसी आम आदमी पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर चंदे की जानकारी न डालने का फैसला तो किया है, लेकिन भाजपा से परेशान होकर ऐसा करने का तर्क गले नहीं उतर रहा.

आम आदमी पार्टी जिस पारदर्शिता की बातें किया करती थी, अब वह आपको देखने को नहीं मिलेगा. नवभारत टाइम्स में छपी खबर के अनुसार आम आदमी पार्टी ने ये फैसला किया है कि वह अब पार्टी को मिलने वाले चंदे की जानकारी उसकी वेबसाइट पर नहीं डाली जाएगी. इसकी जानकारी पार्टी के नेता गोपाल राय ने दी. अभी तक तो वेबसाइट से ही पता चल जाता था कि पार्टी को किसने और कितना चंदा दिया है. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा ने उन तमाम लोगों को बहुत परेशान किया है, जो उनकी पार्टी को चंदा देते थे. यहां एक बात यह भी ध्यान देने वाली है कि पिछले ही साल आम आदमी पार्टी पर चंदा लेने में नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगा था. यहां तक की आयकर विभाग का नोटिस भी आ गया था. तो फिर सोचने वाली बात ये है कि वाकई आम आदमी पार्टी ने ये कदम भाजपा से परेशान होकर उठाया है, या फिर वेबसाइट पर चंदे की जानकारी सार्वजनिक न करने का ये महज एक बहाना है.

अब आम आदमी पार्टी को मिलने वाले चंदे की जानकारी उसकी वेबसाइट पर नहीं डाली जाएगी.

चंदे के चक्कर में फंसी है 'आप'

दूसरों की बात क्या करें. खुद आम आदमी पार्टी का हिस्सा रहे कपिल मिश्रा ने ही अरविंद केजरीवाल पर फर्जी कंपनियों से 2 करोड़ रुपए का चंदा लेने का आरोप लगाया था. यह चंदा अप्रैल 2014 में पार्टी को दिया गया था. जब ये चंदा देने वाली कंपनियों के पते पर जाकर छानबीन की गई तो कुछ नहीं मिला, जिसके बाद विपक्ष ने भी आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लिया. हालांकि, करीब 2 साल बाद मुकेश शर्मा नाम का एक शख्स सामने आया और कहा कि ये चारों फर्जी नहीं, बल्कि उसकी कंपनियां हैं, जो रजिस्टर्ड भी हैं. वह किसी कानूनी मामले में नहीं पड़ना चाहता था, इसलिए वह सामने...

आम आदमी पार्टी जिस पारदर्शिता की बातें किया करती थी, अब वह आपको देखने को नहीं मिलेगा. नवभारत टाइम्स में छपी खबर के अनुसार आम आदमी पार्टी ने ये फैसला किया है कि वह अब पार्टी को मिलने वाले चंदे की जानकारी उसकी वेबसाइट पर नहीं डाली जाएगी. इसकी जानकारी पार्टी के नेता गोपाल राय ने दी. अभी तक तो वेबसाइट से ही पता चल जाता था कि पार्टी को किसने और कितना चंदा दिया है. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा ने उन तमाम लोगों को बहुत परेशान किया है, जो उनकी पार्टी को चंदा देते थे. यहां एक बात यह भी ध्यान देने वाली है कि पिछले ही साल आम आदमी पार्टी पर चंदा लेने में नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगा था. यहां तक की आयकर विभाग का नोटिस भी आ गया था. तो फिर सोचने वाली बात ये है कि वाकई आम आदमी पार्टी ने ये कदम भाजपा से परेशान होकर उठाया है, या फिर वेबसाइट पर चंदे की जानकारी सार्वजनिक न करने का ये महज एक बहाना है.

अब आम आदमी पार्टी को मिलने वाले चंदे की जानकारी उसकी वेबसाइट पर नहीं डाली जाएगी.

चंदे के चक्कर में फंसी है 'आप'

दूसरों की बात क्या करें. खुद आम आदमी पार्टी का हिस्सा रहे कपिल मिश्रा ने ही अरविंद केजरीवाल पर फर्जी कंपनियों से 2 करोड़ रुपए का चंदा लेने का आरोप लगाया था. यह चंदा अप्रैल 2014 में पार्टी को दिया गया था. जब ये चंदा देने वाली कंपनियों के पते पर जाकर छानबीन की गई तो कुछ नहीं मिला, जिसके बाद विपक्ष ने भी आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लिया. हालांकि, करीब 2 साल बाद मुकेश शर्मा नाम का एक शख्स सामने आया और कहा कि ये चारों फर्जी नहीं, बल्कि उसकी कंपनियां हैं, जो रजिस्टर्ड भी हैं. वह किसी कानूनी मामले में नहीं पड़ना चाहता था, इसलिए वह सामने नहीं आ रहा था.

चंदे को लेकर ही आयकर विभाग ने आम आदमी पार्टी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. नोटिस में कहा गया था कि उनके चंदा लेने के लिए अनुकूल नहीं पाए गए हैं. आयकर विभाग ने यह भी आरोप लगाया था कि पार्टी ने साल 2014-15 के दौरान मिले चंदे की जानकारी छुपाई है. नोटिस में कथित रूप से फर्जी कंपनियों से लिए 2 करोड़ रुपए के चंदे का भी जिक्र था. खुद पीएम मोदी ने भी कहा इसे लेकर कहा था कि ये 'काली रात का काला धन' है. चंदे में धांधली का आरोप आम आदमी पार्टी पर एक बदनुमा दाग है. अब अगर चंदे की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं होगी तब तो अनियमितताएं और अधिक बढ़ सकती हैं. आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि जिसने न जाने कितने आंदोलनों में डंडे तक खाए, आज वह सिर्फ भाजपा से डरकर चंदे की जानकारी सार्वजनिक करना बंद कर दे?

इन वजहों से पार्टी से उठ रहा भरोसा

राजनीतिक पार्टियों पर निगाह रखने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी ने जिन 70 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, उनमें से 23 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. 14 ऐसे थे, जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. आम आदमी पार्टी पर लोगों ने अरविंद केजरीवाल की वजह से भरोसा किया और माना कि जनता के साथ कुछ गलत नहीं होगा. लेकिन चुनाव हो जाने के बाद जब ये सच सामने आया तो जनता भी हैरान रह गई. अरविंद केजरीवाल ने पता नहीं क्यों ऐसे लोगों को टिकट दिया, जबकि वह खुद अन्ना हजारे के आंदोलनों में सच के साथ खड़े दिखाई देते थे. यहीं से केजरीवाल पर लोगों का भरोसा कम होता चला गया. यहां तक कि पार्टी से कुमार विश्वास, आशुतोष, आशीष खेतान जैसे दिग्गज लोग भी अलग हो गए.

अरविंद केजरीवाल और केंद्र में तनातनी तो शुरू से ही है. पहले केजरीवाल ने अरुण जेटली पर गंभीर आरोप लगाए और फिर उनके खिलाफ सबूत होने का दावा किया. वहीं सीबीआई की तरफ से केजरीवाल के दफ्तर पर छापा मारा गया. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि जैसे केंद्र और केजरीवाल के बीच की लड़ाई में पारदर्शिता बलि चढ़ जाएगी. ये पारदर्शिता ही थी, जो अरविंद केजरीवाल की छवि को ईमानदार दिखाती थी. ऐसा पहली बार हुआ कि जनता को ये पता चलने लगा कि किसी पार्टी को किसने-किसने और कितना चंदा दिया है. लेकिन अगर अरविंद केजरीवाल इसे ही खत्म कर देंगे, तो पारदर्शिता कहां रह जाएगी. पता नहीं केजरीवाल ये कदम भाजपा से परेशान होकर मजबूरी में उठा रहे हैं, या फिर ये चंदे से जुड़े मामलों से खुद को बचाए रखना का कोई बहाना है?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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