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कांग्रेस की ये 4 गलतियां, कहीं गुजरात चुनाव में उसे मुसीबत में न डाल दें

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 30 नवम्बर, 2017 11:37 AM
  • 30 नवम्बर, 2017 11:37 AM
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भले ही गुजरात में कांग्रेस मेहनत कर रही हो, मगर जाने अनजाने पार्टी से कई ऐसी गलतियां हो चुकी हैं जिनका खामियाजा पार्टी को गुजरात में होने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा.

जैसे-जैसे गुजरात में चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे वहां का राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदलता नज़र आ रहा है. गुजरात में कांग्रेस लगभग 22 सालों तक सत्ता से बाहर रही है, लेकिन इस बार आक्रामक प्रचार और सोशल मीडिया के दम पर कांग्रेस गुजरात में बीजेपी को मात देने में कामयाब होती दिख रही थी. लेकिन हाल के दिनों में कांग्रेस कुछ ऐसी गलतियां कर बैठी है जिसके कारण उसे भारी खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है. आइये बात करें उन चार गलतियों पर जो गुजरात में कांग्रेस की वापसी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं.

गुजरात में राहुल का प्रदर्शन अच्छा था मगर उसकी कुछ गलतियां भविष्य में उसे बड़ी मुसीबत में डाल सकती हैं

राहुल गाँधी का गैर हिंदू रजिस्टर पर साइन करना

गुजरात चुनाव में इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मंदिर दर्शन के लिए होड़ लगी हुई है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी राज्य में, चुनावी रैलियों में अब तक 20 मंदिरों में मत्थे टेक चुके हैं. उनको देखकर लग रहा है कि वो इस बार भगवान के भरोसे रहकर गुजरात को जीतना चाहते हैं. इसी क्रम में जब वो सोमनाथ मंदिर पहुँचे तो वहां उन्होंने उस रजिस्टर में हस्ताक्षर कर दिए जो ग़ैर-हिंदू दर्शनार्थियों के लिए रखा था. बस, भाजपा वालों को बैठे बैठाए एक और मौका मिल गया और राहुल गांधी के लिए 'धर्म' संकट खड़ा हो गया. भाजपा ने उन पर गैर हिन्दू होने का आरोप लगा दिया. बाद में कांग्रेस की तरफ से सफाई दी गयी कि वो हिन्दू ही नहीं बल्कि 'जनेऊधारी' हिन्दू हैं. राहुल गांधी के धर्म के बारे में बराबर सवाल उठते रहे हैं क्योंकि उनके दादा फिरोज गांधी जन्म से पारसी थे. बहरहाल भाजपा को एक मुद्दा तो मिल ही गया.

यूथ कांग्रेस का मोदी को 'चाय बेचने वाला'...

जैसे-जैसे गुजरात में चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे वहां का राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदलता नज़र आ रहा है. गुजरात में कांग्रेस लगभग 22 सालों तक सत्ता से बाहर रही है, लेकिन इस बार आक्रामक प्रचार और सोशल मीडिया के दम पर कांग्रेस गुजरात में बीजेपी को मात देने में कामयाब होती दिख रही थी. लेकिन हाल के दिनों में कांग्रेस कुछ ऐसी गलतियां कर बैठी है जिसके कारण उसे भारी खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है. आइये बात करें उन चार गलतियों पर जो गुजरात में कांग्रेस की वापसी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं.

गुजरात में राहुल का प्रदर्शन अच्छा था मगर उसकी कुछ गलतियां भविष्य में उसे बड़ी मुसीबत में डाल सकती हैं

राहुल गाँधी का गैर हिंदू रजिस्टर पर साइन करना

गुजरात चुनाव में इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मंदिर दर्शन के लिए होड़ लगी हुई है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी राज्य में, चुनावी रैलियों में अब तक 20 मंदिरों में मत्थे टेक चुके हैं. उनको देखकर लग रहा है कि वो इस बार भगवान के भरोसे रहकर गुजरात को जीतना चाहते हैं. इसी क्रम में जब वो सोमनाथ मंदिर पहुँचे तो वहां उन्होंने उस रजिस्टर में हस्ताक्षर कर दिए जो ग़ैर-हिंदू दर्शनार्थियों के लिए रखा था. बस, भाजपा वालों को बैठे बैठाए एक और मौका मिल गया और राहुल गांधी के लिए 'धर्म' संकट खड़ा हो गया. भाजपा ने उन पर गैर हिन्दू होने का आरोप लगा दिया. बाद में कांग्रेस की तरफ से सफाई दी गयी कि वो हिन्दू ही नहीं बल्कि 'जनेऊधारी' हिन्दू हैं. राहुल गांधी के धर्म के बारे में बराबर सवाल उठते रहे हैं क्योंकि उनके दादा फिरोज गांधी जन्म से पारसी थे. बहरहाल भाजपा को एक मुद्दा तो मिल ही गया.

यूथ कांग्रेस का मोदी को 'चाय बेचने वाला' दिखाना

अभी कुछ दिन पहले ही यूथ कांग्रेस की मैगज़ीन 'युवा देश' के एक ट्वीट को लेकर विवाद पैदा हो गया था. इस ट्वीट में, यूथ कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए उन्हें चाय बेचने वाला दिखाया था. इस ट्वीट के अंतर्गत एक फोटो भी शेयर किया गया था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा साथ खड़े नजर आ रहे थे. इसके बाद भाजपा व खुद नरेंद्र मोदी ने इस ट्वीट का फायदा अपनी चुनावी रैलियों में उठाया.

संवाद कला में माहिर मोदी ने रैली में कहा था कि कांग्रेस ने गुजरात के बेटे का मजाक उड़ाया है. मोदी ने रैलियों में कांग्रेस पर वार करते हुए कहा था कि कांग्रेस उन्हें इसलिए नापसंद करती है क्योंकि वो एक गरीब परिवार से हैं. उनके अनुसार गरीब का बेटा अगर प्रधानमंत्री बनता है तो कांग्रेस को दिक्कत होती है. बकौल मोदी 'हां, मैंने चाय बेची है, लेकिन मैंने देश को नहीं बेचा' भारत दौरे के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी और सलाहकार इवांका ट्रंप ने भी प्रधानमंत्री मोदी के चाय बेचने का जिक्र करते हुए कहा था कि, 'एक चाय बेचने से लेकर पीएम बनने का सफर अविश्वसनीय है.' इसका फायदा भी भाजपा को हुआ.

प्रधानमंत्री को लेकर राहुल अक्सर ऐसे बयान दे देते हैं जिसके चलते वो आलोचना के शिकार हो जाते हैं

कभी शाखा में महिलाओं को शॉर्ट्स में देखा है?

राहुल गांधी ने वडोदरा की रैली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला करते हुए बोला था कि भाजपा का संगठन RSS है. कितनी महिला हैं उसमें, कभी शाखा में महिलाओं को देखा है शॉर्ट्स में? मैंने तो नहीं देखा' राहुल गांधी को इसके लिए आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था. भाजपा ने इसे संस्कृति से जोड़ते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला था. गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के अनुसार "राहुल ने गुजरात की महिलाओं का अपमान किया है. आप अपने शब्द वापस लें और महिलाओं से माफी मांगें. अन्यथा पूरे गुजरात की महिलाएं इकट्ठी हो जाएंगी और गुजरात में आप अपनी रही-सही सीट भी खो देंगे. कांग्रेस माफी मांगे और राहुल अपने शब्द वापस लें." इस बयान के बाद कांग्रेस को डर सता रहा है कि कहीं महिला मतदाता कांग्रेस से दूर न हो जाएं.

हाफिज सईद की रिहाई पर राहुल का ट्वीट

मुंबई हमले के गुनहगार हाफिज सईद की जब हाल में ही पाकिस्तान में रिहाई हुई तो इस पर राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा था कि मोदी को ट्रम्प को गले लगाना काम नहीं आया, उनको और गले लगाने की जरूरत है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था-'नरेंद्रभाई, बात नहीं बनी. आतंक का मास्टरमाइंड आजाद है. ट्रम्प ने पाक सेना को लश्कर की फंडिंग में क्लीन चिट दे दी है. गले लगाने की पॉलिसी नाकाम हो गई. फौरन और गले लगाने की जरूरत है'. यह बयान भी कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हुआ. नरेंद्र मोदी ने इसे अपने पक्ष में करते हुए रैलियों में कहा कि पाकिस्तान में आतंकी हाफिज सईद रिहा हुआ तो कांग्रेस खुश हुई.

इस तरह गुजरात में इस बार जो माहौल कांग्रेस के पक्ष में बन रहा था और वहां की चुनावी हवा बदली-बदली दिख रही थी उस पर कांग्रेस ने जाने या अनजाने में पानी फेर लिया. हालाँकि कांग्रेस के लिए ये कितना नुकसानदायक होगा ये फैसला जनता के द्वारा अगले महीने की 18 तारीख को दे दिया जायेगा.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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