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प्लाजो' की अध्यक्षता में बैठक हुई है जिसमें Ripped Jeans का दुःख बांटा गया है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 मार्च, 2021 06:22 PM
  • 19 मार्च, 2021 06:22 PM
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उत्तराखंड के मुखतमंत्री तीरथ सिंह रावत के बयान के बाद 'प्लाजो' की अध्यक्षता में एक बैठक हुई है जिसमें अलग अलग परिधानों ने रिप्ड जींस को न केवल ज्ञान दिया गया बल्कि भावुक न होने की अहम सलाह भी दी है. देखना दिलचस्प रहेगा कि जींस बताई गयी बातों पर कितना अमल करती है.

शास्त्रों में है कि दुनिया में जो कुछ भी होगा या जो कुछ भी है, सब लिखा हुआ है. यूं भी जो होनी है वो होकर रहेगी. होनी को भला कौन टाल सकता है. उत्तराखंड जैसे राज्य के ताजे ताजे मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत का पार्टी के काम से जहाज में जाना, उनके बगल में दो बच्चों के संग एक महिला का बैठना , दो बच्चे होने और एनजीओ चलाने के बावजूद महिला का गमबूट और घुटनों से फटी जींस अरे हां वही जिसे इंग्लिश में Ripped Jeans कहते हैं , पहनना सब पूर्वनियोजित और लिखा हुआ था. अब चूंकि बात संस्कृति और संस्कार के घेरे में आ गई है Ripped Jeans मुसीबत में है. तमाम तरह के तर्क दिये जा रहे हैं. क्या सेलिब्रिटी क्या आम आदमी हर कोई विवादित Ripped Jeans में अपनी फोटो डाल रहा है और एक बहुत ही लो प्रोफाइल से 'K' के सीएम बने तीरथ बाबू को बता रहा है कि किसी का Ripped Jeans पहनना उसके संस्कारों पर सवालिया निशान नहीं लगा सकता. बात भी सही है हम होते कौन है किसी के कपड़े देखकर उसके चरित्र का अंदाजा लगाने वाले. कई मामले हमारे सामने ऐसे आ चुके हैं जिनमें हमने तमाम ऐसे सफेदपोशों या ये कहें कि संस्कारियों को ऐसे ऐसे काम करते देखा है जिससे मानवता एक दो नहीं बल्कि तमाम मौकों पर शर्मसार हुई है. जैसा कि हम बता चुके हैं, दुनिया में जो कोई भी घटना घटती है उसके बारे में पहले ही लिख दिया गया है.

तीरथ सिंह रावत के बयान ने किसी को आहत किया हो न किया हो लेकिन जींस गहरे अवसाद में है

तो ये भी बहुत पहले ही लिख दिया गया था कि 2021 में एक समय वो भी आएगा जब टैलेंट धरा का धरा रह जाएगा और वफादारी एवं स्वामिभक्ति के नाते तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया जाएगा और वो बतौर सीएम अपनी ऊल जलूल बातों से 'जींस' को कटघरे में खड़ा करेंगे. घटना ने जींस को आहत किया है. जींस दहाड़ मार मार के रो रही है लोट के...

शास्त्रों में है कि दुनिया में जो कुछ भी होगा या जो कुछ भी है, सब लिखा हुआ है. यूं भी जो होनी है वो होकर रहेगी. होनी को भला कौन टाल सकता है. उत्तराखंड जैसे राज्य के ताजे ताजे मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत का पार्टी के काम से जहाज में जाना, उनके बगल में दो बच्चों के संग एक महिला का बैठना , दो बच्चे होने और एनजीओ चलाने के बावजूद महिला का गमबूट और घुटनों से फटी जींस अरे हां वही जिसे इंग्लिश में Ripped Jeans कहते हैं , पहनना सब पूर्वनियोजित और लिखा हुआ था. अब चूंकि बात संस्कृति और संस्कार के घेरे में आ गई है Ripped Jeans मुसीबत में है. तमाम तरह के तर्क दिये जा रहे हैं. क्या सेलिब्रिटी क्या आम आदमी हर कोई विवादित Ripped Jeans में अपनी फोटो डाल रहा है और एक बहुत ही लो प्रोफाइल से 'K' के सीएम बने तीरथ बाबू को बता रहा है कि किसी का Ripped Jeans पहनना उसके संस्कारों पर सवालिया निशान नहीं लगा सकता. बात भी सही है हम होते कौन है किसी के कपड़े देखकर उसके चरित्र का अंदाजा लगाने वाले. कई मामले हमारे सामने ऐसे आ चुके हैं जिनमें हमने तमाम ऐसे सफेदपोशों या ये कहें कि संस्कारियों को ऐसे ऐसे काम करते देखा है जिससे मानवता एक दो नहीं बल्कि तमाम मौकों पर शर्मसार हुई है. जैसा कि हम बता चुके हैं, दुनिया में जो कोई भी घटना घटती है उसके बारे में पहले ही लिख दिया गया है.

तीरथ सिंह रावत के बयान ने किसी को आहत किया हो न किया हो लेकिन जींस गहरे अवसाद में है

तो ये भी बहुत पहले ही लिख दिया गया था कि 2021 में एक समय वो भी आएगा जब टैलेंट धरा का धरा रह जाएगा और वफादारी एवं स्वामिभक्ति के नाते तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया जाएगा और वो बतौर सीएम अपनी ऊल जलूल बातों से 'जींस' को कटघरे में खड़ा करेंगे. घटना ने जींस को आहत किया है. जींस दहाड़ मार मार के रो रही है लोट के रो रही है. उसे यकीन ही नहि हो रहा कि उसके रूप में जिस परिधान पर दुनिया के लड़के लड़कियां मरते हैं जोकि यूथ का स्टाइल स्टेटमेंट है उसे लेकर कोई इस हद तक भद्दी और भौंडी बातें कर सकता है.

जींस का जैसा हाल है, एक मुख्यमंत्री के बयान ने केवल जींस को ही नहीं आहत किया है. रावत की बातों ने तमाम अन्य परिधानों को भी व्याकुल किया है. दुख की इस घड़ी में और मामले के मद्देनजर प्लाजो की अध्यक्षता में क्रॉप टॉप और कैप्री की सहमति पर एक बैठक का आयोजन हुआ है और सभी ने अपने अपने लेवल पर दुख की मारी और अपनी किस्मत को रोती जींस को कंसोल करने का प्रयास किया है.

चूंकि इस बैठक की अध्यक्षता प्लाजो ने की थी तो हाल बेहाल रिप्ड जींस से सबसे पहले बात भी उसी ने शुरू की.प्लाजो ने 'रिप्ड जींस' को समझाते हुए कहा कि देख बहन तेरा ग़म तो फिर भी आज का है ज़रा एक बार मेरा सोच. मुझे लोग क्या क्या नहीं कहते. अभी कुछ दिन पहले की बात है एक बला की सुंदर लड़की ने मुझे धारण किया हुआ था कि तभी उसके पापा की बुआ आ गईं. जैसे उन्होंने मुझे घूरा क्या ही बताऊं? उस लड़की से कहने लगीं कि 'ये आजकल की लड़कियां फैशन के नाम पर मर्दों का पायजामा पहनने लगी हैं.

पता नहीं कोई क्यों नहीं आजतक उन बूढ़ी आंटी के पास गया और उन्हें ये बताने का प्रयास किया कि प्लाजो और पुरुषों के पैजामे में उतना ही अंतर है जितना कि जमीन और आसमान के बीच. अभी प्लाजो अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाया था कि 'चूड़ीदार' अपना दुखड़ा रोने के लिए सामने आ गया और उसी बैठक में जहां माहौल पहले से ही बहुत गंभीर था स्ट्रॉ से कोल्ड ड्रिंक सुड़कते हुए बोला कि बहन जींस तुम तो फिर भी कम्फर्ट के साथ साथ लग्जरी की पराकाष्ठा हो मुझे देखो घर के तमाम बड़े बुजुर्ग ऐसे हैं कि कोई लड़की या औरत अगर मुझे धारण कर लें तो ऐसी टेढ़ी निगाह से देखते हैं कि पत्थर भी पिगल जाए.

तमाम बड़े मुझपर ये आरोप लगाते हैं कि मुझसे जिस्म की नुमाइश होती है.प्लाजो और चूड़ीदार के बाद पटियाला जो अभी तक चुप था और सबकी बातें चुपचाप बड़े ध्यान से सुन रहा था फफक फफक के रोने लगा. अपना दुख बयान करते हुए उसने कहा कि आप लोग तो फिर भी आज स्टाइल स्टेटमेंट है मेरा सोचिये मुझपर तो पिछड़ेपन का तमगा लगा है. जैसे ही मुझे कोई पहनता है 'देहाती' और 'पिछड़ा' हुआ मान लिया जाता है.

बैठक में सारा फोकस संस्कार पर था तो हर आदमी की निगाह क्रॉप टॉप और स्प्रेगेटी टॉप पर थी ये बेचारे तो सांप के गले में फंसी छछुंदर जैसे थे.

बहरहाल बैठक के मद्देनजर परिधानों ने अपना दुखड़ा तो खूब रोया मगर नतीजा कोई खास नहीं निकला और आयोजन स्थल पर आए ज्यादातर लोगों ने बस जींस को सांत्वना देकर माहौल को हल्का करने की बात की और जींस को समझाया कि वो अपने को मजबूत करे. इतनी छोटी छोटी बातों पर भावुक न हो. साथ ही उसे ये भी बताया गया कि ऐसे 465 नेता आएंगे जाएंगे उसे इतनी ग़ैर जरूरी बातों पर छाती नहीं पीटनी चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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