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BJP Manifesto के वादे अगर पूरे हो जाएं तो बंगालियों का जीवन सेट है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 मार्च, 2021 07:20 PM
  • 12 मार्च, 2021 07:20 PM
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West Bengal Election 2021: बंगाल चुनावों के मद्देनजर अपने घोषणापत्र में जिन वादों की उम्मीद भारतीय जनता पार्टी से जताई जा रही है अगर वो पूरे हो जाएं तो बंगाल के अच्छे दिन आने से कोई माई का लाल नहीं रोक सकता. लेकिन जैसा इतिहास वादों का रहा है ये शायद ही कभी पूरे हो पाएं. बंगाल में होंगे लेकिन ठंडे बस्ते में चले जाएंगे.

नेता लोगे घुमै लागे,

अपनी-अपनी जजमानी मा.

उठौ काहिलऊ, छोरौ खिचरी

मारो हाथ बिरयानी मा.

इहई वार्ता होति रही कल,

रामदास-रमजानी मा.

दूध कई मटकी धरेउ न भईया,

बिल्ली के निगरानी मा.!!

पढ़ाई लिखाई के मामले में निरक्षर मगर स्वभाव से फ़क़ीर फैजाबाद के मशहूर शायर रफ़ीक़ शादानी ने अपने समय में उपरोक्त पंक्तियां यूं ही नहीं कहीं थीं. रफ़ीक़ जानते थे कि 2021 में जब मार्च महीने में कोरोना की लहर दोबारा चल रही होगी, देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बंगाल विधसनसभा चुनावों के मद्देनजर ममता बनर्जी वाली तृणमूल कांग्रेस को न केवल टक्कर बल्कि करारी शिकस्त देने के लिए अपना घोषणापत्र यानी मेनिफेस्टो लांच करेगी. जिक्र चुनावी मेनिफेस्टो का हुआ है तो माना यही जा रहा है कि भाजपा ने बंगाल की जनता से कुछ वैसा ही वादा किया है जैसा वादा वो आशिक अपनी माशूका से करता है जो प्रेम की गिरफ्त में नया नया आया हो. कभी ध्यान दीजिएगा इन नए आशिकों पर. इश्क़ हुआ नहीं कि इन्हें वादा करने की चुल काटने लगती है. ये माशूका के लिए वहां ऊपर आसमान से चांद सितारा तोड़ लाने की बात करते हैं. दिलचस्प ये कि यदि इन आशिकों की शादी कहीं उसी माशूका से हो जाए और शादी के अगले ही हफ्ते अपने पति, जो कुछ दिनों पहले तक उसका आशिक था किसी छुट्टी वाले दिन उससे सामने वाले चौराहे से 20 रुपए का दही पाव भर पनीर और धनिया मिर्च मंगवा ले. हम पूरी गारंटी के साथ कह सकते हैं बंदा नहीं लाने वाला. कुछ ऐसा ही हम भविष्य में बंगाल की जनता के साथ भी होते देखेंगे. जिन्होंने ट्विटर देखा है ठीक जिन्होंने नहीं देखा है वो जान लें कि बंगाल चुनावों के चलते उन वादों की सुगबुगाहट तेज है जिन्हें भविष्य में भाजपा सूबे की जनता के साथ कर सकती है.

नेता लोगे घुमै लागे,

अपनी-अपनी जजमानी मा.

उठौ काहिलऊ, छोरौ खिचरी

मारो हाथ बिरयानी मा.

इहई वार्ता होति रही कल,

रामदास-रमजानी मा.

दूध कई मटकी धरेउ न भईया,

बिल्ली के निगरानी मा.!!

पढ़ाई लिखाई के मामले में निरक्षर मगर स्वभाव से फ़क़ीर फैजाबाद के मशहूर शायर रफ़ीक़ शादानी ने अपने समय में उपरोक्त पंक्तियां यूं ही नहीं कहीं थीं. रफ़ीक़ जानते थे कि 2021 में जब मार्च महीने में कोरोना की लहर दोबारा चल रही होगी, देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बंगाल विधसनसभा चुनावों के मद्देनजर ममता बनर्जी वाली तृणमूल कांग्रेस को न केवल टक्कर बल्कि करारी शिकस्त देने के लिए अपना घोषणापत्र यानी मेनिफेस्टो लांच करेगी. जिक्र चुनावी मेनिफेस्टो का हुआ है तो माना यही जा रहा है कि भाजपा ने बंगाल की जनता से कुछ वैसा ही वादा किया है जैसा वादा वो आशिक अपनी माशूका से करता है जो प्रेम की गिरफ्त में नया नया आया हो. कभी ध्यान दीजिएगा इन नए आशिकों पर. इश्क़ हुआ नहीं कि इन्हें वादा करने की चुल काटने लगती है. ये माशूका के लिए वहां ऊपर आसमान से चांद सितारा तोड़ लाने की बात करते हैं. दिलचस्प ये कि यदि इन आशिकों की शादी कहीं उसी माशूका से हो जाए और शादी के अगले ही हफ्ते अपने पति, जो कुछ दिनों पहले तक उसका आशिक था किसी छुट्टी वाले दिन उससे सामने वाले चौराहे से 20 रुपए का दही पाव भर पनीर और धनिया मिर्च मंगवा ले. हम पूरी गारंटी के साथ कह सकते हैं बंदा नहीं लाने वाला. कुछ ऐसा ही हम भविष्य में बंगाल की जनता के साथ भी होते देखेंगे. जिन्होंने ट्विटर देखा है ठीक जिन्होंने नहीं देखा है वो जान लें कि बंगाल चुनावों के चलते उन वादों की सुगबुगाहट तेज है जिन्हें भविष्य में भाजपा सूबे की जनता के साथ कर सकती है.

बंगाल के तहत तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा ने कमर बहुत पहले ही कास ली थी 

मेनिफेस्टो जिसे भाजपा संकल्प पत्र बता रही है उसको लेकर कयास यही हैं कि इसमें जहां एक तरफ एक करोड़ नौकरियों का वादा होगा तो वहीं लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून लाने और सिंडिकेट राज के अंत को प्रमुखता दी जाएगी.

अब क्यों कि भाजपा ने बंगाल में जीत हासिल करने के लिए साम दाम दंड भेद एक करने की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी तो कहा ये भी जा रहा है कि बीजेपी के चुनावी मेनिफेस्टो में बंगाल के सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक और हर एक पहलू से विकास की रूपरेखा पेश की जाएगी. बीजेपी पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन का वादा करते हुए 34 साल के वाम मोर्चा शासन और टीएमसी सरकार के 10 साल के दौरान उद्योगों के हालात को प्रमुखता दे सकती है.

मेनिफेस्टो के मद्देनजर तमाम बातें ऊनी जगह हैं लेकिन जिस बात को लेकर बंगाल की राजनीति में इंटरेस्ट लेने वाले चुनावी पंडित सिक्का उछाल के हेड और तेल कर रहे हैं वो सिंडिकेट राज की बात है. आंकलन है कि बंगाल में भाजपा सिंडिकेट राज के खात्मे पर जोर देगी.तोलाबाजी पर नकेल कसने के लिए बीजेपी मेनिफिस्टे में इसे जगह दे सकती है. ध्यान रहे कि पूर्व में तमाम मौकों पर बीजेपी का आरोप यही रहा है कि 'सिंडिकेट राज' के चलते बंगाल में निवेश नहीं हो सका है, जिससे व्यापक पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी है.

संकल्प पत्र' में 'लव जिहाद' के खिलाफ एक विशेष कानून का प्रस्ताव रखने की भी संभावना है. राज्य के लिए बीजेपी के डॉक्यूमेंट में उत्तर बंगाल क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा. ये तो हो गईं वो बातें जिनको लेकर अभी तक केवल संभावना जताई जा रही है.

संभावना तो वो माशूका भी जताती है जिसकी अपने आशिक से शादी हुई होती है. माशूका को लगता है कि पहली एनीवर्सरी पर आशिक उसे श्रीलंका या बाली जैसे डेस्टिनेशन पर ले जाएगा. शादी की दूसरी सालगिरह पर उसे 24 कैरेट का सोने का सेट देगा मगर चूंकि आशिक को अपनी मंजिल मिल चुकी होती है वो ऐसा कुछ नहीं करता.

शादी बाद पहली एनीवर्सरी पर वो उसे पार्क ले जाकर एक्स्ट्रा नींबू नमक लगा भट्टा और जलजीरा फ्लेवर वाले गोलगप्पे खिला दे ये ही बहुत है. बंगाल यदि बीजेपी जीत गई तो लिख कर रख लीजिए वहां पर भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा.

मॉरल ऑफ द स्टोरी बस इतना है कि वो वादे जो चाहे बंगाल के लिए भाजपा करे या तृणमूल कांग्रेस उन्हें बस पूरा होना चाहिए. यदि वास्तविकता में ऐसा हो गया तो बंगाल के सचमुच वाले अच्छे दिन आने से कोई ममाई का लाल नहीं रोक सकता वरना आसमान से चांद तारे तोड़ लाने में कौन सा टैक्स लगने वाला है. हिंदुस्तान जैसे देश में बतकही सदियों से होती चली आई है. आज भी हो रही है और भविष्य में भी जारी रहेगी.

बाकी जैसी राजनीति और जैसा इतिहास भारत जैसे देश में राजनेताओं का रहा है किसी शायर ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ये कहकर सारी बातों और तमाम कयासों को विराम दे दिया है कि

स्याह रात नाम नहीं लेती ढलने का,

यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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