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जो भी हो! आम भारतीयों के लिए कीचड़ में पड़ी प्लास्टिक की पन्नी जैसे हैं मुग़ल...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 27 जनवरी, 2021 02:37 PM
  • 27 जनवरी, 2021 02:37 PM
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मुगलों की हालत देश में धोभी के कुत्ते सरीखी हो चुकी है इसलिए चाहे स्वर्ग में हो या फिर नरक में, बाबर (Babar) विचलित है. मीटिंग बुलाकर अपने बेटों से लेकर पोतों तक से यही कह रहा है अपने जल संरक्षण की किसी को परवाह नहीं हम बुरे हैं तो हैं. इतनी बातों तो मुझे खुद अपने बारे में नहीं पता थीं जितनी प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) को हैं.

धोबी का कुत्ता याद है या नहीं. अरे हां वही. जिसे कहावतों ने न घर का बताया और न ही घाट का. मुहावरों और लोकोक्तियों में ही सही, मगर इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस बिचारे गरीब ने तमाम तरह के कष्ट झेले हैं. पिछले कुछ सालों में मुगलिया सल्तनत को लेकर रोष बढ़ा है. मुगलिया सल्तनत ने जो जुल्म ओ सितम 450 साल पहले भारत पर किये उसका जिक्र आज हो रहा है और चाहे बाबर हो या फिर अकबर और जहांगीर बेचारे मुगलों को खूब खरी खोटी सुनने को मिल रही है. ईश्वर ही जाने नरक में या फिर स्वर्ग में, बिरादरी के एक आत दो लोगों के कारण पूरी मुग़ल कम्युनिटी को खूब कष्ट झेलना पड़ रहा है. मतलब इन दिनों जैसे हालात हैं कहना गलत नहीं है कि देश में मुगलों की हालत ठीक वैसी ही है जैसे घुटनों तक के कीचड़ में फंसी हुई प्लास्टिक की पन्नी. बात कष्ट और मुग़ल दोनों की हुई है तो आइए ज़िक्र करें औरेंगज़ेब (Aurangzeb) के दादा बाबर (Babar) का. बाबर लाइम लाइट में है कारण वही मंदिर-मस्जिद हिंदू मुस्लिम की राजीनीति. बाबर को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने बड़ी बात कही है और ये ऐसी बात है जिसे सुनकर वहां ऊपर बाबर ने अपने बेटों पोतों की आत्मा के अलावा अपने दरबार के कारिंदों की एक सभा बुलाई है और कह रहा है और दरबारियों के साथ साथ अपने पोते की तरफ मुखातिब होकर कह रहा है - अच्छा छोटू ये बताओ क्या एक बादशाह के रूप में तुम्हारे दादा अब्बू इतने बुरे थे. असल में तमाम चीजें जो मैंने नहीं की उनके लिए भी मुझे दोषी ठहराया जा रहा है. बताओ छोटू बताओ. जवाब दो छोटू

बाबर को लेकर केंद्रीय मंत्री का बयान वाकई अजीब ओ गरीब है

असल में हुआ ये है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा है कि 'बाबर समझ गया था...

धोबी का कुत्ता याद है या नहीं. अरे हां वही. जिसे कहावतों ने न घर का बताया और न ही घाट का. मुहावरों और लोकोक्तियों में ही सही, मगर इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस बिचारे गरीब ने तमाम तरह के कष्ट झेले हैं. पिछले कुछ सालों में मुगलिया सल्तनत को लेकर रोष बढ़ा है. मुगलिया सल्तनत ने जो जुल्म ओ सितम 450 साल पहले भारत पर किये उसका जिक्र आज हो रहा है और चाहे बाबर हो या फिर अकबर और जहांगीर बेचारे मुगलों को खूब खरी खोटी सुनने को मिल रही है. ईश्वर ही जाने नरक में या फिर स्वर्ग में, बिरादरी के एक आत दो लोगों के कारण पूरी मुग़ल कम्युनिटी को खूब कष्ट झेलना पड़ रहा है. मतलब इन दिनों जैसे हालात हैं कहना गलत नहीं है कि देश में मुगलों की हालत ठीक वैसी ही है जैसे घुटनों तक के कीचड़ में फंसी हुई प्लास्टिक की पन्नी. बात कष्ट और मुग़ल दोनों की हुई है तो आइए ज़िक्र करें औरेंगज़ेब (Aurangzeb) के दादा बाबर (Babar) का. बाबर लाइम लाइट में है कारण वही मंदिर-मस्जिद हिंदू मुस्लिम की राजीनीति. बाबर को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने बड़ी बात कही है और ये ऐसी बात है जिसे सुनकर वहां ऊपर बाबर ने अपने बेटों पोतों की आत्मा के अलावा अपने दरबार के कारिंदों की एक सभा बुलाई है और कह रहा है और दरबारियों के साथ साथ अपने पोते की तरफ मुखातिब होकर कह रहा है - अच्छा छोटू ये बताओ क्या एक बादशाह के रूप में तुम्हारे दादा अब्बू इतने बुरे थे. असल में तमाम चीजें जो मैंने नहीं की उनके लिए भी मुझे दोषी ठहराया जा रहा है. बताओ छोटू बताओ. जवाब दो छोटू

बाबर को लेकर केंद्रीय मंत्री का बयान वाकई अजीब ओ गरीब है

असल में हुआ ये है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा है कि 'बाबर समझ गया था कि राम इस देश के प्राण हैं, इसलिए उसने राममंदिर को नष्ट किया. जावेड़कर ने ये ज्ञान दिल्ली में आयोजित एक प्रोग्राम में बिखेरा है. उन्होंने कहा है कि , देश में लाखों मंदिर हैं, लेकिन जब विदेशी आक्रमणकारी आए, बाबर आए, तो उन्होंने राम मंदिर को ही क्यों तोड़ा? क्योंकि उन्हें समझ आ गया था कि इस देश के प्राण कहीं हैं तो राम मंदिर में हैं.

जावेड़कर ये इतना डीप और एकदम डोप करने वाला इतिहास कहां पढ़ा ये जावेड़कर जानें मगर जो बात उन्हें जनवाई जानी चाहिए वो ये कि बाबर ने हाथ में छेनी हथौड़ी लेकर राम मंदिर नहीं तोड़ा और न ही उसने कंधे पर ईंट लादकर 1:5 का मसाला तैयार करके मस्जिद बनवाई. बाबरी मस्जिद का निर्माण उसके सेनापति जिसे उर्दू भाषा में सिपहसालार भी कहते हैं मीर बाक़ी ने बनवाई.

मीर बाकी का एजेंडा एकदम क्लियर था वो अपने आका को ठीक वैसे ही खुश करना चाहता था जैसे जावेड़कर अपने आकाओं या ये कहें कि जिनकी बदौलत उनकी राजनीति चल रही है उनको खुश कर रहे हैं. ध्यान रहे कि राममंदिर को लेकर देश के अलावा विदेशों तक में बैठे लोगों का दावा है कि स्थान रामजन्मभूमि है जिस कारण यहां पर एक प्राचीन मंदिर था जिसे इन दुष्ट मुग़लों द्वारा तोड़ा गया.

मुग़लों ने हिंदुस्तान के लिए क्या किया वो एक अलग चैप्टर है मगर जिस तरह मीर बाकी या औरेंगज़ेब के चलते आए रोज बाबर समेत तमाम मुगलों को पड़ी लकड़ी उठानी पड़ती है तकलीफ़ तो निस्संदेह होती ही होगी.

अब जबकि अयोध्या में जल्द ही भव्य राममंदिर बनने वाला है कहीं न कहीं बाबर की आत्मा भाजपा, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों से ज्यादा उत्साहित होगी और सोच रही होगी कि जल्द से जल्द मंदिर बनकर तैयार हो जाए तो ये बात बेबात मुझे बदनाम करने वाला टंटा खत्म हो बेवजह की कॉन्ट्रोवर्सी पर विराम लगे.

बात मुगलों की चली है तो उनका एक अचीवमेंट भी बताते चलें हालांकि इसको बताने की कोई प्रासंगिकता नहीं है मगर शायद से बाबर बिरादरी के बेचैन दिलों को कुछ आराम मिले. एक प्रतिष्ठित अखबार की वेबसाइट के अनुसार 450 साल पहले मुगलों ने अपनी राजधानी यानी फतेहपुर सीकरी में एक ऐसा सिस्टम ईजाद किया था जिसके जरिये पानी की हर एक बूंद यूटिलाइज होती थी.

इतिहासकारों की मानें तो बादशाह अकबर भले ही हर नल न बंद करते हों लेकिन जल संरक्षण में उनका योगदान अतुलनीय है. अकबर ने पानी की कीमत को समझते हुए अपने भवनों के निर्माण में इस बात का खास ख्याल रखा था मि बारिश की कोई बूंद व्यर्थ नहीं जाए. इसके चलते भवनों की छतों से लेकर अंडर ग्राउंड टैंकों तक कवर नालियां बनाई गई थीं. इन्हीं से बारिश का पानी टैंकों तक पहुंचता था.

चाहे फतेहपुर सीकरी हो या फिर आगरा ये सब आज भी दिखाई देता है. मगर बात तो ये भी सही है कि हीरो के मुकाबले लोगों को विलेन ज्यादा आकर्षित करते हैं. औरेंगज़ेब के जो कारनामें हैं वो आप बच्चे बच्चे से पूछ लीजिये. आप एक सवाल पूछिये गारंटी हमारी है कम से कम पांच जवाब मिलेंगे.

भले ही अकबर पानी का मोल समझते हो लेकिन बात वही है 'सानू की.' फ़िलहाल मुद्दा बाबर हैं. भले ही उन्होंने इन तमाम ख़बरों के बाद अपने नातेदारों, रिश्तेदारों के अलावा दरबारियों तक से मीटिंग करके अपने दुःख जाहिर कर दिया हो मगर अब देश के लोग वहां पहुंच चुके हैं कि अगर ये लाल किले के पास भी सेल्फी ले रहे हों तो भी यही कहेंगे कि लाल किला लाल इसलिए है क्योंकि मुग़ल मुस्लिम थे और मुस्लिम ही ज्यादा पान खाते हैं. थूकने के बाद लाल निशान न पड़ें इसलिए सीधे सीधे लाल वाला पत्थर ही लगवा दिया.

बहरहाल अभी तो मुग़ल सिर्फ कीचड़ में फंसी प्लास्टिक की पन्नी हुए हैं.अभी तैयार रहिये आगे आप ऐसा बहुत कुछ देखेंगे जो न केवल आपकी कल्पना से परे होगा बल्कि जिसे देखकर यकीनन आपके होश उड़ जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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