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अखिलेश भइया ये जवानी तेरे नाम: टेनिस क्रिकेट जिंदाबाद...

    • सर्वेश त्रिपाठी
    • Updated: 20 जनवरी, 2021 08:25 PM
  • 20 जनवरी, 2021 08:25 PM
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मुश्किल हालत के बावजूद जिस तरह टीम इंडिया (Team India) ने ऑस्ट्रेलिया (Australia) को ब्रिसबेन के गाबा टेस्ट (Brisbane) में पटखनी दी, वो बेमिसाल है. जब सारा देश खुश हो तो फिर नेता खुश क्यों न हों? अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी टीम इंडिया को बधाई दी लेकिन एक ऐसी बात कह दी है जिसका न तो सिर है और न ही पैर. ट्रोल्स के निशाने पर आना स्वाभाविक था.

कल तो भाई मजा आ गया. भारत के साथ एडिलेड में खेले पहले टेस्ट मैच में भारत को 8 विकेट से रगड़ने के बाद आस्ट्रेलियन कंगारुओं ने सपने भी नहीं सोचा था कि टीम इंडिया ऐसा पलटवार करेगी. गुरु इतिहास बन चुका है. टीम इंडिया ने सीरीज के बाकी तीन मैच में एक ड्रा और दो जीत के साथ सीरीज अपने नाम कर ली है. मतलब वही टीम जो अभी कुछ दिन पहले ही दूसरी इनिंग में सब विकेट दान में देकर कुल जमा 36 रन बनाए थे, वहीं टीम ऐसा कमाल करेगी, यह सोचना भी भैया पाप ही था. फ़िलहाल कंगारू जहां हार से स्तब्ध है वहीं हम भारतीय खुशी में बौराए पड़े है. बौराये भी क्यों न भाई? आस्ट्रेलिया वाले जिस एटिट्यूड में खेलते है और मैदान पर जिस कदर स्लेजिंग करते है उसे हर क्रिकेट प्रेमी बख़ूबी समझता और जानता है.

इस सीरीज में भारतीय टीम पर नस्लीय टिप्पणी भी की गई. भला हो अब दादा (सौरव गांगुली) और हरभजन सिंह वाली टीम नहीं है. वरना सबक की डोज़ और तगड़ी होती. दादा से याद आया कि बीच में दादा की तबीयत कुछ खराब हुई थी. ऊपर वाले से दुआ है कि वे स्वस्थ रहें. बाकी अपने लड़कों की क्रिकेट देखकर उनकी तबीयत तो वैसे ही चौचक हो गई होगी.

टीम इंडिया द्वारा ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देने पर अखिलेश यादव बोले हैं और बहुत ज्यादा बेतुका बोले हैं

दादा की देन है कि आज अपनी टीम इंडिया के बच्चे भी आस्ट्रेलिया को ऐसे रपट रहे है जैसे कभी महाभारत काल में अर्जुन को भीलों ने दौड़ा दौड़ाकर रपटा था ( भिलन लूटी गोपिका वाला प्रसंग तो आपको याद ही होगा.) ख़ैर बात हो रही थी इस खुशी की तो हम भारतीय कल से ही मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर खूब बढ़ बढ़कर हौंक रहे हैं. आम आदमी को छोड़िए नेता से लेकर अभिनेता तक कोई भी छोड़ने में पीछे नहीं है.

अपने यूपी वाले अखिलेश भैया तो इस जीत पर...

कल तो भाई मजा आ गया. भारत के साथ एडिलेड में खेले पहले टेस्ट मैच में भारत को 8 विकेट से रगड़ने के बाद आस्ट्रेलियन कंगारुओं ने सपने भी नहीं सोचा था कि टीम इंडिया ऐसा पलटवार करेगी. गुरु इतिहास बन चुका है. टीम इंडिया ने सीरीज के बाकी तीन मैच में एक ड्रा और दो जीत के साथ सीरीज अपने नाम कर ली है. मतलब वही टीम जो अभी कुछ दिन पहले ही दूसरी इनिंग में सब विकेट दान में देकर कुल जमा 36 रन बनाए थे, वहीं टीम ऐसा कमाल करेगी, यह सोचना भी भैया पाप ही था. फ़िलहाल कंगारू जहां हार से स्तब्ध है वहीं हम भारतीय खुशी में बौराए पड़े है. बौराये भी क्यों न भाई? आस्ट्रेलिया वाले जिस एटिट्यूड में खेलते है और मैदान पर जिस कदर स्लेजिंग करते है उसे हर क्रिकेट प्रेमी बख़ूबी समझता और जानता है.

इस सीरीज में भारतीय टीम पर नस्लीय टिप्पणी भी की गई. भला हो अब दादा (सौरव गांगुली) और हरभजन सिंह वाली टीम नहीं है. वरना सबक की डोज़ और तगड़ी होती. दादा से याद आया कि बीच में दादा की तबीयत कुछ खराब हुई थी. ऊपर वाले से दुआ है कि वे स्वस्थ रहें. बाकी अपने लड़कों की क्रिकेट देखकर उनकी तबीयत तो वैसे ही चौचक हो गई होगी.

टीम इंडिया द्वारा ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देने पर अखिलेश यादव बोले हैं और बहुत ज्यादा बेतुका बोले हैं

दादा की देन है कि आज अपनी टीम इंडिया के बच्चे भी आस्ट्रेलिया को ऐसे रपट रहे है जैसे कभी महाभारत काल में अर्जुन को भीलों ने दौड़ा दौड़ाकर रपटा था ( भिलन लूटी गोपिका वाला प्रसंग तो आपको याद ही होगा.) ख़ैर बात हो रही थी इस खुशी की तो हम भारतीय कल से ही मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर खूब बढ़ बढ़कर हौंक रहे हैं. आम आदमी को छोड़िए नेता से लेकर अभिनेता तक कोई भी छोड़ने में पीछे नहीं है.

अपने यूपी वाले अखिलेश भैया तो इस जीत पर इतने सेंटी हो गए कि उन्होंने भारत की जीत के बाद ट्वीट कर तुरंत बधाई दी. इहां तक तो भाई साहब सब सही था.मामला तब जमा जब अखिलेश भैया ने अपनी ट्वीट की अगली लाइन में यह जोड़ दिया कि 'सपा की सरकार आने पर टेनिस क्रिकेट को मान्यता दी जाएगी! लो कर लो बात!

ये जवानी तेरे नाम, अखिलेश भैया जिंदाबाद. भाई आस्ट्रेलिया में पढ़ा है तो इस बात को सीरियसली लेना ही था. हम तो ये बात समझ रहे कि भाई भावनाओं में बह रहा है. लेकिन इन ट्रोलर्स को कौन समझाए. हो जाता है कभी कभी भावनाओं में जीभ फिसल ही जाती है. माफ़ करिएगा, इंसान थोड़ा दाएं बाएं चला ही जाता है. लेकिन ई ट्वीट पर तो एकबारगी भाई हमहु चौंक गवा.

मल्लब ई टेनिस क्रिकेट कहीं कऊनो नवा खेला तो नहीं है. हो भी सकता है. वैसे भी यह फ्यूज़न और कन्फ्यूजन का ज़माना है. हो सकता है भाई ने खेल खेल में कोई नया खेल ईजाद कर लिया हो. वैसे भी जैसे पॉलिटिक्स है मोदी योगी ने कोई पिच ही नहीं छोड़ी है जहां पर अखिलेश और उनकी पार्टी कोई खेल कर सके. तो भाई ने ट्विटर पर ही नया खेल रच दिया हो.

'ओह एम जी! ये तो मैं फिर पॉलिटिकल हो रहा. सौरी बंधु!' ख़ैर इतना भी सासू मां की तरह जबान नहीं पकड़नी चाहिए। हो सकता है भाई ने टेनिस बाल क्रिकेट को मान्यता देने की बात कही हो. वैसे भी टेनिस बाल क्रिकेट और उसके टूर्नामेंट तो अपने यूपी बिहार में अब राष्ट्रीय खेल का दर्जा पा ही चुके है.

अब आईसीसी और बीसीसीआई चाहे इसका लोड ले या न ले उसकी मर्जी। हम सबका भी बचपन और आने वाली पीढ़ी लेदर बाल पर आने से पहले टेनिस बाल से ही क्रिकेट का ककहरा सीखती है. बस हमें थोड़ी सी चिंता इस बात की है कहीं बहिन जी को कोई सलाह न दे दे और वो अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर पर्चा पढ़ दे कि उनकी सरकार आने पर पिलास्टिक क्रिकेट को मान्यता दी जाएगी.

हालांकि इसमें कोई बुराई तो नहीं है बस मसला इकोफ्रेंडली नहीं होगा. वैसे भी चीन के बने पिलास्टिक के बैट बाल और अन्य खिलौनों को राष्ट्रहित में अवॉइड करना है. तब तक अरुणाचल में क्या खेल हो रहा है? उस पर आप सब भी सरकार की तरह अपनी नज़र जमाए रखिए. जय हिन्द!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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