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बच्चों को ‘सेरेलेक’ कितना देना है से लेकर कुत्तों के बिस्किट तक अपने पास ज्ञान भरपूर है!

    • सिद्धार्थ अरोड़ा सहर
    • Updated: 03 अगस्त, 2022 07:53 PM
  • 03 अगस्त, 2022 07:53 PM
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आज का जैसा माहौल है लोगों के पास इतना ज्ञान है कि वो संभाले नहीं संभल रहा. ऐसे लोगों को सिर्फ मौका चाहिए ये अपनी ज्ञान की छींटें हर जगह बिखेर देते हैं. चूंकि हर आदमी हर मामले का एक्सपर्ट है तो हमें भी यही चाहिए कि जिन लोगों से हमें बिन मांगा ज्ञान मिल रहा है उन्हें हमें इसे वापस भी करना चाहिए.

मैं एक्सपर्ट हूं, मैं परेंटिंग के बारे में बहुत ज्ञान दे सकता हूं. मुझे सब पता है बच्चों के बारे में, कैसे पालना है, सही परवरिश क्या है, क्या करें कि वह रोए नहीं, नहीं नहीं उनके हाथ में मोबाइल  नहीं देना है. उनको किताबें थमा दो, नहीं नहीं ये सब आदतें मत डालो! ऐसे कई नुस्खे हैं मेरे पास, जो अच्छी परेंटिंग के लिए गाइड का काम कर सकते हैं. मैं यह अनोखे नुस्खे बहुतेरे फेसबुक के परेशान मात-पिताओं को देता रहता हूं.

अब इसे विडंबना कहें या कुछ और आज हर आदमी हर मामले का एक्सपर्ट बना बैठा है

आखिर क्यों न दूं? महाराज संकेशवर उर्फ सर्किट ने कहा था 'ज्ञान को अपने पास रख के सड़ाने का नई, इसे बाटने का बीड़ू.' इसलिए मैं बांटता रहता हूं. वो अलग बात है कि जो मात-पिता बच्चे पाल रहे हैं, उन्हें पता है कि मेरा बिन-तजुर्बे का ज्ञान किसी काम नहीं आता, बच्चों के हाथ में किताब दो तो वो उसका जहाज बना देते हैं.

देश में भी तो यही चलता है, जिसने कभी कोर्टरूम का चेहरा न देखा वो कानून मंत्री बन जाता है. हर जगह फ्लाइट से आने-जाने वाला रेलमंत्री होता है और जिसे फिल्में तक एक्शन/वॉर नहीं रोमांटिक ड्रामा पसंद हों, वो रक्षामंत्री कहलाता है. पर मुझे इससे क्या, मेरे खुद के बच्चे अभी नहीं हैं न, इसलिए बच्चे पालने को लेकर सारा ज्ञान मुझे है. उसी को यहां वहां बांटकर पुण्य कमाता रहता हूं.

पर कर्म तो कर्म हैं, घूमकर ज़रूर आते हैं. इसीलिए जिन महानुभावों के घर में कभी पिल्ला नहीं आया, जो गली में कुत्ते को देखकर 2 गज की दूरी है बहुत ज़रूरी कहते निकल जाते हैं, वो मुझे ज्ञान दे जाते हैं कि कुत्ते कैसे पालने चाहिए. डॉग केयरिंग असल में क्या होती है, और तो और.., diet chart भी बता जाते हैं कि मुझे कुत्ते के बिस्किट और कुत्ते को मेरे बिस्किट नहीं खाने...

मैं एक्सपर्ट हूं, मैं परेंटिंग के बारे में बहुत ज्ञान दे सकता हूं. मुझे सब पता है बच्चों के बारे में, कैसे पालना है, सही परवरिश क्या है, क्या करें कि वह रोए नहीं, नहीं नहीं उनके हाथ में मोबाइल  नहीं देना है. उनको किताबें थमा दो, नहीं नहीं ये सब आदतें मत डालो! ऐसे कई नुस्खे हैं मेरे पास, जो अच्छी परेंटिंग के लिए गाइड का काम कर सकते हैं. मैं यह अनोखे नुस्खे बहुतेरे फेसबुक के परेशान मात-पिताओं को देता रहता हूं.

अब इसे विडंबना कहें या कुछ और आज हर आदमी हर मामले का एक्सपर्ट बना बैठा है

आखिर क्यों न दूं? महाराज संकेशवर उर्फ सर्किट ने कहा था 'ज्ञान को अपने पास रख के सड़ाने का नई, इसे बाटने का बीड़ू.' इसलिए मैं बांटता रहता हूं. वो अलग बात है कि जो मात-पिता बच्चे पाल रहे हैं, उन्हें पता है कि मेरा बिन-तजुर्बे का ज्ञान किसी काम नहीं आता, बच्चों के हाथ में किताब दो तो वो उसका जहाज बना देते हैं.

देश में भी तो यही चलता है, जिसने कभी कोर्टरूम का चेहरा न देखा वो कानून मंत्री बन जाता है. हर जगह फ्लाइट से आने-जाने वाला रेलमंत्री होता है और जिसे फिल्में तक एक्शन/वॉर नहीं रोमांटिक ड्रामा पसंद हों, वो रक्षामंत्री कहलाता है. पर मुझे इससे क्या, मेरे खुद के बच्चे अभी नहीं हैं न, इसलिए बच्चे पालने को लेकर सारा ज्ञान मुझे है. उसी को यहां वहां बांटकर पुण्य कमाता रहता हूं.

पर कर्म तो कर्म हैं, घूमकर ज़रूर आते हैं. इसीलिए जिन महानुभावों के घर में कभी पिल्ला नहीं आया, जो गली में कुत्ते को देखकर 2 गज की दूरी है बहुत ज़रूरी कहते निकल जाते हैं, वो मुझे ज्ञान दे जाते हैं कि कुत्ते कैसे पालने चाहिए. डॉग केयरिंग असल में क्या होती है, और तो और.., diet chart भी बता जाते हैं कि मुझे कुत्ते के बिस्किट और कुत्ते को मेरे बिस्किट नहीं खाने चाहिए.

ऐसे कमेंट्स सामने आते हैं तो मैं ज़ोर-ज़ोर से पढ़ता हूं, ज़ोर ज़ोर से पढ़ता हूं तो मेरा रॉनी भी सुनता है, वो मुझे एक टक घूरकर देखता है और ग़ुर्राते हुए फिर मुंह घुमाकर लेट जाता है. मैं यहीं से प्रेरणा लेकर फिर इनबॉक्स में किसी को ढूंढना शुरु करता हूं जिसे बता सकूं कि बच्चों को कौन सी कंपनी का ‘सेरेलेक’ कितने चम्मच देना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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