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'पासवर्ड शेयरिंग' को टारगेट कर भारत की एकता-भाईचारे को तोड़ने की फ़िराक में है Netflix!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 02 जून, 2022 10:41 PM
  • 02 जून, 2022 10:41 PM
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नेटफ्लिक्स (Netflix) के शौकीनों को बड़ा झटका लग सकता है. कंपनी पासवर्ड शेयरिंग के लिए कुछ बड़ी प्लानिंग कर रही है और पेनाल्टी की योजना बना रही है. यदि ऐसा हो गया और ये हिंदुस्तान में हुआ तो इसका सीधा असर एकता और भाईचारे पर देखने को मिलेगा.

कोरोना के इस दौर में, भले ही हमने मास्क लगाना और सेनेटाइजर से हाथ साफ़ करना सीखा हो या न सीखा हो. लेकिन भइया अपन मोबाइल पर फिल्म और वेब सीरीज देखना सीख गए हैं. All Thanks To OTT. चर्चा ओटीटी और एंटरटेनमेंट की हुई है. Netflix को ख़ारिज कर दें तो इस गुनाह-ए-अजीम के लिए भगवान कभी माफ़ नहीं करेगा. लेकिन क्या हर आदमी, उसमें भी मिडिल क्लास, लोअर मिडिल क्लास नेटफ्लिक्स को सब्सक्राइब कर पाता है? जवाब है हां. बिलकुल कर पाता है. बात ये है कि हर इंसान की ज़िन्दगी में कुछ अच्छे लोग होते हैं. जो उससे अपना नेटफ्लिक्स का पासवर्ड शेयर कार देते हैं. जिसे पाकर वो अपनी एंटरटेनमेंट की तृष्णा को शांत कर लेता है. लेकिन गरीबों, मजलूमों और बेचारे की ख़ुशी किसको बर्दाश्त जो नेटफ्लिक्स को होती. लग गयी नजर. लॉस का हवाला देकर नेटफ्लिक्स ने एक ऐसा फैसला ले लिया है. जिसने हम जैसे उन लोगों की खुशियों को धुंआ धुंआ कर दिया है. जो इस उम्मीद में कटिया डाले बैठे रहते थे कि आज नहीं तो कल फंसेगी कोई मछली और हमारी बेचारगी देखकर अपना नेटफ्लिक्स का पासवर्ड सहर्ष हमारी झोली में डाल देगी.

नेटफ्लिक्स अगर पासवर्ड शेयरिंग पर लगाम कस देता है तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय मिडिल क्लास होगा 

असल में Netflix ने पासवर्ड शेयर करने वाले दिलदारों को सबक सिखाने के लिए पेरू, चिली और कोस्टा रिका में एक एक्सपेरीमेंन्ट किया है. मगर इस प्रयोग के फल नेटफ्लिक्स के पक्ष में नहीं आ रहे हैं. जिससे चिंता के फलस्वरुप कंपनी के हाथ पांव फूल गए हैं. पासवर्ड शेयरिंग के टंटे के चलते रेस्ट ऑफ वर्ल्ड की एक रिपोर्ट सामने आई है.

दावा है कि यदि Netflix के...

कोरोना के इस दौर में, भले ही हमने मास्क लगाना और सेनेटाइजर से हाथ साफ़ करना सीखा हो या न सीखा हो. लेकिन भइया अपन मोबाइल पर फिल्म और वेब सीरीज देखना सीख गए हैं. All Thanks To OTT. चर्चा ओटीटी और एंटरटेनमेंट की हुई है. Netflix को ख़ारिज कर दें तो इस गुनाह-ए-अजीम के लिए भगवान कभी माफ़ नहीं करेगा. लेकिन क्या हर आदमी, उसमें भी मिडिल क्लास, लोअर मिडिल क्लास नेटफ्लिक्स को सब्सक्राइब कर पाता है? जवाब है हां. बिलकुल कर पाता है. बात ये है कि हर इंसान की ज़िन्दगी में कुछ अच्छे लोग होते हैं. जो उससे अपना नेटफ्लिक्स का पासवर्ड शेयर कार देते हैं. जिसे पाकर वो अपनी एंटरटेनमेंट की तृष्णा को शांत कर लेता है. लेकिन गरीबों, मजलूमों और बेचारे की ख़ुशी किसको बर्दाश्त जो नेटफ्लिक्स को होती. लग गयी नजर. लॉस का हवाला देकर नेटफ्लिक्स ने एक ऐसा फैसला ले लिया है. जिसने हम जैसे उन लोगों की खुशियों को धुंआ धुंआ कर दिया है. जो इस उम्मीद में कटिया डाले बैठे रहते थे कि आज नहीं तो कल फंसेगी कोई मछली और हमारी बेचारगी देखकर अपना नेटफ्लिक्स का पासवर्ड सहर्ष हमारी झोली में डाल देगी.

नेटफ्लिक्स अगर पासवर्ड शेयरिंग पर लगाम कस देता है तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय मिडिल क्लास होगा 

असल में Netflix ने पासवर्ड शेयर करने वाले दिलदारों को सबक सिखाने के लिए पेरू, चिली और कोस्टा रिका में एक एक्सपेरीमेंन्ट किया है. मगर इस प्रयोग के फल नेटफ्लिक्स के पक्ष में नहीं आ रहे हैं. जिससे चिंता के फलस्वरुप कंपनी के हाथ पांव फूल गए हैं. पासवर्ड शेयरिंग के टंटे के चलते रेस्ट ऑफ वर्ल्ड की एक रिपोर्ट सामने आई है.

दावा है कि यदि Netflix के उपभोगता कंपनी के नियमों (पासवर्ड के मद्देनजर बनाए गए नियम) का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें हर्जाने के स्वरुप पेनाल्टी देनी होगी. मामले में दिलचस्प ये रहा कि यूजर्स ने पासवर्ड शेयरिंग के लिए एक्स्ट्रा पेमेंट का नहीं बल्कि सब्सक्रिप्शन को अनसब्सक्राइब करने के ऑप्शन पर क्लिक किया. वैसे देखा जाए तो यूजर्स ने सही ही किया. वरना मूर्ख ही होगा कोई जो ढिंढोरा पीटते हुए कहेगा कि आ बैल. मुझे मार.

भले ही टर्म्स एंड कंडीशन का खुलासा कंपनी ने अपनी पालिसी में कर दिया हो मगर कंपनी का ये कहना कि पासवर्ड शेयरिंग पॉलिसी को जल्द ही रोलआउट किया जाएगा संपूर्ण कहानी की ससंदर्भ व्याख्या कर रहा है. मार्केट में ये चर्चा भी है कि नेटफ्लिक्स अलग-अलग कस्टमर्स से अलग तरह से चार्ज करेगा.

अच्छा चूंकि ये पॉलिसी यहां हिंदुस्तान में लागू नहीं हुई है. इसलिए जब तक कुछ नहीं हो रहा लोग पासवर्ड बांटते रहें. लेकिन अगर ये नियम यहां लागू हो गए तो क्या होगा? स्थिति विकट हो जाएगी. ऐसा इसलिए भी होगा क्योंकि अब यहां भारत में एंटरटेनमेंट के मद्देनजर शेर के मुंह में खून लग चुका है. लोग ओटीटी को अपनी आदत में शुमार कर चुके हैं. इसलिए अगर पासवर्ड के हवाले से सब कुछ बंद हो गया तो हम मिडिल क्लास के सामने जल बिन मछली वाली स्थिति रहेगी. 

इस पासवर्ड प्रकरण में कहने सुनने और बताने को तो तमाम तरह की बातें हैं. लेकिन सिर्फ इस खबर से शुगर, बीपी, कोलेस्ट्रॉल बढ़ गया है. अभी दिन ही कितने हुए थे बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई का हवाला देकर नया फ़ोन लिया था. नए फ़ोन के वक़्त तर्क कुछ भी रहे हों लेकिन सच्चाई यही थी कि एचडी क्वालिटी में फ़िल्में देखनी थी. 

बतौर कंपनी नेटफ्लिक्स को इस बात को समझना होगा कि, हम हिंदुस्तानी कुछ इस टाइप के लोग हैं. जो अगर 10 रुपए की सिगरेट भी खरीदते हैं. दिमाग में फर्स्ट थॉट यही रहता है कि जहां इससे दोस्तों से भाईचारा बढेगा. तो वहीं इससे सिगरेट से होने वाली बीमारियां भी कम होंगी. नहीं मतलब सच में, हम लोग जुआड़ से काम चलाने वाले लोग हैं. और यही हमारी शक्ति भी है. इसलिए अगर नेटफ्लिक्स इस तरह की कोई वाहियात प्लानिंग कर रहा है तो उसका सीधा हमला हमारे गुमान की तरफ है. 

चूंकि अपना फंडा वही है कि इस जोर जबर की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है. तो भइया नेटफ्लिक्स की इस तानाशाही के खिलाफ अपना संघर्ष तब तक चलेगा जब तक सूरज चांद है. चूंकि सारे बवाल की जड़ नेटफ्लिक्स और उसका पासवर्ड है तो कोई ज्ञानचंद आकर इस बात का भी बखान कर सकता है कि अगर नेटफ्लिक्स पासवर्ड शेयरिंग में एक्स्ट्रा चार्ज कर रहा है तो किसी बात की दिक्कत? इतनी ही परेशानी है तो फिल्म या वेब सीरीज को डाउन लोड कर के देख लिया जाए.

बात सही है. लेकिन ऐसे लोगों से हम बस इतना ही कहेंगे कि पाइरेसी चोरी है. और चोरी करना महा का पाप है और इसकी कोई बख्शीश नहीं है. बाकी बांटने से भाईचारा बढ़ता है जो देश और देश की अखंडता और एकता के लिए बहुत ज़रूरी है. यूं भी हम मिडिल क्लास एकता के ही पक्षधर हैं. अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि पासवर्ड शेयरिंग को टारगेट कर देश की एकता-भाईचारे को तोड़ने की फ़िराक में है Netflix इसलिए हमें प्रण लेना होगा कि हम नेटफ्लिक्स के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे. इंकलाब जिंदाबाद!   

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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