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ज़रा-सी बारिश और दिल्ली का बावर्ची बन खाने पर अत्याचार करना अलग किस्म का गुनाह है!

    • रीवा सिंह
    • Updated: 04 जुलाई, 2022 11:08 PM
  • 04 जुलाई, 2022 11:05 PM
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दिल्ली में बारिश का होना भर था. वो पब्लिक जो बीते कई दिन से भीषण गर्मी की मार झेल रही थी बड़ी राहत महसूस कर रही है. ऐसे में जैसे ही हम सोशल मीडिया का रुख करते हैं तो वहां एक अलग ही तरह का नजारा है और हर आदमी शेफ बना हुआ है जो कई तरह की अतरंगी डिशेज के अविष्कार में अपनी ऊर्जा खंपा रहा है.

ज़रा-सी बारिश क्या हुई पूरी दिल्ली का कुर्ताफाड़ रोमांस फ़ेसबुक पर मंडरा रहा है. हां भाई. पता चल गया बारिश हुई है. तुमलोग कार के शीशे पर बूंदों की तस्वीरें नहीं लगाते तो भी पता चल जाता. थोड़ी बारिश और हो गयी तो फ़्लायओवर से बहते पानी में शावर लेती कार की तस्वीरें अपने आप आ जातीं. भारतवर्ष में लोग ज़्यादा बेसब्री से बारिश का इंतज़ार करते हैं या महबूब का. इसका पता नहीं लगाया जा सका है. कोई शोध हो भी नहीं रहा इसलिए निकट भविष्य में भी असमंजस ही रहेगा.चार बूंद बारिश होते ही लोगों का कुकरी शो शुरू हो जाता है. बरसो रे मेघा... गाते हुए अभी बेसन फेटा जाता है कि बारिश ग़ायब. लोग जलेबी बनाकर ऐलान करते हैं कि होममेड है. अरे. पता है होममेड है! जलेबी की शक्ल चीख-चीखकर कह रही है कि हलवाई उसका ये हश्र हरगिज़ नहीं करेगा.

दिल्ली में बारिश का होना भर था हर दूसरे आदमी के अंदर का शेफ जाग गया है

पीत्ज़ा में मटर डाल देते हैं संजीव कपूर के फूफा लोग और कहते हैं घर पर बनाया है. घर पर ही तुम्हें यह आज़ादी प्राप्त है बेटा कि मटर. परवल. कटहल... सब डाल दो. बाहर ऐसे नायाब एक्सपेरिमेंट करोगे तो पीत्ज़ा ख़ुद किचन से इस्तीफ़ा दे देगा. कुछ होनहार आते हैं - मटन बनाया है. बटर चिकन फ़्रॉम माय किचन.

तुम्हारे किचन से है तो क्या टेबल पर पतीला. कड़ाही. कलछी सब लेकर प्रस्तुत होना ज़रूरी था? मतलब सर्विंग डिशेज़ भी एक चीज़ होती है या सीधा पतीले में कूद जाओगे इस बार! चाय की प्याली की ख़ूबसूरत तस्वीरें आती हैं. हज़ारों की कप बालकनी की पतली-सी रेलिंग पर रखते हुए तुम्हारा कलेजा नहीं कांपता?

ज़रा भी बैलेंस बिगड़ा तो कप की अस्थियां मिलेंगी लेकिन मनमौजी आशिक़ हुए जा रहे हैं ग़ालिब के चचाजान. कप रेलिंग पर रखेंगे तभी बारिश और रोमांस का मिलन होगा.

बारिश हो...

ज़रा-सी बारिश क्या हुई पूरी दिल्ली का कुर्ताफाड़ रोमांस फ़ेसबुक पर मंडरा रहा है. हां भाई. पता चल गया बारिश हुई है. तुमलोग कार के शीशे पर बूंदों की तस्वीरें नहीं लगाते तो भी पता चल जाता. थोड़ी बारिश और हो गयी तो फ़्लायओवर से बहते पानी में शावर लेती कार की तस्वीरें अपने आप आ जातीं. भारतवर्ष में लोग ज़्यादा बेसब्री से बारिश का इंतज़ार करते हैं या महबूब का. इसका पता नहीं लगाया जा सका है. कोई शोध हो भी नहीं रहा इसलिए निकट भविष्य में भी असमंजस ही रहेगा.चार बूंद बारिश होते ही लोगों का कुकरी शो शुरू हो जाता है. बरसो रे मेघा... गाते हुए अभी बेसन फेटा जाता है कि बारिश ग़ायब. लोग जलेबी बनाकर ऐलान करते हैं कि होममेड है. अरे. पता है होममेड है! जलेबी की शक्ल चीख-चीखकर कह रही है कि हलवाई उसका ये हश्र हरगिज़ नहीं करेगा.

दिल्ली में बारिश का होना भर था हर दूसरे आदमी के अंदर का शेफ जाग गया है

पीत्ज़ा में मटर डाल देते हैं संजीव कपूर के फूफा लोग और कहते हैं घर पर बनाया है. घर पर ही तुम्हें यह आज़ादी प्राप्त है बेटा कि मटर. परवल. कटहल... सब डाल दो. बाहर ऐसे नायाब एक्सपेरिमेंट करोगे तो पीत्ज़ा ख़ुद किचन से इस्तीफ़ा दे देगा. कुछ होनहार आते हैं - मटन बनाया है. बटर चिकन फ़्रॉम माय किचन.

तुम्हारे किचन से है तो क्या टेबल पर पतीला. कड़ाही. कलछी सब लेकर प्रस्तुत होना ज़रूरी था? मतलब सर्विंग डिशेज़ भी एक चीज़ होती है या सीधा पतीले में कूद जाओगे इस बार! चाय की प्याली की ख़ूबसूरत तस्वीरें आती हैं. हज़ारों की कप बालकनी की पतली-सी रेलिंग पर रखते हुए तुम्हारा कलेजा नहीं कांपता?

ज़रा भी बैलेंस बिगड़ा तो कप की अस्थियां मिलेंगी लेकिन मनमौजी आशिक़ हुए जा रहे हैं ग़ालिब के चचाजान. कप रेलिंग पर रखेंगे तभी बारिश और रोमांस का मिलन होगा.

बारिश हो रही है. किचन में चाय-पकौड़े का इंतज़ाम हो चुका है. मिट्टी दी ख़ुशबू सुन रहे हैं लेकिन बारिश में जाएंगे नहीं. गल जाएंगे. खिड़की पर चिपककर चार किलोमीटर दूर से मज़ा लेंगे. कोई बताओ इन्हें कि समुंदर में नहाकर कितनी भी नमकीन हो गयी हो. घुलोगी नहीं. पूरे फ़ीड को मौसम समाचार बनाना है. उतना एंजॉय कर भी नहीं पा रहे जितना दिखाना पड़ रहा है. बारिश हो रही है तो एंजॉय करो. करोगे कैसे नहीं. करना ही पड़ेगा! नहीं तो ऑड वन आउट.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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