• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
ह्यूमर

फिर 'दयालु' औरंगजेब के लिए सभा में तालियां बजीं जो अब तक बज रही हैं!

    • सिद्धार्थ अरोड़ा सहर
    • Updated: 24 मई, 2022 06:06 PM
  • 24 मई, 2022 06:06 PM
offline
मुगलिया सल्तनत के सबसे विवादित पात्रों में से एक औरंगजेब के समर्थक लगातार उसकी शान में कसीदे पढ़ रहे हैं. ऐसे लोगों का प्रयास यही है कि किसी भी सूरत में औरंगजेब को एक ही समय में महान और दयालु दोनों दर्शा दिया जाए और इसके लिए औरंगजेब समर्थक किसी भी सीमा पर जाने को तैयार हैं.

दरबार में चर्चा होने लगी कि दयालुता बहुत अच्छी चीज़ है. सिख गुरु कितने दयालु होते हैं, सिख राजा भी बहुत दयालु होते हैं. शायद यही वजह है कि लोग उन्हें बहुत पसंद करते हैं और मुग़लिया बादशाह से डरते हैं पर प्यार नहीं करते. तभी एक चम्मच ने टोक दिया 'तो क्या हुआ, हमारे बादशाह भी बहुत दयालु हैं. इनकी दयालुता के चर्चे तो पूरे हिंदुस्तान में हैं.'

सभा सकपका गयी. औरंगज़ेब और दयालु? ये तो बाप को मार के खा जाए. पर सामने बैठा है, बोले कौन? पूछे कौन?  पर एक दरबारी ने हिम्मत कर दी. 'बादशाह की दयालुता के किस्से हम भी सुनना चाहेंगे. बादशाह के खादिम से दरख़्वास्त है कि कोई किस्सा सुनाए.'

अपने दरबार में बैठा मुगलिया इतिहास का सबसे विवादित मुगल बादशाह औरंगजेब

अब चम्मच को कोई किस्सा पता हो तब तो सुनाए. दयालुता के नाम पर कबतक टोपियां सिलने का बहाना बताता रहे. चम्मच ने देखा औरंगज़ेब मुस्कुरा रहा था. उसने बॉल उसी की ओर पास कर दी. अपनी दयालुता की कहानी, बादशाह ख़ुद सुनाएंगे, सभा शांत होकर सुने.

औरंगज़ेब ने गला खंखारकर साफ किया. 'एक बार हम जंगल में शिकार के लिए गए थे. बहुत घना जंगल था. कुछ जगह तो इतने पेड़ थे कि दिन की रौशनी में भी आफ़ताब ज़मीं तक पहुंचने का रास्ता नहीं बना पा रहा था. हमारे सिपाही कहीं पीछे रह गए. हम उस जंगल में गहरे पहुंच चुके थे कि हमने देखा एक चौड़े से गहरे गड्ढे में से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आ रही है...'

सभा मंत्रमुग्ध होकर सब ध्यान से सुन रही थी.'... हम भाला लेकर गड्ढे के पास पहुंचे तो देखा एक दस-बारह साल का लड़का उसमें पड़ा बाहर निकलने के लिए तड़प रहा है, चिल्ला रहा है. हमें उस बेवकूफ पर तरस आ गया. हमने उसे बाहर निकाल लिया.'

चम्मच ने तालियां पीटनी शुरु कर दीं. 'वाह-वाह! बादशाह कितने दयालु...

दरबार में चर्चा होने लगी कि दयालुता बहुत अच्छी चीज़ है. सिख गुरु कितने दयालु होते हैं, सिख राजा भी बहुत दयालु होते हैं. शायद यही वजह है कि लोग उन्हें बहुत पसंद करते हैं और मुग़लिया बादशाह से डरते हैं पर प्यार नहीं करते. तभी एक चम्मच ने टोक दिया 'तो क्या हुआ, हमारे बादशाह भी बहुत दयालु हैं. इनकी दयालुता के चर्चे तो पूरे हिंदुस्तान में हैं.'

सभा सकपका गयी. औरंगज़ेब और दयालु? ये तो बाप को मार के खा जाए. पर सामने बैठा है, बोले कौन? पूछे कौन?  पर एक दरबारी ने हिम्मत कर दी. 'बादशाह की दयालुता के किस्से हम भी सुनना चाहेंगे. बादशाह के खादिम से दरख़्वास्त है कि कोई किस्सा सुनाए.'

अपने दरबार में बैठा मुगलिया इतिहास का सबसे विवादित मुगल बादशाह औरंगजेब

अब चम्मच को कोई किस्सा पता हो तब तो सुनाए. दयालुता के नाम पर कबतक टोपियां सिलने का बहाना बताता रहे. चम्मच ने देखा औरंगज़ेब मुस्कुरा रहा था. उसने बॉल उसी की ओर पास कर दी. अपनी दयालुता की कहानी, बादशाह ख़ुद सुनाएंगे, सभा शांत होकर सुने.

औरंगज़ेब ने गला खंखारकर साफ किया. 'एक बार हम जंगल में शिकार के लिए गए थे. बहुत घना जंगल था. कुछ जगह तो इतने पेड़ थे कि दिन की रौशनी में भी आफ़ताब ज़मीं तक पहुंचने का रास्ता नहीं बना पा रहा था. हमारे सिपाही कहीं पीछे रह गए. हम उस जंगल में गहरे पहुंच चुके थे कि हमने देखा एक चौड़े से गहरे गड्ढे में से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आ रही है...'

सभा मंत्रमुग्ध होकर सब ध्यान से सुन रही थी.'... हम भाला लेकर गड्ढे के पास पहुंचे तो देखा एक दस-बारह साल का लड़का उसमें पड़ा बाहर निकलने के लिए तड़प रहा है, चिल्ला रहा है. हमें उस बेवकूफ पर तरस आ गया. हमने उसे बाहर निकाल लिया.'

चम्मच ने तालियां पीटनी शुरु कर दीं. 'वाह-वाह! बादशाह कितने दयालु हैं'

सभा भी बांदरों की तरह नकल करने लगी. बस वो एक सवाल पूछने वाला अभी भी भवें टेढ़ी किए सबके शांत होने का इंतज़ार कर रहा था. बादशाह मंद मंद मुस्कुरा रहा था. जब सब शांत हुए तो उसी खोचड़ ने फिर पूछा 'बादशाह आप सलामत रहें, आपके पराक्रम की चर्चा हिंदुस्तान के बच्चे बच्चे तक पहुंचे, परंतु इतना ज़रूर बताएं कि आपने उस अभागे बालक को बाहर निकाला कैसे? क्या आपके पास कोई रस्सी भी थी?'

बादशाह हंसा 'अब रस्सी हमें उस वीराने में कहां से हासिल होती, हमारे पास एक भाला था, हमने वही उसकी गर्दन में घुसाया और उसे ऊपर खींच लिया.'

सभा सन्न रह गयी!

चम्मच फिर तालियां बजाते हुए बोल पड़ा 'और बादशाह अपना ख़र्च भी तो ख़ज़ाने से नहीं लेते हैं, अपने ख़र्च के लिए टोपियां सिलते हैं टोपियां. सभा में ज़्यादातर की फटी पड़ी थी. वो फिर से 'दयालु' औरंगे के लिए तालियां बजाने लगे, उनमें से कुछ तो अबतक बजा रहे हैं.

ये भी पढ़ें -

Swarn Ghar का एक सीन लॉजिक-रीज़निंग-विज्ञान के अभाव में दर्शकों की जान ले रहा है!

हसरत है मैं भी सर्वशक्तिमान सरकारी पत्रकार बनूं...

फारूक अब्दुल्ला को शिवसेना का समर्थन ही कयामत से पहले ही तस्वीर है ! 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    टमाटर को गायब कर छुट्टी पर भेज देना बर्गर किंग का ग्राहकों को धोखा है!
  • offline
    फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
  • offline
    टमाटर को हमेशा हल्के में लिया, अब जो है सामने वो बेवफाओं से उसका इंतकाम है!
  • offline
    अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲