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कौन संभालेगा टाटा की कमान?

    • आईचौक
    • Updated: 25 अक्टूबर, 2016 04:59 PM
  • 25 अक्टूबर, 2016 04:59 PM
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इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने अच्छे हैं. आपको कभी भी रिप्लेस किया जा सकता है. अब देखना ये है कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन के पद पर कौन साइरस मिस्त्री की जगह लेता है? बिजनेस वर्ल्ड में ये एक अहम दौड़ बन गई है.

टाटा ग्रुप की कमान अब एक बार फिर रतन टाटा के हाथ में आ गई है. सायरस मिस्त्री को हटाकर अब टाटा बोर्ड ने रतन टाटा को अंतरीम चेयरमैन घोषित कर दिया है. 148 साल पहले बने टाटा ग्रुप में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी चेयरमैन को पद से हटाया गया हो. ऐसा नहीं है कि इसके पहले मिस्त्री को कोई एक्सपीरियंस नहीं था या फिर रतन टाटा ने तीन साल की अपनी मेहनत के बाद खोटे सिक्के को चुना था. टाटा ग्रुप में मिस्त्री काफी समय से सक्रीय थे और इसके पहले टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, जैगुआर लैंड रोवर ऑटोमोटिव, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस, टाटा पावर कंपनी, द इंडियन होटल्स कंपनी, टाटा ग्लोबल बेवरेज, टाटा केमिकल्स, टाटा इंडस्ट्रीज और टाटा टेली सर्विसेस जैसी कंपनियों के चेयरमैन भी रहे.

अंग्रेजी की एक कहावत है ना No Matter how good you are you can always be replaced (इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने अच्छे हैं. आपको कभी भी रिप्लेस किया जा सकता है). कॉर्पोरेट सेक्टर में ये काफी आम बता है, लेकिन अगर 8 लाख करोड़ के मार्केट कैप वाली कंपनी के चेयरमैन के साथ ऐसा कुछ हो तो यकीनन मामला थोड़ा अलग होगा.

ये भी पढ़ें - मनमोहन से 18 रुपए लीटर महंगा पेट्रोल और डीजल बेच रहे हैं मोदी!

अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि आखिर कौन बनेगा अगला टाटा चेयरमैन. इस मुद्दे को लेकर कई सवाल आपके दिमाग में आ रहे होंगे अगर हैं तो चलिए गौर करते हैं कुछ अहम सवालों पर.

- कौन-कौन हैं दौड़ में शामिल?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सायरस मिस्त्री की जगह लेने के लिए यहां पहले से ही कई दावेदार मौजूद हैं. इनमें पेप्सिको की चेयरमैन इंदिरा नूयी,  वोडाफोन के पूर्व सीईओ अरुन सरीन, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर एन चंद्रशेखरन, टाटा बोर्ड के सदस्य इशत हुसैन और बी मखुरामन...

टाटा ग्रुप की कमान अब एक बार फिर रतन टाटा के हाथ में आ गई है. सायरस मिस्त्री को हटाकर अब टाटा बोर्ड ने रतन टाटा को अंतरीम चेयरमैन घोषित कर दिया है. 148 साल पहले बने टाटा ग्रुप में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी चेयरमैन को पद से हटाया गया हो. ऐसा नहीं है कि इसके पहले मिस्त्री को कोई एक्सपीरियंस नहीं था या फिर रतन टाटा ने तीन साल की अपनी मेहनत के बाद खोटे सिक्के को चुना था. टाटा ग्रुप में मिस्त्री काफी समय से सक्रीय थे और इसके पहले टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, जैगुआर लैंड रोवर ऑटोमोटिव, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस, टाटा पावर कंपनी, द इंडियन होटल्स कंपनी, टाटा ग्लोबल बेवरेज, टाटा केमिकल्स, टाटा इंडस्ट्रीज और टाटा टेली सर्विसेस जैसी कंपनियों के चेयरमैन भी रहे.

अंग्रेजी की एक कहावत है ना No Matter how good you are you can always be replaced (इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने अच्छे हैं. आपको कभी भी रिप्लेस किया जा सकता है). कॉर्पोरेट सेक्टर में ये काफी आम बता है, लेकिन अगर 8 लाख करोड़ के मार्केट कैप वाली कंपनी के चेयरमैन के साथ ऐसा कुछ हो तो यकीनन मामला थोड़ा अलग होगा.

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अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि आखिर कौन बनेगा अगला टाटा चेयरमैन. इस मुद्दे को लेकर कई सवाल आपके दिमाग में आ रहे होंगे अगर हैं तो चलिए गौर करते हैं कुछ अहम सवालों पर.

- कौन-कौन हैं दौड़ में शामिल?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सायरस मिस्त्री की जगह लेने के लिए यहां पहले से ही कई दावेदार मौजूद हैं. इनमें पेप्सिको की चेयरमैन इंदिरा नूयी,  वोडाफोन के पूर्व सीईओ अरुन सरीन, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर एन चंद्रशेखरन, टाटा बोर्ड के सदस्य इशत हुसैन और बी मखुरामन शामिल हैं.

इंदिरा नूई, एन चंद्रशेखरन और अरुन सरीन

- क्या चेयरमैन बाहर से लिया जाएगा?

हालिया दौर को देखकर लग रहा है कि ग्रुप से बाहर भी कंपनी चेयरमैन की तलाश कर रही है.

- क्या चेयरमैन के लिए कंपनी का रीस्ट्रक्चर होगा?

इस समय ये कहना मुश्किल है कि क्या कंपनी का रीस्ट्रक्चर होगा? ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी.

- शेयरहोल्डर से पूछा जाएगा या बोर्ड ही फैसला लेगा?

हालिया जानकारी के अनुसार टाटा बोर्ड की 5 मेंबर्स वाली सिलेक्शन कमेटी 4 महीने में नया चेयरमैन चुनेगी. इसमें रतन टाटा, वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य शामिल हैं. हालांकि, देखना ये है कि क्या इतने कम समय में चेयरमैन की घोषणा हो जाएगी?

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- कितना समय लगेगा? क्या तय 4 महीने में बन सकता है कोई चेयरमैन?

आंकड़ों को देखें और इतिहास को खंगालें तो इसके पहले किसी भी बड़े ग्रुप के चेयरमैन को चुनने में काफी समय लगा है. अगर 4 महीने की बात करें तो ये बोर्ड के लिए संभव कर पाना बहुत मुश्किल है कि इतने कम समय में चेयरमैन चुन लिया जाए. पिछली बार रतन टाटा ने तीन साल की खोजबीन के बाद ही सायरस मिस्त्री चेयरमैन पद के लिए लाए गए थे. 4 महीने में तब संभव है जब पहले से ही बोर्ड ने किसी को ढूंढ लिया हो. खास बात ये है कि अगस्त में ही पीरामल एंटरप्राइसेस के चेयरमैन अजय पीरामल और टीवीएस मोटर के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन को टाटा बोर्ड में शामिल किया गया था.

इस सबके बाद भी सवाल ये रह जाता है कि आखिर क्या होगा टाटा ग्रुप का? आखिर क्या हुआ मिस्त्री के फ्यूचर प्लान का? आखिर क्यों यंग चेयरमैन टाटा ग्रुप की कमान नहीं संभाल पाए? क्या रतन टाटा ने पहले इन सब बातों का और मिस्त्री के विजन का ध्यान नहीं रखा था?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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