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Online Gaming Industry: सब धान बाईस पसेरी समझकर 28% GST लगा दिया!

    • प्रकाश कुमार जैन
    • Updated: 30 जुलाई, 2023 03:30 PM
  • 30 जुलाई, 2023 03:30 PM
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आईटी एक्ट 2021 में किये गए संशोधनों के तहत सरकार 'गेम ऑफ़ चांस' को गैंबलिंग मानती है. चरणबद्ध तरीके से 'गेम ऑफ़ चांस' को बढ़ावा देने वाले ऑनलाइन गेम्स की पहचान कर बंद कर देने के मकसद से जीएसटी परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% GST लगाने का फरमान जारी कर दिया.

यदि कोई फैंटेसी गेम खेलना चाहता है तो उसे 100 रुपये देकर एंट्री करने पर 28% GST चुकानी होगी. वहीं 54 रुपये जीतने पर उसे 30% TDS देना होगा. ये कहां की समझदारी है? हो गया बंटाधार भारत में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का. लेकिन ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां गिड़गिड़ाने क्यों लगी कि 28 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दो? इसका मतलब दाल में कुछ तो काला है. सब कुछ तो ठीक नहीं है. उनके फॉर्मेट में और वे स्किल की आड़ में चांस का गेम खिलवा रहे हैं, सीधे सीधे कहें तो गेमिंग नहीं गैंबलिंग है.

भारत में गेमिंग और गैंबलिंग में स्पष्ट अंतर किया जाता है. दोनों का अंतर मूलतः स्किल और चांस को लेकर है. किसी गेम को स्किल से जीता जाता है. इसमें खिलाडी की मानसिक योग्यता और अभ्यास की भूमिका रहती है. वहीं गैंबलिंग मूलतः भाग्य या चांस पर निर्भर है. चूंकि गैंबलिंग गैरकानूनी है, प्रतिबंधित है तो जिस भी ऑनलाइन गेम में गैंबलिंग हैं, वह बैन है और यदि चल रहे है तो गैर कानूनी है. अब तक वैसी कोई व्यवस्था ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म के लिए नहीं हैं, जैसी गोवा, सिक्किम आदि में कैसीनो को, हॉर्स रेस को, स्वीकृति दी गई है.

तो जो गैरकानूनी गतिविधि हैं, उस पर हो रहे सभी लेनदेनों को आप जब्त ही कर लीजिये ना. परंतु जिन ऑनलाइन गेमिंग को आपने मान्यता दे रखी है स्किल वाले फंडा पर, उनके प्लेयर्स से यूं वसूली करना कहां तक जायज है? आईटी एक्ट 2021 में किये गए संशोधनों के तहत सरकार 'गेम ऑफ़ चांस' को गैंबलिंग मानती है. चरणबद्ध तरीके से 'गेम ऑफ़ चांस' को बढ़ावा देने वाले ऑनलाइन गेम्स की पहचान कर बंद कर देने के मकसद से जीएसटी परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% GST लगाने का फरमान जारी कर दिया.

ऐसा सरकार का कहना है. एक लॉजिक ये भी दिया गया है कि ऑनलाइन गेम्स एक प्रकार से नशे की तरह है....

यदि कोई फैंटेसी गेम खेलना चाहता है तो उसे 100 रुपये देकर एंट्री करने पर 28% GST चुकानी होगी. वहीं 54 रुपये जीतने पर उसे 30% TDS देना होगा. ये कहां की समझदारी है? हो गया बंटाधार भारत में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का. लेकिन ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां गिड़गिड़ाने क्यों लगी कि 28 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दो? इसका मतलब दाल में कुछ तो काला है. सब कुछ तो ठीक नहीं है. उनके फॉर्मेट में और वे स्किल की आड़ में चांस का गेम खिलवा रहे हैं, सीधे सीधे कहें तो गेमिंग नहीं गैंबलिंग है.

भारत में गेमिंग और गैंबलिंग में स्पष्ट अंतर किया जाता है. दोनों का अंतर मूलतः स्किल और चांस को लेकर है. किसी गेम को स्किल से जीता जाता है. इसमें खिलाडी की मानसिक योग्यता और अभ्यास की भूमिका रहती है. वहीं गैंबलिंग मूलतः भाग्य या चांस पर निर्भर है. चूंकि गैंबलिंग गैरकानूनी है, प्रतिबंधित है तो जिस भी ऑनलाइन गेम में गैंबलिंग हैं, वह बैन है और यदि चल रहे है तो गैर कानूनी है. अब तक वैसी कोई व्यवस्था ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म के लिए नहीं हैं, जैसी गोवा, सिक्किम आदि में कैसीनो को, हॉर्स रेस को, स्वीकृति दी गई है.

तो जो गैरकानूनी गतिविधि हैं, उस पर हो रहे सभी लेनदेनों को आप जब्त ही कर लीजिये ना. परंतु जिन ऑनलाइन गेमिंग को आपने मान्यता दे रखी है स्किल वाले फंडा पर, उनके प्लेयर्स से यूं वसूली करना कहां तक जायज है? आईटी एक्ट 2021 में किये गए संशोधनों के तहत सरकार 'गेम ऑफ़ चांस' को गैंबलिंग मानती है. चरणबद्ध तरीके से 'गेम ऑफ़ चांस' को बढ़ावा देने वाले ऑनलाइन गेम्स की पहचान कर बंद कर देने के मकसद से जीएसटी परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% GST लगाने का फरमान जारी कर दिया.

ऐसा सरकार का कहना है. एक लॉजिक ये भी दिया गया है कि ऑनलाइन गेम्स एक प्रकार से नशे की तरह है. जब ये मोनेटरी स्टैक के लिए खेले जाते हैं तो लोगों में अवसाद, बढ़ते कर्ज, आत्महत्या और कभी कभी जुर्म का कारण बनते हैं. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने मानसिक अस्वस्थता की स्थिति के रूप में 'गेमिंग डिसऑर्डर' को भी शामिल किया है. कई ऑनलाइन गेम में शुरुआती तौर पर युवा भारी राशि जीतते हैं लेकिन धीरे धीरे वे हरने लगते हैं और कर्ज के जाल में फंस जाते हैं.

यदि सरकार का मकसद गैंबलिंग एलिमेंट को एलिमिनेट करने का है तो आवश्यकता ऑनलाइन गेमिंग के कठोर नियमन की है, एक ऐसे विस्तृत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करने की है, जो इस क्षेत्र में न केवल मनी लॉन्ड्रिंग को रोके, बल्कि युवाओं को इसके नकारात्मक पक्ष से भी मुक्त रखे. परंतु इस प्रकार के थंब रूल से हो सकता है सरकार को तात्कालिक रेवेन्यू खूब मिल जाए, एडिक्शन वाली बात, यदि सही है तो, हतोत्साहित नहीं होगी. उल्टे एक समानांतर फाइनेंशियल कार्टेल रूपी तंत्र, जिसे दो नंबर कहते हैं बिजनेस वाले, जरूर खड़ा हो जाएगा. और वह स्थिति पब्लिक इंटरेस्ट के खिलाफ होगी चूंकि कालांतर में सरकार का रेवेन्यू भी गिरता चला जाएगा, और भी कई सोशल ईविल पांव पसार लेंगे. ऑनए लाइटर नोट, सिगरेट पर कर बढ़ते रहे, स्मोकर्स भी बढ़ते रहे.

जरा जीएसटी परिषद के 28% वाले फरमान का इम्पैक्ट समझें. वित्त मंत्री ने कहा है कि ऑनलाइन गेम, घुड़दौड़, कैसीनो और अन्य गेम जिनमें स्किल और लक दोनों शामिल हैं. उनके कुल मूल्य पर 28% GST लगेगी. इसका मतलब यह है कि जिन खेलों में आपको स्किल की जरूरत है और जिन गेम्स में ज्यादातर भाग्य निर्भर करता है. उन दोनों पर भारत में एक ही तरह से कर लगाया जाएगा. सरकार ने हाल ही में लोगों द्वारा ऑनलाइन गेम खेलने से जीते गए पैसे पर 30% टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाया था.

अब उन्होंने उन गेम के कुल मूल्य पर 28% का जीएसटी नाम का एक और टैक्स जोड़ दिया है. उच्च टैक्स रेट का मतलब है कि खिलाड़ियों को अपने गेमिंग खर्चों के लिए 28% ज्यादा भुगतान करना होगा. इसमें खेल में चीज़ें खरीदना, टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पेमेंट करना और सब्सक्रिप्शन के लिए पेमेंट करना जैसी चीज़ें शामिल हैं. जबकि इस निर्णय के लागू होने के पूर्व की व्यवस्था है कि ऑनलाइन गेमर्स और पोकर खिलाड़ियों को गेमिंग कंपनी द्वारा ली जाने वाली फीस के अलावा, दांव लगाने या जीतने वाले पैसे पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पड़ता है.

वह भी मात्र 18 फीसदी की दर से. लेकिन नई सिफ़ारिश के साथ, उन्हें प्रत्येक दांव के कुल मूल्य पर सीधे 28% कर का भुगतान करना होगा. इसलिए, ऑनलाइन गेम और पोकर खेलने के लिए उन्हें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. अब, खिलाड़ियों को तीन चीज़ें चुकानी होंगी: पहला, खेल में कुल धनराशि पर 28% कर. दूसरा, वे जो पैसा जीतते हैं उस पर 30% टैक्स लगता है. और तीसरा, गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म भाग लेने के लिए अपनी फीस लेगा. इसलिए, गेम खेलने पर खिलाड़ियों को अलग-अलग तरीकों से अधिक पैसे चुकाने होंगे.

मोटा मोटी बोलबचन अश्नीर ग्रोवर की मानें तो अगर कोई व्यक्ति फैंटेसी गेम खेलना चाहता है तो उसे 100 रुपये देकर एंट्री करने पर 28 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा. वहीं 54 रुपये जीतने पर उसे 30 फीसदी टीडीएस देना होगा. ये कहां की समझदारी है ? हो गया बंटाधार भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का जो निकट भविष्य में 30000 करोड़ डॉलर की हो सकती थी. अब सुन रहे हैं सरकार पुनर्विचार करने जा रही है. ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने हाइप जो क्रिएट कर दिया है. औसतन 32 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रही ये इंडस्ट्री (आज की तारीख में तक़रीबन 50 करोड़ इंडियंस ऑनलाइन गेम्स खेल रहे हैं) का कंसर्न है कि 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने से नए गेम में निवेश करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी. नकदी प्रवाह के साथ-साथ व्यापार विस्तार पर भी असर पड़ेगा.

कुल मिलाकर सरकार को निश्चित ही पुनर्विचार करना चाहिए और ऐसा सिर्फ 'स्किल' वाले गेम को लेकर किया जाना चाहिए. पर इसके लिए गेमिंग की परिभाषा को दुरुस्त करने की आवश्यकता है. स्किल से संबंधित ऑनलाइन गेम्स की विशिष्ट पहचान कर यह देखना चाहिए कि क्या गेम से किसी को नुकसान तो नहीं पहुंच रहा है और यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गैंबलिंग की श्रेणी में तो नहीं है.      

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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