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आपके पैसे की सुरक्षा से जुड़े कुछ नियम जो बैंक वाले नहीं बताते

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 03 दिसम्बर, 2016 06:42 PM
  • 03 दिसम्बर, 2016 06:42 PM
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हाल फिलहाल में जो बैंकिंग फ्रॉड हुआ है उसके तहत 6 लाख डेबिट कार्ड होल्डर खतरे में हैं. सबको डर है कि कोई हमारे पैसे न ले जाए. अगर ये डर है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं. आखिर क्यों चलिए देखते हैं...

अरे आपने अपना पिन नंबर बदला क्या? हाल फिलहाल में जो बैंकिंग फ्रॉड हुआ है उसके तहत 6 लाख डेबिट कार्ड होल्डर खतरे में हैं. हो भी क्यों ना अब अगर किसी का बैंक अकाउंड डेटा चोरी हो जाए तो यकीनन चिंता होगी कि मेरे पैसे का क्या होगा? अगर किसी ने पैसे निकाल लिए तो क्या करूंगा/ करूंगी? अगर किसी ने ऑनलाइन बैंक ट्रांजेक्शन कर लिया तो क्या मेरी जमा पूंजी चली जाएगी? आपको बता दूं कि इस मामले में आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.

फिलहाल पिन नंबर तो आप अपनी सुरक्षा के लिए बदल लें, लेकिन कई मामलों में यूजर को पैसा वापस मिल सकता है. बैंक के कुछ ऐसे भी नियम हैं जिनमें ये साफ होता है कि अगर आपके साथ कोई फ्रॉड हुआ है तो पैसे वापस मिल सकते हैं. क्या है वो नियम चलिए देखते हैं....

 सांकेतिक फोटो

अगर आपके साथ हुआ है फ्रॉड तो किस सूरत में वापस मिलेगा पैसा...

RBI के मास्टर सर्कुलर में ऐसा प्रावधान है कि कुछ खास तरीकों से फ्रॉड हुआ पैसा कस्टमर को वापस मिल सकता है. ऐसे तीन तरीके होते हैं जिसमें डेबिट कार्ड फ्रॉड में आप बच सकते हैं.

1. बैंक के किसी कर्मचारी की गलती हो.

2. पूरी तरह से बैंक के सिस्टम की गलती हो या किसी अन्य तरह से बैंक दोषी हो.

3. ऐसा केस जहां ना तो बैंक की गलती हो और ना ही कस्टमर की गलती हो.

4. ऐसा केस जहां ऑनलॉइन फ्रॉड हुआ हो और बैंक को कस्टमर ने तीन दिन के अंदर जानकारी दे दी हो. ये सिर्फ थर्ड पार्टी फ्रॉड यानी कि ऐसा फ्रॉड जहां कस्टमर की जानकारी के बगैर डिटेल्स ले ली गई हों वहां संभव होगा.

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फिलहाल पिन नंबर तो आप अपनी सुरक्षा के लिए बदल लें, लेकिन कई मामलों में यूजर को पैसा वापस मिल सकता है. बैंक के कुछ ऐसे भी नियम हैं जिनमें ये साफ होता है कि अगर आपके साथ कोई फ्रॉड हुआ है तो पैसे वापस मिल सकते हैं. क्या है वो नियम चलिए देखते हैं....

 सांकेतिक फोटो

अगर आपके साथ हुआ है फ्रॉड तो किस सूरत में वापस मिलेगा पैसा...

RBI के मास्टर सर्कुलर में ऐसा प्रावधान है कि कुछ खास तरीकों से फ्रॉड हुआ पैसा कस्टमर को वापस मिल सकता है. ऐसे तीन तरीके होते हैं जिसमें डेबिट कार्ड फ्रॉड में आप बच सकते हैं.

1. बैंक के किसी कर्मचारी की गलती हो.

2. पूरी तरह से बैंक के सिस्टम की गलती हो या किसी अन्य तरह से बैंक दोषी हो.

3. ऐसा केस जहां ना तो बैंक की गलती हो और ना ही कस्टमर की गलती हो.

4. ऐसा केस जहां ऑनलॉइन फ्रॉड हुआ हो और बैंक को कस्टमर ने तीन दिन के अंदर जानकारी दे दी हो. ये सिर्फ थर्ड पार्टी फ्रॉड यानी कि ऐसा फ्रॉड जहां कस्टमर की जानकारी के बगैर डिटेल्स ले ली गई हों वहां संभव होगा.

ये भी पढ़ें - क्या-क्या बैन करोगे ? हर चीज से तो जुड़ा है चाइना...

तीसरे नंबर का प्वाइंट थोड़ा पेचीदा है. इसमें खास बात ये है कि अगर कस्टमर की गलती साबित नहीं होती है तो किसी भी तरह से उसे 4 से 7 दिन के अंदर बैंक को बताना होगा. अगर ऐस करता है वो तो कस्टमर की गलती नहीं मानी जाएगी और 5000 रुपए से अतिरिक्त जो भी राशि है वो बैंक देगा. अब इसमें भी एक पेंच है. वो ये कि अगर कस्टमर को 7 दिन के अंदर फ्रॉड का पता नहीं चलता है और वो किसी कारणवश बैंक को नहीं बता पाता है तो भी कस्टमर की गलती मानी जाएगी और ऐसे में बैंक बोर्ड ये तय करेगा कि पैसे देने हैं या नहीं. ये मामला अलग-अलग बैंकों के नियमों के हिसाब से डील किया जाएगा. इसके लिए भी अलग पॉलिसी है.  ये खास तौर पर ऑनलाइन बैंकिंग से जुड़ी है.

ऑनलाइन बैंकिग फ्रॉड के मामले में RBI की गाइडलाइन यहां पढ़ें

अब अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो मान लीजिए कि आपके पास सोने की चेन है और वो किसी ने धोखे से ले ली है, लेकिन आपके पास उसका इंश्योरेंस है. उस इंश्योरेंस का क्लेम आपको चोरी के 7 दिन के अंदर ही करना है वो भी पुलिस रिपोर्ट के साथ. अगर रिपोर्ट या क्लेम किसी भी चीज में गलती हुई तो इंश्योरेंस कंपनी ये बताएगी कि आपको पैसे देने हैं या फिर नहीं.

डेबिट कार्ड फ्रॉड को लेकर RBI की गाइडलाइन्स यहां पढ़ें

अगर हो रहा है कोई गलत लेन-देन तो..

अगर कोई ऐसा गलत लेन-देन बैंक की नजर में आता है जिसमें अकाउंट होल्डर की हमेशा की बैंकिंग से अलग है तो बैंक इसपर कार्यवाही कर सकता है. उदाहरण के तौर पर अगर मैं अपने अकाउंट से हर महीने 20000 रुपए निकालती हूं और अचानक ये पैसे में हर हफ्ते निकालने लगती हूं तो बैंक इसपर सवाल उठा सकता है.

 सांकेतिक फोटो

कार्ड पर होता है दो लाख तक का कवर...

सबसे पहली बात इस इंश्योरेंस को फाइनेंशियल लॉस से मत जोड़िएगा. ये इंश्योरेंस होता है एक्सिडेंटल. कई बार लोगों को लगता है कि ये फ्रॉड का या किसी ट्रांजेक्शन का इंश्योरेंस है. असल में आपके डेबिट कार्ड के साथ आपका इंश्योरेंस भी दिया जाता है. ये कार्ड के आधार पर होता है जैसे अगर मेरे पास एचडीएफसी, एसबीआई, आईसीआईसीआई या किसी अन्य बैंक का प्लैटिनम कार्ड है तो ये इंश्योरेंस कवर 2 लाख तक का होगा. अब अगर मेरे पास किसान डेबिट कार्ड या क्लासिक कार्ड होगा तो ये कवर 50 हजार होगा और अगर मेरे पास पीएनबी मित्र कार्ड है तो मेरा कवर 25 हजार तक का होगा.

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अगर हो ही गया कोई फ्रॉड..

यहां बात खास तौर पर उस कार्ड फ्रॉड की हो रही है जिसमें आपके कार्ड का किसी ने क्लोन बना लिया हो या फिर किसी तरह से आपके साथ धोखा हो गया हो. अगर ऐसा कुछ हो गया है तो आपको क्या करना चाहिए...

  1. सबसे पहले आपको एफआईआर करनी होगी. अगर कार्ड की रिपोर्ट नहीं की है तो आपकी गलती मानी जाएगी.
  2. बैंक का कार्ड तुरंत ब्लॉक करवाएं. अगर आपके कार्ड से कोई ट्रांजेक्शन हो चुका है तो उसका जिक्र भी इस रिपोर्ट में होना चाहिए.
  3. बैंक को ऑनलाइन रिपोर्ट के साथ कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करें और रिप्रेजेंटेटिव से रिपोर्ट करवाएं. कई बार टॉल फ्री नंबर पर कॉल नहीं लगता है ऐसे में किसी भी रजिस्टर्ड ऑफिस में कॉल करके आप नंबर ले सकते हैं.
  4. बैंक की पॉलिसी है कि अगर आपने 7 दिन से ज्यादा लगा दिए रिपोर्ट करने में तो गलती आपकी मानी जाएगी. ऐसे में जिस समय भी आपको फ्रॉड के बारे में पता चला है उसके तुरंत बाद ही आप पुलिस रिपोर्ट करवाकर बैंक को जानकारी दे दें.

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  • CVV नंबर जो कार्ड पर दिया गया है उसे ढककर रखें. अगर ये नंबर भी किसी के हाथ लग गया है तो आपके लिए दिक्कत हो सकती है.
  • अपने कार्ड नंबर कहीं लिखकर रखें.
  • अगर नहीं है नंबर सेव तो उस मोबाइल नंबर का ध्यान रखें. कार्ड ब्लॉक करते समय सबसे पहले वही मोबाइल नंबर पूछा जाएगा. 
  • किसी भी स्कैम कॉल में आपका क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड नंबर और पिन मांगा जाएगा. ऐसे किसी भी जगह नंबर ना दें. अगर कोई कॉल बैंक से आता है तो उनके पास आपकी डिटेल्स पहले से ही होती हैं.

(यहां दी गई सभी जानकारी RBI के मास्टर सर्कुलर और गाइडलाइन के अनुसार है.)

क्या-क्या रखनी चाहिए सावधानी...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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