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UPI के जरिए पैसा देने का फीचर यूजर्स की लापरवाही से ठगी का ठिकाना बन गया

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 23 सितम्बर, 2019 02:07 PM
  • 23 सितम्बर, 2019 01:16 PM
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इन दिनों ठगों ने UPI को ठगी का जरिया बना लिया है. बेशक UPI ने लोगों का पैसों का लेन-देन बेहद आसान बना दिया है, लेकिन इसी UPI के लापरवाह इस्‍तेमाल से लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं. पिछले 3 महीनों में करीब 150 लोगों को ठग लिया गया.

इसी महीने की 13 तारीख को दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहने वाले राजीव वर्मा से 5000 रुपए की ठगी की गई. इससे पहले 9 तारीख को मयूर विहार एक्सटेंशन में रहने वाले नित्या श्रीवास्तव को ठग कर 10,680 रुपए उनके खाते से उड़ा दिए गए. ये तो महज दो उदाहरण हैं. पिछले 3 महीनों में ऐसे करीब 150 मामले सामने आ चुके हैं. हैरानी हुई तो जरा रुकिए, असली हैरानी तो आपको तब होगी, जब इसकी वजह पता चलेगी. दरअसल, ये ठगी सिर्फ एक लिंक भेजकर की गई. यानी आपके पास एक लिंक आया और आपने उस पर क्लिक किया और खाते से पैसे गायब. सवाल ये उठता है कि ये सब हुआ कैसे?

दरअसल, इन दिनों ठगों ने PI (यूपीआई) को ठगी का जरिया बना लिया है. इस PI के जरिए ही पिछले 3 महीनों में करीब 150 लोगों को ठग लिया गया. आपको बता दें कि PI के जरिए बेहद आसानी से किसी को भी पैसे भेजे या उससे पैसे लिए जा सकते हैं. जरूरत होती है सिर्फ PI पिन की. बेशक PI ने लोगों का पैसों का लेन-देन बेहद आसान बना दिया है, लेकिन इसी PI के लापरवाह इस्‍तेमाल को ठगी करने वालों ने निशाना बनाया है.

पिछले 3 महीनों में करीब 150 लोगों को PI के जरिए ठग लिया गया है.

ठगने का तरीका आसान और उलझाने वाला

PI के जरिए न सिर्फ पैसे भेजे जा सकते हैं, बल्कि पैसे मांगे भी जा सकते हैं. बस ये मांगने वाला विकल्प ही लोगों के खाते खाली कर रहा है. ऐसे में मामलों में ठग बात तो करते हैं पैसे देने की, लेकिन पैसे मांगने वाला लिंक (डेबिट लिंक) भेज देते हैं. जैसे ही कोई इस लिंक पर क्लिक कर के PI पिन डालता है, उसके पैसे कट जाते हैं. जबकि PI में सिर्फ पैसे मांगने के लिए ही अनुमति की आवश्‍यकता होती है, भेजने के लिए नहीं. लेकिन ठगी करने वालों ने PI का इस्‍तेमाल करने वाली अज्ञानता और लापरवाही का फायदा उठाते हुए पैसे भेजने के नाम पर...

इसी महीने की 13 तारीख को दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहने वाले राजीव वर्मा से 5000 रुपए की ठगी की गई. इससे पहले 9 तारीख को मयूर विहार एक्सटेंशन में रहने वाले नित्या श्रीवास्तव को ठग कर 10,680 रुपए उनके खाते से उड़ा दिए गए. ये तो महज दो उदाहरण हैं. पिछले 3 महीनों में ऐसे करीब 150 मामले सामने आ चुके हैं. हैरानी हुई तो जरा रुकिए, असली हैरानी तो आपको तब होगी, जब इसकी वजह पता चलेगी. दरअसल, ये ठगी सिर्फ एक लिंक भेजकर की गई. यानी आपके पास एक लिंक आया और आपने उस पर क्लिक किया और खाते से पैसे गायब. सवाल ये उठता है कि ये सब हुआ कैसे?

दरअसल, इन दिनों ठगों ने PI (यूपीआई) को ठगी का जरिया बना लिया है. इस PI के जरिए ही पिछले 3 महीनों में करीब 150 लोगों को ठग लिया गया. आपको बता दें कि PI के जरिए बेहद आसानी से किसी को भी पैसे भेजे या उससे पैसे लिए जा सकते हैं. जरूरत होती है सिर्फ PI पिन की. बेशक PI ने लोगों का पैसों का लेन-देन बेहद आसान बना दिया है, लेकिन इसी PI के लापरवाह इस्‍तेमाल को ठगी करने वालों ने निशाना बनाया है.

पिछले 3 महीनों में करीब 150 लोगों को PI के जरिए ठग लिया गया है.

ठगने का तरीका आसान और उलझाने वाला

PI के जरिए न सिर्फ पैसे भेजे जा सकते हैं, बल्कि पैसे मांगे भी जा सकते हैं. बस ये मांगने वाला विकल्प ही लोगों के खाते खाली कर रहा है. ऐसे में मामलों में ठग बात तो करते हैं पैसे देने की, लेकिन पैसे मांगने वाला लिंक (डेबिट लिंक) भेज देते हैं. जैसे ही कोई इस लिंक पर क्लिक कर के PI पिन डालता है, उसके पैसे कट जाते हैं. जबकि PI में सिर्फ पैसे मांगने के लिए ही अनुमति की आवश्‍यकता होती है, भेजने के लिए नहीं. लेकिन ठगी करने वालों ने PI का इस्‍तेमाल करने वाली अज्ञानता और लापरवाही का फायदा उठाते हुए पैसे भेजने के नाम पर निकालने का लिंक भेज दिया. और ठगी का शिकार हुए लोगों ने खुशी-खुशी उसे 'Ok' कर दिया, ये सोचकर कि पैसा उनके अकाउंट में आ रहा है.

अब एक उदाहरण से समझिए इसे

मान लीजिए आपने Olx पर एक पुराना मोबाइल बेचने के लिए विज्ञापन दिया. उसे देखकर कोई ठग आपको फोन करेगा और कहेगा कि वह आपका पुराना मोबाइल खरीदना (मान लीजिए 10 हजार रुपए का) चाहता है. डील पक्की होने पर वह पैसे ना तो आपके खाते में ट्रांसफर करेगा ना ही कैश देगा. वह PI से 10 हजार रु. भेजने के नाम पर डेबिट रिक्‍वेस्‍ट लिंक आपको भेजेगा. थोड़ी सी लापरवाही हुई नहीं कि आप उस लिंक पर क्लिक कर के PI पिन डाल देंगे. और इस तरह आपको 10 हजार रुपए मिलने के बजाय, आपके ही खाते से 10 हजार रुपए काट जाएंगे.

Phone Pay से भी हो रही है ठगी

बहुत से लोग अपने मोबाइल में Phone Pay इंस्टॉल करके रखते हैं और उसी से भुगतान करते हैं. उन्होंने फोन पे ऐप को PI के जरिए अपने खाते से कनेक्ट किया हुआ होता है. अब मान लीजिए किसी ने आपसे कहा कि वह आपको फोन पे से पैसे देगा. वो आपको मैसेज करेगा और उसमें एक मैसेज लिखेगा, जो आपको लगेगा कि पैसे रिसीव करने के लिए है. जैसे उसमें लिखा हो सकता है कि पैसे रिसीव करने के लिए नीचे क्लिक करें. आप क्लिक करेंगे और पैसे आपके खाते से गायब.

फोन पे के जरिए भी हो रही है ठगी, जो दरअसल PI आधारित ही है.

ठगी से बचने का क्या है तरीका?

सबसे पहली बात तो ये कि आप पेमेंट लिंक से पैसे ना भेजें. जिसे भी पैसे भेजने हैं आप सीधे उसे अपने PI ऐप या फिर खाते से पैसे भेजें. ऐसा करने पर कोई कंफ्यूजन नहीं रहेगा कि आप पैसे भेज रहे हैं या आपको पैसे मिल रहे हैं.

किसी पेमेंट लिंक के जरिए पैसे तभी भेजें, जब आप डेबिट लिंक को पहचानने में गलती ना करें. वैसे भी किसी भी पेमेंट गेटवे में सिर्फ PAY का ऑप्‍शन होता है. Recieve के लिए कोई जरूरत नहीं होती. तो पेमेंट करने वाले पेज पर ये साफ लिखा होता है कि आप पैसे भेज रहे हैं या आपको पैसे मिल रहे हैं, लेकिन अक्सर लोग जल्दबाजी में पेज पर लिखी जानकारियों को ठीक से नहीं पढ़ते और रिमार्क को ही देखकर PI पिन डाल देते हैं. ठग इस रिमार्क में ऐसी बात लिखते हैं, जो यूजर को थोड़ा कंफ्यूज कर सके.

क्या ऐसी स्थिति में पैसे वापस मिलते हैं?

बैंकों के डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के जरिए अगर कोई फ्रॉड हो जाता है तो ग्राहकों के पास ये विकल्प होता है कि वह इसके बारे में बैंकों को सूचित करें. अधिकतर मामलों में ग्राहकों के ठगे गए पैसे उन्हें वापस मिल जाते हैं. लेकिन अगर PI के जरिए कोई फ्रॉड होता है तो ऐेसे में ग्राहकों को उनका पैसा बैंक से वापस नहीं मिलता है. हो सकता है कि 1-2 फीसदी मामलों में पैसा मिल भी जाए, लेकिन 98-99 फीसदी मामलों में PI ट्रांजेक्शन के लिए हुई ठगी के पैसे वापस नहीं मिलते हैं.

बैंकों में फ्रॉड की छानबीन करने वाले एक इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के अनुसार डेबिट और क्रेडिट कार्ड से हुए फ्रॉड के पैसे इसलिए वापस मिल जाते हैं, क्योंकि इन कार्ड्स का इंश्योरेंस होता है. ऐसे में कोई फ्रॉड होने की सूरत में बैंक अपने ग्राहकों के कार्ड पर इंश्योरेंस क्लेम कर लेते हैं और पैसे मिलते ही ग्राहकों को दे देते हैं. ऐसे में ग्राहकों का पैसा उन्हें वापस मिल जाता है. वहीं दूसरी ओर, PI से भुगतान बिल्कुल वैसा है कि आप किसी को अपने खाते से पैसे ट्रांसफर करते हैं. आपके सामने पूरी जानकारी होती है कि आप किसे, कितने पैसों का भुगतान कर रहे हैं. पिन आप खुद ही डालते हैं. यानी ये यूजर ही होता है, जो ऑथेन्टिकेशन की हर स्टेज को अप्रूव करता है. ऐसे में बैंक PI के जरिए हुए फ्रॉड के मामलों में पैसे वापस नहीं देते.

ठगी होने पर कहां करें शिकायत?

अगर लाख बचने की कोशिशों के बावजूद आप PI के जरिए ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो आपको सबसे पहले तो ये समझ लेना चाहिए कि बैंक आपके पैसे नहीं लौटा पाएगा. हालांकि, आपके पास एक विकल्प है, जिसके जरिए आप अपने पैसे वापस पा सकते हैं. इसके लिए आपको ठग को बिना भनक लगे उसकी सूचना साइबर पुलिस को देनी होगी और ठग को अपनी बातों में उलझाए रखना होगा. ऐसे मामलों में साइबर पुलिस तेजी से एक्शन लेती है और अपराधी को दबोच लेते है. अगर अपराधी पकड़ा जाता है तो एक तो आपके पैसे वापस मिलेंगे, अपराधी जेल जाएगा और ऊपर से आपकी इस हिम्मत की वजह से बहुत से लोग ठगी से बच जाएंगे जो आने वाले समय में उस ठग का शिकार हो सकते थे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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