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नौकरी के मुद्दे पर संतोष गंगवार सही हैं, और ये मोदी सरकार की नाकामी है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 17 सितम्बर, 2019 05:14 PM
  • 17 सितम्बर, 2019 05:14 PM
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नौकरी के लिए स्किल का मुद्दा उठाकर भले ही केंद्रीय राज्यमंत्री संतोष गंगवार आलोचना का शिकार हो रहे हों. मगर अपनी बात के जरिये उन्होंने एक साथ देश के कई अलग अलग मंत्रालयों की पोल खोल दी है.

देश मंदी की मार सह रहा है. नौकरियां या तो हैं नहीं या फिर जहां हैं वहां पर से जा रही हैं. ऐसे में केंद्रीय श्रम और रोजगार मामलों के राज्य मंत्री संतोष गंगवार चर्चा में हैं. कारण हैं उनका नौकरियों को लेकर दिया गया एक बयान. बयान ऐसा है जिसे विपक्ष ने हथियार बना लिया है और वो संतोष गंगवार और भाजपा दोनों पर हमलावर हो गया है. बरेली में आयोजित एक कार्यक्रम में संतोष गंगवार ने कहा कि 'आज देश में नौकरी की कोई कमी नहीं, लेकिन उत्तर भारत के युवाओं में वह काबिलियत नहीं कि उन्हें रोजगार दिया जा सके'.

भले ही नौकरी पर बयान के लिए संतोष गंगवार की आलोचना हो मगर उन्होंने अपनी बात यूं ही नहीं कही

बयान के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री की खूब किरकिरी हो रही है और अब वो अपनी सफाई देते नजर आ रहे हैं. 'संतोष गंगवार ने कहा कि, मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. मैंने जो कहा था उसका अलग संदर्भ था. देश में योग्यता (स्किल) की कमी है और सरकार ने इसके लिए कौशल विकास मंत्रालय भी खोला है. इस मंत्रालय का काम नौकरी के हिसाब से बच्चों को शिक्षित करना है.

मामला कितना गंभीर है? संतोष गंगवार गलत हैं या सही ये मुद्दा अलग है. मगर नौकरियों के मद्देनजर उत्तर भारतीयों की काबिलियत का मुद्दा उठाकर उन्होंने एचआरडी मंत्रालय, स्किल इंडिया जैसे तमाम मंत्रालयों की पोल खोल दी है. गंगवार की बात से ये भी साफ़ हो गया है कि तमाम मंत्रालय आपस में कितने डिसकनेक्टड हैं. चाहे स्किल इंडिया हो या फिर एचआरडी मिनिस्ट्री, मंत्रालय ये पहचान करने में असमर्थ हैं कि आखिर नौकरी के लिए डिमांड क्या है और सप्लाई क्या दी जा रही...

देश मंदी की मार सह रहा है. नौकरियां या तो हैं नहीं या फिर जहां हैं वहां पर से जा रही हैं. ऐसे में केंद्रीय श्रम और रोजगार मामलों के राज्य मंत्री संतोष गंगवार चर्चा में हैं. कारण हैं उनका नौकरियों को लेकर दिया गया एक बयान. बयान ऐसा है जिसे विपक्ष ने हथियार बना लिया है और वो संतोष गंगवार और भाजपा दोनों पर हमलावर हो गया है. बरेली में आयोजित एक कार्यक्रम में संतोष गंगवार ने कहा कि 'आज देश में नौकरी की कोई कमी नहीं, लेकिन उत्तर भारत के युवाओं में वह काबिलियत नहीं कि उन्हें रोजगार दिया जा सके'.

भले ही नौकरी पर बयान के लिए संतोष गंगवार की आलोचना हो मगर उन्होंने अपनी बात यूं ही नहीं कही

बयान के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री की खूब किरकिरी हो रही है और अब वो अपनी सफाई देते नजर आ रहे हैं. 'संतोष गंगवार ने कहा कि, मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. मैंने जो कहा था उसका अलग संदर्भ था. देश में योग्यता (स्किल) की कमी है और सरकार ने इसके लिए कौशल विकास मंत्रालय भी खोला है. इस मंत्रालय का काम नौकरी के हिसाब से बच्चों को शिक्षित करना है.

मामला कितना गंभीर है? संतोष गंगवार गलत हैं या सही ये मुद्दा अलग है. मगर नौकरियों के मद्देनजर उत्तर भारतीयों की काबिलियत का मुद्दा उठाकर उन्होंने एचआरडी मंत्रालय, स्किल इंडिया जैसे तमाम मंत्रालयों की पोल खोल दी है. गंगवार की बात से ये भी साफ़ हो गया है कि तमाम मंत्रालय आपस में कितने डिसकनेक्टड हैं. चाहे स्किल इंडिया हो या फिर एचआरडी मिनिस्ट्री, मंत्रालय ये पहचान करने में असमर्थ हैं कि आखिर नौकरी के लिए डिमांड क्या है और सप्लाई क्या दी जा रही है.

नौकरी के लिहाज से स्किल कितनी जरूरी है इसे हम The India Skills Report-2019 से बड़ी ही आसानी के साथ समझ सकते हैं. इस रिपोर्ट को Wheebox, PeopleStrong, Confederation of Indian Industry (CII) nited Nations Development Programme (NDP),  All India Council for Technical Education (AICTE) और Association of Indian niversities के साझे प्रयास से बनाया गया है. इस रिपोर्ट पर अगर नजर डाली जाए तो कई दिलचस्प चीजें हैं जो हमारे सामने आती हैं. साथ ही हमें ये भी पता चलता है कि अब बात जब नौकरी के लिए स्किल की आ गई है तो केंद्रीय मंत्री की बातों और रिपोर्ट्स के आंकड़ों के बीच गहरा विरोधाभास है.

यदि प्रश्न हो कि रोजगार योग्य प्रतिभाओं की उपलब्धता कैसे बदली है? तो जवाब है कि 2019 में इसमें वृद्धि देखने को मिली है. 2014 में ये 33.95% थी जो 2019 में बढ़कर 47.38 % हुई है. अब सवाल ये हो कि किस डोमेन में अधिक रोजगार योग्य प्रतिभा है? तो रिपोर्ट में जो बातें बताई गयीं हैं वो चौंकाने वाली हैं. रिपोर्ट के अनुसार BE/ B.Tech किये लोगों के अच्छे दिन जारी हैं वहीं आईटीआई,पॉलिटेक्निक, फार्मा, एमसीए, एमबीए की स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है.

नौकरी के मुद्दे पर इंडिया स्किल्स की रिपोर्ट ने कई दिलचस्प बातें बताई हैं

2019 में BE/ B.Tech में रोजगार योग्य प्रतिभा 57.09% थी तो वहीं बात अगर 2014 की हो तो 14 में ये 51. 74% थी. रिपोर्ट के अनुसार साधारण ग्रेजुएट्स की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है और ये एक ऐसे मुकाम पर हैं जो इनके भविष्य को संकट में डाल रहा है. ध्यान रहे कि देश की आबादी में साधारण ग्रेजुएट्स की संख्या बहुत ज्यादा है और जब हम BA, B.Sc, B.Comm को रोजगार योग्य प्रतिभा या Employable Talents के रूप में देखें तो ये 50% से भी कम हैं.

रिपोर्ट में Employability को स्किल और डोमेन के अंतर्गत विभाजित किया गया है जिसने कहीं न कहें हमारी शिक्षण व्यवस्था को एक्स्पोज कर दिया है. देश की शिक्षण व्यवस्था कितनी बुरी तरह प्रभावित है इसे हम आईटीआई और पॉलिटेक्निक के अंतर्गत देख सकते हैं. 2014 में आईटीआई में रोजगार योग्य प्रतिभा 46.92% थी जो चार साल बाद यानी 2018 में 29.46% हुई ( आई आईटीआई के 2019 के आंकड़े मौजूद नहीं हैं ) जबकि बात अगर पॉलिटेक्निक की हो तो 2014 में ये 11.53% थी जो 19 में 18.05% हुई.

किस डोमेन के लोग सबसे ज्यादा नौकरी पर रखे गए

इस तमाम बातों के बाद हमारे लिए ये जान लेना भी बहुत जरूरी है कि 2014 से 19 के बीच वो कौन कौन से सेक्टर थे जिनमें सबसे ज्यादा हायरिंग हुई ? तो बताते चलें कि 2014 में सबसे ज्यादा रोजगार बीमा, फार्मा और हेल्थकेयर और टेलीकॉम में दिए गए जबकि बीमा, सॉफ्टवेर/हार्डवेयर/ निर्माण वो क्षेत्र थे जिनमें 2019 में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी मिली.

क्योंकि केंद्रीय राज्य मंत्री ने उत्तर भारतीयों की काबिलियत पर सवालिया निशान लगाया है तो इस पॉइंट के लिहाज से जो बात रिपोर्ट में आई है वो और चौंकाने वाली है. रिपोर्ट कहती है कि साल 2019 में महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली वो राज्य थे जहां लोगों को सबसे ज्यादा नौकरी दी गई. वहीं जब इसे हम 2014 के सन्दर्भ में रखकर देखें तो मिलता है कि 2014 में कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली वो राज्य थे जिन्होंने अपने यहां लोगों को सबसे ज्यादा नौकरी दी.

केंद्रीय मंत्री की बातों के विपरीत रिपोर्ट यही बता रही है कि स्किल के मामले में उत्तर भारत के लोग कम नहीं हैं

बात राज्यों द्वारा नौकरी देने की हुई है. तो हमारे लिए ये जान लेना भी जरूरी है कि आखिर वो कौन से राज्य थे? जहां के लोगों को सबसे ज्यादा नौकरी मिली. इस सवाल के जवाब में रिपोर्ट में जो आंकड़े आए हैं वो दिलचस्प हैं. रिपोर्ट कह रही है कि 2019 में आंध्र प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश और 2014 में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली वो राज्य हैं जहां से नौकरी के लिए सबसे ज्यादा लोग गए. इस आंकड़े  ने खुद केंद्रीय राज्य मंत्री द्वारा उठाई गई बात को कटघरे में खड़ा कर दिया है और ये भी साफ़ कर दिया है कि नार्थ इंडिया के लोगों में टैलेंट तो है.

चूंकि केंद्रीय मंत्री ने नार्थ-साउथ का कार्ड खेला है और बड़ी ही आसानी के साथ नौकरी जैसे प्रमुख मुद्दे से पल्ला झाड़ने का काम किया है. तो हमें उन शहरों का अवलोकन कर लेना चाहिए जो रोजगार के लिहाज से उच्चतम रोजगार वाले शहर हैं. The India Skills Report-2019 ने जो लिस्ट जारी की है उसके अनुसार बैंगलोर पहले पायदान पर है जबकि लखनऊ चौथे और दिल्ली छठें पायदान पर है.

बहरहाल, बात नौकरी और स्किल की है तो केंद्रीय राज्य मंत्री को समझना होगा कि बेरोजगारी की मार पूरा देश झेल रहा है. ऐसे में अगर हम समस्या को क्षेत्र के आधार पर बांट दे रहे हैं तो समस्या का समाधान कभी नहीं निकल सकता. नौकरी के मुद्दे पर आरोप प्रतारोप कितना भी क्यों न हो मगर हमें उन कारणों को तलाशना होगा जो आज नौकरी के लिहाज से सबसे बड़ी बाधा बन रहे हैं. समस्या हमारी शिक्षा व्यवस्था में है जब तक वो नहीं सही होगी. ये समस्या जस की तस बनी रहेगी और हम ऐसे ही ब्लेम गेम खेलते रहेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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