• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
इकोनॉमी

ट्राई का DTH और केबल टीवी को लेकर नया फैसला ग्राहकों के लिए सिर्फ छलावा भर है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 20 नवम्बर, 2018 10:26 PM
  • 20 नवम्बर, 2018 10:25 PM
offline
ट्राई का जो फैसला ग्राहकों के फायदे वाला लग रहा है, उससे सीधा फायदा तो कंपनियों को ही होता दिख रहा है. ग्राहकों की हालत तो जस की तस है. ट्राई को पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा पर जोर देना चाहिए था, कॉम्पटीशन बढ़ता तो कीमतें खुद-ब-खुद कम हो जातीं.

दूरसंचार नियामक ट्राई की तरफ से केबल और ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री के लिए नए नियम बनाए गए हैं, जो 29 दिसंबर से लागू होंगे. यूं तो ट्राई के इस फैसले को ग्राहकों के लिए सहूलियत के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन अगर ध्यान से देखें तो इसे ग्राहकों को आकर्षित करने की एक नई तरकीब से अधिक और कुछ नहीं कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि ट्राई का नया फैसला ग्राहकों को सौगात देने के बजाए केबल और ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री के लिए पैसे कमाने का पैंतरा बन सकता है.

ऐसे होगी कमाई

ट्राई के फैसले में कहा गया है कि अब 100 फ्री टु एयर चैनलों को देखने के लिए 130 रुपए प्रतिमाह लिए जाएंगे. नए नियमों के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक यूजर गाइड में हर चैनल की एमआरपी तय होगी. इस तरह जो डिस्ट्रीब्यूटर, केबल ऑपरेटर और डीटीएच सेवाएं देने वाली कंपनियां मनमाने पैसे वसूलती थीं, उससे ग्राहक बच सकेंगे. साथ ही चैनलों के बुके में फ्री टु एयर चैनल और ऐसे चैनल नहीं हो सकते हैं, जिनकी कीमत 19 रुपए से अधिक हो. 19 रुपए से अधिक की कीमत वाले चैनलों के पैसे अलग-अलग चैनल के हिसाब से तय होंगे और ग्राहक को सिर्फ एक चैनल के लिए पूरे बुके के पैसे देने की जरूरत नहीं होगी. लेकिन सवाल ये है कि आखिर चैनल की कीमत तय करने का क्या पैमाना होगा? जब ब्रॉडकास्टिंग कंपनियां ही कीमत तय कर रही हैं तो वह बुके से बाहर होने वाले चैनलों पर अधिक पैसे कमा सकती हैं.

यूं लगता है मानो सभी कंपनियां आपसी साठ-गांठ करने के बाद कीमतें तय करती हैं.

साठ-गांठ से तय होती हैं कीमतें?

अगर आप अपने घर में केबल टीवी या डीचीएच लगवाने जाएं, तो लगभग सभी कंपनियों के प्लान एक जैसे ही मिलेंगे. कीमतों में बस दाएं-बाएं का फर्क दिखता है. यूं लगता है मानो सभी कंपनियां आपसी साठ-गांठ करने के बाद कीमतें तय करती हैं....

दूरसंचार नियामक ट्राई की तरफ से केबल और ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री के लिए नए नियम बनाए गए हैं, जो 29 दिसंबर से लागू होंगे. यूं तो ट्राई के इस फैसले को ग्राहकों के लिए सहूलियत के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन अगर ध्यान से देखें तो इसे ग्राहकों को आकर्षित करने की एक नई तरकीब से अधिक और कुछ नहीं कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि ट्राई का नया फैसला ग्राहकों को सौगात देने के बजाए केबल और ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री के लिए पैसे कमाने का पैंतरा बन सकता है.

ऐसे होगी कमाई

ट्राई के फैसले में कहा गया है कि अब 100 फ्री टु एयर चैनलों को देखने के लिए 130 रुपए प्रतिमाह लिए जाएंगे. नए नियमों के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक यूजर गाइड में हर चैनल की एमआरपी तय होगी. इस तरह जो डिस्ट्रीब्यूटर, केबल ऑपरेटर और डीटीएच सेवाएं देने वाली कंपनियां मनमाने पैसे वसूलती थीं, उससे ग्राहक बच सकेंगे. साथ ही चैनलों के बुके में फ्री टु एयर चैनल और ऐसे चैनल नहीं हो सकते हैं, जिनकी कीमत 19 रुपए से अधिक हो. 19 रुपए से अधिक की कीमत वाले चैनलों के पैसे अलग-अलग चैनल के हिसाब से तय होंगे और ग्राहक को सिर्फ एक चैनल के लिए पूरे बुके के पैसे देने की जरूरत नहीं होगी. लेकिन सवाल ये है कि आखिर चैनल की कीमत तय करने का क्या पैमाना होगा? जब ब्रॉडकास्टिंग कंपनियां ही कीमत तय कर रही हैं तो वह बुके से बाहर होने वाले चैनलों पर अधिक पैसे कमा सकती हैं.

यूं लगता है मानो सभी कंपनियां आपसी साठ-गांठ करने के बाद कीमतें तय करती हैं.

साठ-गांठ से तय होती हैं कीमतें?

अगर आप अपने घर में केबल टीवी या डीचीएच लगवाने जाएं, तो लगभग सभी कंपनियों के प्लान एक जैसे ही मिलेंगे. कीमतों में बस दाएं-बाएं का फर्क दिखता है. यूं लगता है मानो सभी कंपनियां आपसी साठ-गांठ करने के बाद कीमतें तय करती हैं. कीमतों में कमी तो होती दिख नहीं रही है. फ्री टु एयर चैनल के नाम पर भी जो 100 चैनल दिखाए जाने की बात हो रही है, उनमें से 10-15 से अधिक देखने लायक होते भी नहीं हैं, ना ही कोई देखता है.

जरूरत है एक और Jio की

एक वक्त था जब टेलिकॉम सेक्टर में भी कीमतें साठ-गांठ कर के तय कर ली जाती थीं. महज 1 जीबी इंटरनेट के लिए भी 100-150 रुपए तक देने पड़ जाते थे. कॉलिंग के भी चार्ज इतने थे कि ग्राहकों की कमर ही टूट जाती थी. लेकिन तभी बाजार में jio ने एंट्री मारी और सब कुछ बदल गया. कॉल्स मुफ्त हो गईं और डेटा बेहद सस्ता. धीरे-धीरे सभी टेलिकॉम कंपनियों को अक्ल आ गई और सबने कीमतें गिरा दीं. अब केबल और ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री में भी एक jio की एंट्री की जरूरत है, जो बाकी सभी कंपनियों की अक्ल ठिकाने लगा सके. जो बता सके कि ग्राहकों को फायदा पहुंचाने के नाम पर ढोंग ना कर के वाकई में फायदा कैसे पहुंचाया जाता है.

पोर्टेबिलिटी की सुविधा क्यों नहीं?

डीटीएच और केबल कंपनियां लुभावने ऑफर देकर ग्राहकों को अपनी ओर खींचने की कोशिश करती हैं. एक बार जब कोई ग्राहक किसी कंपनी के ऑफर में फंस जाता है, तो फिर उससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. वह ये है कि वह अपने केबल ऑपरेटर या डीटीएच कंपनी को बदल नहीं सकता है. ट्राई को चाहिए कि वह मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा केबल और ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री में भी लागू करे. ताकि अगर कोई व्यक्ति अपने सेवा प्रदाता से परेशान हो तो वह किसी दूसरे की सेवाओं के लिए पोर्टेबिलिटी की सुविधा ले सके.

देखा जाए तो ट्राई का जो फैसला ग्राहकों के फायदे वाला लग रहा है, उससे सीधा फायदा तो कंपनियों को ही होता दिख रहा है. ग्राहकों की हालत तो जस की तस है. ट्राई को पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा पर जोर देना चाहिए था, कॉम्पटीशन बढ़ता तो कीमतें खुद-ब-खुद कम हो जातीं, जिससे ग्राहकों को फायदा होता. ग्राहकों का फायदा बेकार के फ्री टु एयर चैनलों से नहीं होगा, उनका फायदा तब होगा, तब उनके काम के चैनल सस्ते दाम पर मिलेंगे.

ये भी पढ़ें-

धनतेरस: भारतीय घरों में मौजूद सोने का भंडार देखिए...

सरकारी संस्थाओं पर हमले का मास्टर प्लान तो कांग्रेस ने ही बनाया है

कार खरीदते वक्त क्रैश टेस्ट की रेटिंग क्यों नहीं देखते हैं लोग?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    Union Budget 2024: बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय
  • offline
    Online Gaming Industry: सब धान बाईस पसेरी समझकर 28% GST लगा दिया!
  • offline
    कॉफी से अच्छी तो चाय निकली, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग दोनों से एडजस्ट कर लिया!
  • offline
    राहुल का 51 मिनट का भाषण, 51 घंटे से पहले ही अडानी ने लगाई छलांग; 1 दिन में मस्क से दोगुना कमाया
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲