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पेट्रोल के 'शतक' में कौन-कौन है पर्दे के पीछे रहने वाले खिलाड़ी? जानिए...

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 22 फरवरी, 2021 01:27 PM
  • 22 फरवरी, 2021 01:26 PM
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केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर राजस्व पाने के लिए भारी मात्रा में टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, राज्य भी टैक्स लगाने में पीछे नही हैं. केंद्र सरकार की ओर पेट्रोल पर करीब 100 फीसदी टैक्स लिया जाता है. राज्य सरकारें भी इस पर वैट व अन्य शुल्क के जरिये राजस्व वसूलती हैं. राज्य सरकारें वैट व अन्य शुल्क केंद्र के द्वारा लगाए गए टैक्स के मूल्य पर लगाती हैं.

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने देश में एक नया कीर्तिमान रच दिया है. आसमान छू रही कीमतों से जनता हलकान है. सरकार भी इसे लेकर कोई राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रही है. पेट्रोल ने कई जगहों पर 100 रुपये के आंकड़े को छू लिया है. राजस्थान में सबसे पहले पेट्रोल ने 100 का आंकड़ा छुआ और उसके अगले ही दिन मध्य प्रदेश से भी पेट्रोल के शतक लगाने की खबर सामने आ गई. दरअसल, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत के आधार पर तय होती है. साथ ही इसमें एक बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार के राजस्व का भी जुड़ा होता है. भारी भरकम टैक्स का ये हिस्सा ही पेट्रोल-डीजल के भाव में तेजी को तय करता है.

भारी भरकम टैक्स का ये हिस्सा ही पेट्रोल-डीजल के भाव में तेजी को तय करता है.

पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली इसी टैक्स को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बहुत ही दिलचस्प ट्वीट किया है. गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों के हिस्से वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी को लगातार घटाया है और अपना खजाना भरने के लिए केवल केंद्र के हिस्से वाली एडिशनल एक्साइज ड्यूटी एवं स्पेशल एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाया है. इससे अपने आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए राज्य सरकारों को वैट बढ़ाना पड़ रहा है.

पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति नई नहीं है. लेकिन, अशोक गहलोत का इस ट्वीट से पेट्रोल-डीजल के दामों में लगी 'आग' का सारा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ते नजर आ रहे हैं. गहलोत के अनुसार, केंद्र सरकार 'अपना खजाना भरने' के लिए टैक्स लगा रही है और राज्य को...

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने देश में एक नया कीर्तिमान रच दिया है. आसमान छू रही कीमतों से जनता हलकान है. सरकार भी इसे लेकर कोई राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रही है. पेट्रोल ने कई जगहों पर 100 रुपये के आंकड़े को छू लिया है. राजस्थान में सबसे पहले पेट्रोल ने 100 का आंकड़ा छुआ और उसके अगले ही दिन मध्य प्रदेश से भी पेट्रोल के शतक लगाने की खबर सामने आ गई. दरअसल, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत के आधार पर तय होती है. साथ ही इसमें एक बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार के राजस्व का भी जुड़ा होता है. भारी भरकम टैक्स का ये हिस्सा ही पेट्रोल-डीजल के भाव में तेजी को तय करता है.

भारी भरकम टैक्स का ये हिस्सा ही पेट्रोल-डीजल के भाव में तेजी को तय करता है.

पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली इसी टैक्स को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बहुत ही दिलचस्प ट्वीट किया है. गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों के हिस्से वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी को लगातार घटाया है और अपना खजाना भरने के लिए केवल केंद्र के हिस्से वाली एडिशनल एक्साइज ड्यूटी एवं स्पेशल एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाया है. इससे अपने आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए राज्य सरकारों को वैट बढ़ाना पड़ रहा है.

पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति नई नहीं है. लेकिन, अशोक गहलोत का इस ट्वीट से पेट्रोल-डीजल के दामों में लगी 'आग' का सारा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ते नजर आ रहे हैं. गहलोत के अनुसार, केंद्र सरकार 'अपना खजाना भरने' के लिए टैक्स लगा रही है और राज्य को 'आर्थिक संसाधन' जुटाने के लिए टैक्स बढ़ाना पड़ रहा है. सीएम गहलोत ने अपने ट्वीट में जो 'विशेषण' इस्तेमाल किए हैं, वह सटीक नहीं बैठते हैं. जनता से टैक्स वसूलना केंद्र सरकार के लिए अपना खजाना भरना है और गहलोत सरकार का आर्थिक संसाधन जुटाना, ये बेमानी सा लगता है. केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही जनता से टैक्स वसूल रहे हैं. वहीं, केंद्र सरकार जो टैक्स वसूलती है. उसका एक बड़ा हिस्सा राज्यों के काम ही आता है. 

वास्तव में केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर राजस्व पाने के लिए भारी मात्रा में टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, राज्य भी टैक्स लगाने में पीछे नही हैं. केंद्र सरकार की ओर पेट्रोल पर करीब 100 फीसदी टैक्स लिया जाता है. राज्य सरकारें भी इस पर वैट व अन्य शुल्क के जरिये राजस्व वसूलती हैं. राज्य सरकारें वैट व अन्य शुल्क केंद्र के द्वारा लगाए गए टैक्स के मूल्य पर लगाती हैं.

राजस्थान सरकार पेट्रोल पर वैट के रूप में 36 फीसदी टैक्स लेती है. इसके साथ ही रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस के रूप में प्रति लीटर करीब 1.50 रुपये वसूलती है. डीजल पर वैट 26 फीसदी है. रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस के रूप में 1.75 रुपये प्रति लीटर वसूलती है. राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें काफी हद तक क्रूड ऑयल पर टैक्स के संग्रह पर निर्भर हैं. केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही इस पर अपनी जरूरत के अनुसार टैक्स बढ़ाते हैं.

केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही जनता से टैक्स वसूल रहे हैं.

गहलोत के ट्वीट में केंद्र सरकार की बेसिक एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल एक्साइज ड्यूटी का खास जिक्र है. बेसिक एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला वो टैक्स है, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकार आपस में साझा करते हैं. रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस को केंद्र सरकार एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के तौर पर रखती है, यह भी राज्य सरकार के साथ ही साझा होता है. स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी में कुछ विशेष तरह की वस्तुएं आती हैं. बजट पेश करते समय इनका उल्लेख फाइनेंस एक्ट में किया जाता है. पेट्रोल-डीजल GST के दायरे से बाहर है, इसलिए इन पर यह टैक्स लगता है. यह टैक्स सीधे तौर पर केंद्र सरकार का होता है.

बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 2.5 और डीजल पर 4 रुपये कृषि सेस लगाने की घोषणा की थी.

पेट्रोल डीजल की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?

बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 2.5 और डीजल पर 4 रुपये कृषि सेस लगाने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि उपभोक्ता पर इसका असर नहीं पड़ेगा. कंपनियां इसे वहन करेंगी. केंद्र सरकार ने इसे एडजस्ट करने के लिए पेट्रोल पर लगने वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी को 2.98 से घटाकर 1.4 रुपये और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी को 12 से घटाकर 11 रुपये कर दिया था. डीजल पर भी बेसिक एक्साइज ड्यूटी को 4.83 से घटाकर 1.8 रुपये और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी 9 से घटाकर 8 कर दिया था.

बावजूद इसके पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला है. दरअसल, ये टैक्स अब उपभोक्ताओं से ही वसूला जा रहा है.  इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल का भाव बढ़ना भी एक बड़ा कारण है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल पर दो बार में बढ़ाई है. पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई है. इससे पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़कर 32.98 रुपये और डीजल पर 31.83 रुपये हो गई है.

2014 से 2021 के बीच में कितनी बढ़ी एक्साइज ड्यूटी?

मार्च 2014 से फरवरी 2021 के बीच में पेट्रोल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी 200 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है. मार्च 2014 में 10.38 रुपये प्रति लीटर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी फरवरी 2021 में 32.98 रुपये तक आ गई है. वहीं, डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में मार्च 2014 से फरवरी 2021 के बीच में 600 फीसदी से ज्यादा की चौंकाने वाली वृद्धि हुई है. मार्च 2014 में 4.58 रुपये प्रति लीटर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी फरवरी 2021 में 31.83 रुपये पहुंच गई है.

कैसे तय होते हैं दाम?

इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर 16 फरवरी 2021 के प्राइस बिल्डअप में दिल्ली में पेट्रोल का दाम (बेस प्राइस) 31.82 रुपये प्रति लीटर है. इस पर ढुलाई का खर्च 28 पैसा है. डीलर से इसके लिए 32.10 रुपये लिए जाते हैं. डीलर अपने कमीशन के तौर पर 3.68 रुपये लेता है. फिर केंद्र सरकार इस पर 32.90 रुपये कुल टैक्स के रूप में लेती है. इस 32.90 रुपये में 1.4 रुपये बेसिक एक्साइज ड्यूटी (जो राज्य सरकार के साथ बांटी जाती है), 18 रुपए प्रति लीटर रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस का एडिशनल एक्साइज ड्यूटी है. 11 रुपये स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में लिए जा रहे हैं. साथ ही कृषि सेस का 2.4 रुपये भी टैक्स के रूप में केंद्र सरकार ले रही है. वहीं, राज्य सरकार इस पर 20.61 रुपये वैट के रूप में टैक्स वसूल रही है. इस तरह पेट्रोल की कीमत 89.29 रुपये तय हो जाती है.

16 फरवरी 2021 के प्राइस बिल्डअप में दिल्ली में पेट्रोल का दाम (बेस प्राइस) 31.82 रुपये प्रति लीटर है.

डीजल का बेस प्राइस 33.46 रुपये प्रति लीटर है. इस पर ढुलाई का 25 पैसा लिया जाता है. डीलर से इसके लिए 33.71 रुपये लिए जाते हैं. डीलर अपने कमीशन के तौर पर 2.51 रुपये लेता है. केंद्र सरकार इस पर 31.80 रुपये कुल टैक्स के रूप में लेती है. जिसमें 1.8 रुपये बेसिक एक्साइज ड्यूटी (जो राज्य सरकार के साथ बांटी जाती है), 18 रुपए प्रति लीटर रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस का एडिशनल एक्साइज ड्यूटी और 9 रुपये स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में लिए जा रहे हैं. साथ ही कृषि सेस का 4 रुपये भी टैक्स के रूप में केंद्र सरकार ले रही है. राज्य सरकार इस पर 11.68 रुपये वैट के रूप में टैक्स वसूल रही है. इस तरह डीजल की कीमत 79.70 रुपये तय हो जाती है.

डीजल का बेस प्राइस 33.46 रुपये प्रति लीटर है.

जानिए अब तक कितने बढ़े दाम?

 साल  पेट्रोल/लीटर डीजल/लीटर क्रूड ऑयल/बैरल($)
April-03 Rs 33.49 Rs 22.12 36.71 $
June-04  Rs 35.71 Rs 22.74 51.09 $
April-05 Rs 37.99 Rs 28.22 74.96 $
Apr-06 Rs 43.5 Rs 30.45 93.30 $
Apr-07 Rs 43  Rs 30.25 83.19 $
Apr-08 Rs 45.5 Rs 31.76 138.19 $
Apr-09 Rs 44.7 Rs 30.86 62.72 $
Apr-10  Rs 48 Rs 38.1 103.38 $
Apr-11                 Rs 58.5                 Rs 37.75                  110.30 $
Apr-12         Rs 65.6         Rs 40.91         102.54 $
Apr-13  Rs 66.09 Rs 48.63 91.29 $
Apr-14 Rs 72.26 Rs 55.48 101.28 $
Apr-15  Rs 60.49 Rs 49.71 56.16 $
Apr-16 Rs 59.68 Rs 48.33 41.91 $
Jul-16 Rs 62.51 Rs 54.28 41.92 $
July-17 Rs 63.09 Rs 53.33 50.17 $
July-18 Rs 75.55 Rs 67.38 67.89 $
July-19 Rs 72.96 Rs 66.69 60.43 $
June-20 Rs 79.76 Rs 79.88 38.19 $

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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