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केरल के इस पोर्ट प्रोजेक्ट से चीन को झटका देने की तैयारी में भारत!

    • आलोक रंजन
    • Updated: 30 जुलाई, 2016 04:46 PM
  • 30 जुलाई, 2016 04:46 PM
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भारत ने केरल के विणंजम में देश के पहले ट्रांसशिपमेंट पोर्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी. इस पोर्ट के निर्माण से भारत दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर अंकुश लगाने में कामयाब होगा, जानिए कैसे?

भारत में पहली ट्रांसशिपमेंट पोर्ट बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है और इसके लिए चुना गया है केरल के विणंजम को. ये जगह प्राचीन नेचुरल पोर्ट के लिए भी महशूर है. भारत की अडानी ग्रुप ने इसे बनाने का काम शुरू भी कर दिया है, जिसकी कल्पना आज से 25 साल पहले की गई थी.

इसके साथ ही भारत सरकार ने इसके नजदीक ही एक शिपिंग हब बनाने का भी निर्णय लिया है, ताकि दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते हुए प्रभाव पर अंकुश लगाया जा सके. इस पोर्ट के साथ ही चीन की बादशाहत को खत्म करने की शुरुआत हो चुकी है, अब देखना ये है की भारत आने वाले समय में चीन के प्रभुत्व को कैसे धाराशाही करता है.

भारत की समुद्री सीमा करीब 7500 किलोमीटर में फैली हुई है और ये विश्व के प्रमुख समुद्री रास्तों से गुजरती है. ये शिपिंग पोर्ट जहां बनाया जा रहा है वो भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योकि ये ‘गल्फ ऑफ मालक्का’ शिपिंग लेन के नजदीक है, जो विश्व की शिप द्वारा माल ढुलाई की एक-तिहाई के करीब है.

पढ़ें: चाइनीज झंडों और पटाखों से अमेरिका में आजादी मुबारक

केरल के विणंजम में बनने वाले देश के पहले ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के जरिए भारत चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोक पाएगा!

वर्तमान में भारत में कोई भी ट्रांसशिपमेंट पोर्ट नहीं है, और इसके कारण यहां के समुद्री रूट से आने और जाने वाले जहाजों को अपने तटवर्ती कार्गो हैंडलिंग के लिए श्रीलंका, सिंगापुर, दुबई इत्यादि पर...

भारत में पहली ट्रांसशिपमेंट पोर्ट बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है और इसके लिए चुना गया है केरल के विणंजम को. ये जगह प्राचीन नेचुरल पोर्ट के लिए भी महशूर है. भारत की अडानी ग्रुप ने इसे बनाने का काम शुरू भी कर दिया है, जिसकी कल्पना आज से 25 साल पहले की गई थी.

इसके साथ ही भारत सरकार ने इसके नजदीक ही एक शिपिंग हब बनाने का भी निर्णय लिया है, ताकि दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते हुए प्रभाव पर अंकुश लगाया जा सके. इस पोर्ट के साथ ही चीन की बादशाहत को खत्म करने की शुरुआत हो चुकी है, अब देखना ये है की भारत आने वाले समय में चीन के प्रभुत्व को कैसे धाराशाही करता है.

भारत की समुद्री सीमा करीब 7500 किलोमीटर में फैली हुई है और ये विश्व के प्रमुख समुद्री रास्तों से गुजरती है. ये शिपिंग पोर्ट जहां बनाया जा रहा है वो भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योकि ये ‘गल्फ ऑफ मालक्का’ शिपिंग लेन के नजदीक है, जो विश्व की शिप द्वारा माल ढुलाई की एक-तिहाई के करीब है.

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केरल के विणंजम में बनने वाले देश के पहले ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के जरिए भारत चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोक पाएगा!

वर्तमान में भारत में कोई भी ट्रांसशिपमेंट पोर्ट नहीं है, और इसके कारण यहां के समुद्री रूट से आने और जाने वाले जहाजों को अपने तटवर्ती कार्गो हैंडलिंग के लिए श्रीलंका, सिंगापुर, दुबई इत्यादि पर निर्भर रहना पड़ता है. इस कारण से भारत को राजस्व के नुकसान के साथ-साथ दूसरे देशों पर भी आश्रित रहना पड़ता है. इसी नुकसान की भरपाई के लिए और कार्गो ट्रैफिक को बढ़ाने के लिए भारत इस पोर्ट का निर्माण कर रहा है.

इस पोर्ट के ऑपरेशनल हो जाने के बाद भारतीय मल्टीनेशनल कंपनियों को कई बिलियन डॉलर की बचत भी होगी जो वो ट्रांसपोर्ट कॉस्ट में अभी खर्च करते है. साथ ही साउथ एशिया में चीन के बढ़ते हुए प्रभुत्व को रोकने  का भी काम करेगी। चीन जिस तरह से श्रीलंका में कोलम्बो और हम्बनटोटा पोर्ट में इन्वेस्टमेंट अपने स्वार्थ के लिए कर रहा है, वो भारत के लिए खतरनाक है. इस पोर्ट के निर्माण के बाद भारत इस क्षेत्र में चीन की बादशाहत को जरूर ध्वस्त कर सकता है.

पढ़ें: BREXIT: चीन के मिंग इतिहास का नया ब्रिटिश संस्करण

श्रीलंका के अलावे चीन, भारत से सटे हुए देश जैसे बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान में भी पोर्ट इन्वेस्टमेंट के द्वारा भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है. भारत के लिए ये चिंता की बात है, क्योकि अगर चीन इसमें कामयाब हो जाता है तो भारत को आर्थिक और सामरिक दृष्टि से नुकसान उठाना पड़ सकता है.

भारत विश्व में अपनी साख को कायम रखने के लिए और दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते  हुए पैठ पर अंकुश लगाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. अब सही में लगने लगा है की चीन की बादशाहत खतरे में है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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