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नोटबंदी से लगा GDP को झटका

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 01 जून, 2017 08:12 PM
  • 01 जून, 2017 08:12 PM
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एक्सपर्ट्स का मानना था कि इस बार जीडीपी 7.1% रहेगा. लेकिन सिर्फ 6.1% की वृद्धि हुई. लेकिन जिसकी वजह से ऐसा हुआ है उसके लिए मोदी सरकार ही दोषी नजर आ रही है.

नोटबंदी हुई तो किसी ने सरकार की खूब तारीफ की तो किसी ने सरकार को खूब कोसा. लेकिन लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि इससे जीडीपी पर असर पड़ेगा. चौथी तिमाही में जीडीपी में केवल 6.1% की वृद्धि हुई है, जबकि बाजार का अनुमान 7.1% विकास दर रहने का था.

इस तिमाही में ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (जीवीए) में भी बाजार के 6.7% वृद्धि के अनुमान की तुलना में केवल 5.6% वृद्धि हुई. पूरे वित्त वर्ष के लिए जीवीए वृद्धि दर 6.6% रही है, जिसका संकेत सीएसओ ने पहले 6.7% वृद्धि के अनुमान के रूप में दे दिया था.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले साल हुई नोटबंदी के कारण GDP और इकॉनमी के सेक्टर्स में यह गिरावट हुई. केंद्र की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में देश की विकास दर 7.1 % रही. 2015-16 की तुलना में यह 0.8 % की गिरावट है, बीते साल यह आंकड़ा 7.9 % था. जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के महज 6.1 पर्सेंट पर सिमटने के बाद भारत का सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का ताज भी छिन गया है.

गिरावट का बड़ा कारण कोयला, क्रूड ऑइल और सीमेंट के उत्पादन में कमी भी है. पिछले साल अप्रैल में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टरों- कोयला, क्रूड ऑइल, नैचरल गैस, रिफाइनरी प्रॉडक्ट्स, फर्टिलाइजर, स्टील, सीमेंट और बिजली, की ग्रोथ रेट 8.7 फीसदी थी. लेकिन यह सिमट कर इस साल 2.5 फीसदी तक पहुँच गयी है. इससे साफ होता है की नोटबंदी के चलते विकास दर में यह बड़ी गिरावट आई है.

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में कहा कि इस साल भारतीय GDP की विकास दर 9% के आसपास रहेगी. एक सच्चाई ये भी है कि मौजूदा केंद्र सरकार अब तक की अपनी इकलौती उपलब्धि का हवाला देते...

नोटबंदी हुई तो किसी ने सरकार की खूब तारीफ की तो किसी ने सरकार को खूब कोसा. लेकिन लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि इससे जीडीपी पर असर पड़ेगा. चौथी तिमाही में जीडीपी में केवल 6.1% की वृद्धि हुई है, जबकि बाजार का अनुमान 7.1% विकास दर रहने का था.

इस तिमाही में ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (जीवीए) में भी बाजार के 6.7% वृद्धि के अनुमान की तुलना में केवल 5.6% वृद्धि हुई. पूरे वित्त वर्ष के लिए जीवीए वृद्धि दर 6.6% रही है, जिसका संकेत सीएसओ ने पहले 6.7% वृद्धि के अनुमान के रूप में दे दिया था.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले साल हुई नोटबंदी के कारण GDP और इकॉनमी के सेक्टर्स में यह गिरावट हुई. केंद्र की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में देश की विकास दर 7.1 % रही. 2015-16 की तुलना में यह 0.8 % की गिरावट है, बीते साल यह आंकड़ा 7.9 % था. जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के महज 6.1 पर्सेंट पर सिमटने के बाद भारत का सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का ताज भी छिन गया है.

गिरावट का बड़ा कारण कोयला, क्रूड ऑइल और सीमेंट के उत्पादन में कमी भी है. पिछले साल अप्रैल में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टरों- कोयला, क्रूड ऑइल, नैचरल गैस, रिफाइनरी प्रॉडक्ट्स, फर्टिलाइजर, स्टील, सीमेंट और बिजली, की ग्रोथ रेट 8.7 फीसदी थी. लेकिन यह सिमट कर इस साल 2.5 फीसदी तक पहुँच गयी है. इससे साफ होता है की नोटबंदी के चलते विकास दर में यह बड़ी गिरावट आई है.

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में कहा कि इस साल भारतीय GDP की विकास दर 9% के आसपास रहेगी. एक सच्चाई ये भी है कि मौजूदा केंद्र सरकार अब तक की अपनी इकलौती उपलब्धि का हवाला देते हुए यही कहती रही है कि भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. जीएसटी आने वाला है जो दूर के ढोल जैसा है. किसी को पता नहीं ये कितना सही होगा. अगर इसके आने के बाद हालात खराब हुए और जीडीपी पर असर पड़ा और देश की विकास दर वापस नहीं लौटी तो मोदी सरकार के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे. क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव हैं. ऐसे में विरोधियों को एक मुद्दा मिल जाएगा. बता दें कि सभी पार्टियों के नेता इस बात को दोहरा चुके है कि नोट बंदी के परिणाम भविष्य के लिए बहुत अच्छे नहीं होंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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