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एटीएम कार्ड को लेकर कोर्ट का ये फैसला सभी को टेंशन देने वाला है!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 08 जून, 2018 07:39 AM
  • 08 जून, 2018 07:39 AM
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एक महिला ने पैसे निकालने के लिए अपने पति को अपना एटीएम कार्ड दिया था. पैसे नहीं निकले, लेकिन पैसे कटने की पर्ची जरूर निकल आई. इसके बाद न तो बैंक ने पैसे वापस दिए, ना ही कंज्यूमर कोर्ट वो पैसे वापस दिला सका.

क्या आपने भी कभी अपना डेबिट कार्ड किसी और को पैसे निकालने के लिए दिया है? अगर हां, तो आज आपको एक हैरान करने वाला कोर्ट का फैसला सुनने को मिलेगा. इस मामले में एक महिला ने पैसे निकालने के लिए अपने पति को अपना एटीएम कार्ड दिया था. पैसे नहीं निकले, लेकिन पैसे कटने की पर्ची जरूर निकल आई. इसके बाद न तो बैंक ने पैसे वापस दिए, ना ही कंज्यूमर कोर्ट वो पैसे वापस दिला सका. कारण सिर्फ इतना था कि वह कार्ड महिला का था और पैसे निकालने वाला शख्स वह महिला नहीं थी. आपको बता दें कि एटीएम कार्ड गैर-हस्तांरित होते हैं, जिन्हें किसी दूसरे को नहीं दिया जा सकता. बस इसी नियम का फायदा उठाकर बैंक 25,000 रुपए डकार गया है.

पहले समझिए पूरा मामला

ये घटना 14 नवंबर 2013 की है. बेंगलुरु के मराठाहल्ली में रहने वाली वंदना ने एक बच्चे को जन्म दिया था, जिसकी वजह से उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती थी. उन्होंने अपने पति राजेश को अपना एसबीआई का एटीएम कार्ड देकर 25,000 रुपए निकालने के लिए भेजा. पति ने एटीएम से पैसे निकालने चाहे, लेकिन पैसे नहीं निकले. पर्ची निकली जिसमें पैसे कटने की सूचना थी. जब इसकी शिकायत बैंक में की गई तो बैंक ने पैसे देने से मना कर दिया और कहा कि पैसे मशीन से निकल चुके हैं. इसके बाद आरटीआई से ये सबूत जमा किया गया कि उस दिन मशीन में 25 हजार रुपए अतिरिक्त थे और उसे लेकर आगे शिकायत को बढ़ाया गया.

कोर्ट तक जा पहुंचा मामला

उन्होंने इसके बाद कंज्यूमर कोर्ट का रुख दिया. एटीएम की सीसीटीवी फुटेज निकलवाई और सबूत के तौर पर दिखाई. फुटेज में साफ दिख रहा था कि पैसे कटे तो लेकिन निकले नहीं. फुटेज देखकर बैंक ने कहा कि इसमें वंदना दिख ही नहीं रही हैं, जिनका ये कार्ड है. बैंक ने ये तर्क दिया कि कार्ड किसी दूसरे को नहीं दिया जा सकता, जबकि वंदना ने यह...

क्या आपने भी कभी अपना डेबिट कार्ड किसी और को पैसे निकालने के लिए दिया है? अगर हां, तो आज आपको एक हैरान करने वाला कोर्ट का फैसला सुनने को मिलेगा. इस मामले में एक महिला ने पैसे निकालने के लिए अपने पति को अपना एटीएम कार्ड दिया था. पैसे नहीं निकले, लेकिन पैसे कटने की पर्ची जरूर निकल आई. इसके बाद न तो बैंक ने पैसे वापस दिए, ना ही कंज्यूमर कोर्ट वो पैसे वापस दिला सका. कारण सिर्फ इतना था कि वह कार्ड महिला का था और पैसे निकालने वाला शख्स वह महिला नहीं थी. आपको बता दें कि एटीएम कार्ड गैर-हस्तांरित होते हैं, जिन्हें किसी दूसरे को नहीं दिया जा सकता. बस इसी नियम का फायदा उठाकर बैंक 25,000 रुपए डकार गया है.

पहले समझिए पूरा मामला

ये घटना 14 नवंबर 2013 की है. बेंगलुरु के मराठाहल्ली में रहने वाली वंदना ने एक बच्चे को जन्म दिया था, जिसकी वजह से उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती थी. उन्होंने अपने पति राजेश को अपना एसबीआई का एटीएम कार्ड देकर 25,000 रुपए निकालने के लिए भेजा. पति ने एटीएम से पैसे निकालने चाहे, लेकिन पैसे नहीं निकले. पर्ची निकली जिसमें पैसे कटने की सूचना थी. जब इसकी शिकायत बैंक में की गई तो बैंक ने पैसे देने से मना कर दिया और कहा कि पैसे मशीन से निकल चुके हैं. इसके बाद आरटीआई से ये सबूत जमा किया गया कि उस दिन मशीन में 25 हजार रुपए अतिरिक्त थे और उसे लेकर आगे शिकायत को बढ़ाया गया.

कोर्ट तक जा पहुंचा मामला

उन्होंने इसके बाद कंज्यूमर कोर्ट का रुख दिया. एटीएम की सीसीटीवी फुटेज निकलवाई और सबूत के तौर पर दिखाई. फुटेज में साफ दिख रहा था कि पैसे कटे तो लेकिन निकले नहीं. फुटेज देखकर बैंक ने कहा कि इसमें वंदना दिख ही नहीं रही हैं, जिनका ये कार्ड है. बैंक ने ये तर्क दिया कि कार्ड किसी दूसरे को नहीं दिया जा सकता, जबकि वंदना ने यह कार्ड अपने पति को देकर नियमों का उल्लंघन किया है. आरटीआई से मशीन में जो अतिरिक्त 25000 रुपए होने की जानकारी मिली थी, उसे भी बैंक ने नकारते हुए कहा कि उस दिन मशीन में अतिरिक्त पैसे नहीं थे. ये केस करीब 5 साल चला और अब 29 मई 2018 को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया है कि वंदना को पैसे निकालने के लिए चेक देना चाहिए था. उन्हें अपना कार्ड और पिन शेयर नहीं करना चाहिए था और केस बंद कर दिया है.

क्या वाकई नियमों का उल्लंघन हुआ है?

अगर तकनीकी रूप से देखा जाए तो हां, नियमों का उल्लंघन तो हुआ है. बैंक के नियमों के अनुसार एटीएम या डेबिट कार्ड को आप किसी और को नहीं दे सकते हैं, यह कार्ड गैर-हस्तांतरित होता है. यही तर्क देते हुए न तो बैंक वो पैसे दे रहा है ना ही कोर्ट दिला पा रहा है. अब सवाल बस इतना है कि क्या ये 25,000 बैंक डकार जाएगा? अगर यही ट्रांजेक्शन कार्ड चोरी होने पर होती तो क्या तब भी बैंक यूं ही पैसे देने से मना कर देता? माना कि महिला ने अपना कार्ड पति को देकर नियम तोड़ा है, जिसके लिए उस पर कुछ जुर्माना लगाया जा सकता था, लेकिन पैसे वापस न देकर बैंक ने अपनी शाख पर सवाल खड़े कर लिए हैं.

भारत जैसे देश में, जहां पत्नी को अर्धांगिनी कहा जाता है यानी पति का आधा अंग. पति और पत्नी मिलकर एक पूरा शरीर होते हैं. ऐसे देश में बैंक का ये तर्क देना कि पत्नी खुद पैसे निकालने नहीं गई थी, इसलिए पैसे वापस नहीं दिए जाएंगे, बैंक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है. सीसीटीवी फुटेज में दिख चुका है कि पैसे नहीं निकले, लेकिन बैंक कह रहा है कि पैसे निकले हैं. इसे भी एक झूठ ही समझिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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