• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
इकोनॉमी

Petrol-Diesel price hike के बीच जनता ने देखा 'चुनावी झांसा'

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 07 अप्रिल, 2022 06:21 PM
  • 07 अप्रिल, 2022 06:21 PM
offline
देश में 22 मार्च के बाद से लगातार पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी (Petrol Diesel Price Hike) हो रही है. पिछले 16 दिनों में ईंधन तेल के दामों में यह 14वीं बढ़ोतरी है. और, इसके चलते पेट्रोल के दाम 10 रुपये बढ़ गए हैं. जो बीते साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले की गई पेट्रोल-डीजल के दामों में की गई कटौती को पूरा कर चुके हैं.

देश में बुधवार को यानी 6 अप्रैल, 2022 को पेट्रोल-डीजल के दामों में फिर से 80-80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई. पिछले 16 दिनों में ईंधन तेल के दामों में यह 14वीं बढ़ोतरी है. और, इसके चलते पेट्रोल के दाम 10 रुपये बढ़ गए हैं. जो बीते साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले की गई पेट्रोल-डीजल के दामों में की गई कटौती को पूरा कर चुके हैं. वहीं, पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों पर जब संसद में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से सवाल पूछा गया. तो, उन्होंने इस बढ़ोत्तरी पर मोदी सरकार का बचाव करते हुए बेहद बचकाना बयान दिया. और, जता दिया कि मोदी सरकार भारत की जनता को बिलकुल ही निबुर्द्धि यानी बेअक्ल का समझती है.

दरअसल, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कीमतों पर जवाब देते हुए इसकी तुलना अमेरिका और ब्रिटेन में पेट्रोल-डीजल के दामों की गई बढ़ोत्तरी से की. इतना ही नहीं, हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में कहा कि 'दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत में तेल के दाम 1 रुपये के दसवें हिस्से जितना ही बढ़े हैं. अगर अप्रैल 2021 से लेकर मार्च 2022 तक तेल की कीमतों की तुलना करें. तो, अमेरिका में ये 51%, कनाडा में 52%, यूके में 55%, फ्रांस में 50%, स्पेन में 58% दाम बढ़ाए गए हैं. लेकिन भारत में महज 5% ही दाम बढ़े हैं.'

कहीं पढ़ा था कि अगर आपसे कोई गलती हो जाए, तो दो मिनट आंखें बंद करो और ये सोचो कि इस गलती की जिम्मेदारी किस पर डाली जा सकती है. ऐसा लग रहा है कि हरदीप सिंह पुरी ने भी वो लाइन पढ़ ली है. क्योंकि, पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सरकार का बचाव करने की कोशिश में हरदीप सिंह पुरी ने ऐसे देशों से तुलना की, जो हर मामले में भारत से कहीं आगे हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो विकसित देशों से भारत जैसे विकासशील देश की तुलना 'बच्चों का बहाना' ही कहा जा सकता है. इतना ही नहीं, पेट्रोलियम मंत्री अपनी ही सरकार के उस दावे को भी भूल गए कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें 'अंतरराष्ट्रीय बाजार' के दामों से तय होती हैं. आइए आंकड़ों से समझते हैं कहानी कि कैसे...

देश में बुधवार को यानी 6 अप्रैल, 2022 को पेट्रोल-डीजल के दामों में फिर से 80-80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई. पिछले 16 दिनों में ईंधन तेल के दामों में यह 14वीं बढ़ोतरी है. और, इसके चलते पेट्रोल के दाम 10 रुपये बढ़ गए हैं. जो बीते साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले की गई पेट्रोल-डीजल के दामों में की गई कटौती को पूरा कर चुके हैं. वहीं, पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों पर जब संसद में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से सवाल पूछा गया. तो, उन्होंने इस बढ़ोत्तरी पर मोदी सरकार का बचाव करते हुए बेहद बचकाना बयान दिया. और, जता दिया कि मोदी सरकार भारत की जनता को बिलकुल ही निबुर्द्धि यानी बेअक्ल का समझती है.

दरअसल, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कीमतों पर जवाब देते हुए इसकी तुलना अमेरिका और ब्रिटेन में पेट्रोल-डीजल के दामों की गई बढ़ोत्तरी से की. इतना ही नहीं, हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में कहा कि 'दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत में तेल के दाम 1 रुपये के दसवें हिस्से जितना ही बढ़े हैं. अगर अप्रैल 2021 से लेकर मार्च 2022 तक तेल की कीमतों की तुलना करें. तो, अमेरिका में ये 51%, कनाडा में 52%, यूके में 55%, फ्रांस में 50%, स्पेन में 58% दाम बढ़ाए गए हैं. लेकिन भारत में महज 5% ही दाम बढ़े हैं.'

कहीं पढ़ा था कि अगर आपसे कोई गलती हो जाए, तो दो मिनट आंखें बंद करो और ये सोचो कि इस गलती की जिम्मेदारी किस पर डाली जा सकती है. ऐसा लग रहा है कि हरदीप सिंह पुरी ने भी वो लाइन पढ़ ली है. क्योंकि, पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सरकार का बचाव करने की कोशिश में हरदीप सिंह पुरी ने ऐसे देशों से तुलना की, जो हर मामले में भारत से कहीं आगे हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो विकसित देशों से भारत जैसे विकासशील देश की तुलना 'बच्चों का बहाना' ही कहा जा सकता है. इतना ही नहीं, पेट्रोलियम मंत्री अपनी ही सरकार के उस दावे को भी भूल गए कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें 'अंतरराष्ट्रीय बाजार' के दामों से तय होती हैं. आइए आंकड़ों से समझते हैं कहानी कि कैसे Petrol-Diesel की कीमतें 'बाजार' नहीं 'सरकार' तय कर रही है?

आखिर 22 मार्च से पहले कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगी आग का असर भारतीय बाजार पर क्यों नहीं हुआ?

तकरीबन 5 महीने तक नहीं बढ़ीं पेट्रोल-डीजल की कीमतें

बीते साल 3 नवंबर को यानी दिवाली से ठीक एक दिन पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क यानी एक्साइज ड्यूटी को घटाने का ऐलान किया था. मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमशः 5 रुपये और 10 रुपये की कटौती की थी. 3 नवंबर को उत्तर प्रदेश में पेट्रोल की कीमत 107.18 रुपये थी. जो 4 नवंबर को केंद्र सरकार के एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद 101.27 रुपये हो गई थी. जिसके बाद भाजपा शासित राज्यों की सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले मूल्य वर्धित कर यानी वैट में कटौती करना शुरू कर दिया था. वैट में हुई इस कमी से उत्तर प्रदेश में 5 नवंबर को पेट्रोल की कीमत 95.49 रुपये हो गई थी. यहां गौर करने वाली बात ये है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें उस दौरान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी थीं.

और, उस दौरान मोदी सरकार की ओर से कहा गया था कि ईंधन की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती हैं. क्योंकि, भारत अपनी ईंधन की जरूरतों का 80 फीसदी आयात करता है. मोदी सरकार की ओर से ये भी तर्क दिया जा रहा था कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में उछाल आने से बढ़ी हैं. लेकिन, क्या सचमुच सारी चीजें वैसी ही हैं, जैसा मोदी सरकार की ओर से दावा किया जा रहा था. आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो 5 नवंबर 2021 से लेकर 21 मार्च 2022 तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी दर्ज नहीं की गई थी. जबकि, इसी दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ती रही थीं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद करीब 5 महीनों तक यूपी में पेट्रोल के दाम 95.49 रुपये ही बने रहे थे.

मई 2021 से मार्च 2022 तक के बीच कच्चे तेल का अंतरराष्ट्रीय बाजार भाव चढ़ा, लेकिन भारत में चुनाव के चलते असर नहीं हुआ...

जिस दौरान भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर थीं, तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे थे.

विपक्ष ने लगाया था 'चुनावी ऑफर' का आरोप

बीते साल नवंबर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर घटाई गई एक्साइज ड्यूटी को विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की वजह से लिया गया फैसला बताया था. और, आंकड़ों के हिसाब से विपक्ष का दावा पूरी तरह से सही ही नजर आता है. क्योंकि, करीब 5 महीनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक पैसे का भी उतार-चढ़ाव देखने को नजर नहीं आया था. वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होने से पहले 5 मार्च को ही ट्वीट करते हुए लोगों से फटाफट Petrol टैंक फुल करवा लेने को कहा था. राहुल गांधी के ट्वीट के अनुसार, मोदी सरकार का 'चुनावी' offer खत्म होने जा रहा था. 

पेट्रोल-डीजल की कीमतें 22 मार्च से बढ़ना शुरू हुईं क्यों?

कहा जा सकता है कि विपक्ष के भारी दबाव को देखते हुए ही केंद्र की मोदी सरकार ने विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नहीं बढ़ाया. क्योंकि, अगर ऐसा किया जाता, तो सरकार के उन दावों की पोल खुल जाती, जिसमें उसने कहा था कि ये कटौती विधानसभा चुनावों के मद्देनजर नहीं की गई है. मोदी सरकार ने विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के 12 दिन बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बढ़ाना शुरू किया. और, दाम एक साथ न बढ़ाकर 80-80 पैसे के हिसाब से बढ़ोत्तरी करती रही. आसान शब्दों में कहा जाए, तो केंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगाया गया 'ब्रेक' कहीं से भी ये लगे कि सरकार ने चुनावों में लाभ लेने के लिए लगाया है.

ग्राफ में देखिए, कैसे 4 नवंबर के बाद से 22 मार्च तक कीमतें स्थिर ही रहीं, चुनाव जो थे...

कच्चे तेल के भाव बढ़े, लेकिन देश में पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े.

कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत नहीं सरकार तय करती है दाम

मोदी सरकार ने जब पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी कम करने का फैसला लिया था. तब बीते साल 4 नवंबर को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 80.54 डॉलर प्रति बैरल थी. आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो विधानसभा चुनावों के इन पांच महीनों के टाइमलाइन के दौरान अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी हुई. 6 जनवरी 2022 को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 81.99 डॉलर प्रति बैरल थी. वहीं, 8 मार्च को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 127.98 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. लेकिन, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 22 मार्च को जब पहली बार बढ़ोत्तरी की गई, ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 111.83 डॉलर प्रति बैरल थी. वहीं, आज यानी 6 अप्रैल को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 107.87 डॉलर प्रति बैरल है. देखा जाए, तो 22 मार्च को अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले कीमत में गिरावट है. लेकिन, भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं.

सवाल उठेगा ही कि आखिर 22 मार्च से पहले कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगी आग का असर भारतीय बाजार पर क्यों नहीं हुआ? जब मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर अपना पल्ला झाड़ते हुए ये कहती है कि भारतीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से तय होती हैं, तो चुनाव के दौरान ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी क्यों नहीं हुई? वैसे, जब केंद्र सरकार के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोगों के कम अक्ल मान ही लिया है. तो. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का किसी पर क्या ही असर पड़ेगा? वैसे, मोदी सरकार आज भी चाहे, तो पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को घटा कर लोगों को राहत दे सकती है. लेकिन, सरकार का उद्देश्य साफ है. बीते 5 महीनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं करने से हुए नुकसान की भरपाई करनी ही होगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    Union Budget 2024: बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय
  • offline
    Online Gaming Industry: सब धान बाईस पसेरी समझकर 28% GST लगा दिया!
  • offline
    कॉफी से अच्छी तो चाय निकली, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग दोनों से एडजस्ट कर लिया!
  • offline
    राहुल का 51 मिनट का भाषण, 51 घंटे से पहले ही अडानी ने लगाई छलांग; 1 दिन में मस्क से दोगुना कमाया
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲