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GST की ये पहेली हल करना बहुत जरूरी है...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 23 मई, 2017 05:23 PM
  • 23 मई, 2017 05:23 PM
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अब जीएसटी को लेकर टैक्स रेट तय करने से ही सब नहीं हो जाता. अभी भी एक ऐसी बात है जो लोगों खासकर डीलर्स की चिंता का विषय बनी हुई है. वो है ट्रांजीशन रूल्स.

जीएसटी पर अभी तक बहुत सी बातें हो चुकी हैं और उतने ही सारे तरह के सवाल सामने आ चुके हैं. कुछ के जवाब मिले हैं और कुछ के नहीं. अभी जीएसटी के टैक्स स्लैब को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है लेकिन ये जरूर माना जा रहा है कि ये एक अच्छी पहल है.

अब जीएसटी को लेकर टैक्स रेट तय करने से ही सब नहीं हो जाता. अभी भी एक ऐसी बात है जो लोगों खासकर डीलर्स की चिंता का विषय बनी हुई है. वो है ट्रांजीशन रूल्स.

जीएसटी को लेकर डीलरों के मन में अभी भी शंका है

क्या हैं ट्रांजीशन रूल्स...

ये वो नियम होंगे जो अभी हालिया टैक्स सिस्टम में से सभी व्यापारियों, दुकानों, डीलरों के कामकाज को जीएसटी में कैसे शिफ्ट करना है वो बताएंगे. इन नियमों से अभी के मौजूदा सिस्टम से जीएसटी में बदलाव कैसे होगा वो जानकारी मिलेगी और इससे ही ये साफ हो पाएगा कि जिएसटी रिफॉर्म कितनी आसानी से भारत में लगाया जा सकता है..

क्यों है जरूरी...

अब देखिए ये जरूरी किस लिए है. मसलन किसी डीलर के पास 30 जून 2017 को प्रोडक्ट्स पड़े हुए हैं जिनकी एक्साइज ड्यूटी दे दी गई है. अब 1 जुलाई को जो नियम बदलेगा उस हिसाब से एक्साइज ड्यूटी देने के बाद बिल दिखाकर वो टैक्स देने का सारा बेनेफिट उठा सकता है. मतलब वो सामान जीएसटी के अंतरगत नहीं आएगा. अब मान लीजिए उस डीलर के पास एक्साइज ड्यूटी का बिल नहीं है क्योंकि अक्सर डिस्ट्रिब्यूटर ऐसी गलती कर बैठते हैं. ऐसे में उस प्रोडक्ट में 40% एक्साइज ड्यूटी लगेगी और 1 जुलाई को डीलर के पास 60% एक्साइज ड्यूटी वाला स्टॉक होगा.

ये तो हुआ एक उदाहरण, लेकिन ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जहां व्यापारी बिना पर्चे के लेनदेन करते हैं. उन व्यापारियों के पास अगर पुराना सामान स्टोर है तो उसपर जीएसटी का रेट क्या...

जीएसटी पर अभी तक बहुत सी बातें हो चुकी हैं और उतने ही सारे तरह के सवाल सामने आ चुके हैं. कुछ के जवाब मिले हैं और कुछ के नहीं. अभी जीएसटी के टैक्स स्लैब को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है लेकिन ये जरूर माना जा रहा है कि ये एक अच्छी पहल है.

अब जीएसटी को लेकर टैक्स रेट तय करने से ही सब नहीं हो जाता. अभी भी एक ऐसी बात है जो लोगों खासकर डीलर्स की चिंता का विषय बनी हुई है. वो है ट्रांजीशन रूल्स.

जीएसटी को लेकर डीलरों के मन में अभी भी शंका है

क्या हैं ट्रांजीशन रूल्स...

ये वो नियम होंगे जो अभी हालिया टैक्स सिस्टम में से सभी व्यापारियों, दुकानों, डीलरों के कामकाज को जीएसटी में कैसे शिफ्ट करना है वो बताएंगे. इन नियमों से अभी के मौजूदा सिस्टम से जीएसटी में बदलाव कैसे होगा वो जानकारी मिलेगी और इससे ही ये साफ हो पाएगा कि जिएसटी रिफॉर्म कितनी आसानी से भारत में लगाया जा सकता है..

क्यों है जरूरी...

अब देखिए ये जरूरी किस लिए है. मसलन किसी डीलर के पास 30 जून 2017 को प्रोडक्ट्स पड़े हुए हैं जिनकी एक्साइज ड्यूटी दे दी गई है. अब 1 जुलाई को जो नियम बदलेगा उस हिसाब से एक्साइज ड्यूटी देने के बाद बिल दिखाकर वो टैक्स देने का सारा बेनेफिट उठा सकता है. मतलब वो सामान जीएसटी के अंतरगत नहीं आएगा. अब मान लीजिए उस डीलर के पास एक्साइज ड्यूटी का बिल नहीं है क्योंकि अक्सर डिस्ट्रिब्यूटर ऐसी गलती कर बैठते हैं. ऐसे में उस प्रोडक्ट में 40% एक्साइज ड्यूटी लगेगी और 1 जुलाई को डीलर के पास 60% एक्साइज ड्यूटी वाला स्टॉक होगा.

ये तो हुआ एक उदाहरण, लेकिन ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जहां व्यापारी बिना पर्चे के लेनदेन करते हैं. उन व्यापारियों के पास अगर पुराना सामान स्टोर है तो उसपर जीएसटी का रेट क्या होगा? कैसे पुराने दाम में खरीदा गया सामान नए रेट में बेचा जाएगा और ऐसे में अगर सामान के दाम कम हो गए तो व्यापारियों का नुकसान कैसे पूरा होगा?

अधिकतर जीएसटी रूल्स रिलीज कर दिए गए हैं जिससे बिजनेस वालों को अपने इनकम टैक्स सिस्टम और बिल बनाने में दिक्कत ना हो. आपके सुपरमार्केट बिल से लेकर आम बिल तक सबकुछ बदल जाएगा. ऐसे में बिना डॉक्युमेंट वाले लेनदेन के लिए ट्रांजिशन रूल बनाना बेहद जरूरी है. अगर जब तक इन्हें नहीं बताया जाता तब तक जीएसटी पूरी तरह से संशय से बाहर नहीं होगा. इस बात का पता लगाना जरूरी है कि आखिर ऐसे लेनदेन के लिए सप्लाई चेन काम कैसे करेगी? जब तक इन रूल्स के बारे में नहीं बताया जाएगा तब तक जीएसटी नेटवर्क का पता नहीं लगाया जा सकता.

जीएसटी ट्रांजीशन रूल्स ये काफी हद तक बता पाएंगे कि डीलरों को कहीं नुकसान ना हो जाए. अब सोने जैसे धातु और ट्रांजीशन रूल्स के लिए 3 जून की बैठक का इंतजार किया जा रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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