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GST का असर सस्ता - महंगा से कहीं आगे है, जानिए

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 20 मई, 2017 04:46 PM
  • 20 मई, 2017 04:46 PM
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जीएसटी का टैक्स स्लैब तैयार है और सरकार ने 1211 आइटम पर कैसा टैक्स लगाना है ये तय कर लिया है. तो क्या असर हुआ है अभी की रेट लिस्ट और पहले की रेट लिस्ट में चलिए देखते हैं.

लो जी अब तो जीएसटी की रेट लिस्ट भी आ गई. एक बैठक में 18 मई को 1211 आइटम की लिस्ट बनाई गई जिसमें कौन सी चीज किस टैक्ट स्लैब में आएगी ये बताया गया. अधिकतर चीजों को 18% के दायरे में रखा गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि इससे महंगाई नहीं बढ़ेगी. चलिए हमने भी मान लिया कि ऐसा नहीं होगा. कम से कम टैक्स स्लैब देखकर तो ये कहा जा सकता है कि आम आदमी को नुकसान तो नहीं होगा.

जीएसटी को लेकर अभी भी कुछ नियम तय होना बाकी हैजेटली जी का कहना है कि जीएसटी से जुड़े 7 नियम तय तक लिए गए हैं और दो अभी बाकी हैं. इनमें रिटर्न और ट्रांजिशन रूल बाकी हैं.

कैसी है लिस्ट...

1. निल (0%) टैक्स..

फ्रेश मीट, मछली, चिकन, अंडे, दूध, मक्खन, दही, शहद, ताजा फल और सब्जियां, आटा, बेसन, ब्रेड, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टैंप, न्यायायिक दस्तावेज, किताबें, अखबार, चूड़ियां आदि पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है.

2. 5% टैक्स स्लैब...

5% टैक्स स्लैब में मछली का प्रोसेस्ड मीट, क्रीम, मिल्क पाउडर, पनीर, फ्रोजन सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, पीज्जा ब्रेड, टोस्ट, साबूदाना, मिट्टी का तेल, कोयला, दवाइयां, सेंट, लाइबोट आदि आएगा.

जीएसटी में अधिकतर चीजें 18% के टैक्स स्लैब में रखी गई हैं. 3. 12% टैक्स स्लैब...

फ्रोजन मीट, चीज़, घी, ड्राय फ्रूट (पैकेट वाले), जानवरों की चर्बी, फ्रूट जूस (पैकेट वाले), भुजिया, नमकीन, आयुर्वेदिक दवाइयां, टूथ पाउडर, अगरबत्ती, कलरिंग बुक, पिक्चर बुक, छाता,...

लो जी अब तो जीएसटी की रेट लिस्ट भी आ गई. एक बैठक में 18 मई को 1211 आइटम की लिस्ट बनाई गई जिसमें कौन सी चीज किस टैक्ट स्लैब में आएगी ये बताया गया. अधिकतर चीजों को 18% के दायरे में रखा गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि इससे महंगाई नहीं बढ़ेगी. चलिए हमने भी मान लिया कि ऐसा नहीं होगा. कम से कम टैक्स स्लैब देखकर तो ये कहा जा सकता है कि आम आदमी को नुकसान तो नहीं होगा.

जीएसटी को लेकर अभी भी कुछ नियम तय होना बाकी हैजेटली जी का कहना है कि जीएसटी से जुड़े 7 नियम तय तक लिए गए हैं और दो अभी बाकी हैं. इनमें रिटर्न और ट्रांजिशन रूल बाकी हैं.

कैसी है लिस्ट...

1. निल (0%) टैक्स..

फ्रेश मीट, मछली, चिकन, अंडे, दूध, मक्खन, दही, शहद, ताजा फल और सब्जियां, आटा, बेसन, ब्रेड, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टैंप, न्यायायिक दस्तावेज, किताबें, अखबार, चूड़ियां आदि पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है.

2. 5% टैक्स स्लैब...

5% टैक्स स्लैब में मछली का प्रोसेस्ड मीट, क्रीम, मिल्क पाउडर, पनीर, फ्रोजन सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, पीज्जा ब्रेड, टोस्ट, साबूदाना, मिट्टी का तेल, कोयला, दवाइयां, सेंट, लाइबोट आदि आएगा.

जीएसटी में अधिकतर चीजें 18% के टैक्स स्लैब में रखी गई हैं. 3. 12% टैक्स स्लैब...

फ्रोजन मीट, चीज़, घी, ड्राय फ्रूट (पैकेट वाले), जानवरों की चर्बी, फ्रूट जूस (पैकेट वाले), भुजिया, नमकीन, आयुर्वेदिक दवाइयां, टूथ पाउडर, अगरबत्ती, कलरिंग बुक, पिक्चर बुक, छाता, सिलाई मशीन और फोन सभी 12% टैक्स स्लैब में आएंगे.

4. 18% टैक्स स्लैब...

ज्यादातर आइटम इस टैक्स स्लैब में आए हैं. जैसे रिफाइन्ड शक्कर, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, जैम, पेस्ट्री, केक, सॉस, मिनरल वॉटर, इंस्टेंट फुड, टिशू, लिफाफे, टैम्पून, नोट बुक, स्टील प्रोडक्ट, सर्केट्स, कैमरा, स्पीकर, मॉनिटर आदि 

5. 28% टैक्स स्लैब....

चिविंग गम, शीरा, चॉकलेट (जिसमें कोको पाउडर ना हो), वॉफल्स, वेफर्स (चॉकलेट कोटिंग वाला), डियोड्रेंट, शेविंग क्रीम, आफ्टर शेव, हेयर शैंपू, डाई, सनस्क्रीन, वॉलपेपर, वॉटर हीटर, डिशवॉशर, वेटिंग मशीन, वॉशिंग मशीन, एटीएम, वेंडिंग मशीन, वैक्युम क्लीनर, शेवर, हेयर क्लिपर, ऑटोमोबाइल, मोटरसाइकल, वैक्युम क्लीनर, शेवर्स और कई हाई एंड गुड्स

क्या फर्क पड़ा..

खाने का तेल, मसाले, चाय, कॉफी आदि पर अभी तक 9% तक का (4 से 9%) टैक्स लगता है ये सभी 5% के दायरे में आ जाएंगे. इससे कई चीजों के दाम कम होंगे. अलग-अलग राज्यों में अलग कीमत का मतलब नहीं रहेगा. इसके अलावा, कम्प्यूटर, प्रोसेस्ड फूड आदि सब जो 9 से 15% के टैक्स स्लैब में अभी तक हैं वो एक टैक्स स्लैब 12% में चले जाएंगे.

साबुन शेविंग किट आदि पर अभी 15 से 21% टैक्स लगता है इसपर अब यूनिफॉर्म 18% टैक्स लगेगा. हां व्हाइट गुड्स यानी महंगी चीजें जैसे LED टीवी, यॉट, वेंडिंग मशीन, एटीएम, वॉशिंग मशीन आदि 21% के दायरे से बढ़कर 28% तक हो जाएंगी जो महंगी होंगी.

इससे कैसे केंद्र और राज्य को फायदा होगा?

ऐसा माना जा रहा है कि भारत में जीएसटी 15 बिलियन एक साल में देगा. इसका मतलब गुड्स एंड सर्विस टैक्स के लागू होने के बाद एक्सपोर्ट बढ़ेगा, नई नौकरियां निकलेंगी और ग्रोथ होगी. इससे टैक्स बर्डन मैन्युफैक्चरर और सर्विसेज में बट जाएगा.

कंपनियों और आम इंसान को इससे क्या फायदा होगा?

जीएसटी में सभी सेंट्रल और स्टेट टैक्स एक ही साल सेल के समय लग जाएंगे. यानी कि मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट पर एक ही जीएसटी टैक्स लगेगा और उसके बाद कुछ भी नहीं. इससे कीमतें कम होंगी और लोगों को फायदा होगा. कीमतें कम होने से मांग बढ़ेगी और कंपनियों को फायदा होगा.

भारत में लागू होगा दो तरह का जीएसटी...

भारत में दो तरह का गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाने की तैयारी चल रही है इसमें एक सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स होगा और एक स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स होगा. कुछ चीजों को छोड़कर बाकी सबको जीएसटी के अंतरगत लाया जा रहा है.

इतनें टैक्स जोड़कर दो टैक्स स्लैब बनाए गए हैं. ये कोई एक्स्ट्रा टैक्स नहीं होगा इसमें CGST सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी (Cenvat), सर्विस टैक्स और बाकी ड्यूटी मिली होंगी जिसे एक ही कैप में लाया गया है. स्टेट लेवल पर ये टैक्स लग्जरी टैक्स, वैट, एंटरटेंमेंट टैक्स, सेल्स टैक्स, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, लॉटरी टैक्स, वैट, ऑक्ट्रॉय आदि को एक साथ मिलाकर एक कैप में लाया गया है.

इस मामले में CNBC आवाज में बिजनेस प्रोड्यूसर के तौर पर काम कर रहे पुलक बाजपेई का कहना है कि ये देश का सबसे बड़ा रिफॉर्म है. अब सभी चीजें अपने सही-सही टैक्स स्लैब में आएंगी और इससे फायदा होगा. एक बहुत बड़ा तबका है जिसके लिए महंगाई कम होगी ये वो तबका है जो पैसे ज्यादा नहीं चुका सकता और इसलिए खाने पीने की चीजें, रोजमर्रा का सामान सब सस्ते टैक्स स्लैब में रखा गया है. इसके अलावा, जो तबका पैसा दे सकता है उसके लिए टैक्स बढ़ाया गया है जैसे अगर आप कार खरीदते हैं तो 5000 रुपए एक्स्ट्रा टैक्स दे सकते हैं, लेकिन दूध पर अगर गरीबों को दो रुपए भी ज्यादा देने पड़े तो गलत होगा. इससे फायदा ये भी होगा कि ई-रिटेल जैसे कई कारोबार बढ़ेंगे. जीएसटी लगने के बाद हर स्टेट का टैक्स कम होगा चीज़ें आसानी से मूव हो पाएंगी. इससे कारोबार बढ़ेंगे.

जीएसटी से जुड़े सवाल...

क्लिक करें : जीएसटी का किस प्रोडक्ट पर कैसा असर होगा, जानिए

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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