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Jio पर पोर्न बैन के बाद पता चला कि यूजर्स पर शक गलत था

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 20 जनवरी, 2019 04:20 PM
  • 20 जनवरी, 2019 04:19 PM
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अगर हम 1 जीबी डेटा का इस्तेमाल कर के यूट्यूब पर वीडियो देखें तो करीब 5 घंटे तक लगातार वीडियो देख सकते हैं. यानी दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में जियो यूजर्स ने प्रति माह सिर्फ 1 घंटे कम वीडियो देखा, जिसका मतलब है कि उन्होंने रोजाना 2 मिनट कम वीडियो देखा.

पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी, जिसके बाद जियो के ग्राहकों को लोग शक भरी निगाहों से देखने लगे थे. ये रिपोर्ट थी लोगों द्वारा वीडियो देखने के ट्रैक करने वाली फर्म Vidooly की, जिसके अनुसार जब से इंटरनेट डेटा सस्ता हुआ, तब से एडल्ट कंटेंट देखने में 75 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. अब जब बात हुई है सस्ते डेटा की, तो रिलांयस जियो को कोई कैसे भूल सकता है. यही तो है, जो सबसे सस्ता डेटा भी लाया और जिसकी वजह से बाकी कंपनियों ने भी डेटा प्लान की कीमतें कम कीं. इस रिपोर्ट के बाद लोगों में एक धारणा सी बन गई थी कि रिलायंस जियो के फ्री के डेटा का सबसे अधिक इस्तेमाल पोर्न देखने में किया जाता है. हाल ही में रिलायंस जियो के डेटा इस्तेमाल करने के जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्हें देखने के बाद तो लोगों का जियो के ग्राहकों पर संदेह और भी बढ़ गया है.

ताजा आंकड़ों के अनुसार जियो के इंटरनेट इस्तेमाल करने में गिरावट दर्ज की गई है. सितंबर में खत्म हुई तिमाही में जियो यूजर प्रति माह औसतन 11 जीबी इंटरनेट इस्तेमाल करते थे, जबकि दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में ये आंकड़ा घटकर 10.8 जीबी प्रति माह हो गया है. हालांकि, खुद रिलायंस जियो के 'रणनीति और योजना' के प्रमुख अंशुमान ठाकुर भी इस बात से सहमत नजर आ रहे हैं कि पोर्न बैन होने की वजह से ही डेटा की खपत में कमी आई है. लेकिन उनका ये आकलन कितना गलत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि प्रति महीने औसतन सिर्फ 200 एमबी कम डेटा इस्तेमाल किया जा रहा है. यानी घंटे के हिसाब से एक यूजर ने हर महीने सिर्फ 1 घंटे कम वीडियो देखा है. 

दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में जियो यूजर्स ने प्रति माह सिर्फ 1 घंटे कम वीडियो देखा.

जब रिलायंस जियो के रणनीति और योजना के प्रमुख अंशुमान ठाकुर से 'द हिंदू' ने बात की, तो उन्होंने भी इस...

पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी, जिसके बाद जियो के ग्राहकों को लोग शक भरी निगाहों से देखने लगे थे. ये रिपोर्ट थी लोगों द्वारा वीडियो देखने के ट्रैक करने वाली फर्म Vidooly की, जिसके अनुसार जब से इंटरनेट डेटा सस्ता हुआ, तब से एडल्ट कंटेंट देखने में 75 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. अब जब बात हुई है सस्ते डेटा की, तो रिलांयस जियो को कोई कैसे भूल सकता है. यही तो है, जो सबसे सस्ता डेटा भी लाया और जिसकी वजह से बाकी कंपनियों ने भी डेटा प्लान की कीमतें कम कीं. इस रिपोर्ट के बाद लोगों में एक धारणा सी बन गई थी कि रिलायंस जियो के फ्री के डेटा का सबसे अधिक इस्तेमाल पोर्न देखने में किया जाता है. हाल ही में रिलायंस जियो के डेटा इस्तेमाल करने के जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्हें देखने के बाद तो लोगों का जियो के ग्राहकों पर संदेह और भी बढ़ गया है.

ताजा आंकड़ों के अनुसार जियो के इंटरनेट इस्तेमाल करने में गिरावट दर्ज की गई है. सितंबर में खत्म हुई तिमाही में जियो यूजर प्रति माह औसतन 11 जीबी इंटरनेट इस्तेमाल करते थे, जबकि दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में ये आंकड़ा घटकर 10.8 जीबी प्रति माह हो गया है. हालांकि, खुद रिलायंस जियो के 'रणनीति और योजना' के प्रमुख अंशुमान ठाकुर भी इस बात से सहमत नजर आ रहे हैं कि पोर्न बैन होने की वजह से ही डेटा की खपत में कमी आई है. लेकिन उनका ये आकलन कितना गलत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि प्रति महीने औसतन सिर्फ 200 एमबी कम डेटा इस्तेमाल किया जा रहा है. यानी घंटे के हिसाब से एक यूजर ने हर महीने सिर्फ 1 घंटे कम वीडियो देखा है. 

दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में जियो यूजर्स ने प्रति माह सिर्फ 1 घंटे कम वीडियो देखा.

जब रिलायंस जियो के रणनीति और योजना के प्रमुख अंशुमान ठाकुर से 'द हिंदू' ने बात की, तो उन्होंने भी इस संभावना से इनकार नहीं किया. जब उसने पूछा गया कि क्या पोर्न वेबसाइट बैन करने की वजह से जियो के डेटा की खपत में गिरावट दर्ज की गई है, तो उन्होंने कहा- 'आप ऐसा कह सकते हैं.' अंशुमान ठाकुर की बात भी जियो ग्राहकों को कटघरे में खड़ा करने का ही काम कर रही है, लेकिन अगर आंकड़े के खेल को थोड़ा गहराई से जानें तो तस्वीर ही बदल जाएगी. ये गिरावट उस वक्त सामने आई है, जब सरकार के आदेश के बाद रिलायंस जियो ने एक्सवीडियोज और पोर्नहब जैसी बहुत सारी पोर्न वेबसाइट्स पर बैन लगा दिया है. तो क्या ये गिरावट सिर्फ इसी वजह से आई है कि जियो ने पोर्न वेबसाइट्स बैन कर दी हैं? क्या जियो के ग्राहक वाकई इंटरनेट पर अधिकतर समय पोर्न ही देखते थे? सबसे बड़ा सवाल ये है कि Vidooly की रिपोर्ट के बाद लोग जियो ग्राहकों पर जो शक कर रहे थे, क्या वो सही साबित हो गया है? इन सवालों के जवाब आपको हैरान करने के लिए काफी हैं.

 

सिर्फ पोर्न नहीं देखते जियो यूजर!

आंकड़े दिखाते हैं कि दूसरी तिमाही में एक यूजर प्रति माह औसतन 11 जीबी डेटा खर्च करता था, जबकि तीसरी तिमाही में ये खपत 10.8 जीबी हो गई. यानी प्रति माह करीब 0.2 जीबी (लगभग 200 एमबी). इस तरह अगर एक दिन का इस्तेमाल देखा जाए तो सिर्फ 6 एमबी की कटौती हुई है. यानी एक बात तो साफ है कि जियो के यूजर सिर्फ पोर्न देखने में इंटरनेट डेटा का इस्तेमाल नहीं करते हैं. अगर ऐसा होता तो अब जब जियो ने सभी पोर्न साइट को बंद कर दिया है तो जियो के उपभोक्ता तो इंटरनेट का इस्तेमाल ही करना छोड़ देते, जबकि इसके इस्तेमाल में मामूली कमी आई है.

अब यही बात आसान भाषा में समझिए

अगर हम 1 जीबी डेटा का इस्तेमाल कर के यूट्यूब पर वीडियो देखें तो करीब 5 घंटे तक लगातार वीडियो देख सकते हैं. अगर इसे ही एक पैमाना मान लिया जाए तो 200 एमबी का मतलब हुआ करीब 1 घंटे तक वीडियो देखना. यानी दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में जियो यूजर्स ने प्रति माह सिर्फ 1 घंटे कम वीडियो देखा, जिसका मतलब है कि उन्होंने रोजाना 2 मिनट कम वीडियो देखा. पोर्न देखना एक लत जैसा है और इसे देखने वाला सिर्फ 2 मिनट रोज नहीं देखता. यानी एक बात तो साफ हो जाती है कि रिलायंस जियो के ग्राहक सस्ते इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ पोर्न देखने में तो कतई नहीं करते.

डेटा सस्ता होने के बाद Vidooly की रिपोर्ट ने जो आंकड़े जारी किए, उसके बाद रिलायंस जियो के ग्राहकों को शक की निगाहों से देखा जाने लगा था. सरकार के आदेश के बाद जब पोर्न वेबसाइट बैन हुईं और ये बातें सामने आईं कि डेटा इस्तेमाल की दर कम हो गई है. इसके बाद लोगों का शक और गहरा गया. यहां तक कि अब जो रिलायंस जियो का डेटा आया, उसे देखने के बाद भी ये अंदाजा लगाया जाने लगा कि जियो के ग्राहक तो इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ पोर्न देखने के लिए ही करते हैं. लेकिन इन आंकड़ों को गहराई से देखने पर ये साफ हो जाता है कि जियो के ग्राहक सिर्फ पोर्न देखने के लिए इंटरनेट इस्तेमाल नहीं करते थे. डेटा सस्ता होने के बाद से जियो के ग्राहकों पर कई तरह के लांछन लगने लगे थे, लेकिन रिलायंस जियो के ताजा आंकड़े ने इसके उपभोक्ताओं को बाइज्जत बरी करने जैसा काम किया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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