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दाउद भी इस्तेमाल करता है बिटक्वाइन

    • अरिंदम डे
    • Updated: 03 दिसम्बर, 2017 12:59 PM
  • 03 दिसम्बर, 2017 12:59 PM
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गैरकानूनी धंधों में बिटकॉइन का इस्तेमाल आसान है. क्यूंकि इसके लेनदेन का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है. न ही इसके इस्तेमाल पर कोई सरकारी नियंत्रण है.

इक़बाल कासकर ने पूछताछ के दौरान बताया कि दाउद इब्राहिम बिटक्वाइन इस्तेमाल करता है. कासकर ने कहा कि दाउद ने लगभग 15,000 बिटक्वाइन खरीदे हैं. भारतीय रूपया में इसकी कीमत करीब 1000 करोड़ रूपए है. दाउद इब्राहिम बिटक्वाइन को मादक, कंस्ट्रक्शन और आर्म्स के गैर कानूनी कारोबार के लेनदेन में इस्तेमाल करता है.

गैरकानूनी धंधों में बिटक्वाइन का इस्तेमाल आसान है. क्यूंकि इसके लेनदेन का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है. न ही इसके इस्तेमाल पर कोई सरकारी नियंत्रण है. इसका इस्तेमाल भी आम इंटरनेट पर नहीं होता है. गैरकानूनी 'डार्क नेट' से ही ज़्यादातर लेनदेन होता है.

बिटक्वाइन का कोई रिकॉर्ड नहीं होता इसलिए आतंकियों के लिए मुफीद होता है

वैसे यह पहली बार नहीं है जब बिटक्वाइन का इस्तेमाल गैरकानूनी धंधे में हुआ है. 2016 दिसंबर में एनसीबी को मादक तस्करी के मामले में बिटक्वाइन के इस्तेमाल का सबूत मिला था. उन्होंन करीब 500 बिटक्वाइन जब्त किए थे. भारतीय मुद्रा में इनकी कीमत करीब एक करोड़ रूपए थी. 2013 में एफबीआई ने 'सिल्क रोड' नाम के एक वेब स्थित ऑनलाइन मार्केट को बंद किया था. यह साइट मादक तस्करी से जुड़ा था और बिटक्वाइनों में भुगतान लेता था. इसके तुरंत बाद सिल्क रोड 2.0 ने काम करना शुरु किया था और उसको भी बंद करवाया गया. नवंबर 2014 में साइट चलानेवाले रॉस विलियम वुलब्रिच को गिरफ्तार किया गया.

भारत की सुरक्षा एजेंसियां बिटक्वाइन पर काफी दिनों से नज़र बनाए हुए हैं. उनका मानना है कि इसका इस्तेमाल न सिर्फ ड्रग तस्करी के लिए बल्कि आतंकी संगठनों के कामकाज के लिए भी किया जा रहा है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मामले में केंद्रीय अर्थ मंत्रक और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से लगातार सम्पर्क बनाये हुए है. साथ ही सभी सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है.

हाल ही...

इक़बाल कासकर ने पूछताछ के दौरान बताया कि दाउद इब्राहिम बिटक्वाइन इस्तेमाल करता है. कासकर ने कहा कि दाउद ने लगभग 15,000 बिटक्वाइन खरीदे हैं. भारतीय रूपया में इसकी कीमत करीब 1000 करोड़ रूपए है. दाउद इब्राहिम बिटक्वाइन को मादक, कंस्ट्रक्शन और आर्म्स के गैर कानूनी कारोबार के लेनदेन में इस्तेमाल करता है.

गैरकानूनी धंधों में बिटक्वाइन का इस्तेमाल आसान है. क्यूंकि इसके लेनदेन का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है. न ही इसके इस्तेमाल पर कोई सरकारी नियंत्रण है. इसका इस्तेमाल भी आम इंटरनेट पर नहीं होता है. गैरकानूनी 'डार्क नेट' से ही ज़्यादातर लेनदेन होता है.

बिटक्वाइन का कोई रिकॉर्ड नहीं होता इसलिए आतंकियों के लिए मुफीद होता है

वैसे यह पहली बार नहीं है जब बिटक्वाइन का इस्तेमाल गैरकानूनी धंधे में हुआ है. 2016 दिसंबर में एनसीबी को मादक तस्करी के मामले में बिटक्वाइन के इस्तेमाल का सबूत मिला था. उन्होंन करीब 500 बिटक्वाइन जब्त किए थे. भारतीय मुद्रा में इनकी कीमत करीब एक करोड़ रूपए थी. 2013 में एफबीआई ने 'सिल्क रोड' नाम के एक वेब स्थित ऑनलाइन मार्केट को बंद किया था. यह साइट मादक तस्करी से जुड़ा था और बिटक्वाइनों में भुगतान लेता था. इसके तुरंत बाद सिल्क रोड 2.0 ने काम करना शुरु किया था और उसको भी बंद करवाया गया. नवंबर 2014 में साइट चलानेवाले रॉस विलियम वुलब्रिच को गिरफ्तार किया गया.

भारत की सुरक्षा एजेंसियां बिटक्वाइन पर काफी दिनों से नज़र बनाए हुए हैं. उनका मानना है कि इसका इस्तेमाल न सिर्फ ड्रग तस्करी के लिए बल्कि आतंकी संगठनों के कामकाज के लिए भी किया जा रहा है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मामले में केंद्रीय अर्थ मंत्रक और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से लगातार सम्पर्क बनाये हुए है. साथ ही सभी सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है.

हाल ही में (नवंबर 2017) में दिल्ली पुलिस ने नशा तस्करी के एक ऐसे गिरोह को पकड़ा था, जो बिटक्वाइन का इस्तेमाल करते थे. सुरक्षा एजेंसियों का यह भी मानना है की भारी मात्रा में काला धन बिटक्वाइन में परिवर्तित कर लिया गया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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