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तो क्या बजट 2018 में मोदी लेंगे ये बड़ा फैसला?

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 05 जनवरी, 2018 03:40 PM
  • 05 जनवरी, 2018 03:40 PM
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खबरों की मानें तो अरुण जेटली इस बार 80C के तहत होने वाले टैक्स एक्जेम्शन की लिमिट बढ़ा सकते हैं. ये लिमिट 1.5 लाख से बढ़कर 2 लाख हो सकती है.

नया साल शुरू हो गया है और अब जेटली जी एक बार फिर बजट की तैयारियों में जोर शोर से जुट गए हैं. जी हां, बजट 2018 अब 1 महीने से भी कम वक्त में पेश किया जाएगा. 1 फरवरी को बजट पेश होना है और अभी से ही उसके बारे में खबरें आने लगी हैं.

खबरों की मानें तो अरुण जेटली इस बार 80C के तहत होने वाले टैक्स एक्जेम्शन की लिमिट बढ़ा सकते हैं. ये लिमिट 1.5 लाख से बढ़कर 2 लाख हो सकती है.

80C के तहत म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस प्रीमियम, पेंशन स्कीम, होम लोन की किश्त, बच्चों की स्कूल या कॉलेज की फीस, 5 साल की एफडी आदि में निवेश करने के बाद लोगों को छूट मिलती है.

क्या होगा इससे?

जहां 1.5 लाख रुपए पर टैक्स बचाया जा सकता था वहीं इस स्कीम के लागू होने के बाद 2 लाख तक की इनकम पर टैक्स बचेगा. इसका सीधा सा कारण ये दिखता है कि इससे लोग इन्वेस्टमेंट की ओर ज्यादा मुड़ेंगे. अभी की बात करें तो लोग सोने और जमीन जैसी चीजों पर ज्यादा खर्च कर देतें हैं और इन्वेस्टमेंट के बारे में कम सोचते हैं.

अगर ऐसा हो जाता है तो आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में से 2 लाख रुपए कम हो जाएंगे. मसलन.. अगर आपकी इनकम 10 लाख है तो 2.5 लाख वैसे ही टैक्स के दायरे में नहीं आएंगे, फिर 2 लाख और जोड़ लीजिए इसमें. तो कुल 4.5 लाख रुपए की इनकम टैक्स के दायरे से बाहर हो गई.

अगर ये पैसा फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट में लगाया जाता है तो कम से कम 5 साल के लिए लॉक हो जाएगा, लेकिन 5 साल बाद इंट्रेस्ट के साथ वापस मिलेगा. कई स्कीम ऐसी होती हैं जिनमें कोई इंट्रेस्ट के पैसे पर भी टैक्स लगता है, इसलिए निवेश से पहले सोच लें कि किस तरह की स्कीम में पैसे डालने हैं.

पहले भी किया है ऐसा...

अरुण जेटली ने पहला बजट जुलाई 2014-15 में पेश किया था और उस समय 80C...

नया साल शुरू हो गया है और अब जेटली जी एक बार फिर बजट की तैयारियों में जोर शोर से जुट गए हैं. जी हां, बजट 2018 अब 1 महीने से भी कम वक्त में पेश किया जाएगा. 1 फरवरी को बजट पेश होना है और अभी से ही उसके बारे में खबरें आने लगी हैं.

खबरों की मानें तो अरुण जेटली इस बार 80C के तहत होने वाले टैक्स एक्जेम्शन की लिमिट बढ़ा सकते हैं. ये लिमिट 1.5 लाख से बढ़कर 2 लाख हो सकती है.

80C के तहत म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस प्रीमियम, पेंशन स्कीम, होम लोन की किश्त, बच्चों की स्कूल या कॉलेज की फीस, 5 साल की एफडी आदि में निवेश करने के बाद लोगों को छूट मिलती है.

क्या होगा इससे?

जहां 1.5 लाख रुपए पर टैक्स बचाया जा सकता था वहीं इस स्कीम के लागू होने के बाद 2 लाख तक की इनकम पर टैक्स बचेगा. इसका सीधा सा कारण ये दिखता है कि इससे लोग इन्वेस्टमेंट की ओर ज्यादा मुड़ेंगे. अभी की बात करें तो लोग सोने और जमीन जैसी चीजों पर ज्यादा खर्च कर देतें हैं और इन्वेस्टमेंट के बारे में कम सोचते हैं.

अगर ऐसा हो जाता है तो आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में से 2 लाख रुपए कम हो जाएंगे. मसलन.. अगर आपकी इनकम 10 लाख है तो 2.5 लाख वैसे ही टैक्स के दायरे में नहीं आएंगे, फिर 2 लाख और जोड़ लीजिए इसमें. तो कुल 4.5 लाख रुपए की इनकम टैक्स के दायरे से बाहर हो गई.

अगर ये पैसा फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट में लगाया जाता है तो कम से कम 5 साल के लिए लॉक हो जाएगा, लेकिन 5 साल बाद इंट्रेस्ट के साथ वापस मिलेगा. कई स्कीम ऐसी होती हैं जिनमें कोई इंट्रेस्ट के पैसे पर भी टैक्स लगता है, इसलिए निवेश से पहले सोच लें कि किस तरह की स्कीम में पैसे डालने हैं.

पहले भी किया है ऐसा...

अरुण जेटली ने पहला बजट जुलाई 2014-15 में पेश किया था और उस समय 80C इन्वेस्टमेंट की लिमिट 50 हजार से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दी थी.

चुनाव या रेवेन्यु?

सेक्शन 80C वाला फैसला सरकार लेती है या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा. अभी ये सिर्फ कयास ही लगाई जा रही है कि सरकार कुछ ऐसा कर सकती है, लेकिन कोटक सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार बजट में कुछ ऐसा जरूर कर सकती है जिससे रेवेन्यु जनरेट हो. सीधी सी बात है अगर 80C के तहत छूट को बढ़ा दिया गया तो सरकारी खजाने पर फर्क पड़ेगा.

अब देखना ये है कि क्या सरकार चुनाव 2019 के लिए बजट पेश करेगी जिसमें टैक्स को लेकर छूट दी जाएगी, आम आदमी के लिए कई सारे तोहफे होंगे या फिर ऐसे फैसले लिए जाएंगे जिससे भारत की आर्थिक हालत सुधरे और ज्यादा रेवेन्यु आए जैसे हाई टैक्स ब्रैकेट में सरचार्ज बढ़ाया जाए, क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी दोनों के कारण ही भारत की जीडीपी गिरी है. बजट 2018 न सिर्फ मोदी सरकार के लिए बल्कि भारत के लिए भी कई मामलों में अहम है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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