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दिखने लगे हैं संकेत! तो क्या पेट्रोल-डीजल भी आने वाला है GST के दायरे में ?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 02 जनवरी, 2018 03:14 PM
  • 02 जनवरी, 2018 03:14 PM
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डीजल-पेट्रोल पर मार्केटिंग चार्ज, एक्साइज ड्यूटी, वैट के अलावा डीलर कमीशन जुड़ता है और अंत में जो कीमत आती है, उस पर यह जनता को मिलता है. तो क्या जीएसटी इन सभी टैक्स को खत्म करके उनकी जगह ले लेगा?

जब डीजल-पेट्रोल की कीमतें घटती हैं तो उसका क्रेडिट लेने के लिए सभी टूट पड़ते हैं, लेकिन जब कीमतें बढ़ती हैं तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए आगे नहीं आता. डीजल की कीमतें रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई हैं, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही. हैरान होने वाली बात नहीं होगी अगर आने वाले कुछ दिनों में डीजल-पेट्रोल पर भी जीएसटी लगने लगे. आए दिन डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान ऐसे ही इशारे कर रहे हैं. वह पहले ही कह चुके हैं कि अगर राज्य तैयार हो जाते हैं तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है.

रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा डीजल

डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से लोगों पर पड़ने वाले बोझ से राहत दिलाने के लिए 16 जून 2017 से रोजाना कीमतें तय करने का नियम बनाया गया. इससे पहले 15 दिनों में एक बार कीमत तय की जाती थी. लेकिन न तो कीमतें कम हुईं न ही लोगों पर पड़ने वाला बोझ. यहां तक कि 2018 के आते-आते डीजल की कीमतों ने भी एक रिकॉर्ड बना दिया. पेट्रोल की कीमतें भी बेतहाशा बढ़ी हैं, लेकिन वह रिकॉर्ड हाई नहीं हैं. जून 2017 से जनवरी 2018 तक पेट्रोल (दिल्ली) की कीमतें 4.49 रुपए बढ़ चुकी हैं. वहीं जून 2016 के बाद से 5.27 रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ डीजल दिल्ली में अब तक के सबसे महंगे स्तर 59.76 रुपए पर पहुंच गया है.

जीएसटी लाकर खत्म करेंगे डीजल-पेट्रोल पर टैक्स?

जीएसटी को लागू करने से पहले यह बात कही गई थी इससे प्रोडक्ट पर लगने वाले बहुत से टैक्स खत्म होंगे, जिससे प्रोडक्ट सस्ते हो जाएंगे. जीएसटी लगने के बाद से भले ही आपको कुछ सस्ता मिल रहा हो या नहीं, लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों को भी सस्ता करने की बात कहते हुए जीएसटी यहां भी दस्तक दे सकता है. डीजल-पेट्रोल पर मार्केटिंग चार्ज, एक्साइज ड्यूटी, वैट...

जब डीजल-पेट्रोल की कीमतें घटती हैं तो उसका क्रेडिट लेने के लिए सभी टूट पड़ते हैं, लेकिन जब कीमतें बढ़ती हैं तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए आगे नहीं आता. डीजल की कीमतें रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई हैं, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही. हैरान होने वाली बात नहीं होगी अगर आने वाले कुछ दिनों में डीजल-पेट्रोल पर भी जीएसटी लगने लगे. आए दिन डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान ऐसे ही इशारे कर रहे हैं. वह पहले ही कह चुके हैं कि अगर राज्य तैयार हो जाते हैं तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है.

रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा डीजल

डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से लोगों पर पड़ने वाले बोझ से राहत दिलाने के लिए 16 जून 2017 से रोजाना कीमतें तय करने का नियम बनाया गया. इससे पहले 15 दिनों में एक बार कीमत तय की जाती थी. लेकिन न तो कीमतें कम हुईं न ही लोगों पर पड़ने वाला बोझ. यहां तक कि 2018 के आते-आते डीजल की कीमतों ने भी एक रिकॉर्ड बना दिया. पेट्रोल की कीमतें भी बेतहाशा बढ़ी हैं, लेकिन वह रिकॉर्ड हाई नहीं हैं. जून 2017 से जनवरी 2018 तक पेट्रोल (दिल्ली) की कीमतें 4.49 रुपए बढ़ चुकी हैं. वहीं जून 2016 के बाद से 5.27 रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ डीजल दिल्ली में अब तक के सबसे महंगे स्तर 59.76 रुपए पर पहुंच गया है.

जीएसटी लाकर खत्म करेंगे डीजल-पेट्रोल पर टैक्स?

जीएसटी को लागू करने से पहले यह बात कही गई थी इससे प्रोडक्ट पर लगने वाले बहुत से टैक्स खत्म होंगे, जिससे प्रोडक्ट सस्ते हो जाएंगे. जीएसटी लगने के बाद से भले ही आपको कुछ सस्ता मिल रहा हो या नहीं, लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों को भी सस्ता करने की बात कहते हुए जीएसटी यहां भी दस्तक दे सकता है. डीजल-पेट्रोल पर मार्केटिंग चार्ज, एक्साइज ड्यूटी, वैट के अलावा डीलर कमीशन जुड़ता है और अंत में जो कीमत आती है, उस पर यह जनता को मिलता है. इसमें सबसे अधिक चार्ज लगता है एक्साइज ड्यूटी और वैट के रूप में. यानी मोदी सरकार वैट और एक्साइज ड्यूटी को खत्म करने की बात कहते हुए आने वाले दिनों में इसकी जगह जीएसटी को ला सकती है.

कितना लगता है टैक्स?

पेट्रोल पर 19.48 रुपए का उत्पाद शुल्क, 27 फीसदी वैट और करीब 3 रुपए डीलर का कमीशन लगता है. वहीं दूसरी ओर डीजल पर 15.33 रुपए उत्पाद शुल्क, 27 फीसदी वैट और करीब 2 रुपए डीलर का कमीशन लगता है. पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों के बाद केन्द्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में 2 रुपए की कटौती भी की थी. साथ ही सभी राज्यों से आग्रह किया था कि वह भी अपने वैट में कुछ कटौती करें. केन्द्र और राज्य सरकारों की कटौती के बावजूद कीमतें अपने रिकॉर्ड हाई पर जा पहुंची हैं.

उत्पादों की कीमतें कम होने की बात कहते हुए केन्द्र सरकार ने जीएसटी लागू किया था. अब पेट्रोलियम पदार्थों को लेकर जो इशारे मिल रहे हैं, उनसे भी लग रहा है कि इसे भी जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा. यह तो साफ है कि डीजल-पेट्रोल को सस्ता करने की बात कहते हुए जीएसटी लागू किया जाएगा. लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद भी हालात बदलेंगे या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. जीएसटी लागू होने के बाद भी भले ही होटल में खाना खाना सस्ता हो गया हो, लेकिन टेलिफोन बिल, क्रेडिट कार्ड बिल जैसी सेवाएं काफी महंगी हो गई हैं. जीएसटी लगने के बाद लोगों की हालत अभी भी कुछ खास नहीं सुधरी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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