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अब सरकार नहीं चाहती कि आप कुछ भी 'फिक्स' करें !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 13 मई, 2018 04:00 PM
  • 13 मई, 2018 04:00 PM
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एक समय था जब बैंक '5 साल में पैसे दोगुने' जैसे विज्ञापन दिया करते थे और वैसा होता भी था. आज का समय तो ऐसा है कि शायद 10 साल में भी पैसे दोगुने ना हों.

दौर कोई भी हो, पैसा हर दौर में एक अहम भूमिका निभाता है. लेकिन 80-90 के दशक में रुपए की जो चमक थी वो 2018 आते-आते काफी फीकी पड़ चुकी है. एक वो भी समय था जब लोग बेटी की शादी के लिए एफडी करा देते थे और जब एफडी तोड़ते थे तो उन पैसों से बेटी की शादी हो जाती थी. किसी मुसीबत की घड़ी में भी एफडी लोगों का सहारा हुआ करती थी. हो भी क्यों ना, '5 साल में पैसे दोगुने', बैंक ऐसे विज्ञापन दिया करते थे और वैसा होता भी था. आज का समय तो ऐसा है कि शायद 10 साल में भी पैसे दोगुने ना हों. ऐसा लगता है कि जैसे सरकार खुद ही यही चाहती है कि लोग फिक्स डिपॉजिट ना कराएं.

आज के समय में फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दर इतनी कम है कि पैसे 10 साल में भी दोगुने नहीं होंगे.

पहले कितना मिलता था ब्याज?

90 के दशक में अगर आपके पास कुछ पैसे होते थे और आप उसे बैंक में फिक्स डिपॉजिट करवा दें तो उस पर आपको आराम से 10-11 फीसदी तक ब्याज मिल सकता था. वहीं अगर थोड़ा और पीछे चले जाएं तो 80 के दशक में फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज 13-15 फीसदी तक मिल जाता था. लेकिन जिस तरह से आज 5-7 फीसदी ब्याज मिल रहा है, उससे यह साफ है कि सरकार नहीं चाहती आप फिक्स डिपॉजिट करें. सवाल-जवाब वाली वेबसाइट quora पर एक सवाल के जवाब में कहा गया है कि 80 के दशक में 14-18 फीसदी तक का ब्याज मिलता था.

आज क्या हैं हालात?

आज के समय में फिक्स डिपॉजिट पर सबसे अधिक ब्याज 6.5-7 फीसदी मिल रहा है. यानी जो पैसे 80-90 के दशक में 5 साल में ही दोगुने हो जाते थे, अब उन्हें दोगुने होने में 10 साल लग जाएंगे. ये भी तब अगर ब्याज दर 7 फीसदी या उससे अधिक मिलेगी, वरना अगर ब्याज दर 6.5 फीसदी ही रही तो पैसे 10 साल में भी दोगुने नहीं हो पाएंगे. न तो निजी बैंक अधिक ब्याज दे रहे हैं, ना ही सरकारी...

दौर कोई भी हो, पैसा हर दौर में एक अहम भूमिका निभाता है. लेकिन 80-90 के दशक में रुपए की जो चमक थी वो 2018 आते-आते काफी फीकी पड़ चुकी है. एक वो भी समय था जब लोग बेटी की शादी के लिए एफडी करा देते थे और जब एफडी तोड़ते थे तो उन पैसों से बेटी की शादी हो जाती थी. किसी मुसीबत की घड़ी में भी एफडी लोगों का सहारा हुआ करती थी. हो भी क्यों ना, '5 साल में पैसे दोगुने', बैंक ऐसे विज्ञापन दिया करते थे और वैसा होता भी था. आज का समय तो ऐसा है कि शायद 10 साल में भी पैसे दोगुने ना हों. ऐसा लगता है कि जैसे सरकार खुद ही यही चाहती है कि लोग फिक्स डिपॉजिट ना कराएं.

आज के समय में फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दर इतनी कम है कि पैसे 10 साल में भी दोगुने नहीं होंगे.

पहले कितना मिलता था ब्याज?

90 के दशक में अगर आपके पास कुछ पैसे होते थे और आप उसे बैंक में फिक्स डिपॉजिट करवा दें तो उस पर आपको आराम से 10-11 फीसदी तक ब्याज मिल सकता था. वहीं अगर थोड़ा और पीछे चले जाएं तो 80 के दशक में फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज 13-15 फीसदी तक मिल जाता था. लेकिन जिस तरह से आज 5-7 फीसदी ब्याज मिल रहा है, उससे यह साफ है कि सरकार नहीं चाहती आप फिक्स डिपॉजिट करें. सवाल-जवाब वाली वेबसाइट quora पर एक सवाल के जवाब में कहा गया है कि 80 के दशक में 14-18 फीसदी तक का ब्याज मिलता था.

आज क्या हैं हालात?

आज के समय में फिक्स डिपॉजिट पर सबसे अधिक ब्याज 6.5-7 फीसदी मिल रहा है. यानी जो पैसे 80-90 के दशक में 5 साल में ही दोगुने हो जाते थे, अब उन्हें दोगुने होने में 10 साल लग जाएंगे. ये भी तब अगर ब्याज दर 7 फीसदी या उससे अधिक मिलेगी, वरना अगर ब्याज दर 6.5 फीसदी ही रही तो पैसे 10 साल में भी दोगुने नहीं हो पाएंगे. न तो निजी बैंक अधिक ब्याज दे रहे हैं, ना ही सरकारी बैंक. यहां तक कि सरकार की इकाई पोस्ट ऑफिस भी अधिकतम ब्याज 7.4 फीसदी दे रही है. यानी पोस्ट ऑफिस से पैसे दोगुने करने हों तो आज पैसे जमा करके 10 साल के लिए भूल जाइए.

कुछ इस तरह से गिरता गया ब्याज

अगर सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक की ही बात करें तो उसकी वेबसाइट से 1999 से लेकर अब तक का डेटा मिला है. ये ब्याज 1999 में 10 साल के लिए करीब 11 फीसदी और 5 साल के लिए 10.50 फीसदी था. यानी करीब 7 साल में आपके पैसे डबल हो जाते थे. लेकिन धीरे-धीरे इसमें गिरावट आती रही. 2009 तक यानी 10 सालों में ये ब्याज दर गिरकर 8 फीसदी पर आ गई और अब 2018 में यानी करीब 20 साल में यह ब्याज दर 7 फीसदी पर पहुंच चुकी है.

पिछले करीब 20 सालों में SBI की फिक्स डिपॉजिट ब्याज दर ऐसे बदली.

समय के साथ-साथ चीजों की कीमत बढ़ती गई, लेकिन पैसों की अहमियत लगातार कम होती गई. पहले हर किसी की जुबां पर फिक्स डिपॉजिट की बात हुआ करती थी. लोग कहते थे कि हम कुछ पैसे फिक्स कर देंगे, क्योंकि इसमें अच्छा फायदा मिलता था. लेकिन अब फिक्स डिपॉजिट के तहत मिलने वाला ब्याज इतना कम हो गया है कि लोग फिक्स डिपॉजिट की बात भी नहीं करते हैं. फिक्स डिपॉजिट में पैसे निवेश करना सबसे सुरक्षित तरीका था, लेकिन अब पैसे डबल करने के चक्कर में लोग शेयर बाजार की ओर भागते हैं और अक्सर अपना नुकसान भी कर लेते हैं. जिस तरह से फिक्स डिपॉजिट में गिरावट आई है, उससे साफ है कि सरकार भी नहीं चाहती है कि आप कुछ फिक्स करो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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